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सूरा अल बकराह - Page: 14

Al-Baqarah

(गाय)

१३१

اِذْ قَالَ لَهٗ رَبُّهٗٓ اَسْلِمْۙ قَالَ اَسْلَمْتُ لِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ١٣١

idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
कहा
lahu
لَهُۥ
उसको
rabbuhu
رَبُّهُۥٓ
उसके रब ने
aslim
أَسْلِمْۖ
फ़रमाबरदार हो जा
qāla
قَالَ
उसने कहा
aslamtu
أَسْلَمْتُ
मैं फ़रमाबरदार हो गया
lirabbi
لِرَبِّ
रब के लिए
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों के
क्योंकि जब उससे रब ने कहा, 'मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो जा।' उसने कहा, 'मैं सारे संसार के रब का मुस्लिम हो गया।' ([२] अल बकराह: 131)
Tafseer (तफ़सीर )
१३२

وَوَصّٰى بِهَآ اِبْرٰهٖمُ بَنِيْهِ وَيَعْقُوْبُۗ يٰبَنِيَّ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰى لَكُمُ الدِّيْنَ فَلَا تَمُوْتُنَّ اِلَّا وَاَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۗ ١٣٢

wawaṣṣā
وَوَصَّىٰ
और वसीयत की
bihā
بِهَآ
उसकी
ib'rāhīmu
إِبْرَٰهِۦمُ
इब्राहीम ने
banīhi
بَنِيهِ
अपने बेटों को
wayaʿqūbu
وَيَعْقُوبُ
और याक़ूब ने
yābaniyya
يَٰبَنِىَّ
ऐ मेरे बेटो
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
iṣ'ṭafā
ٱصْطَفَىٰ
चुन लिया
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-dīna
ٱلدِّينَ
दीन को
falā
فَلَا
पस तुम हरगिज़ ना मरना
tamūtunna
تَمُوتُنَّ
पस तुम हरगिज़ ना मरना
illā
إِلَّا
मगर
wa-antum
وَأَنتُم
इस हाल में कि तुम
mus'limūna
مُّسْلِمُونَ
मुसलमान हो
और इसी की वसीयत इबराहीम ने अपने बेटों को की और याक़ूब ने भी (अपनी सन्तानों को की) कि, 'ऐ मेरे बेटों! अल्लाह ने तुम्हारे लिए यही दीन (धर्म) चुना है, तो इस्लाम (ईश-आज्ञापालन) को अतिरिक्त किसी और दशा में तुम्हारी मृत्यु न हो।' ([२] अल बकराह: 132)
Tafseer (तफ़सीर )
१३३

اَمْ كُنْتُمْ شُهَدَاۤءَ اِذْ حَضَرَ يَعْقُوْبَ الْمَوْتُۙ اِذْ قَالَ لِبَنِيْهِ مَا تَعْبُدُوْنَ مِنْۢ بَعْدِيْۗ قَالُوْا نَعْبُدُ اِلٰهَكَ وَاِلٰهَ اٰبَاۤىِٕكَ اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِيْلَ وَاِسْحٰقَ اِلٰهًا وَّاحِدًاۚ وَنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ١٣٣

am
أَمْ
क्या
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
shuhadāa
شُهَدَآءَ
मौजूद
idh
إِذْ
जब
ḥaḍara
حَضَرَ
आई
yaʿqūba
يَعْقُوبَ
याक़ूब को
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
उसने कहा
libanīhi
لِبَنِيهِ
अपने बेटों से
مَا
किस की
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
तुम इबादत करोगे
min
مِنۢ
मेरे बाद
baʿdī
بَعْدِى
मेरे बाद
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
naʿbudu
نَعْبُدُ
हम इबादत करेंगे
ilāhaka
إِلَٰهَكَ
तेरे इलाह की
wa-ilāha
وَإِلَٰهَ
और इलाह की
ābāika
ءَابَآئِكَ
तेरे आबा ओ अजदाद के
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम
wa-is'māʿīla
وَإِسْمَٰعِيلَ
और इस्माईल
wa-is'ḥāqa
وَإِسْحَٰقَ
और इस्हाक़ के
ilāhan
إِلَٰهًا
इलाह की
wāḥidan
وَٰحِدًا
एक ही की
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए
mus'limūna
مُسْلِمُونَ
फ़रमाबरदार हैं
(क्या तुम इबराहीम के वसीयत करते समय मौजूद थे? या तुम मौजूद थे जब याक़ूब की मृत्यु का समय आया? जब उसने बेटों से कहा, 'तुम मेरे पश्चात किसकी इबादत करोगे?' उन्होंने कहा, 'हम आपके इष्ट-पूज्य और आपके पूर्वज इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ के इष्ट-पूज्य की बन्दगी करेंगे - जो अकेला इष्ट-पूज्य है, और हम उसी के आज्ञाकारी (मुस्लिम) हैं।' ([२] अल बकराह: 133)
Tafseer (तफ़सीर )
१३४

