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सूरा अल बकराह - Page: 19

Al-Baqarah

(गाय)

१८१

فَمَنْۢ بَدَّلَهٗ بَعْدَمَا سَمِعَهٗ فَاِنَّمَآ اِثْمُهٗ عَلَى الَّذِيْنَ يُبَدِّلُوْنَهٗ ۗ اِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ۗ ١٨١

faman
فَمَنۢ
तो जो कोई
baddalahu
بَدَّلَهُۥ
बदल दे उसे
baʿdamā
بَعْدَمَا
बाद उसके जो
samiʿahu
سَمِعَهُۥ
उसने सुना उसे
fa-innamā
فَإِنَّمَآ
तो बेशक
ith'muhu
إِثْمُهُۥ
गुनाह उसका
ʿalā
عَلَى
उन पर है जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर है जो
yubaddilūnahu
يُبَدِّلُونَهُۥٓۚ
बदल देते हैं उसे
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
तो जो कोई उसके सुनने के पश्चात उसे बदल डाले तो उसका गुनाह उन्हीं लोगों पर होगा जो इसे बदलेंगे। निस्संदेह अल्लाह सब कुछ सुननेवाला और जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 181)
Tafseer (तफ़सीर )
१८२

فَمَنْ خَافَ مِنْ مُّوْصٍ جَنَفًا اَوْ اِثْمًا فَاَصْلَحَ بَيْنَهُمْ فَلَآ اِثْمَ عَلَيْهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ١٨٢

faman
فَمَنْ
तो जो कोई
khāfa
خَافَ
ख़ौफ़ करे
min
مِن
वसीयत करने वाले से
mūṣin
مُّوصٍ
वसीयत करने वाले से
janafan
جَنَفًا
तरफ़दारी का
aw
أَوْ
या
ith'man
إِثْمًا
गुनाह का
fa-aṣlaḥa
فَأَصْلَحَ
तो वो इस्लाह करा दे
baynahum
بَيْنَهُمْ
दर्मियान उनके
falā
فَلَآ
तो नहीं
ith'ma
إِثْمَ
कोई गुनाह
ʿalayhi
عَلَيْهِۚ
उस पर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
फिर जिस किसी वसीयत करनेवाले को न्याय से किसी प्रकार के हटने या हक़़ मारने की आशंका हो, इस कारण उनके (वारिसों के) बीच सुधार की व्यवस्था कर दें, तो उसपर कोई गुनाह नहीं। निस्संदेह अल्लाह क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([२] अल बकराह: 182)
Tafseer (तफ़सीर )
१८३

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الصِّيَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَۙ ١٨٣

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
kutiba
كُتِبَ
लिख दिया गया
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-ṣiyāmu
ٱلصِّيَامُ
रोज़ा रखना
kamā
كَمَا
जैसा कि
kutiba
كُتِبَ
लिख दिया गया
ʿalā
عَلَى
उन पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
min
مِن
तुमसे पहले थे
qablikum
قَبْلِكُمْ
तुमसे पहले थे
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tattaqūna
تَتَّقُونَ
मुत्तक़ी बन जाओ
ऐ ईमान लानेवालो! तुमपर रोज़े अनिवार्य किए गए, जिस प्रकार तुमसे पहले के लोगों पर किए गए थे, ताकि तुम डर रखनेवाले बन जाओ ([२] अल बकराह: 183)
Tafseer (तफ़सीर )
१८४

اَيَّامًا مَّعْدُوْدٰتٍۗ فَمَنْ كَانَ مِنْكُمْ مَّرِيْضًا اَوْ عَلٰى سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِّنْ اَيَّامٍ اُخَرَ ۗ وَعَلَى الَّذِيْنَ يُطِيْقُوْنَهٗ فِدْيَةٌ طَعَامُ مِسْكِيْنٍۗ فَمَنْ تَطَوَّعَ خَيْرًا فَهُوَ خَيْرٌ لَّهٗ ۗ وَاَنْ تَصُوْمُوْا خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ١٨٤

