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सूरा अल बकराह - Page: 17

Al-Baqarah

(गाय)

१६१

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَمَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ اُولٰۤىِٕكَ عَلَيْهِمْ لَعْنَةُ اللّٰهِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِيْنَۙ ١٦١

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
wamātū
وَمَاتُوا۟
और वो मर गए
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kuffārun
كُفَّارٌ
काफ़िर थे
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर है
laʿnatu
لَعْنَةُ
लानत
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wal-malāikati
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
और फ़रिश्तों की
wal-nāsi
وَٱلنَّاسِ
और लोगों की
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सब के सब की
जिन लोगों ने कुफ़्र किया और काफ़िर (इनकार करनेवाले) ही रहकर मरे, वही हैं जिनपर अल्लाह की, फ़रिश्तों की और सारे मनुष्यों की, सबकी फिटकार है ([२] अल बकराह: 161)
Tafseer (तफ़सीर )
१६२

خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۚ لَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنْظَرُوْنَ ١٦٢

khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَاۖ
उसमें
لَا
ना हल्का किया जाएगा
yukhaffafu
يُخَفَّفُ
ना हल्का किया जाएगा
ʿanhumu
عَنْهُمُ
उनसे
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yunẓarūna
يُنظَرُونَ
वो मोहलत दिए जाऐंगे
इसी दशा में वे सदैव रहेंगे, न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें मुहलत ही मिलेगी ([२] अल बकराह: 162)
Tafseer (तफ़सीर )
१६३

وَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌۚ لَآاِلٰهَ اِلَّا هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٦٣

wa-ilāhukum
وَإِلَٰهُكُمْ
और इलाह तुम्हारा
ilāhun
إِلَٰهٌ
इलाह है
wāḥidun
وَٰحِدٌۖ
एक ही
لَّآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो ही
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُ
जो बहुत मेहरबान है
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला है
तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है, उस कृपाशील और दयावान के अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं ([२] अल बकराह: 163)
Tafseer (तफ़सीर )
१६४

اِنَّ فِيْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافِ الَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَالْفُلْكِ الَّتِيْ تَجْرِيْ فِى الْبَحْرِ بِمَا يَنْفَعُ النَّاسَ وَمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ السَّمَاۤءِ مِنْ مَّاۤءٍ فَاَحْيَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَبَثَّ فِيْهَا مِنْ كُلِّ دَاۤبَّةٍ ۖ وَّتَصْرِيْفِ الرِّيٰحِ وَالسَّحَابِ الْمُسَخَّرِ بَيْنَ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ١٦٤

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
पैदा करने में
khalqi
خَلْقِ
पैदा करने में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
wa-ikh'tilāfi
وَٱخْتِلَٰفِ
और इख़्तिलाफ़ में
al-layli
ٱلَّيْلِ
रात
wal-nahāri
وَٱلنَّهَارِ
और दिन के
wal-ful'ki
وَٱلْفُلْكِ
और कश्तियों में
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
tajrī
تَجْرِى
चलती हैं
فِى
समुन्दर में
l-baḥri
ٱلْبَحْرِ
समुन्दर में
bimā
بِمَا
साथ उसके जो
yanfaʿu
يَنفَعُ
नफ़ा देता है
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
wamā
وَمَآ
और उसमें जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
min
مِن
पानी में से
māin
مَّآءٍ
पानी में से
fa-aḥyā
فَأَحْيَا
फिर उसने ज़िन्दा किया
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
mawtihā
مَوْتِهَا
उसकी मौत के
wabatha
وَبَثَّ
और उसने फैला दी
fīhā
فِيهَا
उसमें
min
مِن
हर क़िस्म की जानदार मख़लूक़
kulli
كُلِّ
हर क़िस्म की जानदार मख़लूक़
dābbatin
دَآبَّةٍ
हर क़िस्म की जानदार मख़लूक़
wataṣrīfi
وَتَصْرِيفِ
और फेरने में
l-riyāḥi
ٱلرِّيَٰحِ
हवाओं के
wal-saḥābi
وَٱلسَّحَابِ
और बादलों में
l-musakhari
ٱلْمُسَخَّرِ
जो मुसख़्ख़र किए गए हैं
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
यक़ीनन निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल रखते हैं
निस्संदेह आकाशों और धरती की संरचना में, और रात और दिन की अदला-बदली में, और उन नौकाओं में जो लोगों की लाभप्रद चीज़े लेकर समुद्र (और नदी) में चलती है, और उस पानी में जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर जिसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव हो जाने के पश्चात जीवित किया और उसमें हर एक (प्रकार के) जीवधारी को फैलाया और हवाओं को गर्दिश देने में और उन बादलों में जो आकाश और धरती के बीच (काम पर) नियुक्त होते है, उन लोगों के लिए कितनी ही निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लें ([२] अल बकराह: 164)
Tafseer (तफ़सीर )
१६५

وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّتَّخِذُ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَنْدَادًا يُّحِبُّوْنَهُمْ كَحُبِّ اللّٰهِ ۗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَشَدُّ حُبًّا لِّلّٰهِ ۙوَلَوْ يَرَى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْٓا اِذْ يَرَوْنَ الْعَذَابَۙ اَنَّ الْقُوَّةَ لِلّٰهِ جَمِيْعًا ۙوَّاَنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعَذَابِ ١٦٥

wamina
وَمِنَ
और बाज़ लोग हैं
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
और बाज़ लोग हैं
man
مَن
जो
yattakhidhu
يَتَّخِذُ
बना लेते हैं
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
andādan
أَندَادًا
कई शरीक
yuḥibbūnahum
يُحِبُّونَهُمْ
वो मोहब्बत करते हैं उनसे
kaḥubbi
كَحُبِّ
जैसी मोहब्बत करना
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह से
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा शदीद हैं
ḥubban
حُبًّا
मोहब्बत करने में
lillahi
لِّلَّهِۗ
अल्लाह से
walaw
وَلَوْ
और काश
yarā
يَرَى
देख लें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوٓا۟
ज़ुल्म किया
idh
إِذْ
जब
yarawna
يَرَوْنَ
वो देखेंगे
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَ
अज़ाब को
anna
أَنَّ
बेशक
l-quwata
ٱلْقُوَّةَ
क़ुव्वत
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
jamīʿan
جَمِيعًا
सारी की सारी
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त है
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब (देने में)
कुछ लोग ऐसे भी है जो अल्लाह से हटकर दूसरों को उसके समकक्ष ठहराते है, उनसे ऐसा प्रेम करते है जैसा अल्लाह से प्रेम करना चाहिए। और कुछ ईमानवाले है उन्हें सबसे बढ़कर अल्लाह से प्रेम होता है। और ये अत्याचारी (बहुदेववादी) जबकि यातना देखते है, यदि इस तथ्य को जान लेते कि शक्ति सारी की सारी अल्लाह ही को प्राप्त हो और यह कि अल्लाह अत्यन्त कठोर यातना देनेवाला है (तो इनकी नीति कुछ और होती) ([२] अल बकराह: 165)
Tafseer (तफ़सीर )
१६६

اِذْ تَبَرَّاَ الَّذِيْنَ اتُّبِعُوْا مِنَ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْا وَرَاَوُا الْعَذَابَ وَتَقَطَّعَتْ بِهِمُ الْاَسْبَابُ ١٦٦

idh
إِذْ
जब
tabarra-a
تَبَرَّأَ
बेज़ार होंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ittubiʿū
ٱتُّبِعُوا۟
पैरवी किए गए
mina
مِنَ
उनसे जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
ittabaʿū
ٱتَّبَعُوا۟
पैरवी की
wara-awū
وَرَأَوُا۟
और वो देख लेंगे
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَ
अज़ाब
wataqaṭṭaʿat
وَتَقَطَّعَتْ
और कट जाऐंगे
bihimu
بِهِمُ
उनके
l-asbābu
ٱلْأَسْبَابُ
तमाम असबाब
जब वे लोग जिनके पीछे वे चलते थे, यातना को देखकर अपने अनुयायियों से विरक्त हो जाएँगे और उनके सम्बन्ध और सम्पर्क टूट जाएँगे ([२] अल बकराह: 166)
Tafseer (तफ़सीर )
१६७

وَقَالَ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْا لَوْ اَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَتَبَرَّاَ مِنْهُمْ ۗ كَمَا تَبَرَّءُوْا مِنَّا ۗ كَذٰلِكَ يُرِيْهِمُ اللّٰهُ اَعْمَالَهُمْ حَسَرٰتٍ عَلَيْهِمْ ۗ وَمَا هُمْ بِخَارِجِيْنَ مِنَ النَّارِ ࣖ ١٦٧

