وَقَالُوْا لَنْ يَّدْخُلَ الْجَنَّةَ اِلَّا مَنْ كَانَ هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰى ۗ تِلْكَ اَمَانِيُّهُمْ ۗ قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١١١
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yadkhula
- يَدْخُلَ
- दाख़िल होगा
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- वो जो
- kāna
- كَانَ
- हो
- hūdan
- هُودًا
- यहूदी
- aw
- أَوْ
- या
- naṣārā
- نَصَٰرَىٰۗ
- नस्रानी
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- amāniyyuhum
- أَمَانِيُّهُمْۗ
- तमन्नाऐं हैं उनकी
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- hātū
- هَاتُوا۟
- ले आओ
- bur'hānakum
- بُرْهَٰنَكُمْ
- दलील अपनी
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
और उनका कहना है, 'कोई व्यक्ति जन्नत में प्रवेश नहीं करता सिवाय उससे जो यहूदी है या ईसाई है।' ये उनकी अपनी निराधार कामनाएँ है। कहो, 'यदि तुम सच्चे हो तो अपने प्रमाण पेश करो।' ([२] अल बकराह: 111)Tafseer (तफ़सीर )
بَلٰى مَنْ اَسْلَمَ وَجْهَهٗ لِلّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ فَلَهٗٓ اَجْرُهٗ عِنْدَ رَبِّهٖۖ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ࣖ ١١٢
- balā
- بَلَىٰ
- हाँ (क्यों नहीं)
- man
- مَنْ
- जिसने
- aslama
- أَسْلَمَ
- सुपुर्द कर दिया
- wajhahu
- وَجْهَهُۥ
- चेहरा अपना
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- muḥ'sinun
- مُحْسِنٌ
- मोहसिन हो
- falahu
- فَلَهُۥٓ
- तो उसके लिए है
- ajruhu
- أَجْرُهُۥ
- अजर उसका
- ʿinda
- عِندَ
- पास
- rabbihi
- رَبِّهِۦ
- उसके रब के
- walā
- وَلَا
- और ना
- khawfun
- خَوْفٌ
- कोई ख़ौफ़ होगा
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yaḥzanūna
- يَحْزَنُونَ
- वो ग़मगीन होंगे
क्यों नहीं, जिसने भी अपने-आपको अल्लाह के प्रति समर्पित कर दिया और उसका कर्म भी अच्छे से अच्छा हो तो उसका प्रतिदान उसके रब के पास है और ऐसे लोगो के लिए न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे ([२] अल बकराह: 112)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَتِ الْيَهُوْدُ لَيْسَتِ النَّصٰرٰى عَلٰى شَيْءٍۖ وَّقَالَتِ النَّصٰرٰى لَيْسَتِ الْيَهُوْدُ عَلٰى شَيْءٍۙ وَّهُمْ يَتْلُوْنَ الْكِتٰبَۗ كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ مِثْلَ قَوْلِهِمْ ۚ فَاللّٰهُ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فِيْمَا كَانُوْا فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ١١٣
- waqālati
- وَقَالَتِ
- और कहा
- l-yahūdu
- ٱلْيَهُودُ
- यहूद ने
- laysati
- لَيْسَتِ
- नहीं हैं
- l-naṣārā
- ٱلنَّصَٰرَىٰ
- नसारा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी चीज़ पर
- shayin
- شَىْءٍ
- किसी चीज़ पर
- waqālati
- وَقَالَتِ
- और कहा
- l-naṣārā
- ٱلنَّصَٰرَىٰ
- नसारा ने
- laysati
- لَيْسَتِ
- नहीं हैं
- l-yahūdu
- ٱلْيَهُودُ
- यहूद
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी चीज़ पर
- shayin
- شَىْءٍ
- किसी चीज़ पर
- wahum
- وَهُمْ
- हालाँकि वो
- yatlūna
- يَتْلُونَ
- वो तिलावत करते हैं
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَۗ
- किताब की
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- qāla
- قَالَ
- कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जो
- lā
- لَا
- नहीं इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं इल्म रखते
- mith'la
- مِثْلَ
- मिसल/मानिन्द
- qawlihim
- قَوْلِهِمْۚ
- उनकी बात के
- fal-lahu
- فَٱللَّهُ
- तो अल्लाह
- yaḥkumu
- يَحْكُمُ
- फ़ैसला करेगा
- baynahum
- بَيْنَهُمْ
- दर्मियान उनके
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- fīmā
- فِيمَا
- उसमें जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- fīhi
- فِيهِ
- जिस में
- yakhtalifūna
- يَخْتَلِفُونَ
- वो इख़्तिलाफ़ करते
