اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَتْلُوْنَهٗ حَقَّ تِلَاوَتِهٖۗ اُولٰۤىِٕكَ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۗ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِهٖ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ࣖ ١٢١
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- ātaynāhumu
- ءَاتَيْنَٰهُمُ
- दी हमने उन्हें
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- yatlūnahu
- يَتْلُونَهُۥ
- वो तिलावत करते हैं उसकी
- ḥaqqa
- حَقَّ
- हक़ है (जैसा)
- tilāwatihi
- تِلَاوَتِهِۦٓ
- उसकी तिलावत का
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- जो ईमान लाते हैं
- bihi
- بِهِۦۗ
- उस पर
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yakfur
- يَكْفُرْ
- कुफ़्र करेगा
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-khāsirūna
- ٱلْخَٰسِرُونَ
- जो ख़सारा पाने वाले हैं
जिन लोगों को हमने किताब दी है उनमें वे लोग जो उसे उस तरह पढ़ते है जैसा कि उसके पढ़ने का हक़ है, वही उसपर ईमान ला रहे है, और जो उसका इनकार करेंगे, वही घाटे में रहनेवाले है ([२] अल बकराह: 121)Tafseer (तफ़सीर )
يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اذْكُرُوْا نِعْمَتِيَ الَّتِيْٓ اَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَاَنِّيْ فَضَّلْتُكُمْ عَلَى الْعٰلَمِيْنَ ١٢٢
- yābanī
- يَٰبَنِىٓ
- ऐ बनी इस्राईल
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- ऐ बनी इस्राईल
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- याद करो
- niʿ'matiya
- نِعْمَتِىَ
- मेरी नेअमत को
- allatī
- ٱلَّتِىٓ
- वो जो
- anʿamtu
- أَنْعَمْتُ
- इनाम की मैंने
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- wa-annī
- وَأَنِّى
- और बेशक मैं
- faḍḍaltukum
- فَضَّلْتُكُمْ
- फ़ज़ीलत दी थी मैंने तुम्हें
- ʿalā
- عَلَى
- तमाम जहानों पर
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहानों पर
ऐ इसराईल की सन्तान! मेरी उस कृपा को याद करो जो मैंने तुमपर की थी और यह कि मैंने तुम्हें संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की ([२] अल बकराह: 122)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّقُوْا يَوْمًا لَّا تَجْزِيْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَيْـًٔا وَّلَا يُقْبَلُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا تَنْفَعُهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ١٢٣
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- yawman
- يَوْمًا
- उस दिन से
- lā
- لَّا
- नहीं काम आएगा
- tajzī
- تَجْزِى
- नहीं काम आएगा
- nafsun
- نَفْسٌ
- कोई नफ़्स
- ʿan
- عَن
- किसी नफ़्स के
- nafsin
- نَّفْسٍ
- किसी नफ़्स के
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walā
- وَلَا
- और ना
- yuq'balu
- يُقْبَلُ
- क़ुबूल किया जाएगा
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- ʿadlun
- عَدْلٌ
- कोई बदला
- walā
- وَلَا
- और ना
- tanfaʿuhā
- تَنفَعُهَا
- नफ़ा देगी उसे
- shafāʿatun
- شَفَٰعَةٌ
- कोई सिफ़ारिश
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- वो मदद किए जाऐंगे
और उस दिन से डरो, जब कोई न किसी के काम आएगा, न किसी की ओर से अर्थदंड स्वीकार किया जाएगा, और न कोई सिफ़ारिश ही उसे लाभ पहुँचा सकेगी, और न उनको कोई सहायता ही पहुँच सकेगी ([२] अल बकराह: 123)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاِذِ ابْتَلٰٓى اِبْرٰهٖمَ رَبُّهٗ بِكَلِمٰتٍ فَاَتَمَّهُنَّ ۗ قَالَ اِنِّيْ جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ اِمَامًا ۗ قَالَ وَمِنْ ذُرِّيَّتِيْ ۗ قَالَ لَا يَنَالُ عَهْدِى الظّٰلِمِيْنَ ١٢٤
