تِلْكَ اُمَّةٌ قَدْ خَلَتْ ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُمْ مَّا كَسَبْتُمْ ۚ وَلَا تُسْـَٔلُوْنَ عَمَّا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ࣖ ۔ ١٤١
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- ummatun
- أُمَّةٌ
- एक उम्मत थी
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- khalat
- خَلَتْۖ
- वो गुज़र गई
- lahā
- لَهَا
- उसके लिए है
- mā
- مَا
- जो
- kasabat
- كَسَبَتْ
- उसने कमाया
- walakum
- وَلَكُم
- और तुम्हारे लिए है
- mā
- مَّا
- जो
- kasabtum
- كَسَبْتُمْۖ
- कमाया तुमने
- walā
- وَلَا
- और ना
- tus'alūna
- تُسْـَٔلُونَ
- तुम सवाल किए जाओगे
- ʿammā
- عَمَّا
- उसके बारे में जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- अमल करते
वह एक गिरोह थो जो गुज़र चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसके लिए है और जो कुछ तुमने कमाया वह तुम्हारे लिए है। और तुमसे उसके विषय में न पूछा जाएगा, जो कुछ वे करते रहे है ([२] अल बकराह: 141)Tafseer (तफ़सीर )
۞ سَيَقُوْلُ السُّفَهَاۤءُ مِنَ النَّاسِ مَا وَلّٰىهُمْ عَنْ قِبْلَتِهِمُ الَّتِيْ كَانُوْا عَلَيْهَا ۗ قُلْ لِّلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُۗ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ١٤٢
- sayaqūlu
- سَيَقُولُ
- अनक़रीब कहेंगे
- l-sufahāu
- ٱلسُّفَهَآءُ
- नादान / बेवक़ूफ़
- mina
- مِنَ
- लोगों में से
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों में से
- mā
- مَا
- किसने
- wallāhum
- وَلَّىٰهُمْ
- फेर दिया उन्हें
- ʿan
- عَن
- उनके क़िबले से
- qib'latihimu
- قِبْلَتِهِمُ
- उनके क़िबले से
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- ʿalayhā
- عَلَيْهَاۚ
- उस पर
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lillahi
- لِّلَّهِ
- अल्लाह ही के लिए हैं
- l-mashriqu
- ٱلْمَشْرِقُ
- मशरिक़
- wal-maghribu
- وَٱلْمَغْرِبُۚ
- और मग़रिब
- yahdī
- يَهْدِى
- वो हिदायत देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- रास्ते
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधे के
मूर्ख लोग अब कहेंगे, 'उन्हें उनके उस क़िबले (उपासना-दिशा) से, जिस पर वे थे किस ची़ज़ ने फेर दिया?' कहो, 'पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के है, वह जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है।' ([२] अल बकराह: 142)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنٰكُمْ اُمَّةً وَّسَطًا لِّتَكُوْنُوْا شُهَدَاۤءَ عَلَى النَّاسِ وَيَكُوْنَ الرَّسُوْلُ عَلَيْكُمْ شَهِيْدًا ۗ وَمَا جَعَلْنَا الْقِبْلَةَ الَّتِيْ كُنْتَ عَلَيْهَآ اِلَّا لِنَعْلَمَ مَنْ يَّتَّبِعُ الرَّسُوْلَ مِمَّنْ يَّنْقَلِبُ عَلٰى عَقِبَيْهِۗ وَاِنْ كَانَتْ لَكَبِيْرَةً اِلَّا عَلَى الَّذِيْنَ هَدَى اللّٰهُ ۗوَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيُضِيْعَ اِيْمَانَكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِالنَّاسِ لَرَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ١٤٣
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- jaʿalnākum
- جَعَلْنَٰكُمْ
- बनाया हमने तुम्हें
- ummatan
- أُمَّةً
- एक उम्मत
- wasaṭan
- وَسَطًا
- वस्त / दर्मियानी
- litakūnū
- لِّتَكُونُوا۟
- ताकि तुम हो जाओ
- shuhadāa
- شُهَدَآءَ
- गवाह
- ʿalā
- عَلَى
- लोगों पर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों पर
- wayakūna
- وَيَكُونَ
- और हो जाए
- l-rasūlu
- ٱلرَّسُولُ
- रसूल
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- shahīdan
- شَهِيدًاۗ
- गवाह
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाया हमने
- l-qib'lata
- ٱلْقِبْلَةَ
- इस क़िबले को
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- kunta
- كُنتَ
- थे आप
- ʿalayhā
- عَلَيْهَآ
- जिस पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- linaʿlama