ayyāman
أَيَّامًا
दिन हैं
maʿdūdātin
مَّعْدُودَٰتٍۚ
गिने चुने
faman
فَمَن
तो जो कोई
kāna
كَانَ
हो
minkum
مِنكُم
तुममें से
marīḍan
مَّرِيضًا
मरीज़
aw
أَوْ
या
ʿalā
عَلَىٰ
सफ़र पर
safarin
سَفَرٍ
सफ़र पर
faʿiddatun
فَعِدَّةٌ
तो गिनती पूरी करना है
min
مِّنْ
दिनों से
ayyāmin
أَيَّامٍ
दिनों से
ukhara
أُخَرَۚ
दूसरे
waʿalā
وَعَلَى
और उन पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
और उन पर जो
yuṭīqūnahu
يُطِيقُونَهُۥ
ताक़त रखते हों उसकी
fid'yatun
فِدْيَةٌ
फ़िदया है
ṭaʿāmu
طَعَامُ
खाना
mis'kīnin
مِسْكِينٍۖ
एक मिस्कीन का
faman
فَمَن
फिर जो कोई
taṭawwaʿa
تَطَوَّعَ
ख़ुशी से करे
khayran
خَيْرًا
कोई नेकी
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lahu
لَّهُۥۚ
उसके लिए
wa-an
وَأَن
और ये कि
taṣūmū
تَصُومُوا۟
तुम रोज़ा रखो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْۖ
तुम्हारे लिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम इल्म रखते
गिनती के कुछ दिनों के लिए - इसपर भी तुममें कोई बीमार हो, या सफ़र में हो तो दूसरे दिनों में संख्या पूरी कर ले। और जिन (बीमार और मुसाफ़िरों) को इसकी (मुहताजों को खिलाने की) सामर्थ्य हो, उनके ज़िम्मे बदलें में एक मुहताज का खाना है। फिर जो अपनी ख़ुशी से कुछ और नेकी करे तो यह उसी के लिए अच्छा है और यह कि तुम रोज़ा रखो तो तुम्हारे लिए अधिक उत्तम है, यदि तुम जानो ([२] अल बकराह: 184)
Tafseer (तफ़सीर )
१८५

شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِيْٓ اُنْزِلَ فِيْهِ الْقُرْاٰنُ هُدًى لِّلنَّاسِ وَبَيِّنٰتٍ مِّنَ الْهُدٰى وَالْفُرْقَانِۚ فَمَنْ شَهِدَ مِنْكُمُ الشَّهْرَ فَلْيَصُمْهُ ۗ وَمَنْ كَانَ مَرِيْضًا اَوْ عَلٰى سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِّنْ اَيَّامٍ اُخَرَ ۗ يُرِيْدُ اللّٰهُ بِكُمُ الْيُسْرَ وَلَا يُرِيْدُ بِكُمُ الْعُسْرَ ۖ وَلِتُكْمِلُوا الْعِدَّةَ وَلِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰى مَا هَدٰىكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ١٨٥

shahru
شَهْرُ
महीना
ramaḍāna
رَمَضَانَ
रमज़ान का
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो है जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
fīhi
فِيهِ
इसमें
l-qur'ānu
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
hudan
هُدًى
हिदायत है
lilnnāsi
لِّلنَّاسِ
लोगों के लिए
wabayyinātin
وَبَيِّنَٰتٍ
और वाज़ेह निशानियाँ हैं
mina
مِّنَ
हिदायत की
l-hudā
ٱلْهُدَىٰ
हिदायत की
wal-fur'qāni
وَٱلْفُرْقَانِۚ
और फ़ुरक़ान की
faman
فَمَن
तो जो कोई
shahida
شَهِدَ
हाज़िर /मौजूद हो
minkumu
مِنكُمُ
तुममें से
l-shahra
ٱلشَّهْرَ
इस महीने में
falyaṣum'hu
فَلْيَصُمْهُۖ
पस ज़रूर रोज़े रखे इसके
waman
وَمَن
और जो कोई
kāna
كَانَ
हो
marīḍan
مَرِيضًا
मरीज़
aw
أَوْ
या
ʿalā
عَلَىٰ
सफ़र पर
safarin
سَفَرٍ
सफ़र पर
faʿiddatun
فَعِدَّةٌ
तो गिनती पूरी करना है
min
مِّنْ
दिनों से
ayyāmin
أَيَّامٍ
दिनों से
ukhara
أُخَرَۗ
दूसरे
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bikumu
بِكُمُ
साथ तुम्हारे
l-yus'ra
ٱلْيُسْرَ
आसानी
walā
وَلَا
और नहीं
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता
bikumu
بِكُمُ
साथ तुम्हारे
l-ʿus'ra
ٱلْعُسْرَ
तंगी
walituk'milū
وَلِتُكْمِلُوا۟
और ताकि तुम मुकम्मल करो
l-ʿidata
ٱلْعِدَّةَ
गिनती को
walitukabbirū
وَلِتُكَبِّرُوا۟
और ताकि तुम बड़ाई बयान करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
مَا
उसके जो
hadākum
هَدَىٰكُمْ
उसने हिदायत दी तुम्हें
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा को
रमज़ान का महीना जिसमें कुरआन उतारा गया लोगों के मार्गदर्शन के लिए, और मार्गदर्शन और सत्य-असत्य के अन्तर के प्रमाणों के साथा। अतः तुममें जो कोई इस महीने में मौजूद हो उसे चाहिए कि उसके रोज़े रखे और जो बीमार हो या सफ़र में हो तो दूसरे दिनों में गिनती पूरी कर ले। अल्लाह तुम्हारे साथ आसानी चाहता है, वह तुम्हारे साथ सख़्ती और कठिनाई नहीं चाहता, (वह तुम्हारे लिए आसानी पैदा कर रहा है) और चाहता है कि तुम संख्या पूरी कर लो और जो सीधा मार्ग तुम्हें दिखाया गया है, उस पर अल्लाह की बड़ाई प्रकट करो और ताकि तुम कृतज्ञ बनो ([२] अल बकराह: 185)
Tafseer (तफ़सीर )
१८६