- wa-idhi
- وَإِذِ
- और जब
- ib'talā
- ٱبْتَلَىٰٓ
- आज़माया
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِۦمَ
- इब्राहीम को
- rabbuhu
- رَبُّهُۥ
- उसके रब ने
- bikalimātin
- بِكَلِمَٰتٍ
- चंद कलिमात से
- fa-atammahunna
- فَأَتَمَّهُنَّۖ
- तो उसने पूरा कर दिया उन्हें
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- jāʿiluka
- جَاعِلُكَ
- बनाने वाला हूँ तुझे
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- imāman
- إِمَامًاۖ
- इमाम
- qāla
- قَالَ
- कहा
- wamin
- وَمِن
- और मेरी औलाद में से
- dhurriyyatī
- ذُرِّيَّتِىۖ
- और मेरी औलाद में से
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- lā
- لَا
- नहीं पहुँचेगा
- yanālu
- يَنَالُ
- नहीं पहुँचेगा
- ʿahdī
- عَهْدِى
- अहद मेरा
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
और याद करो जब इबराहीम की उसके रब से कुछ बातों में परीक्षा ली तो उसने उसको पूरा कर दिखाया। उसने कहा, 'मैं तुझे सारे इनसानों का पेशवा बनानेवाला हूँ।' उसने निवेदन किया, ' और मेरी सन्तान में भी।' उसने कहा, 'ज़ालिम मेरे इस वादे के अन्तर्गत नहीं आ सकते।' ([२] अल बकराह: 124)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ جَعَلْنَا الْبَيْتَ مَثَابَةً لِّلنَّاسِ وَاَمْنًاۗ وَاتَّخِذُوْا مِنْ مَّقَامِ اِبْرٰهٖمَ مُصَلًّىۗ وَعَهِدْنَآ اِلٰٓى اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِيْلَ اَنْ طَهِّرَا بَيْتِيَ لِلطَّاۤىِٕفِيْنَ وَالْعٰكِفِيْنَ وَالرُّكَّعِ السُّجُوْدِ ١٢٥
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाया हमने
- l-bayta
- ٱلْبَيْتَ
- बैतुल्लाह को
- mathābatan
- مَثَابَةً
- लौटने की जगह/मरकज़
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- wa-amnan
- وَأَمْنًا
- और अमन की जगह
- wa-ittakhidhū
- وَٱتَّخِذُوا۟
- और बना लो
- min
- مِن
- मक़ामे इब्राहीम को
- maqāmi
- مَّقَامِ
- मक़ामे इब्राहीम को
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِۦمَ
- मक़ामे इब्राहीम को
- muṣallan
- مُصَلًّىۖ
- जाए नमाज़
- waʿahid'nā
- وَعَهِدْنَآ
- और अहद लिया हमने
- ilā
- إِلَىٰٓ
- इब्राहीम से
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِۦمَ
- इब्राहीम से
- wa-is'māʿīla
- وَإِسْمَٰعِيلَ
- और इस्माईल से
- an
- أَن
- कि
- ṭahhirā
- طَهِّرَا
- तुम दोनों पाक करो
- baytiya
- بَيْتِىَ
- मेरे घर को
- lilṭṭāifīna
- لِلطَّآئِفِينَ
- वास्ते तवाफ़ करने वालों के
- wal-ʿākifīna
- وَٱلْعَٰكِفِينَ
- और एतकाफ़ करने वालों
- wal-rukaʿi
- وَٱلرُّكَّعِ
- और रुकू करने वालों
- l-sujūdi
- ٱلسُّجُودِ
- सजदा करने वालों के
और याद करो जब हमने इस घर (काबा) को लोगों को लिए केन्द्र और शान्तिस्थल बनाया - और, 'इबराहीम के स्थल में से किसी जगह को नमाज़ की जगह बना लो!' - और इबराहीम और इसमाईल को ज़िम्मेदार बनाया। 'तुम मेरे इस घर को तवाफ़ करनेवालों और एतिकाफ़ करनेवालों के लिए और रुकू और सजदा करनेवालों के लिए पाक-साफ़ रखो।' ([२] अल बकराह: 125)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّ اجْعَلْ هٰذَا بَلَدًا اٰمِنًا وَّارْزُقْ اَهْلَهٗ مِنَ الثَّمَرٰتِ مَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ قَالَ وَمَنْ كَفَرَ فَاُمَتِّعُهٗ قَلِيْلًا ثُمَّ اَضْطَرُّهٗٓ اِلٰى عَذَابِ النَّارِ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ١٢٦
