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सूरा अल बकराह - Page: 18

Al-Baqarah

(गाय)

१७१

وَمَثَلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا كَمَثَلِ الَّذِيْ يَنْعِقُ بِمَا لَا يَسْمَعُ اِلَّا دُعَاۤءً وَّنِدَاۤءً ۗ صُمٌّ ۢ بُكْمٌ عُمْيٌ فَهُمْ لَا يَعْقِلُوْنَ ١٧١

wamathalu
وَمَثَلُ
और मिसाल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
alladhī
ٱلَّذِى
उसके है जो
yanʿiqu
يَنْعِقُ
चीख़ कर पुकारता है
bimā
بِمَا
उसे जो
لَا
नहीं सुनता
yasmaʿu
يَسْمَعُ
नहीं सुनता
illā
إِلَّا
मगर
duʿāan
دُعَآءً
पुकार
wanidāan
وَنِدَآءًۚ
और आवाज़
ṣummun
صُمٌّۢ
बहरे
buk'mun
بُكْمٌ
गूँगे
ʿum'yun
عُمْىٌ
अँधे हैं
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो अक़्ल रखते
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
नहीं वो अक़्ल रखते
इन इनकार करनेवालों की मिसाल ऐसी है जैसे कोई ऐसी चीज़ों को पुकारे जो पुकार और आवाज़ के सिवा कुछ न सुनती और समझती हो। ये बहरे हैं, गूँगें हैं, अन्धें हैं; इसलिए ये कुछ भी नहीं समझ सकते ([२] अल बकराह: 171)
Tafseer (तफ़सीर )
१७२

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُلُوْا مِنْ طَيِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْ وَاشْكُرُوْا لِلّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ اِيَّاهُ تَعْبُدُوْنَ ١٧٢

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
kulū
كُلُوا۟
खाओ तुम
min
مِن
पाकीज़ा चीज़ों में से
ṭayyibāti
طَيِّبَٰتِ
पाकीज़ा चीज़ों में से
مَا
जो
razaqnākum
رَزَقْنَٰكُمْ
अता कीं हमने तुम्हें
wa-ush'kurū
وَٱشْكُرُوا۟
और शुक्र करो
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह का
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
iyyāhu
إِيَّاهُ
सिर्फ़ उसी की
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
तुम इबादत करते
ऐ ईमान लानेवालो! जो अच्छी-सुथरी चीज़ें हमने तुम्हें प्रदान की हैं उनमें से खाओ और अल्लाह के आगे कृतज्ञता दिखलाओ, यदि तुम उसी की बन्दगी करते हो ([२] अल बकराह: 172)
Tafseer (तफ़सीर )
१७३

اِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنْزِيْرِ وَمَآ اُهِلَّ بِهٖ لِغَيْرِ اللّٰهِ ۚ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَلَآ اِثْمَ عَلَيْهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١٧٣

innamā
إِنَّمَا
बेशक
ḥarrama
حَرَّمَ
उसने हराम किया है
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-maytata
ٱلْمَيْتَةَ
मुरदार
wal-dama
وَٱلدَّمَ
और ख़ून
walaḥma
وَلَحْمَ
और गोश्त
l-khinzīri
ٱلْخِنزِيرِ
ख़िन्ज़ीर का
wamā
وَمَآ
और जो
uhilla
أُهِلَّ
पुकारा गया
bihi
بِهِۦ
उसको
lighayri
لِغَيْرِ
वास्ते ग़ैर
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के
famani
فَمَنِ
तो जो कोई
uḍ'ṭurra
ٱضْطُرَّ
मजबूर किया गया
ghayra
غَيْرَ
ना
bāghin
بَاغٍ
सरकशी करने वाला हो
walā
وَلَا
और ना
ʿādin
عَادٍ
हद से बढ़ने वाला हो
falā
فَلَآ
तो नहीं
ith'ma
إِثْمَ
कोई गुनाह
ʿalayhi
عَلَيْهِۚ
उस पर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
उसने तो तुमपर केवल मुर्दार और ख़ून और सूअर का माँस और जिस पर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो, हराम ठहराया है। इसपर भी जो बहुत मजबूर और विवश हो जाए, वह अवज्ञा करनेवाला न हो और न सीमा से आगे बढ़नेवाला हो तो उसपर कोई गुनाह नहीं। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([२] अल बकराह: 173)
Tafseer (तफ़सीर )
१७४

اِنَّ الَّذِيْنَ يَكْتُمُوْنَ مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ الْكِتٰبِ وَيَشْتَرُوْنَ بِهٖ ثَمَنًا قَلِيْلًاۙ اُولٰۤىِٕكَ مَا يَأْكُلُوْنَ فِيْ بُطُوْنِهِمْ اِلَّا النَّارَ وَلَا يُكَلِّمُهُمُ اللّٰهُ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ وَلَا يُزَكِّيْهِمْ ۚوَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٧٤