وَاِذَا سَاَلَكَ عِبَادِيْ عَنِّيْ فَاِنِّيْ قَرِيْبٌ ۗ اُجِيْبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ اِذَا دَعَانِۙ فَلْيَسْتَجِيْبُوْا لِيْ وَلْيُؤْمِنُوْا بِيْ لَعَلَّهُمْ يَرْشُدُوْنَ ١٨٦

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
sa-alaka
سَأَلَكَ
सवाल करें आपसे
ʿibādī
عِبَادِى
मेरे बन्दे
ʿannī
عَنِّى
मेरे बारे में
fa-innī
فَإِنِّى
तो बेशक मैं
qarībun
قَرِيبٌۖ
क़रीब हूँ
ujību
أُجِيبُ
मैं जवाब देता हूँ
daʿwata
دَعْوَةَ
दुआ का
l-dāʿi
ٱلدَّاعِ
दुआ करने वाले की
idhā
إِذَا
जब
daʿāni
دَعَانِۖ
वो दुआ करे मुझसे
falyastajībū
فَلْيَسْتَجِيبُوا۟
पस ज़रूर वो हुक्म मानें
لِى
मेरा
walyu'minū
وَلْيُؤْمِنُوا۟
और ज़रूर वो ईमान लाऐं
بِى
मुझ पर
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
yarshudūna
يَرْشُدُونَ
वो हिदायत पाऐं
और जब तुमसे मेरे बन्दे मेरे सम्बन्ध में पूछें, तो मैं तो निकट ही हूँ, पुकार का उत्तर देता हूँ, जब वह मुझे पुकारता है, तो उन्हें चाहिए कि वे मेरा हुक्म मानें और मुझपर ईमान रखें, ताकि वे सीधा मार्ग पा लें ([२] अल बकराह: 186)
Tafseer (तफ़सीर )
१८७

اُحِلَّ لَكُمْ لَيْلَةَ الصِّيَامِ الرَّفَثُ اِلٰى نِسَاۤىِٕكُمْ ۗ هُنَّ لِبَاسٌ لَّكُمْ وَاَنْتُمْ لِبَاسٌ لَّهُنَّ ۗ عَلِمَ اللّٰهُ اَنَّكُمْ كُنْتُمْ تَخْتَانُوْنَ اَنْفُسَكُمْ فَتَابَ عَلَيْكُمْ وَعَفَا عَنْكُمْ ۚ فَالْـٰٔنَ بَاشِرُوْهُنَّ وَابْتَغُوْا مَا كَتَبَ اللّٰهُ لَكُمْ ۗ وَكُلُوْا وَاشْرَبُوْا حَتّٰى يَتَبَيَّنَ لَكُمُ الْخَيْطُ الْاَبْيَضُ مِنَ الْخَيْطِ الْاَسْوَدِ مِنَ الْفَجْرِۖ ثُمَّ اَتِمُّوا الصِّيَامَ اِلَى الَّيْلِۚ وَلَا تُبَاشِرُوْهُنَّ وَاَنْتُمْ عَاكِفُوْنَۙ فِى الْمَسٰجِدِ ۗ تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ فَلَا تَقْرَبُوْهَاۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ اٰيٰتِهٖ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ١٨٧

