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सूरा अल बकराह - Page: 15

Al-Baqarah

(गाय)

१४१

تِلْكَ اُمَّةٌ قَدْ خَلَتْ ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُمْ مَّا كَسَبْتُمْ ۚ وَلَا تُسْـَٔلُوْنَ عَمَّا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ࣖ ۔ ١٤١

til'ka
تِلْكَ
ये
ummatun
أُمَّةٌ
एक उम्मत थी
qad
قَدْ
तहक़ीक़
khalat
خَلَتْۖ
वो गुज़र गई
lahā
لَهَا
उसके लिए है
مَا
जो
kasabat
كَسَبَتْ
उसने कमाया
walakum
وَلَكُم
और तुम्हारे लिए है
مَّا
जो
kasabtum
كَسَبْتُمْۖ
कमाया तुमने
walā
وَلَا
और ना
tus'alūna
تُسْـَٔلُونَ
तुम सवाल किए जाओगे
ʿammā
عَمَّا
उसके बारे में जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
अमल करते
वह एक गिरोह थो जो गुज़र चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसके लिए है और जो कुछ तुमने कमाया वह तुम्हारे लिए है। और तुमसे उसके विषय में न पूछा जाएगा, जो कुछ वे करते रहे है ([२] अल बकराह: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

۞ سَيَقُوْلُ السُّفَهَاۤءُ مِنَ النَّاسِ مَا وَلّٰىهُمْ عَنْ قِبْلَتِهِمُ الَّتِيْ كَانُوْا عَلَيْهَا ۗ قُلْ لِّلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُۗ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ١٤٢

sayaqūlu
سَيَقُولُ
अनक़रीब कहेंगे
l-sufahāu
ٱلسُّفَهَآءُ
नादान / बेवक़ूफ़
mina
مِنَ
लोगों में से
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों में से
مَا
किसने
wallāhum
وَلَّىٰهُمْ
फेर दिया उन्हें
ʿan
عَن
उनके क़िबले से
qib'latihimu
قِبْلَتِهِمُ
उनके क़िबले से
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
ʿalayhā
عَلَيْهَاۚ
उस पर
qul
قُل
कह दीजिए
lillahi
لِّلَّهِ
अल्लाह ही के लिए हैं
l-mashriqu
ٱلْمَشْرِقُ
मशरिक़
wal-maghribu
وَٱلْمَغْرِبُۚ
और मग़रिब
yahdī
يَهْدِى
वो हिदायत देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
मूर्ख लोग अब कहेंगे, 'उन्हें उनके उस क़िबले (उपासना-दिशा) से, जिस पर वे थे किस ची़ज़ ने फेर दिया?' कहो, 'पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के है, वह जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है।' ([२] अल बकराह: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

وَكَذٰلِكَ جَعَلْنٰكُمْ اُمَّةً وَّسَطًا لِّتَكُوْنُوْا شُهَدَاۤءَ عَلَى النَّاسِ وَيَكُوْنَ الرَّسُوْلُ عَلَيْكُمْ شَهِيْدًا ۗ وَمَا جَعَلْنَا الْقِبْلَةَ الَّتِيْ كُنْتَ عَلَيْهَآ اِلَّا لِنَعْلَمَ مَنْ يَّتَّبِعُ الرَّسُوْلَ مِمَّنْ يَّنْقَلِبُ عَلٰى عَقِبَيْهِۗ وَاِنْ كَانَتْ لَكَبِيْرَةً اِلَّا عَلَى الَّذِيْنَ هَدَى اللّٰهُ ۗوَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيُضِيْعَ اِيْمَانَكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِالنَّاسِ لَرَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ١٤٣

