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सूरा अल बकराह - Page: 13

Al-Baqarah

(गाय)

१२१

اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَتْلُوْنَهٗ حَقَّ تِلَاوَتِهٖۗ اُولٰۤىِٕكَ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۗ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِهٖ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ࣖ ١٢١

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ātaynāhumu
ءَاتَيْنَٰهُمُ
दी हमने उन्हें
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
yatlūnahu
يَتْلُونَهُۥ
वो तिलावत करते हैं उसकी
ḥaqqa
حَقَّ
हक़ है (जैसा)
tilāwatihi
تِلَاوَتِهِۦٓ
उसकी तिलावत का
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
bihi
بِهِۦۗ
उस पर
waman
وَمَن
और जो कोई
yakfur
يَكْفُرْ
कुफ़्र करेगा
bihi
بِهِۦ
उसका
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-khāsirūna
ٱلْخَٰسِرُونَ
जो ख़सारा पाने वाले हैं
जिन लोगों को हमने किताब दी है उनमें वे लोग जो उसे उस तरह पढ़ते है जैसा कि उसके पढ़ने का हक़ है, वही उसपर ईमान ला रहे है, और जो उसका इनकार करेंगे, वही घाटे में रहनेवाले है ([२] अल बकराह: 121)
Tafseer (तफ़सीर )
१२२

يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اذْكُرُوْا نِعْمَتِيَ الَّتِيْٓ اَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَاَنِّيْ فَضَّلْتُكُمْ عَلَى الْعٰلَمِيْنَ ١٢٢

yābanī
يَٰبَنِىٓ
ऐ बनी इस्राईल
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
ऐ बनी इस्राईल
udh'kurū
ٱذْكُرُوا۟
याद करो
niʿ'matiya
نِعْمَتِىَ
मेरी नेअमत को
allatī
ٱلَّتِىٓ
वो जो
anʿamtu
أَنْعَمْتُ
इनाम की मैंने
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
wa-annī
وَأَنِّى
और बेशक मैं
faḍḍaltukum
فَضَّلْتُكُمْ
फ़ज़ीलत दी थी मैंने तुम्हें
ʿalā
عَلَى
तमाम जहानों पर
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों पर
ऐ इसराईल की सन्तान! मेरी उस कृपा को याद करो जो मैंने तुमपर की थी और यह कि मैंने तुम्हें संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की ([२] अल बकराह: 122)
Tafseer (तफ़सीर )
१२३

وَاتَّقُوْا يَوْمًا لَّا تَجْزِيْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَيْـًٔا وَّلَا يُقْبَلُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا تَنْفَعُهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ١٢٣

wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
yawman
يَوْمًا
उस दिन से
لَّا
नहीं काम आएगा
tajzī
تَجْزِى
नहीं काम आएगा
nafsun
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
ʿan
عَن
किसी नफ़्स के
nafsin
نَّفْسٍ
किसी नफ़्स के
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
yuq'balu
يُقْبَلُ
क़ुबूल किया जाएगा
min'hā
مِنْهَا
उससे
ʿadlun
عَدْلٌ
कोई बदला
walā
وَلَا
और ना
tanfaʿuhā
تَنفَعُهَا
नफ़ा देगी उसे
shafāʿatun
شَفَٰعَةٌ
कोई सिफ़ारिश
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yunṣarūna
يُنصَرُونَ
वो मदद किए जाऐंगे
और उस दिन से डरो, जब कोई न किसी के काम आएगा, न किसी की ओर से अर्थदंड स्वीकार किया जाएगा, और न कोई सिफ़ारिश ही उसे लाभ पहुँचा सकेगी, और न उनको कोई सहायता ही पहुँच सकेगी ([२] अल बकराह: 123)
Tafseer (तफ़सीर )
१२४