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yaktumūna
يَكْتُمُونَ
छुपाते हैं
مَآ
उसे जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mina
مِنَ
किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब में से
wayashtarūna
وَيَشْتَرُونَ
और वो ले लेते हैं
bihi
بِهِۦ
बदले उसके
thamanan
ثَمَنًا
क़ीमत
qalīlan
قَلِيلًاۙ
बहुत थोड़ी
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
مَا
नहीं
yakulūna
يَأْكُلُونَ
वो खाते
فِى
अपने पेटों में
buṭūnihim
بُطُونِهِمْ
अपने पेटों में
illā
إِلَّا
सिवाय
l-nāra
ٱلنَّارَ
आग के
walā
وَلَا
और नहीं
yukallimuhumu
يُكَلِّمُهُمُ
कलाम करेगा उनसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
walā
وَلَا
और ना
yuzakkīhim
يُزَكِّيهِمْ
वो पाक करेगा उन्हें
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
जो लोग उस चीज़ को छिपाते है जो अल्लाह ने अपनी किताब में से उतारी है और उसके बदले थोड़े मूल्य का सौदा करते है, वे तो बस आग खाकर अपने पेट भर रहे है; और क़ियामत के दिन अल्लाह न तो उनसे बात करेगा और न उन्हें निखारेगा; और उनके लिए दुखद यातना है ([२] अल बकराह: 174)
Tafseer (तफ़सीर )
१७५

اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اشْتَرَوُا الضَّلٰلَةَ بِالْهُدٰى وَالْعَذَابَ بِالْمَغْفِرَةِ ۚ فَمَآ اَصْبَرَهُمْ عَلَى النَّارِ ١٧٥

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
ish'tarawū
ٱشْتَرَوُا۟
ख़रीद लिया
l-ḍalālata
ٱلضَّلَٰلَةَ
गुमराही को
bil-hudā
بِٱلْهُدَىٰ
बदले हिदायत के
wal-ʿadhāba
وَٱلْعَذَابَ
और अज़ाब को
bil-maghfirati
بِٱلْمَغْفِرَةِۚ
बदले मग़फ़िरत के
famā
فَمَآ
तो कितना सब्र है उनका
aṣbarahum
أَصْبَرَهُمْ
तो कितना सब्र है उनका
ʿalā
عَلَى
आग पर
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग पर
यहीं लोग हैं जिन्होंने मार्गदर्शन के बदले पथभ्रष्टका मोल ली; और क्षमा के बदले यातना के ग्राहक बने। तो आग को सहन करने के लिए उनका उत्साह कितना बढ़ा हुआ है! ([२] अल बकराह: 175)
Tafseer (तफ़सीर )
१७६

ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ نَزَّلَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ ۗ وَاِنَّ الَّذِيْنَ اخْتَلَفُوْا فِى الْكِتٰبِ لَفِيْ شِقَاقٍۢ بَعِيْدٍ ࣖ ١٧٦

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-anna
بِأَنَّ
बवजह इसके कि
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
nazzala
نَزَّلَ
नाज़िल किया
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब को
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۗ
साथ हक़ के
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ikh'talafū
ٱخْتَلَفُوا۟
इख़्तिलाफ़ किया
فِى
किताब में
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब में
lafī
لَفِى
अलबत्ता मुख़ालिफ़त में हैं
shiqāqin
شِقَاقٍۭ
अलबत्ता मुख़ालिफ़त में हैं
baʿīdin
بَعِيدٍ
दूर की
वह (यातना) इसलिए होगी कि अल्लाह ने तो हक़ के साथ किताब उतारी, किन्तु जिन लोगों ने किताब के मामले में विभेद किया वे हठ और विरोध में बहुत दूर निकल गए ([२] अल बकराह: 176)
Tafseer (तफ़सीर )
१७७

۞ لَيْسَ الْبِرَّاَنْ تُوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ قِبَلَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَلٰكِنَّ الْبِرَّ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةِ وَالْكِتٰبِ وَالنَّبِيّٖنَ ۚ وَاٰتَى الْمَالَ عَلٰى حُبِّهٖ ذَوِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنَ وَابْنَ السَّبِيْلِۙ وَالسَّاۤىِٕلِيْنَ وَفىِ الرِّقَابِۚ وَاَقَامَ الصَّلٰوةَ وَاٰتَى الزَّكٰوةَ ۚ وَالْمُوْفُوْنَ بِعَهْدِهِمْ اِذَا عَاهَدُوْا ۚ وَالصّٰبِرِيْنَ فِى الْبَأْسَاۤءِ وَالضَّرَّاۤءِ وَحِيْنَ الْبَأْسِۗ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ صَدَقُوْا ۗوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُتَّقُوْنَ ١٧٧