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ib'rāhīmu
- إِبْرَٰهِۦمُ
- इब्राहीम ने
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- ij'ʿal
- ٱجْعَلْ
- बना दे
- hādhā
- هَٰذَا
- इसे
- baladan
- بَلَدًا
- शहर
- āminan
- ءَامِنًا
- अमन वाला
- wa-ur'zuq
- وَٱرْزُقْ
- और रिज़्क़ दे
- ahlahu
- أَهْلَهُۥ
- इसके रहने वालों को
- mina
- مِنَ
- फलों में से
- l-thamarāti
- ٱلثَّمَرَٰتِ
- फलों में से
- man
- مَنْ
- जो कोई
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाए
- min'hum
- مِنْهُم
- उनमें से
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِۖ
- और आख़िरी दिन पर
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- waman
- وَمَن
- और जिसने
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- fa-umattiʿuhu
- فَأُمَتِّعُهُۥ
- तो मै फ़ायदा दूँगा उसे
- qalīlan
- قَلِيلًا
- थोड़ा सा
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- aḍṭarruhu
- أَضْطَرُّهُۥٓ
- मैं मजबूर कर दूँगा उसे
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- ʿadhābi
- عَذَابِ
- अज़ाब
- l-nāri
- ٱلنَّارِۖ
- आग के
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और कितनी बुरी है
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटने की जगह
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, 'ऐ मेरे रब! इसे शान्तिमय भू-भाग बना दे और इसके उन निवासियों को फलों की रोज़ी दे जो उनमें से अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाएँ।' कहा, 'और जो इनकार करेगा थोड़ा फ़ायदा तो उसे भी दूँगा, फिर उसे घसीटकर आग की यातना की ओर पहुँचा दूँगा और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है!' ([२] अल बकराह: 126)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ يَرْفَعُ اِبْرٰهٖمُ الْقَوَاعِدَ مِنَ الْبَيْتِ وَاِسْمٰعِيْلُۗ رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا ۗ اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ١٢٧
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- yarfaʿu
- يَرْفَعُ
- बुलन्द कर रहे थे
- ib'rāhīmu
- إِبْرَٰهِۦمُ
- इब्राहीम
- l-qawāʿida
- ٱلْقَوَاعِدَ
- बुनियादें
- mina
- مِنَ
- बैतुल्लाह की
- l-bayti
- ٱلْبَيْتِ
- बैतुल्लाह की
- wa-is'māʿīlu
- وَإِسْمَٰعِيلُ
- और इस्माईल
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- taqabbal
- تَقَبَّلْ
- तू क़ुबूल फ़रमा
- minnā
- مِنَّآۖ
- हम से
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- ख़ूब सुनने वाला
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला
और याद करो जब इबराहीम और इसमाईल इस घर की बुनियादें उठा रहे थे, (तो उन्होंने प्रार्थना की), 'ऐ हमारे रब! हमारी ओर से इसे स्वीकार कर ले, निस्संदेह तू सुनता-जानता है ([२] अल बकराह: 127)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَا وَاجْعَلْنَا مُسْلِمَيْنِ لَكَ وَمِنْ ذُرِّيَّتِنَآ اُمَّةً مُّسْلِمَةً لَّكَۖ وَاَرِنَا مَنَاسِكَنَا وَتُبْ عَلَيْنَا ۚ اِنَّكَ اَنْتَ التَّوَّابُ الرَّحِيْمُ ١٢٨
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- wa-ij'ʿalnā
- وَٱجْعَلْنَا
- और बना हमें
- mus'limayni
- مُسْلِمَيْنِ
- फ़रमाबरदार
- laka
- لَكَ
- अपने लिए
- wamin
- وَمِن
- और हमारी औलाद में से