۞ وَاِذِ ابْتَلٰٓى اِبْرٰهٖمَ رَبُّهٗ بِكَلِمٰتٍ فَاَتَمَّهُنَّ ۗ قَالَ اِنِّيْ جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ اِمَامًا ۗ قَالَ وَمِنْ ذُرِّيَّتِيْ ۗ قَالَ لَا يَنَالُ عَهْدِى الظّٰلِمِيْنَ ١٢٤

wa-idhi
وَإِذِ
और जब
ib'talā
ٱبْتَلَىٰٓ
आज़माया
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम को
rabbuhu
رَبُّهُۥ
उसके रब ने
bikalimātin
بِكَلِمَٰتٍ
चंद कलिमात से
fa-atammahunna
فَأَتَمَّهُنَّۖ
तो उसने पूरा कर दिया उन्हें
qāla
قَالَ
फ़रमाया
innī
إِنِّى
बेशक मैं
jāʿiluka
جَاعِلُكَ
बनाने वाला हूँ तुझे
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
imāman
إِمَامًاۖ
इमाम
qāla
قَالَ
कहा
wamin
وَمِن
और मेरी औलाद में से
dhurriyyatī
ذُرِّيَّتِىۖ
और मेरी औलाद में से
qāla
قَالَ
फ़रमाया
لَا
नहीं पहुँचेगा
yanālu
يَنَالُ
नहीं पहुँचेगा
ʿahdī
عَهْدِى
अहद मेरा
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
और याद करो जब इबराहीम की उसके रब से कुछ बातों में परीक्षा ली तो उसने उसको पूरा कर दिखाया। उसने कहा, 'मैं तुझे सारे इनसानों का पेशवा बनानेवाला हूँ।' उसने निवेदन किया, ' और मेरी सन्तान में भी।' उसने कहा, 'ज़ालिम मेरे इस वादे के अन्तर्गत नहीं आ सकते।' ([२] अल बकराह: 124)
Tafseer (तफ़सीर )
१२५

وَاِذْ جَعَلْنَا الْبَيْتَ مَثَابَةً لِّلنَّاسِ وَاَمْنًاۗ وَاتَّخِذُوْا مِنْ مَّقَامِ اِبْرٰهٖمَ مُصَلًّىۗ وَعَهِدْنَآ اِلٰٓى اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِيْلَ اَنْ طَهِّرَا بَيْتِيَ لِلطَّاۤىِٕفِيْنَ وَالْعٰكِفِيْنَ وَالرُّكَّعِ السُّجُوْدِ ١٢٥

wa-idh
وَإِذْ
और जब
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाया हमने
l-bayta
ٱلْبَيْتَ
बैतुल्लाह को
mathābatan
مَثَابَةً
लौटने की जगह/मरकज़
lilnnāsi
لِّلنَّاسِ
लोगों के लिए
wa-amnan
وَأَمْنًا
और अमन की जगह
wa-ittakhidhū
وَٱتَّخِذُوا۟
और बना लो
min
مِن
मक़ामे इब्राहीम को
maqāmi
مَّقَامِ
मक़ामे इब्राहीम को
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
मक़ामे इब्राहीम को
muṣallan
مُصَلًّىۖ
जाए नमाज़
waʿahid'nā
وَعَهِدْنَآ
और अहद लिया हमने
ilā
إِلَىٰٓ
इब्राहीम से
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम से
wa-is'māʿīla
وَإِسْمَٰعِيلَ
और इस्माईल से
an
أَن
कि
ṭahhirā
طَهِّرَا
तुम दोनों पाक करो
baytiya
بَيْتِىَ
मेरे घर को
lilṭṭāifīna
لِلطَّآئِفِينَ
वास्ते तवाफ़ करने वालों के
wal-ʿākifīna
وَٱلْعَٰكِفِينَ
और एतकाफ़ करने वालों
wal-rukaʿi
وَٱلرُّكَّعِ
और रुकू करने वालों
l-sujūdi
ٱلسُّجُودِ
सजदा करने वालों के
और याद करो जब हमने इस घर (काबा) को लोगों को लिए केन्द्र और शान्तिस्थल बनाया - और, 'इबराहीम के स्थल में से किसी जगह को नमाज़ की जगह बना लो!' - और इबराहीम और इसमाईल को ज़िम्मेदार बनाया। 'तुम मेरे इस घर को तवाफ़ करनेवालों और एतिकाफ़ करनेवालों के लिए और रुकू और सजदा करनेवालों के लिए पाक-साफ़ रखो।' ([२] अल बकराह: 125)
Tafseer (तफ़सीर )
१२६

وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّ اجْعَلْ هٰذَا بَلَدًا اٰمِنًا وَّارْزُقْ اَهْلَهٗ مِنَ الثَّمَرٰتِ مَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ قَالَ وَمَنْ كَفَرَ فَاُمَتِّعُهٗ قَلِيْلًا ثُمَّ اَضْطَرُّهٗٓ اِلٰى عَذَابِ النَّارِ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ١٢٦

wa-idh
وَإِذْ
और जब
qāla
قَالَ
कहा
ib'rāhīmu
إِبْرَٰهِۦمُ
इब्राहीम ने
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
ij'ʿal
ٱجْعَلْ
बना दे
hādhā
هَٰذَا
इसे
baladan
بَلَدًا
शहर
āminan
ءَامِنًا
अमन वाला
wa-ur'zuq
وَٱرْزُقْ
और रिज़्क़ दे
ahlahu
أَهْلَهُۥ
इसके रहने वालों को
mina
مِنَ
फलों में से
l-thamarāti
ٱلثَّمَرَٰتِ
फलों में से
man
مَنْ
जो कोई
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाए
min'hum
مِنْهُم
उनमें से
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِۖ
और आख़िरी दिन पर
qāla
قَالَ
फ़रमाया
waman
وَمَن
और जिसने
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र किया
fa-umattiʿuhu
فَأُمَتِّعُهُۥ
तो मै फ़ायदा दूँगा उसे
qalīlan
قَلِيلًا
थोड़ा सा
thumma
ثُمَّ
फिर
aḍṭarruhu
أَضْطَرُّهُۥٓ
मैं मजबूर कर दूँगा उसे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
ʿadhābi
عَذَابِ
अज़ाब
l-nāri
ٱلنَّارِۖ
आग के
wabi'sa
وَبِئْسَ
और कितनी बुरी है
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटने की जगह
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, 'ऐ मेरे रब! इसे शान्तिमय भू-भाग बना दे और इसके उन निवासियों को फलों की रोज़ी दे जो उनमें से अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाएँ।' कहा, 'और जो इनकार करेगा थोड़ा फ़ायदा तो उसे भी दूँगा, फिर उसे घसीटकर आग की यातना की ओर पहुँचा दूँगा और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है!' ([२] अल बकराह: 126)
Tafseer (तफ़सीर )
१२७

وَاِذْ يَرْفَعُ اِبْرٰهٖمُ الْقَوَاعِدَ مِنَ الْبَيْتِ وَاِسْمٰعِيْلُۗ رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا ۗ اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ١٢٧

wa-idh
وَإِذْ
और जब
yarfaʿu
يَرْفَعُ
बुलन्द कर रहे थे
ib'rāhīmu
إِبْرَٰهِۦمُ
इब्राहीम
l-qawāʿida
ٱلْقَوَاعِدَ
बुनियादें
mina
مِنَ
बैतुल्लाह की
l-bayti
ٱلْبَيْتِ
बैतुल्लाह की
wa-is'māʿīlu
وَإِسْمَٰعِيلُ
और इस्माईल
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
taqabbal
تَقَبَّلْ
तू क़ुबूल फ़रमा
minnā
مِنَّآۖ
हम से
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला
और याद करो जब इबराहीम और इसमाईल इस घर की बुनियादें उठा रहे थे, (तो उन्होंने प्रार्थना की), 'ऐ हमारे रब! हमारी ओर से इसे स्वीकार कर ले, निस्संदेह तू सुनता-जानता है ([२] अल बकराह: 127)
Tafseer (तफ़सीर )
१२८