تِلْكَ اُمَّةٌ قَدْ خَلَتْ ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُمْ مَّا كَسَبْتُمْ ۚ وَلَا تُسْـَٔلُوْنَ عَمَّا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٣٤

til'ka
تِلْكَ
ये
ummatun
أُمَّةٌ
एक उम्मत थी
qad
قَدْ
तहक़ीक़
khalat
خَلَتْۖ
वो गुज़र गई
lahā
لَهَا
उसके लिए है
مَا
जो
kasabat
كَسَبَتْ
उसने कमाया
walakum
وَلَكُم
और तुम्हारे लिए है
مَّا
जो
kasabtum
كَسَبْتُمْۖ
कमाया तुमने
walā
وَلَا
और ना
tus'alūna
تُسْـَٔلُونَ
तुम सवाल किए जाओगे
ʿammā
عَمَّا
उसके बारे में जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
वह एक गिरोह था जो गुज़र चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसका है, और जो कुछ तुमने कमाया वह तुम्हारा है। और जो कुछ वे करते रहे उसके विषय में तुमसे कोई पूछताछ न की जाएगी ([२] अल बकराह: 134)
Tafseer (तफ़सीर )
१३५

وَقَالُوْا كُوْنُوْا هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰى تَهْتَدُوْا ۗ قُلْ بَلْ مِلَّةَ اِبْرٰهٖمَ حَنِيْفًا ۗوَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ١٣٥

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
kūnū
كُونُوا۟
हो जाओ
hūdan
هُودًا
यहूदी
aw
أَوْ
या
naṣārā
نَصَٰرَىٰ
नस्रानी
tahtadū
تَهْتَدُوا۟ۗ
तुम हिदायत पा लोगे
qul
قُلْ
कह दीजिए
bal
بَلْ
बल्कि
millata
مِلَّةَ
मिल्लत
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम की
ḥanīfan
حَنِيفًاۖ
जो यकसू था
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
था वो
mina
مِنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
वे कहते हैं, 'यहूदी या ईसाई हो जाओ तो मार्ग पर लोगे।' कहो, 'नहीं, बल्कि इबराहीम का पंथ अपनाओ जो एक (अल्लाह) का हो गया था, और वह बहुदेववादियों में से न था।' ([२] अल बकराह: 135)
Tafseer (तफ़सीर )
१३६

قُوْلُوْٓا اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَمَآ اُنْزِلَ اِلَيْنَا وَمَآ اُنْزِلَ اِلٰٓى اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِيْلَ وَاِسْحٰقَ وَيَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطِ وَمَآ اُوْتِيَ مُوْسٰى وَعِيْسٰى وَمَآ اُوْتِيَ النَّبِيُّوْنَ مِنْ رَّبِّهِمْۚ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ اَحَدٍ مِّنْهُمْۖ وَنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ١٣٦

qūlū
قُولُوٓا۟
कहो तुम
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wamā
وَمَآ
और (उस पर) जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilaynā
إِلَيْنَا
तरफ़ हमारे
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम के
wa-is'māʿīla
وَإِسْمَٰعِيلَ
और इस्माईल
wa-is'ḥāqa
وَإِسْحَٰقَ
और इस्हाक़
wayaʿqūba
وَيَعْقُوبَ
और याक़ूब
wal-asbāṭi
وَٱلْأَسْبَاطِ
और औलादे याक़ूब के
wamā
وَمَآ
और जो
ūtiya
أُوتِىَ
दिए गए
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा
waʿīsā
وَعِيسَىٰ
और ईसा
wamā
وَمَآ
और जो
ūtiya
أُوتِىَ
दिए गए
l-nabiyūna
ٱلنَّبِيُّونَ
तमाम अम्बिया
min
مِن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihim
رَّبِّهِمْ
अपने रब की तरफ़ से
لَا
नहीं हम फ़र्क़ करते
nufarriqu
نُفَرِّقُ
नहीं हम फ़र्क़ करते
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक के
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए
mus'limūna
مُسْلِمُونَ
फ़रमाबरदार हैं
कहो, 'हम ईमान लाए अल्लाह पर और उस चीज़ पर जो हमारी ओर से उतरी और जो इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ और याक़ूब और उसकी संतान की ओर उतरी, और जो मूसा और ईसा को मिली, और जो सभी नबियों को उनके रब की ओर से प्रदान की गई। हम उनमें से किसी के बीच अन्तर नहीं करते और हम केवल उसी के आज्ञाकारी हैं।' ([२] अल बकराह: 136)
Tafseer (तफ़सीर )
१३७

