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सूरा अल बकराह - Page: 12

Al-Baqarah

(गाय)

१११

وَقَالُوْا لَنْ يَّدْخُلَ الْجَنَّةَ اِلَّا مَنْ كَانَ هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰى ۗ تِلْكَ اَمَانِيُّهُمْ ۗ قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١١١

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yadkhula
يَدْخُلَ
दाख़िल होगा
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
वो जो
kāna
كَانَ
हो
hūdan
هُودًا
यहूदी
aw
أَوْ
या
naṣārā
نَصَٰرَىٰۗ
नस्रानी
til'ka
تِلْكَ
ये
amāniyyuhum
أَمَانِيُّهُمْۗ
तमन्नाऐं हैं उनकी
qul
قُلْ
कह दीजिए
hātū
هَاتُوا۟
ले आओ
bur'hānakum
بُرْهَٰنَكُمْ
दलील अपनी
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
और उनका कहना है, 'कोई व्यक्ति जन्नत में प्रवेश नहीं करता सिवाय उससे जो यहूदी है या ईसाई है।' ये उनकी अपनी निराधार कामनाएँ है। कहो, 'यदि तुम सच्चे हो तो अपने प्रमाण पेश करो।' ([२] अल बकराह: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

بَلٰى مَنْ اَسْلَمَ وَجْهَهٗ لِلّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ فَلَهٗٓ اَجْرُهٗ عِنْدَ رَبِّهٖۖ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ࣖ ١١٢

balā
بَلَىٰ
हाँ (क्यों नहीं)
man
مَنْ
जिसने
aslama
أَسْلَمَ
सुपुर्द कर दिया
wajhahu
وَجْهَهُۥ
चेहरा अपना
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
wahuwa
وَهُوَ
और वो
muḥ'sinun
مُحْسِنٌ
मोहसिन हो
falahu
فَلَهُۥٓ
तो उसके लिए है
ajruhu
أَجْرُهُۥ
अजर उसका
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihi
رَبِّهِۦ
उसके रब के
walā
وَلَا
और ना
khawfun
خَوْفٌ
कोई ख़ौफ़ होगा
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yaḥzanūna
يَحْزَنُونَ
वो ग़मगीन होंगे
क्यों नहीं, जिसने भी अपने-आपको अल्लाह के प्रति समर्पित कर दिया और उसका कर्म भी अच्छे से अच्छा हो तो उसका प्रतिदान उसके रब के पास है और ऐसे लोगो के लिए न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे ([२] अल बकराह: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

وَقَالَتِ الْيَهُوْدُ لَيْسَتِ النَّصٰرٰى عَلٰى شَيْءٍۖ وَّقَالَتِ النَّصٰرٰى لَيْسَتِ الْيَهُوْدُ عَلٰى شَيْءٍۙ وَّهُمْ يَتْلُوْنَ الْكِتٰبَۗ كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ مِثْلَ قَوْلِهِمْ ۚ فَاللّٰهُ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فِيْمَا كَانُوْا فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ١١٣

waqālati
وَقَالَتِ
और कहा
l-yahūdu
ٱلْيَهُودُ
यहूद ने
laysati
لَيْسَتِ
नहीं हैं
l-naṣārā
ٱلنَّصَٰرَىٰ
नसारा
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
waqālati
وَقَالَتِ
और कहा
l-naṣārā
ٱلنَّصَٰرَىٰ
नसारा ने
laysati
لَيْسَتِ
नहीं हैं
l-yahūdu
ٱلْيَهُودُ
यहूद
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
wahum
وَهُمْ
हालाँकि वो
yatlūna
يَتْلُونَ
वो तिलावत करते हैं
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَۗ
किताब की
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
qāla
قَالَ
कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जो
لَا
नहीं इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं इल्म रखते
mith'la
مِثْلَ
मिसल/मानिन्द
qawlihim
قَوْلِهِمْۚ
उनकी बात के
fal-lahu
فَٱللَّهُ
तो अल्लाह
yaḥkumu
يَحْكُمُ
फ़ैसला करेगा
baynahum
بَيْنَهُمْ
दर्मियान उनके
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
fīmā
فِيمَا
उसमें जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
fīhi
فِيهِ
जिस में
yakhtalifūna
يَخْتَلِفُونَ
वो इख़्तिलाफ़ करते
यहूदियों ने कहा, 'ईसाईयों की कोई बुनियाद नहीं।' और ईसाइयों ने कहा, 'यहूदियों की कोई बुनियाद नहीं।' हालाँकि वे किताब का पाठ करते है। इसी तरह की बात उन्होंने भी कही है जो ज्ञान से वंचित है। तो अल्लाह क़यामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के विषय में निर्णय कर देगा, जिसके विषय में वे विभेद कर रहे है ([२] अल बकराह: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ مَّنَعَ مَسٰجِدَ اللّٰهِ اَنْ يُّذْكَرَ فِيْهَا اسْمُهٗ وَسَعٰى فِيْ خَرَابِهَاۗ اُولٰۤىِٕكَ مَا كَانَ لَهُمْ اَنْ يَّدْخُلُوْهَآ اِلَّا خَاۤىِٕفِيْنَ ەۗ لَهُمْ فِى الدُّنْيَا خِزْيٌ وَّلَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ١١٤