uḥilla
أُحِلَّ
हलाल किया गया
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
laylata
لَيْلَةَ
रात में
l-ṣiyāmi
ٱلصِّيَامِ
रोज़े की
l-rafathu
ٱلرَّفَثُ
रग़बत करना
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
nisāikum
نِسَآئِكُمْۚ
अपनी औरतों के
hunna
هُنَّ
वो
libāsun
لِبَاسٌ
लिबास हैं
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
libāsun
لِبَاسٌ
लिबास हो
lahunna
لَّهُنَّۗ
उनके लिए
ʿalima
عَلِمَ
जान लिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
annakum
أَنَّكُمْ
बेशक तुम
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
takhtānūna
تَخْتَانُونَ
तुम ख़यानत करते
anfusakum
أَنفُسَكُمْ
अपने नफ़्सों से
fatāba
فَتَابَ
तो वो मेहरबान हुआ
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
waʿafā
وَعَفَا
और उसने दरगुज़र किया
ʿankum
عَنكُمْۖ
तुमसे
fal-āna
فَٱلْـَٰٔنَ
पस अब
bāshirūhunna
بَٰشِرُوهُنَّ
मुबाशरत करो उनसे
wa-ib'taghū
وَٱبْتَغُوا۟
और तलाश करो
مَا
जो
kataba
كَتَبَ
लिखा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
lakum
لَكُمْۚ
तुम्हारे लिए
wakulū
وَكُلُوا۟
और खाओ
wa-ish'rabū
وَٱشْرَبُوا۟
और पियो
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatabayyana
يَتَبَيَّنَ
वाज़ेह हो जाए
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-khayṭu
ٱلْخَيْطُ
धागा
l-abyaḍu
ٱلْأَبْيَضُ
सफ़ेद
mina
مِنَ
स्याह धागे से
l-khayṭi
ٱلْخَيْطِ
स्याह धागे से
l-aswadi
ٱلْأَسْوَدِ
स्याह धागे से
mina
مِنَ
फ़ज्र के (वक़्त)
l-fajri
ٱلْفَجْرِۖ
फ़ज्र के (वक़्त)
thumma
ثُمَّ
फिर
atimmū
أَتِمُّوا۟
तुम पूरा करो
l-ṣiyāma
ٱلصِّيَامَ
रोज़े को
ilā
إِلَى
रात तक
al-layli
ٱلَّيْلِۚ
रात तक
walā
وَلَا
और ना
tubāshirūhunna
تُبَٰشِرُوهُنَّ
तुम मुबाशरत करो उनसे
wa-antum
وَأَنتُمْ
इस हाल में कि तुम
ʿākifūna
عَٰكِفُونَ
एतेकाफ़ करने वाले हो
فِى
मस्जिदों में
l-masājidi
ٱلْمَسَٰجِدِۗ
मस्जिदों में
til'ka
تِلْكَ
ये
ḥudūdu
حُدُودُ
हुदूद हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
falā
فَلَا
तो ना
taqrabūhā
تَقْرَبُوهَاۗ
तुम क़रीब जाओ उनके
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yubayyinu
يُبَيِّنُ
वाज़ेह करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
आयात अपनी
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
yattaqūna
يَتَّقُونَ
वो बच जाऐं
तुम्हारे लिए रोज़ो की रातों में अपनी औरतों के पास जाना जायज़ (वैध) हुआ। वे तुम्हारे परिधान (लिबास) हैं और तुम उनका परिधान हो। अल्लाह को मालूम हो गया कि तुम लोग अपने-आपसे कपट कर रहे थे, तो उसने तुमपर कृपा की और तुम्हें क्षमा कर दिया। तो अब तुम उनसे मिलो-जुलो और अल्लाह ने जो कुछ तुम्हारे लिए लिख रखा है, उसे तलब करो। और खाओ और पियो यहाँ तक कि तुम्हें उषाकाल की सफ़ेद धारी (रात की) काली धारी से स्पष्टा दिखाई दे जाए। फिर रात तक रोज़ा पूरा करो और जब तुम मस्जिदों में 'एतकाफ़' की हालत में हो, तो तुम उनसे न मिलो। ये अल्लाह की सीमाएँ हैं। अतः इनके निकट न जाना। इस प्रकार अल्लाह अपनी आयतें लोगों के लिए खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे डर रखनेवाले बनें ([२] अल बकराह: 187)
Tafseer (तफ़सीर )
१८८