- لِنَعْلَمَ
- ताकि हम जान लें
- man
- مَن
- कौन
- yattabiʿu
- يَتَّبِعُ
- पैरवी करता है
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- mimman
- مِمَّن
- उससे जो
- yanqalibu
- يَنقَلِبُ
- पलट जाता है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी दोनों एड़ियों पर
- ʿaqibayhi
- عَقِبَيْهِۚ
- अपनी दोनों एड़ियों पर
- wa-in
- وَإِن
- और बिला शुबा
- kānat
- كَانَتْ
- थी (ये बात)
- lakabīratan
- لَكَبِيرَةً
- यक़ीनन बड़ी भारी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَى
- उन पर (नहीं) जिन्हें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन पर (नहीं) जिन्हें
- hadā
- هَدَى
- हिदायत दी
- l-lahu
- ٱللَّهُۗ
- अल्लाह ने
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- liyuḍīʿa
- لِيُضِيعَ
- कि वो ज़ाया कर दे
- īmānakum
- إِيمَٰنَكُمْۚ
- ईमान तुम्हारा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bil-nāsi
- بِٱلنَّاسِ
- लोगों पर
- laraūfun
- لَرَءُوفٌ
- यक़ीनन शफ़ीक़ है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
और इसी प्रकार हमने तुम्हें बीच का एक उत्तम समुदाय बनाया है, ताकि तुम सारे मनुष्यों पर गवाह हो, और रसूल तुमपर गवाह हो। और जिस (क़िबले) पर तुम रहे हो उसे तो हमने केवल इसलिए क़िबला बनाया था कि जो लोग पीठ-पीछे फिर जानेवाले है, उनसे हम उनको अलग जान लें जो रसूल का अनुसरण करते है। और यह बात बहुत भारी (अप्रिय) है, किन्तु उन लोगों के लिए नहीं जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया है। और अल्लाह ऐसा नहीं कि वह तुम्हारे ईमान को अकारथ कर दे, अल्लाह तो इनसानों के लिए अत्यन्त करूणामय, दयावान है ([२] अल बकराह: 143)Tafseer (तफ़सीर )
قَدْ نَرٰى تَقَلُّبَ وَجْهِكَ فِى السَّمَاۤءِۚ فَلَنُوَلِّيَنَّكَ قِبْلَةً تَرْضٰىهَا ۖ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَحَيْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ۗ وَاِنَّ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ لَيَعْلَمُوْنَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا يَعْمَلُوْنَ ١٤٤
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- narā
- نَرَىٰ
- हम देखते हैं
- taqalluba
- تَقَلُّبَ
- बार बार फिरना
- wajhika
- وَجْهِكَ
- आपके चेहरे का
- fī
- فِى
- आसमान की तरफ़
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِۖ
- आसमान की तरफ़
- falanuwalliyannaka
- فَلَنُوَلِّيَنَّكَ
- पस अलबत्ता हम ज़रूर फेर देंगे आपको
- qib'latan
- قِبْلَةً
- उस क़िबले की (तरफ़)
- tarḍāhā
- تَرْضَىٰهَاۚ
- आप राज़ी हो जाऐं जिससे
- fawalli
- فَوَلِّ
- पस फेर लीजिए
- wajhaka
- وَجْهَكَ
- अपने चेहरे को
- shaṭra
- شَطْرَ
- तरफ़
- l-masjidi
- ٱلْمَسْجِدِ
- मस्जिदे
- l-ḥarāmi
- ٱلْحَرَامِۚ
- हराम के
- waḥaythu
- وَحَيْثُ
- और जहाँ कहीं
- mā
- مَا
- और जहाँ कहीं
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- fawallū
- فَوَلُّوا۟
- पस फेर लो
- wujūhakum
- وُجُوهَكُمْ
- अपने चेहरों को
- shaṭrahu
- شَطْرَهُۥۗ
- तरफ़ उसके
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- layaʿlamūna
- لَيَعْلَمُونَ
- अलबत्ता वो जानते हैं
- annahu
- أَنَّهُ
- बेशक वो
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- min
- مِن
- उनके रब की तरफ़ से
- rabbihim
- رَّبِّهِمْۗ
- उनके रब की तरफ़ से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bighāfilin
- بِغَٰفِلٍ
- ग़ाफ़िल
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते हैं