यहूदियों ने कहा, 'ईसाईयों की कोई बुनियाद नहीं।' और ईसाइयों ने कहा, 'यहूदियों की कोई बुनियाद नहीं।' हालाँकि वे किताब का पाठ करते है। इसी तरह की बात उन्होंने भी कही है जो ज्ञान से वंचित है। तो अल्लाह क़यामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के विषय में निर्णय कर देगा, जिसके विषय में वे विभेद कर रहे है ([२] अल बकराह: 113)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ مَّنَعَ مَسٰجِدَ اللّٰهِ اَنْ يُّذْكَرَ فِيْهَا اسْمُهٗ وَسَعٰى فِيْ خَرَابِهَاۗ اُولٰۤىِٕكَ مَا كَانَ لَهُمْ اَنْ يَّدْخُلُوْهَآ اِلَّا خَاۤىِٕفِيْنَ ەۗ لَهُمْ فِى الدُّنْيَا خِزْيٌ وَّلَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ١١٤
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- बड़ा ज़ालिम है
- mimman
- مِمَّن
- उससे जो
- manaʿa
- مَّنَعَ
- मना करे
- masājida
- مَسَٰجِدَ
- मस्जिदों से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- an
- أَن
- कि
- yudh'kara
- يُذْكَرَ
- ज़िक्र किया जाए
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- us'muhu
- ٱسْمُهُۥ
- नाम उसका
- wasaʿā
- وَسَعَىٰ
- और वो कोशिश करे
- fī
- فِى
- उनकी ख़राबी/वीरानी की
- kharābihā
- خَرَابِهَآۚ
- उनकी ख़राबी/वीरानी की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- mā
- مَا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- an
- أَن
- कि
- yadkhulūhā
- يَدْخُلُوهَآ
- वो दाख़िल हों उनमें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khāifīna
- خَآئِفِينَۚ
- डरते हुए
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- khiz'yun
- خِزْىٌ
- रुस्वाई है
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- fī
- فِى
- आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत में
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों को उसके नाम के स्मरण से वंचित रखा और उन्हें उजाडने पर उतारू रहा? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उनके लिए संसार में रुसवाई (अपमान) है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना नियत है ([२] अल बकराह: 114)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُ فَاَيْنَمَا تُوَلُّوْا فَثَمَّ وَجْهُ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ١١٥
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए हैं
- l-mashriqu
- ٱلْمَشْرِقُ
- मशरिक़
- wal-maghribu
- وَٱلْمَغْرِبُۚ
- और मग़रिब
- fa-aynamā
- فَأَيْنَمَا
- फिर जिस तरफ़
- tuwallū
- تُوَلُّوا۟
- तुम मुँह करोगे
- fathamma
- فَثَمَّ
- तो वहीं है
- wajhu
- وَجْهُ
- चेहरा
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह का
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- wāsiʿun
- وَٰسِعٌ
- वुसअत वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के है, अतः जिस ओर भी तुम रुख करो उसी ओर अल्लाह का रुख़ है। निस्संदेह अल्लाह बड़ा समाईवाला (सर्वव्यापी) सर्वज्ञ है ([२] अल बकराह: 115)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًا ۙسُبْحٰنَهٗ ۗ بَلْ لَّهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلٌّ لَّهٗ قَانِتُوْنَ ١١٦
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- ittakhadha
- ٱتَّخَذَ
- बना ली
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- waladan
- وَلَدًاۗ
- कोई औलाद
- sub'ḥānahu
- سُبْحَٰنَهُۥۖ
- पाक है वो
- bal
- بَل
- बल्कि
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन में है
- kullun
- كُلٌّ
- सब
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के
- qānitūna
- قَٰنِتُونَ
- फ़रमाबरदार हैं
कहते है, अल्लाह औलाद रखता है - महिमावाला है वह! (पूरब और पश्चिम हीं नहीं, बल्कि) आकाशों और धरती में जो कुछ भी है, उसी का है। सभी उसके आज्ञाकारी है ([२] अल बकराह: 116)Tafseer (तफ़सीर )
بَدِيْعُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَاِذَا قَضٰٓى اَمْرًا فَاِنَّمَا يَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ١١٧