waqāla
وَقَالَ
और कहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ittabaʿū
ٱتَّبَعُوا۟
पैरवी की
law
لَوْ
काश
anna
أَنَّ
कि
lanā
لَنَا
हमारे लिए होता
karratan
كَرَّةً
एक मर्तबा लौटना
fanatabarra-a
فَنَتَبَرَّأَ
तो हम बेज़ार होते
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
kamā
كَمَا
जैसा कि
tabarraū
تَبَرَّءُوا۟
वो बेज़ार हुए
minnā
مِنَّاۗ
हमसे
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yurīhimu
يُرِيهِمُ
दिखाएगा उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
ḥasarātin
حَسَرَٰتٍ
हसरतें बनाकर
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۖ
उन पर
wamā
وَمَا
और नहीं
hum
هُم
वो
bikhārijīna
بِخَٰرِجِينَ
निकलने वाले
mina
مِنَ
आग से
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग से
वे लोग जो उनके पीछे चले थे कहेंगे, 'काश! हमें एक बार (फिर संसार में लौटना होता तो जिस तरह आज ये हमसे विरक्त हो रहे हैं, हम भी इनसे विरक्त हो जाते।' इस प्रकार अल्लाह उनके लिए संताप बनाकर उन्हें कर्म दिखाएगा और वे आग (जहन्नम) से निकल न सकेंगे ([२] अल बकराह: 167)
Tafseer (तफ़सीर )
१६८

يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ كُلُوْا مِمَّا فِى الْاَرْضِ حَلٰلًا طَيِّبًا ۖوَّلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِۗ اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِيْنٌ ١٦٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
ऐ लोगो
kulū
كُلُوا۟
खाओ
mimmā
مِمَّا
उससे जो
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
ḥalālan
حَلَٰلًا
हलाल
ṭayyiban
طَيِّبًا
पाकीज़ा
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿū
تَتَّبِعُوا۟
तुम पैरवी करो
khuṭuwāti
خُطُوَٰتِ
क़दमों की
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِۚ
शैतान के
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ʿaduwwun
عَدُوٌّ
दुश्मन है
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
ऐ लोगों! धरती में जो हलाल और अच्छी-सुथरी चीज़ें हैं उन्हें खाओ और शैतान के पदचिन्हों पर न चलो। निस्संदेह वह तुम्हारा खुला शत्रु है ([२] अल बकराह: 168)
Tafseer (तफ़सीर )
१६९

اِنَّمَا يَأْمُرُكُمْ بِالسُّوْۤءِ وَالْفَحْشَاۤءِ وَاَنْ تَقُوْلُوْا عَلَى اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ١٦٩

innamā
إِنَّمَا
बेशक
yamurukum
يَأْمُرُكُم
वो हुक्म देता है तुम्हें
bil-sūi
بِٱلسُّوٓءِ
बुराई का
wal-faḥshāi
وَٱلْفَحْشَآءِ
और बेहयाई का
wa-an
وَأَن
और ये कि
taqūlū
تَقُولُوا۟
तुम कहो
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
مَا
जो
لَا
नहीं
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
वह तो बस तुम्हें बुराई और अश्लीलता पर उकसाता है और इसपर कि तुम अल्लाह पर थोपकर वे बातें कहो जो तुम नहीं जानते ([२] अल बकराह: 169)
Tafseer (तफ़सीर )
१७०

وَاِذَا قِيْلَ لَهُمُ اتَّبِعُوْا مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ قَالُوْا بَلْ نَتَّبِعُ مَآ اَلْفَيْنَا عَلَيْهِ اٰبَاۤءَنَا ۗ اَوَلَوْ كَانَ اٰبَاۤؤُهُمْ لَا يَعْقِلُوْنَ شَيْـًٔا وَّلَا يَهْتَدُوْنَ ١٧٠

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
qīla
قِيلَ
कहा जाता है
lahumu
لَهُمُ
उन्हें
ittabiʿū
ٱتَّبِعُوا۟
पैरवी करो
مَآ
उसकी जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
bal
بَلْ
बल्कि
nattabiʿu
نَتَّبِعُ
हम पैरवी करेंगे
مَآ
उसकी जो
alfaynā
أَلْفَيْنَا
पाया हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
ābāanā
ءَابَآءَنَآۗ
अपने आबा ओ अजदाद को
awalaw
أَوَلَوْ
क्या भला अगरचे
kāna
كَانَ
हों
ābāuhum
ءَابَآؤُهُمْ
आबा ओ अजदाद उनके
لَا
ना वो अक़्ल रखते
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
ना वो अक़्ल रखते
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
yahtadūna
يَهْتَدُونَ
वो हिदायत याफ़्ता हों
और जब उनसे कहा जाता है, 'अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उसका अनुसरण करो।' तो कहते है, 'नहीं बल्कि हम तो उसका अनुसरण करेंगे जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।' क्या उस दशा में भी जबकि उनके बाप-दादा कुछ भी बुद्धि से काम न लेते रहे हों और न सीधे मार्ग पर रहे हों? ([२] अल बकराह: 170)
Tafseer (तफ़सीर )