हम आकाश में तुम्हारे मुँह की गर्दिश देख रहे है, तो हम अवश्य ही तुम्हें उसी क़िबले का अधिकारी बना देंगे जिसे तुम पसन्द करते हो। अतः मस्जिदे हराम (काबा) की ओर अपना रूख़ करो। और जहाँ कहीं भी हो अपने मुँह उसी की ओर करो - निश्चय ही जिन लोगों को किताब मिली थी, वे भली-भाँति जानते है कि वही उनके रब की ओर से हक़ है, इसके बावजूद जो कुछ वे कर रहे है अल्लाह उससे बेखबर नहीं है ([२] अल बकराह: 144)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ اَتَيْتَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ بِكُلِّ اٰيَةٍ مَّا تَبِعُوْا قِبْلَتَكَ ۚ وَمَآ اَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَاجَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ اِنَّكَ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ۘ ١٤٥
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- atayta
- أَتَيْتَ
- लाऐं आप (उनके पास)
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- āyatin
- ءَايَةٍ
- निशानी
- mā
- مَّا
- नहीं
- tabiʿū
- تَبِعُوا۟
- वो पैरवी करेंगे
- qib'lataka
- قِبْلَتَكَۚ
- आपके क़िबले की
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anta
- أَنتَ
- आप
- bitābiʿin
- بِتَابِعٍ
- पैरवी करने वाले
- qib'latahum
- قِبْلَتَهُمْۚ
- उनके क़िबले की
- wamā
- وَمَا
- और ना
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُم
- बाज़ उनका
- bitābiʿin
- بِتَابِعٍ
- पैरवी करने वाला है
- qib'lata
- قِبْلَةَ
- क़िबले की
- baʿḍin
- بَعْضٍۚ
- बाज़ के
- wala-ini
- وَلَئِنِ
- और अलबत्ता अगर
- ittabaʿta
- ٱتَّبَعْتَ
- पैरवी की आपने
- ahwāahum
- أَهْوَآءَهُم
- उनकी ख़्वाहिशात की
- min
- مِّنۢ
- बाद उसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद उसके
- mā
- مَا
- जो
- jāaka
- جَآءَكَ
- आ गया आपके पास
- mina
- مِنَ
- इल्म में से
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِۙ
- इल्म में से
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक आप
- idhan
- إِذًا
- तब
- lamina
- لَّمِنَ
- ज़रूर ज़ालिमों मे से होंगे
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़रूर ज़ालिमों मे से होंगे
यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी निशानी ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उसके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों में होगी ([२] अल बकराह: 145)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا يَعْرِفُوْنَ اَبْنَاۤءَهُمْ ۗ وَاِنَّ فَرِيْقًا مِّنْهُمْ لَيَكْتُمُوْنَ الْحَقَّ وَهُمْ يَعْلَمُوْنَ ١٤٦
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- ātaynāhumu
- ءَاتَيْنَٰهُمُ
- दी हमने उन्हें
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- yaʿrifūnahu
- يَعْرِفُونَهُۥ
- वो पहचानते हैं उसे
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- yaʿrifūna
- يَعْرِفُونَ
- वो पहचानते हैं
- abnāahum
- أَبْنَآءَهُمْۖ
- अपने बेटों को
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- farīqan
- فَرِيقًا
- एक गिरोह (के लोग)
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- layaktumūna
- لَيَكْتُمُونَ
- अलबत्ता वो छुपाते हैं
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- हक़ को
- wahum
- وَهُمْ
- हालाँकि वो
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जानते हैं
जिन लोगों को हमने किताब दी है वे उसे पहचानते है, जैसे अपने बेटों को पहचानते है और उनमें से कुछ सत्य को जान-बूझकर छिपा रहे हैं ([२] अल बकराह: 146)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِيْنَ ࣖ ١٤٧
- al-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से है
- rabbika
- رَّبِّكَۖ
- आपके रब की तरफ़ से है
- falā
- فَلَا
- पस हरगिज़ ना हों आप
- takūnanna
- تَكُونَنَّ
- पस हरगिज़ ना हों आप
- mina
- مِنَ
- शक करने वालों मे से
- l-mum'tarīna
- ٱلْمُمْتَرِينَ
- शक करने वालों मे से
सत्य तुम्हारे रब की ओर से है। अतः तुम सन्देह करनेवालों में से कदापि न होगा ([२] अल बकराह: 147)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِكُلٍّ وِّجْهَةٌ هُوَ مُوَلِّيْهَا فَاسْتَبِقُوا الْخَيْرٰتِۗ اَيْنَ مَا تَكُوْنُوْا يَأْتِ بِكُمُ اللّٰهُ جَمِيْعًا ۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٤٨