- dhurriyyatinā
- ذُرِّيَّتِنَآ
- और हमारी औलाद में से
- ummatan
- أُمَّةً
- एक उम्मत
- mus'limatan
- مُّسْلِمَةً
- फ़रमाबरदार
- laka
- لَّكَ
- अपने लिए
- wa-arinā
- وَأَرِنَا
- और दिखा हमें
- manāsikanā
- مَنَاسِكَنَا
- हमारी इबादत के तरीक़े
- watub
- وَتُبْ
- और मेहरबान हो
- ʿalaynā
- عَلَيْنَآۖ
- हम पर
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-tawābu
- ٱلتَّوَّابُ
- बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
ऐ हमारे रब! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना और हमारी संतान में से अपना एक आज्ञाकारी समुदाय बना; और हमें हमारे इबादत के तरीक़े बता और हमारी तौबा क़बूल कर। निस्संदेह तू तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है ([२] अल बकराह: 128)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَا وَابْعَثْ فِيْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ يَتْلُوْا عَلَيْهِمْ اٰيٰتِكَ وَيُعَلِّمُهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَيُزَكِّيْهِمْ ۗ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ١٢٩
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- wa-ib'ʿath
- وَٱبْعَثْ
- और मबऊस फ़रमा
- fīhim
- فِيهِمْ
- उनमें
- rasūlan
- رَسُولًا
- एक रसूल को
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उन्ही में से
- yatlū
- يَتْلُوا۟
- वो तिलावत करे
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- āyātika
- ءَايَٰتِكَ
- आयात तेरी
- wayuʿallimuhumu
- وَيُعَلِّمُهُمُ
- और वो तालीम दे उन्हें
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- wal-ḥik'mata
- وَٱلْحِكْمَةَ
- और हिकमत की
- wayuzakkīhim
- وَيُزَكِّيهِمْۚ
- और वो तज़किया करे उनका
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला
ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें सुनाए और उनको किताब और तत्वदर्शिता की शिक्षा दे और उन (की आत्मा) को विकसित करे। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 129)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّرْغَبُ عَنْ مِّلَّةِ اِبْرٰهٖمَ اِلَّا مَنْ سَفِهَ نَفْسَهٗ ۗوَلَقَدِ اصْطَفَيْنٰهُ فِى الدُّنْيَا ۚوَاِنَّهٗ فِى الْاٰخِرَةِ لَمِنَ الصّٰلِحِيْنَ ١٣٠
- waman
- وَمَن
- और कौन है
- yarghabu
- يَرْغَبُ
- जो मुँह मोड़े
- ʿan
- عَن
- तरीक़े से
- millati
- مِّلَّةِ
- तरीक़े से
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِۦمَ
- इब्राहीम के
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- वो जिसने
- safiha
- سَفِهَ
- बेवक़ूफ़ बनाया
- nafsahu
- نَفْسَهُۥۚ
- अपने नफ़्स को
- walaqadi
- وَلَقَدِ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- iṣ'ṭafaynāhu
- ٱصْطَفَيْنَٰهُ
- चुन लिया था हमने उसे
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया में
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- fī
- فِى
- आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत में
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता सालेह लोगों में से है
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- अलबत्ता सालेह लोगों में से है
कौन है जो इबराहीम के पंथ से मुँह मोड़े सिवाय उसके जिसने स्वयं को पतित कर लिया? और उसे तो हमने दुनिया में चुन लिया था और निस्संदेह आख़िरत में उसकी गणना योग्य लोगों में होगी ([२] अल बकराह: 130)Tafseer (तफ़सीर )