laysa
لَّيْسَ
नहीं है
l-bira
ٱلْبِرَّ
नेकी
an
أَن
कि
tuwallū
تُوَلُّوا۟
तुम फेर लो
wujūhakum
وُجُوهَكُمْ
अपने चेहरों को
qibala
قِبَلَ
तरफ़
l-mashriqi
ٱلْمَشْرِقِ
मशरिक़
wal-maghribi
وَٱلْمَغْرِبِ
और मग़रिब के
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-bira
ٱلْبِرَّ
नेकी (उसकी है)
man
مَنْ
जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाए
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
wal-malāikati
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
और फ़रिश्तों पर
wal-kitābi
وَٱلْكِتَٰبِ
और किताब पर
wal-nabiyīna
وَٱلنَّبِيِّۦنَ
और नबियों पर
waātā
وَءَاتَى
और वो दे
l-māla
ٱلْمَالَ
माल
ʿalā
عَلَىٰ
उसकी मोहब्बत में
ḥubbihi
حُبِّهِۦ
उसकी मोहब्बत में
dhawī
ذَوِى
क़राबतदारों को
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
क़राबतदारों को
wal-yatāmā
وَٱلْيَتَٰمَىٰ
और यतीमों को
wal-masākīna
وَٱلْمَسَٰكِينَ
और मिस्कीनों को
wa-ib'na
وَٱبْنَ
और मुसाफ़िरों को
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
और मुसाफ़िरों को
wal-sāilīna
وَٱلسَّآئِلِينَ
और सवाल करने वालों को
wafī
وَفِى
और गर्दनें (छुड़ाने) में
l-riqābi
ٱلرِّقَابِ
और गर्दनें (छुड़ाने) में
wa-aqāma
وَأَقَامَ
और वो क़ायम करे
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātā
وَءَاتَى
और वो अदा करे
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
wal-mūfūna
وَٱلْمُوفُونَ
और जो पूरा करने वाले हैं
biʿahdihim
بِعَهْدِهِمْ
अपने अहद को
idhā
إِذَا
जब
ʿāhadū
عَٰهَدُوا۟ۖ
वो अहद करें
wal-ṣābirīna
وَٱلصَّٰبِرِينَ
और जो सब्र करने वाले हैं
فِى
तंगदस्ती में
l-basāi
ٱلْبَأْسَآءِ
तंगदस्ती में
wal-ḍarāi
وَٱلضَّرَّآءِ
और तकलीफ़ में
waḥīna
وَحِينَ
और वक़्त
l-basi
ٱلْبَأْسِۗ
जंग के
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
ṣadaqū
صَدَقُوا۟ۖ
सच कहा
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-mutaqūna
ٱلْمُتَّقُونَ
जो मुत्तक़ी हैं
नेकी केवल यह नहीं है कि तुम अपने मुँह पूरब और पश्चिम की ओर कर लो, बल्कि नेकी तो उसकी नेकी है जो अल्लाह अन्तिम दिन, फ़रिश्तों, किताब और नबियों पर ईमान लाया और माल, उसके प्रति प्रेम के बावजूद नातेदारों, अनाथों, मुहताजों, मुसाफ़िरों और माँगनेवालों को दिया और गर्दनें छुड़ाने में भी, और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी और अपने वचन को ऐसे लोग पूरा करनेवाले है जब वचन दें; और तंगी और विशेष रूप से शारीरिक कष्टों में और लड़ाई के समय में जमनेवाले हैं, तो ऐसे ही लोग है जो सच्चे सिद्ध हुए और वही लोग डर रखनेवाले हैं ([२] अल बकराह: 177)
Tafseer (तफ़सीर )
१७८