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
jaʿalnākum
جَعَلْنَٰكُمْ
बनाया हमने तुम्हें
ummatan
أُمَّةً
एक उम्मत
wasaṭan
وَسَطًا
वस्त / दर्मियानी
litakūnū
لِّتَكُونُوا۟
ताकि तुम हो जाओ
shuhadāa
شُهَدَآءَ
गवाह
ʿalā
عَلَى
लोगों पर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों पर
wayakūna
وَيَكُونَ
और हो जाए
l-rasūlu
ٱلرَّسُولُ
रसूल
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
shahīdan
شَهِيدًاۗ
गवाह
wamā
وَمَا
और नहीं
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाया हमने
l-qib'lata
ٱلْقِبْلَةَ
इस क़िबले को
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
kunta
كُنتَ
थे आप
ʿalayhā
عَلَيْهَآ
जिस पर
illā
إِلَّا
मगर
linaʿlama
لِنَعْلَمَ
ताकि हम जान लें
man
مَن
कौन
yattabiʿu
يَتَّبِعُ
पैरवी करता है
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
mimman
مِمَّن
उससे जो
yanqalibu
يَنقَلِبُ
पलट जाता है
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी दोनों एड़ियों पर
ʿaqibayhi
عَقِبَيْهِۚ
अपनी दोनों एड़ियों पर
wa-in
وَإِن
और बिला शुबा
kānat
كَانَتْ
थी (ये बात)
lakabīratan
لَكَبِيرَةً
यक़ीनन बड़ी भारी
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَى
उन पर (नहीं) जिन्हें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर (नहीं) जिन्हें
hadā
هَدَى
हिदायत दी
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह ने
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyuḍīʿa
لِيُضِيعَ
कि वो ज़ाया कर दे
īmānakum
إِيمَٰنَكُمْۚ
ईमान तुम्हारा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bil-nāsi
بِٱلنَّاسِ
लोगों पर
laraūfun
لَرَءُوفٌ
यक़ीनन शफ़ीक़ है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
और इसी प्रकार हमने तुम्हें बीच का एक उत्तम समुदाय बनाया है, ताकि तुम सारे मनुष्यों पर गवाह हो, और रसूल तुमपर गवाह हो। और जिस (क़िबले) पर तुम रहे हो उसे तो हमने केवल इसलिए क़िबला बनाया था कि जो लोग पीठ-पीछे फिर जानेवाले है, उनसे हम उनको अलग जान लें जो रसूल का अनुसरण करते है। और यह बात बहुत भारी (अप्रिय) है, किन्तु उन लोगों के लिए नहीं जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया है। और अल्लाह ऐसा नहीं कि वह तुम्हारे ईमान को अकारथ कर दे, अल्लाह तो इनसानों के लिए अत्यन्त करूणामय, दयावान है ([२] अल बकराह: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

قَدْ نَرٰى تَقَلُّبَ وَجْهِكَ فِى السَّمَاۤءِۚ فَلَنُوَلِّيَنَّكَ قِبْلَةً تَرْضٰىهَا ۖ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَحَيْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ۗ وَاِنَّ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ لَيَعْلَمُوْنَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا يَعْمَلُوْنَ ١٤٤

qad
قَدْ
तहक़ीक़
narā
نَرَىٰ
हम देखते हैं
taqalluba
تَقَلُّبَ
बार बार फिरना
wajhika
وَجْهِكَ
आपके चेहरे का
فِى
आसमान की तरफ़
l-samāi
ٱلسَّمَآءِۖ
आसमान की तरफ़
falanuwalliyannaka
فَلَنُوَلِّيَنَّكَ
पस अलबत्ता हम ज़रूर फेर देंगे आपको
qib'latan
قِبْلَةً
उस क़िबले की (तरफ़)
tarḍāhā
تَرْضَىٰهَاۚ
आप राज़ी हो जाऐं जिससे
fawalli
فَوَلِّ
पस फेर लीजिए
wajhaka
وَجْهَكَ
अपने चेहरे को
shaṭra
شَطْرَ
तरफ़
l-masjidi
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे
l-ḥarāmi
ٱلْحَرَامِۚ
हराम के
waḥaythu
وَحَيْثُ
और जहाँ कहीं
مَا
और जहाँ कहीं
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
fawallū
فَوَلُّوا۟
पस फेर लो
wujūhakum
وُجُوهَكُمْ
अपने चेहरों को
shaṭrahu
شَطْرَهُۥۗ
तरफ़ उसके
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
layaʿlamūna
لَيَعْلَمُونَ
अलबत्ता वो जानते हैं
annahu
أَنَّهُ
बेशक वो
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
min
مِن
उनके रब की तरफ़ से
rabbihim
رَّبِّهِمْۗ
उनके रब की तरफ़ से
wamā
وَمَا
और नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
हम आकाश में तुम्हारे मुँह की गर्दिश देख रहे है, तो हम अवश्य ही तुम्हें उसी क़िबले का अधिकारी बना देंगे जिसे तुम पसन्द करते हो। अतः मस्जिदे हराम (काबा) की ओर अपना रूख़ करो। और जहाँ कहीं भी हो अपने मुँह उसी की ओर करो - निश्चय ही जिन लोगों को किताब मिली थी, वे भली-भाँति जानते है कि वही उनके रब की ओर से हक़ है, इसके बावजूद जो कुछ वे कर रहे है अल्लाह उससे बेखबर नहीं है ([२] अल बकराह: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