رَبَّنَا وَاجْعَلْنَا مُسْلِمَيْنِ لَكَ وَمِنْ ذُرِّيَّتِنَآ اُمَّةً مُّسْلِمَةً لَّكَۖ وَاَرِنَا مَنَاسِكَنَا وَتُبْ عَلَيْنَا ۚ اِنَّكَ اَنْتَ التَّوَّابُ الرَّحِيْمُ ١٢٨

rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
wa-ij'ʿalnā
وَٱجْعَلْنَا
और बना हमें
mus'limayni
مُسْلِمَيْنِ
फ़रमाबरदार
laka
لَكَ
अपने लिए
wamin
وَمِن
और हमारी औलाद में से
dhurriyyatinā
ذُرِّيَّتِنَآ
और हमारी औलाद में से
ummatan
أُمَّةً
एक उम्मत
mus'limatan
مُّسْلِمَةً
फ़रमाबरदार
laka
لَّكَ
अपने लिए
wa-arinā
وَأَرِنَا
और दिखा हमें
manāsikanā
مَنَاسِكَنَا
हमारी इबादत के तरीक़े
watub
وَتُبْ
और मेहरबान हो
ʿalaynā
عَلَيْنَآۖ
हम पर
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
l-tawābu
ٱلتَّوَّابُ
बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
ऐ हमारे रब! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना और हमारी संतान में से अपना एक आज्ञाकारी समुदाय बना; और हमें हमारे इबादत के तरीक़े बता और हमारी तौबा क़बूल कर। निस्संदेह तू तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है ([२] अल बकराह: 128)
Tafseer (तफ़सीर )
१२९

رَبَّنَا وَابْعَثْ فِيْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ يَتْلُوْا عَلَيْهِمْ اٰيٰتِكَ وَيُعَلِّمُهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَيُزَكِّيْهِمْ ۗ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ١٢٩

rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
wa-ib'ʿath
وَٱبْعَثْ
और मबऊस फ़रमा
fīhim
فِيهِمْ
उनमें
rasūlan
رَسُولًا
एक रसूल को
min'hum
مِّنْهُمْ
उन्ही में से
yatlū
يَتْلُوا۟
वो तिलावत करे
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
āyātika
ءَايَٰتِكَ
आयात तेरी
wayuʿallimuhumu
وَيُعَلِّمُهُمُ
और वो तालीम दे उन्हें
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wal-ḥik'mata
وَٱلْحِكْمَةَ
और हिकमत की
wayuzakkīhim
وَيُزَكِّيهِمْۚ
और वो तज़किया करे उनका
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला
ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें सुनाए और उनको किताब और तत्वदर्शिता की शिक्षा दे और उन (की आत्मा) को विकसित करे। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 129)
Tafseer (तफ़सीर )
१३०

وَمَنْ يَّرْغَبُ عَنْ مِّلَّةِ اِبْرٰهٖمَ اِلَّا مَنْ سَفِهَ نَفْسَهٗ ۗوَلَقَدِ اصْطَفَيْنٰهُ فِى الدُّنْيَا ۚوَاِنَّهٗ فِى الْاٰخِرَةِ لَمِنَ الصّٰلِحِيْنَ ١٣٠

waman
وَمَن
और कौन है
yarghabu
يَرْغَبُ
जो मुँह मोड़े
ʿan
عَن
तरीक़े से
millati
مِّلَّةِ
तरीक़े से
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِۦمَ
इब्राहीम के
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
वो जिसने
safiha
سَفِهَ
बेवक़ूफ़ बनाया
nafsahu
نَفْسَهُۥۚ
अपने नफ़्स को
walaqadi
وَلَقَدِ
और अलबत्ता तहक़ीक़
iṣ'ṭafaynāhu
ٱصْطَفَيْنَٰهُ
चुन लिया था हमने उसे
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया में
wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
lamina
لَمِنَ
अलबत्ता सालेह लोगों में से है
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
अलबत्ता सालेह लोगों में से है
कौन है जो इबराहीम के पंथ से मुँह मोड़े सिवाय उसके जिसने स्वयं को पतित कर लिया? और उसे तो हमने दुनिया में चुन लिया था और निस्संदेह आख़िरत में उसकी गणना योग्य लोगों में होगी ([२] अल बकराह: 130)
Tafseer (तफ़सीर )