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الْقِصَاصُ فِى الْقَتْلٰىۗ اَلْحُرُّ بِالْحُرِّ وَالْعَبْدُ بِالْعَبْدِ وَالْاُنْثٰى بِالْاُنْثٰىۗ فَمَنْ عُفِيَ لَهٗ مِنْ اَخِيْهِ شَيْءٌ فَاتِّبَاعٌ ۢبِالْمَعْرُوْفِ وَاَدَاۤءٌ اِلَيْهِ بِاِحْسَانٍ ۗ ذٰلِكَ تَخْفِيْفٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَرَحْمَةٌ ۗفَمَنِ اعْتَدٰى بَعْدَ ذٰلِكَ فَلَهٗ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٧٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
kutiba
كُتِبَ
लिख दिया गया
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-qiṣāṣu
ٱلْقِصَاصُ
बदला लेना
فِى
मक़तूलों (के बारे) में
l-qatlā
ٱلْقَتْلَىۖ
मक़तूलों (के बारे) में
l-ḥuru
ٱلْحُرُّ
आज़ाद
bil-ḥuri
بِٱلْحُرِّ
बदले आज़ाद के
wal-ʿabdu
وَٱلْعَبْدُ
और ग़ुलाम
bil-ʿabdi
بِٱلْعَبْدِ
बदले ग़ुलाम के
wal-unthā
وَٱلْأُنثَىٰ
और औरत
bil-unthā
بِٱلْأُنثَىٰۚ
बदले औरत के
faman
فَمَنْ
तो जो कोई
ʿufiya
عُفِىَ
माफ़ कर दिया गया
lahu
لَهُۥ
उसको
min
مِنْ
उसके भाई (की तरफ़) से
akhīhi
أَخِيهِ
उसके भाई (की तरफ़) से
shayon
شَىْءٌ
कुछ भी
fa-ittibāʿun
فَٱتِّبَاعٌۢ
तो पैरवी करना है
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِ
साथ भले तरीक़े के
wa-adāon
وَأَدَآءٌ
और अदा करना है
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
bi-iḥ'sānin
بِإِحْسَٰنٍۗ
साथ एहसान के
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
takhfīfun
تَخْفِيفٌ
तख़्फ़ीफ़ / रिआयत है
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
waraḥmatun
وَرَحْمَةٌۗ
और रहमत है
famani
فَمَنِ
तो जो कोई
iʿ'tadā
ٱعْتَدَىٰ
ज़्यादती करे
baʿda
بَعْدَ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
इसके
falahu
فَلَهُۥ
तो उसके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
ऐ ईमान लानेवालो! मारे जानेवालों के विषय में हत्यादंड (क़िसास) तुमपर अनिवार्य किया गया, स्वतंत्र-स्वतंत्र बराबर है और ग़़ुलाम-ग़ुलाम बराबर है और औरत-औरत बराबर है। फिर यदि किसी को उसके भाई की ओर से कुछ छूट मिल जाए तो सामान्य रीति का पालन करना चाहिए; और भले तरीके से उसे अदा करना चाहिए। यह तुम्हारें रब की ओर से एक छूट और दयालुता है। फिर इसके बाद भो जो ज़्यादती करे तो उसके लिए दुखद यातना है ([२] अल बकराह: 178)
Tafseer (तफ़सीर )
१७९

وَلَكُمْ فِى الْقِصَاصِ حَيٰوةٌ يّٰٓاُولِى الْاَلْبَابِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ١٧٩

walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
فِى
बदला लेने में
l-qiṣāṣi
ٱلْقِصَاصِ
बदला लेने में
ḥayatun
حَيَوٰةٌ
ज़िन्दगी है
yāulī
يَٰٓأُو۟لِى
ऐ अक़्ल वालो
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
ऐ अक़्ल वालो
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम बच जाओ
ऐ बुद्धि और समझवालों! तुम्हारे लिए हत्यादंड (क़िसास) में जीवन है, ताकि तुम बचो ([२] अल बकराह: 179)
Tafseer (तफ़सीर )
१८०

كُتِبَ عَلَيْكُمْ اِذَا حَضَرَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ اِنْ تَرَكَ خَيْرًا ۖ ۨالْوَصِيَّةُ لِلْوَالِدَيْنِ وَالْاَقْرَبِيْنَ بِالْمَعْرُوْفِۚ حَقًّا عَلَى الْمُتَّقِيْنَ ۗ ١٨٠

kutiba
كُتِبَ
लिख दिया गया
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
idhā
إِذَا
जब
ḥaḍara
حَضَرَ
आ जाए
aḥadakumu
أَحَدَكُمُ
तुममें से किसी एक को
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
in
إِن
अगर
taraka
تَرَكَ
वो छोड़ जाए
khayran
خَيْرًا
माल को
l-waṣiyatu
ٱلْوَصِيَّةُ
वसीयत करना
lil'wālidayni
لِلْوَٰلِدَيْنِ
वालिदैन के लिए
wal-aqrabīna
وَٱلْأَقْرَبِينَ
और कराबतदारों के लिए
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۖ
भले तरीक़े से
ḥaqqan
حَقًّا
ये हक़ है
ʿalā
عَلَى
ऊपर
l-mutaqīna
ٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों के
जब तुममें से किसी की मृत्यु का समय आ जाए, यदि वह कुछ माल छोड़ रहा हो, तो माँ-बाप और नातेदारों को भलाई की वसीयत करना तुमपर अनिवार्य किया गया। यह हक़ है डर रखनेवालों पर ([२] अल बकराह: 180)
Tafseer (तफ़सीर )