وَلَىِٕنْ اَتَيْتَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ بِكُلِّ اٰيَةٍ مَّا تَبِعُوْا قِبْلَتَكَ ۚ وَمَآ اَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَاجَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ اِنَّكَ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ۘ ١٤٥

wala-in
وَلَئِنْ
और अलबत्ता अगर
atayta
أَتَيْتَ
लाऐं आप (उनके पास)
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
bikulli
بِكُلِّ
हर
āyatin
ءَايَةٍ
निशानी
مَّا
नहीं
tabiʿū
تَبِعُوا۟
वो पैरवी करेंगे
qib'lataka
قِبْلَتَكَۚ
आपके क़िबले की
wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
bitābiʿin
بِتَابِعٍ
पैरवी करने वाले
qib'latahum
قِبْلَتَهُمْۚ
उनके क़िबले की
wamā
وَمَا
और ना
baʿḍuhum
بَعْضُهُم
बाज़ उनका
bitābiʿin
بِتَابِعٍ
पैरवी करने वाला है
qib'lata
قِبْلَةَ
क़िबले की
baʿḍin
بَعْضٍۚ
बाज़ के
wala-ini
وَلَئِنِ
और अलबत्ता अगर
ittabaʿta
ٱتَّبَعْتَ
पैरवी की आपने
ahwāahum
أَهْوَآءَهُم
उनकी ख़्वाहिशात की
min
مِّنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
مَا
जो
jāaka
جَآءَكَ
आ गया आपके पास
mina
مِنَ
इल्म में से
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِۙ
इल्म में से
innaka
إِنَّكَ
बेशक आप
idhan
إِذًا
तब
lamina
لَّمِنَ
ज़रूर ज़ालिमों मे से होंगे
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़रूर ज़ालिमों मे से होंगे
यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी निशानी ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उसके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों में होगी ([२] अल बकराह: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا يَعْرِفُوْنَ اَبْنَاۤءَهُمْ ۗ وَاِنَّ فَرِيْقًا مِّنْهُمْ لَيَكْتُمُوْنَ الْحَقَّ وَهُمْ يَعْلَمُوْنَ ١٤٦

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ātaynāhumu
ءَاتَيْنَٰهُمُ
दी हमने उन्हें
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
yaʿrifūnahu
يَعْرِفُونَهُۥ
वो पहचानते हैं उसे
kamā
كَمَا
जैसा कि
yaʿrifūna
يَعْرِفُونَ
वो पहचानते हैं
abnāahum
أَبْنَآءَهُمْۖ
अपने बेटों को
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
farīqan
فَرِيقًا
एक गिरोह (के लोग)
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
layaktumūna
لَيَكْتُمُونَ
अलबत्ता वो छुपाते हैं
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّ
हक़ को
wahum
وَهُمْ
हालाँकि वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जानते हैं
जिन लोगों को हमने किताब दी है वे उसे पहचानते है, जैसे अपने बेटों को पहचानते है और उनमें से कुछ सत्य को जान-बूझकर छिपा रहे हैं ([२] अल बकराह: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

اَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِيْنَ ࣖ ١٤٧

al-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़
min
مِن
आपके रब की तरफ़ से है
rabbika
رَّبِّكَۖ
आपके रब की तरफ़ से है
falā
فَلَا
पस हरगिज़ ना हों आप
takūnanna
تَكُونَنَّ
पस हरगिज़ ना हों आप
mina
مِنَ
शक करने वालों मे से
l-mum'tarīna
ٱلْمُمْتَرِينَ
शक करने वालों मे से
सत्य तुम्हारे रब की ओर से है। अतः तुम सन्देह करनेवालों में से कदापि न होगा ([२] अल बकराह: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