وَلَا تَأْكُلُوْٓا اَمْوَالَكُمْ بَيْنَكُمْ بِالْبَاطِلِ وَتُدْلُوْا بِهَآ اِلَى الْحُكَّامِ لِتَأْكُلُوْا فَرِيْقًا مِّنْ اَمْوَالِ النَّاسِ بِالْاِثْمِ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ࣖ ١٨٨

walā
وَلَا
और ना
takulū
تَأْكُلُوٓا۟
तुम खाओ
amwālakum
أَمْوَٰلَكُم
अपने मालों को
baynakum
بَيْنَكُم
आपस में
bil-bāṭili
بِٱلْبَٰطِلِ
बातिल (तरीक़े) से
watud'lū
وَتُدْلُوا۟
और (ना) तुम पहुँचाओ
bihā
بِهَآ
उन्हें
ilā
إِلَى
तरफ़ हाकिमों के
l-ḥukāmi
ٱلْحُكَّامِ
तरफ़ हाकिमों के
litakulū
لِتَأْكُلُوا۟
ताकि तुम खाओ
farīqan
فَرِيقًا
एक हिस्सा
min
مِّنْ
मालों मे से
amwāli
أَمْوَٰلِ
मालों मे से
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों के
bil-ith'mi
بِٱلْإِثْمِ
साथ गुनाह के
wa-antum
وَأَنتُمْ
हालाँकि तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते हो
और आपस में तुम एक-दूसरे के माल को अवैध रूप से न खाओ, और न उन्हें हाकिमों के आगे ले जाओ कि (हक़ मारकर) लोगों के कुछ माल जानते-बूझते हड़प सको ([२] अल बकराह: 188)
Tafseer (तफ़सीर )
१८९

۞ يَسـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْاَهِلَّةِ ۗ قُلْ هِيَ مَوَاقِيْتُ لِلنَّاسِ وَالْحَجِّ ۗ وَلَيْسَ الْبِرُّ بِاَنْ تَأْتُوا الْبُيُوْتَ مِنْ ظُهُوْرِهَا وَلٰكِنَّ الْبِرَّ مَنِ اتَّقٰىۚ وَأْتُوا الْبُيُوْتَ مِنْ اَبْوَابِهَا ۖ وَاتَّقُوا اللّٰهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ١٨٩

yasalūnaka
يَسْـَٔلُونَكَ
वो सवाल करते हैं आपसे
ʿani
عَنِ
नए चाँदों के बारे में
l-ahilati
ٱلْأَهِلَّةِۖ
नए चाँदों के बारे में
qul
قُلْ
कह दीजिए
hiya
هِىَ
वो
mawāqītu
مَوَٰقِيتُ
औक़ात मुक़र्ररह हैं
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
वास्ते लोगों के
wal-ḥaji
وَٱلْحَجِّۗ
और हज के
walaysa
وَلَيْسَ
और नहीं है
l-biru
ٱلْبِرُّ
नेकी
bi-an
بِأَن
ये कि
tatū
تَأْتُوا۟
तुम आओ
l-buyūta
ٱلْبُيُوتَ
घरों को
min
مِن
उनकी पिछली तरफ़ से
ẓuhūrihā
ظُهُورِهَا
उनकी पिछली तरफ़ से
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-bira
ٱلْبِرَّ
नेकी (उसकी है)
mani
مَنِ
जो
ittaqā
ٱتَّقَىٰۗ
तक़वा करे
watū
وَأْتُوا۟
और आओ तुम
l-buyūta
ٱلْبُيُوتَ
घरों को
min
مِنْ
उनके दरवाज़ों से
abwābihā
أَبْوَٰبِهَاۚ
उनके दरवाज़ों से
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tuf'liḥūna
تُفْلِحُونَ
तुम फ़लाह पा जाओ
वे तुमसे (प्रतिष्ठित) महीनों के विषय में पूछते है। कहो, 'वे तो लोगों के लिए और हज के लिए नियत है। और यह कोई ख़ूबी और नेकी नहीं हैं कि तुम घरों में उनके पीछे से आओ, बल्कि नेकी तो उसकी है जो (अल्लाह का) डर रखे। तुम घरों में उनके दरवाड़ों से आओ और अल्लाह से डरते रहो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो ([२] अल बकराह: 189)
Tafseer (तफ़सीर )
१९०

وَقَاتِلُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ الَّذِيْنَ يُقَاتِلُوْنَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوْا ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ الْمُعْتَدِيْنَ ١٩٠

waqātilū
وَقَٰتِلُوا۟
और जंग करो
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
yuqātilūnakum
يُقَٰتِلُونَكُمْ
जंग करते हैं तुमसे
walā
وَلَا
और ना
taʿtadū
تَعْتَدُوٓا۟ۚ
तुम ज़्यादती करो
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं पसंद करता
l-muʿ'tadīna
ٱلْمُعْتَدِينَ
ज़्यादती करने वालों को
और अल्लाह के मार्ग में उन लोगों से लड़ो जो तुमसे लड़े, किन्तु ज़्यादती न करो। निस्संदेह अल्लाह ज़्यादती करनेवालों को पसन्द नहीं करता ([२] अल बकराह: 190)
Tafseer (तफ़सीर )