فَاِنْ اٰمَنُوْا بِمِثْلِ مَآ اٰمَنْتُمْ بِهٖ فَقَدِ اهْتَدَوْا ۚوَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّمَا هُمْ فِيْ شِقَاقٍۚ فَسَيَكْفِيْكَهُمُ اللّٰهُ ۚوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ۗ ١٣٧

fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
āmanū
ءَامَنُوا۟
वो ईमान ले आऐं
bimith'li
بِمِثْلِ
जिस तरह
مَآ
जिस तरह
āmantum
ءَامَنتُم
ईमान लाए तुम
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
faqadi
فَقَدِ
पस तहक़ीक़
ih'tadaw
ٱهْتَدَوا۟ۖ
वो हिदायत पा गए
wa-in
وَّإِن
और अगर
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह फेर लें
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
hum
هُمْ
वो
فِى
इख़्तिलाफ़ में हैं
shiqāqin
شِقَاقٍۖ
इख़्तिलाफ़ में हैं
fasayakfīkahumu
فَسَيَكْفِيكَهُمُ
पस अनक़रीब काफ़ी होगा आपको उनसे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है
फिर यदि वे उसी तरह ईमान लाएँ जिस तरह तुम ईमान लाए हो, तो उन्होंने मार्ग पा लिया। और यदि वे मुँह मोड़े, तो फिर वही विरोध में पड़े हुए है। अतः तुम्हारी जगह स्वयं अल्लाह उनसे निबटने के लिए काफ़ी है; वह सब कुछ सुनता, जानता है ([२] अल बकराह: 137)
Tafseer (तफ़सीर )
१३८

صِبْغَةَ اللّٰهِ ۚ وَمَنْ اَحْسَنُ مِنَ اللّٰهِ صِبْغَةً ۖ وَّنَحْنُ لَهٗ عٰبِدُوْنَ ١٣٨

ṣib'ghata
صِبْغَةَ
रंग
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह का
waman
وَمَنْ
और कौन
aḥsanu
أَحْسَنُ
ज़्यादा अच्छा है
mina
مِنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
ṣib'ghatan
صِبْغَةًۖ
रंग में
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
lahu
لَهُۥ
उसी की
ʿābidūna
عَٰبِدُونَ
इबादत करने वाले हैं
(कहो,) 'अल्लाह का रंग ग्रहण करो, उसके रंग से अच्छा और किसका रंह हो सकता है? और हम तो उसी की बन्दगी करते हैं।' ([२] अल बकराह: 138)
Tafseer (तफ़सीर )
१३९

قُلْ اَتُحَاۤجُّوْنَنَا فِى اللّٰهِ وَهُوَ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْۚ وَلَنَآ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْۚ وَنَحْنُ لَهٗ مُخْلِصُوْنَ ۙ ١٣٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
atuḥājjūnanā
أَتُحَآجُّونَنَا
क्या तुम झगड़ा करते हो हमसे
فِى
अल्लाह के बारे में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
wahuwa
وَهُوَ
हालाँकि वो
rabbunā
رَبُّنَا
रब है हमारा
warabbukum
وَرَبُّكُمْ
और रब है तुम्हारा
walanā
وَلَنَآ
और हमारे लिए हैं
aʿmālunā
أَعْمَٰلُنَا
आमाल हमारे
walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए हैं
aʿmālukum
أَعْمَٰلُكُمْ
आमाल तुम्हारे
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए
mukh'liṣūna
مُخْلِصُونَ
मुख़लिस हैं
कहो, 'क्या तुम अल्लाह के विषय में हमसे झगड़ते हो, हालाँकि वही हमारा रब भी है, और तुम्हारा रब भी? और हमारे लिए हमारे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म। और हम तो बस निरे उसी के है।' ([२] अल बकराह: 139)
Tafseer (तफ़सीर )
१४०

اَمْ تَقُوْلُوْنَ اِنَّ اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِيْلَ وَاِسْحٰقَ وَيَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطَ كَانُوْا هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰى ۗ قُلْ ءَاَنْتُمْ اَعْلَمُ اَمِ اللّٰهُ ۗ وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَتَمَ شَهَادَةً عِنْدَهٗ مِنَ اللّٰهِ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ١٤٠

am
أَمْ
या
taqūlūna
تَقُولُونَ
तुम कहते हो
inna
إِنَّ
बेशक
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम
wa-is'māʿīla
وَإِسْمَٰعِيلَ
और इस्माईल
wa-is'ḥāqa
وَإِسْحَٰقَ
और इस्हाक़
wayaʿqūba
وَيَعْقُوبَ
और याक़ूब
wal-asbāṭa
وَٱلْأَسْبَاطَ
और औलादे याक़ूब
kānū
كَانُوا۟
थे वो
hūdan
هُودًا
यहूदी
aw
أَوْ
या
naṣārā
نَصَٰرَىٰۗ
नस्रानी
qul
قُلْ
कह दीजिए
a-antum
ءَأَنتُمْ
क्या तुम
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानते हो
ami
أَمِ
या
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह
waman
وَمَنْ
और कौन
aẓlamu
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
mimman
مِمَّن
उससे जो
katama
كَتَمَ
छुपाए
shahādatan
شَهَٰدَةً
गवाही को
ʿindahu
عِندَهُۥ
जो पास है उसके
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की तरफ़ से
wamā
وَمَا
और नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
या तुम कहते हो कि इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ और याक़ूब और उनकी संतान सब के सब यहूदी या ईसाई थे? कहो, 'तुम अधिक जानते हो या अल्लाह? और उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा, जिसके पास अल्लाह की ओर से आई हुई कोई गवाही हो, और वह उसे छिपाए? और जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह उससे बेखबर नहीं है।' ([२] अल बकराह: 140)
Tafseer (तफ़सीर )