وَلِكُلٍّ وِّجْهَةٌ هُوَ مُوَلِّيْهَا فَاسْتَبِقُوا الْخَيْرٰتِۗ اَيْنَ مَا تَكُوْنُوْا يَأْتِ بِكُمُ اللّٰهُ جَمِيْعًا ۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٤٨

walikullin
وَلِكُلٍّ
और हर एक के लिए
wij'hatun
وِجْهَةٌ
एक सिम्त है
huwa
هُوَ
वो
muwallīhā
مُوَلِّيهَاۖ
फेरने वाला है (मुँह) उसकी तरफ़
fa-is'tabiqū
فَٱسْتَبِقُوا۟
पस सबक़त करो तुम
l-khayrāti
ٱلْخَيْرَٰتِۚ
नेकियों में
ayna
أَيْنَ
जहाँ कहीं भी
مَا
जहाँ कहीं भी
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम होगे
yati
يَأْتِ
ले आएगा
bikumu
بِكُمُ
तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
jamīʿan
جَمِيعًاۚ
सबको
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
प्रत्येक की एक ही दिशा है, वह उसी की ओर मुख किेए हुए है, तो तुम भलाईयों में अग्रसरता दिखाओ। जहाँ कहीं भी तुम होगे अल्लाह तुम सबको एकत्र करेगा। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२] अल बकराह: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَاِنَّهٗ لَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ١٤٩

wamin
وَمِنْ
और जहाँ कहीं से
ḥaythu
حَيْثُ
और जहाँ कहीं से
kharajta
خَرَجْتَ
निकलें आप
fawalli
فَوَلِّ
तो फेर लीजिए
wajhaka
وَجْهَكَ
चेहरा अपना
shaṭra
شَطْرَ
तरफ़
l-masjidi
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे
l-ḥarāmi
ٱلْحَرَامِۖ
हराम के
wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
lalḥaqqu
لَلْحَقُّ
अलबत्ता हक़ है
min
مِن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَۗ
आपके रब की तरफ़ से
wamā
وَمَا
और नहीं है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
और जहाँ से भी तुम निकलों, 'मस्जिदे हराम' (काबा) की ओर अपना मुँह फेर लिया करो। निस्संदेह यही तुम्हारे रब की ओर से हक़ है। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है ([२] अल बकराह: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَحَيْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ۙ لِئَلَّا يَكُوْنَ لِلنَّاسِ عَلَيْكُمْ حُجَّةٌ اِلَّا الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِيْ وَلِاُتِمَّ نِعْمَتِيْ عَلَيْكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَۙ ١٥٠

wamin
وَمِنْ
और जहाँ कहीं से
ḥaythu
حَيْثُ
और जहाँ कहीं से
kharajta
خَرَجْتَ
निकलें आप
fawalli
فَوَلِّ
तो फेर लीजिए
wajhaka
وَجْهَكَ
चेहरा अपना
shaṭra
شَطْرَ
तरफ़
l-masjidi
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे
l-ḥarāmi
ٱلْحَرَامِۚ
हराम के
waḥaythu
وَحَيْثُ
और जहाँ कहीं भी
مَا
और जहाँ कहीं भी
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
fawallū
فَوَلُّوا۟
तो फेर लो
wujūhakum
وُجُوهَكُمْ
अपने चेहरों को
shaṭrahu
شَطْرَهُۥ
तरफ़ उसके
li-allā
لِئَلَّا
ताकि ना
yakūna
يَكُونَ
हो
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ḥujjatun
حُجَّةٌ
कोई हुज्जत
illā
إِلَّا
सिवाय
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
falā
فَلَا
तो ना
takhshawhum
تَخْشَوْهُمْ
तुम डरो उनसे
wa-ikh'shawnī
وَٱخْشَوْنِى
और डरो मुझसे
wali-utimma
وَلِأُتِمَّ
और ताकि मैं पूरी कर दूँ
niʿ'matī
نِعْمَتِى
अपनी नेअमत
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
tahtadūna
تَهْتَدُونَ
तुम हिदायत पा जाओ
जहाँ से भी तुम निकलो, 'मस्जिदे हराम' की ओर अपना मुँह फेर लिया करो, और जहाँ कहीं भी तुम हो उसी की ओर मुँह कर लिया करो, ताकि लोगों के पास तुम्हारे ख़िलाफ़ कोई हुज्जत बाक़ी न रहे - सिवाय उन लोगों के जो उनमें ज़ालिम हैं, तुम उनसे न डरो, मुझसे ही डरो - और ताकि मैं तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दूँ, और ताकि तुम सीधी राह चलो ([२] अल बकराह: 150)
Tafseer (तफ़सीर )