- walikullin
- وَلِكُلٍّ
- और हर एक के लिए
- wij'hatun
- وِجْهَةٌ
- एक सिम्त है
- huwa
- هُوَ
- वो
- muwallīhā
- مُوَلِّيهَاۖ
- फेरने वाला है (मुँह) उसकी तरफ़
- fa-is'tabiqū
- فَٱسْتَبِقُوا۟
- पस सबक़त करो तुम
- l-khayrāti
- ٱلْخَيْرَٰتِۚ
- नेकियों में
- ayna
- أَيْنَ
- जहाँ कहीं भी
- mā
- مَا
- जहाँ कहीं भी
- takūnū
- تَكُونُوا۟
- तुम होगे
- yati
- يَأْتِ
- ले आएगा
- bikumu
- بِكُمُ
- तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- jamīʿan
- جَمِيعًاۚ
- सबको
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
प्रत्येक की एक ही दिशा है, वह उसी की ओर मुख किेए हुए है, तो तुम भलाईयों में अग्रसरता दिखाओ। जहाँ कहीं भी तुम होगे अल्लाह तुम सबको एकत्र करेगा। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२] अल बकराह: 148)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَاِنَّهٗ لَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ١٤٩
- wamin
- وَمِنْ
- और जहाँ कहीं से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- और जहाँ कहीं से
- kharajta
- خَرَجْتَ
- निकलें आप
- fawalli
- فَوَلِّ
- तो फेर लीजिए
- wajhaka
- وَجْهَكَ
- चेहरा अपना
- shaṭra
- شَطْرَ
- तरफ़
- l-masjidi
- ٱلْمَسْجِدِ
- मस्जिदे
- l-ḥarāmi
- ٱلْحَرَامِۖ
- हराम के
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- lalḥaqqu
- لَلْحَقُّ
- अलबत्ता हक़ है
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَۗ
- आपके रब की तरफ़ से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bighāfilin
- بِغَٰفِلٍ
- ग़ाफ़िल
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
और जहाँ से भी तुम निकलों, 'मस्जिदे हराम' (काबा) की ओर अपना मुँह फेर लिया करो। निस्संदेह यही तुम्हारे रब की ओर से हक़ है। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है ([२] अल बकराह: 149)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَحَيْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ۙ لِئَلَّا يَكُوْنَ لِلنَّاسِ عَلَيْكُمْ حُجَّةٌ اِلَّا الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِيْ وَلِاُتِمَّ نِعْمَتِيْ عَلَيْكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَۙ ١٥٠
- wamin
- وَمِنْ
- और जहाँ कहीं से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- और जहाँ कहीं से
- kharajta
- خَرَجْتَ
- निकलें आप
- fawalli
- فَوَلِّ
- तो फेर लीजिए
- wajhaka
- وَجْهَكَ
- चेहरा अपना
- shaṭra
- شَطْرَ
- तरफ़
- l-masjidi
- ٱلْمَسْجِدِ
- मस्जिदे
- l-ḥarāmi
- ٱلْحَرَامِۚ
- हराम के
- waḥaythu
- وَحَيْثُ
- और जहाँ कहीं भी
- mā
- مَا
- और जहाँ कहीं भी
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- fawallū
- فَوَلُّوا۟
- तो फेर लो
- wujūhakum
- وُجُوهَكُمْ
- अपने चेहरों को
- shaṭrahu
- شَطْرَهُۥ
- तरफ़ उसके
- li-allā
- لِئَلَّا
- ताकि ना
- yakūna
- يَكُونَ
- हो
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ḥujjatun
- حُجَّةٌ
- कोई हुज्जत
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- falā
- فَلَا
- तो ना
- takhshawhum
- تَخْشَوْهُمْ
- तुम डरो उनसे
- wa-ikh'shawnī
- وَٱخْشَوْنِى
- और डरो मुझसे
- wali-utimma
- وَلِأُتِمَّ
- और ताकि मैं पूरी कर दूँ
- niʿ'matī
- نِعْمَتِى
- अपनी नेअमत
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- walaʿallakum
- وَلَعَلَّكُمْ
- और ताकि तुम
- tahtadūna
- تَهْتَدُونَ
- तुम हिदायत पा जाओ
जहाँ से भी तुम निकलो, 'मस्जिदे हराम' की ओर अपना मुँह फेर लिया करो, और जहाँ कहीं भी तुम हो उसी की ओर मुँह कर लिया करो, ताकि लोगों के पास तुम्हारे ख़िलाफ़ कोई हुज्जत बाक़ी न रहे - सिवाय उन लोगों के जो उनमें ज़ालिम हैं, तुम उनसे न डरो, मुझसे ही डरो - और ताकि मैं तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दूँ, और ताकि तुम सीधी राह चलो ([२] अल बकराह: 150)Tafseer (तफ़सीर )