waman
وَمَنْ
और कौन
aẓlamu
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
mimman
مِمَّن
उससे जो
manaʿa
مَّنَعَ
मना करे
masājida
مَسَٰجِدَ
मस्जिदों से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
an
أَن
कि
yudh'kara
يُذْكَرَ
ज़िक्र किया जाए
fīhā
فِيهَا
उनमें
us'muhu
ٱسْمُهُۥ
नाम उसका
wasaʿā
وَسَعَىٰ
और वो कोशिश करे
فِى
उनकी ख़राबी/वीरानी की
kharābihā
خَرَابِهَآۚ
उनकी ख़राबी/वीरानी की
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
مَا
नहीं
kāna
كَانَ
है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
an
أَن
कि
yadkhulūhā
يَدْخُلُوهَآ
वो दाख़िल हों उनमें
illā
إِلَّا
मगर
khāifīna
خَآئِفِينَۚ
डरते हुए
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
khiz'yun
خِزْىٌ
रुस्वाई है
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों को उसके नाम के स्मरण से वंचित रखा और उन्हें उजाडने पर उतारू रहा? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उनके लिए संसार में रुसवाई (अपमान) है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना नियत है ([२] अल बकराह: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَلِلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُ فَاَيْنَمَا تُوَلُّوْا فَثَمَّ وَجْهُ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ١١٥

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए हैं
l-mashriqu
ٱلْمَشْرِقُ
मशरिक़
wal-maghribu
وَٱلْمَغْرِبُۚ
और मग़रिब
fa-aynamā
فَأَيْنَمَا
फिर जिस तरफ़
tuwallū
تُوَلُّوا۟
तुम मुँह करोगे
fathamma
فَثَمَّ
तो वहीं है
wajhu
وَجْهُ
चेहरा
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह का
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
wāsiʿun
وَٰسِعٌ
वुसअत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के है, अतः जिस ओर भी तुम रुख करो उसी ओर अल्लाह का रुख़ है। निस्संदेह अल्लाह बड़ा समाईवाला (सर्वव्यापी) सर्वज्ञ है ([२] अल बकराह: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

وَقَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًا ۙسُبْحٰنَهٗ ۗ بَلْ لَّهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلٌّ لَّهٗ قَانِتُوْنَ ١١٦

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
ittakhadha
ٱتَّخَذَ
बना ली
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
waladan
وَلَدًاۗ
कोई औलाद
sub'ḥānahu
سُبْحَٰنَهُۥۖ
पाक है वो
bal
بَل
बल्कि
lahu
لَّهُۥ
उसी के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन में है
kullun
كُلٌّ
सब
lahu
لَّهُۥ
उसी के
qānitūna
قَٰنِتُونَ
फ़रमाबरदार हैं
कहते है, अल्लाह औलाद रखता है - महिमावाला है वह! (पूरब और पश्चिम हीं नहीं, बल्कि) आकाशों और धरती में जो कुछ भी है, उसी का है। सभी उसके आज्ञाकारी है ([२] अल बकराह: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

بَدِيْعُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَاِذَا قَضٰٓى اَمْرًا فَاِنَّمَا يَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ١١٧

badīʿu
بَدِيعُ
ईजाद करने वाला है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन का
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
qaḍā
قَضَىٰٓ
वो फ़ैसला करता है
amran
أَمْرًا
किसी काम का
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yaqūlu
يَقُولُ
वो कहता है
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
kun
كُن
हो जा
fayakūnu
فَيَكُونُ
तो वो हो जाता है
वह आकाशों और धरती का प्रथमतः पैदा करनेवाला है। वह तो जब किसी काम का निर्णय करता है, तो उसके लिए बस कह देता है कि 'हो जा' और वह हो जाता है ([२] अल बकराह: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

وَقَالَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ لَوْلَا يُكَلِّمُنَا اللّٰهُ اَوْ تَأْتِيْنَآ اٰيَةٌ ۗ كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ مِّثْلَ قَوْلِهِمْ ۗ تَشَابَهَتْ قُلُوْبُهُمْ ۗ قَدْ بَيَّنَّا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يُّوْقِنُوْنَ ١١٨

waqāla
وَقَالَ
और कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जो
لَا
नहीं इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं इल्म रखते
lawlā
لَوْلَا
क्यों नहीं
yukallimunā
يُكَلِّمُنَا
कलाम करता हमसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
aw
أَوْ
या
tatīnā
تَأْتِينَآ
आती हमारे पास
āyatun
ءَايَةٌۗ
कोई निशानी
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
qāla
قَالَ
कहा था
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِم
उनसे पहले थे
mith'la
مِّثْلَ
मिसल/मानिन्द
qawlihim
قَوْلِهِمْۘ
उनकी बात के
tashābahat
تَشَٰبَهَتْ
मुशाबेह हो गए
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْۗ
दिल उनके
qad
قَدْ
तहक़ीक़
bayyannā
بَيَّنَّا
वाज़ेह कर दीं हमने
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yūqinūna
يُوقِنُونَ
जो यक़ीन रखते हैं
जिन्हें ज्ञान नहीं हैं, वे कहते है, 'अल्लाह हमसे बात क्यों नहीं करता? या कोई निशानी हमारे पास आ जाए।' इसी प्रकार इनसे पहले के लोग भी कह चुके है। इन सबके दिल एक जैसे है। हम खोल-खोलकर निशानियाँ उन लोगों के लिए बयान कर चुके है जो विश्वास करें ([२] अल बकराह: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

اِنَّآ اَرْسَلْنٰكَ بِالْحَقِّ بَشِيْرًا وَّنَذِيْرًاۙ وَّلَا تُسْـَٔلُ عَنْ اَصْحٰبِ الْجَحِيْمِ ١١٩

innā
إِنَّآ
बेशक हमने
arsalnāka
أَرْسَلْنَٰكَ
भेजा हमने आपको
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
bashīran
بَشِيرًا
ख़ुशख़बरी देने वाला
wanadhīran
وَنَذِيرًاۖ
और डराने वाला (बनाकर)
walā
وَلَا
और ना आपसे सवाल किया जाएगा
tus'alu
تُسْـَٔلُ
और ना आपसे सवाल किया जाएगा
ʿan
عَنْ
साथियों के बारे में
aṣḥābi
أَصْحَٰبِ
साथियों के बारे में
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
निश्चित रूप से हमने तुम्हें हक़ के साथ शुभ-सूचना देनेवाला और डरानेवाला बनाकर भेजा। भड़कती आग में पड़नेवालों के विषय में तुमसे कुछ न पूछा जाएगा ([२] अल बकराह: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

وَلَنْ تَرْضٰى عَنْكَ الْيَهُوْدُ وَلَا النَّصٰرٰى حَتّٰى تَتَّبِعَ مِلَّتَهُمْ ۗ قُلْ اِنَّ هُدَى اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰى ۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ بَعْدَ الَّذِيْ جَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ١٢٠

walan
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
tarḍā
تَرْضَىٰ
राज़ी होंगे
ʿanka
عَنكَ
आप से
l-yahūdu
ٱلْيَهُودُ
यहूद
walā
وَلَا
और ना
l-naṣārā
ٱلنَّصَٰرَىٰ
नसारा
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tattabiʿa
تَتَّبِعَ
आप पैरवी करें
millatahum
مِلَّتَهُمْۗ
उनके तरीक़े की
qul
قُلْ
कह दीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
hudā
هُدَى
हिदायत
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
huwa
هُوَ
वो ही
l-hudā
ٱلْهُدَىٰۗ
हिदायत है
wala-ini
وَلَئِنِ
और अलबत्ता अगर
ittabaʿta
ٱتَّبَعْتَ
पैरवी की आपने
ahwāahum
أَهْوَآءَهُم
उनकी ख़्वाहिशात की
baʿda
بَعْدَ
बाद उसके
alladhī
ٱلَّذِى
जो
jāaka
جَآءَكَ
आ गया आपके पास
mina
مِنَ
इल्म में से
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِۙ
इल्म में से
مَا
नहीं
laka
لَكَ
आपके लिए
mina
مِنَ
अल्लाह से (बचाने वाला)
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से (बचाने वाला)
min
مِن
कोई हिमायती
waliyyin
وَلِىٍّ
कोई हिमायती
walā
وَلَا
और ना
naṣīrin
نَصِيرٍ
कोई मददगार
न यहूदी तुमसे कभी राज़ी होनेवाले है और न ईसाई जब तक कि तुम अनके पंथ पर न चलने लग जाओ। कह दो, 'अल्लाह का मार्गदर्शन ही वास्तविक मार्गदर्शन है।' और यदि उस ज्ञान के पश्चात जो तुम्हारे पास आ चुका है, तुमने उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो अल्लाह से बचानेवाला न तो तुम्हारा कोई मित्र होगा और न सहायक ([२] अल बकराह: 120)
Tafseer (तफ़सीर )