- badīʿu
- بَدِيعُ
- ईजाद करने वाला है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन का
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qaḍā
- قَضَىٰٓ
- वो फ़ैसला करता है
- amran
- أَمْرًا
- किसी काम का
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yaqūlu
- يَقُولُ
- वो कहता है
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- kun
- كُن
- हो जा
- fayakūnu
- فَيَكُونُ
- तो वो हो जाता है
वह आकाशों और धरती का प्रथमतः पैदा करनेवाला है। वह तो जब किसी काम का निर्णय करता है, तो उसके लिए बस कह देता है कि 'हो जा' और वह हो जाता है ([२] अल बकराह: 117)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ لَوْلَا يُكَلِّمُنَا اللّٰهُ اَوْ تَأْتِيْنَآ اٰيَةٌ ۗ كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ مِّثْلَ قَوْلِهِمْ ۗ تَشَابَهَتْ قُلُوْبُهُمْ ۗ قَدْ بَيَّنَّا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يُّوْقِنُوْنَ ١١٨
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जो
- lā
- لَا
- नहीं इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं इल्म रखते
- lawlā
- لَوْلَا
- क्यों नहीं
- yukallimunā
- يُكَلِّمُنَا
- कलाम करता हमसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- aw
- أَوْ
- या
- tatīnā
- تَأْتِينَآ
- आती हमारे पास
- āyatun
- ءَايَةٌۗ
- कोई निशानी
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- qāla
- قَالَ
- कहा था
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जो
- min
- مِن
- उनसे पहले थे
- qablihim
- قَبْلِهِم
- उनसे पहले थे
- mith'la
- مِّثْلَ
- मिसल/मानिन्द
- qawlihim
- قَوْلِهِمْۘ
- उनकी बात के
- tashābahat
- تَشَٰبَهَتْ
- मुशाबेह हो गए
- qulūbuhum
- قُلُوبُهُمْۗ
- दिल उनके
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- bayyannā
- بَيَّنَّا
- वाज़ेह कर दीं हमने
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yūqinūna
- يُوقِنُونَ
- जो यक़ीन रखते हैं
जिन्हें ज्ञान नहीं हैं, वे कहते है, 'अल्लाह हमसे बात क्यों नहीं करता? या कोई निशानी हमारे पास आ जाए।' इसी प्रकार इनसे पहले के लोग भी कह चुके है। इन सबके दिल एक जैसे है। हम खोल-खोलकर निशानियाँ उन लोगों के लिए बयान कर चुके है जो विश्वास करें ([२] अल बकराह: 118)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّآ اَرْسَلْنٰكَ بِالْحَقِّ بَشِيْرًا وَّنَذِيْرًاۙ وَّلَا تُسْـَٔلُ عَنْ اَصْحٰبِ الْجَحِيْمِ ١١٩
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हमने
- arsalnāka
- أَرْسَلْنَٰكَ
- भेजा हमने आपको
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- bashīran
- بَشِيرًا
- ख़ुशख़बरी देने वाला
- wanadhīran
- وَنَذِيرًاۖ
- और डराने वाला (बनाकर)
- walā
- وَلَا
- और ना आपसे सवाल किया जाएगा
- tus'alu
- تُسْـَٔلُ
- और ना आपसे सवाल किया जाएगा
- ʿan
- عَنْ
- साथियों के बारे में
- aṣḥābi
- أَصْحَٰبِ
- साथियों के बारे में
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम के
निश्चित रूप से हमने तुम्हें हक़ के साथ शुभ-सूचना देनेवाला और डरानेवाला बनाकर भेजा। भड़कती आग में पड़नेवालों के विषय में तुमसे कुछ न पूछा जाएगा ([२] अल बकराह: 119)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَنْ تَرْضٰى عَنْكَ الْيَهُوْدُ وَلَا النَّصٰرٰى حَتّٰى تَتَّبِعَ مِلَّتَهُمْ ۗ قُلْ اِنَّ هُدَى اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰى ۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ بَعْدَ الَّذِيْ جَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ١٢٠
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ नहीं
- tarḍā
- تَرْضَىٰ
- राज़ी होंगे
- ʿanka
- عَنكَ
- आप से
- l-yahūdu
- ٱلْيَهُودُ
- यहूद
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-naṣārā
- ٱلنَّصَٰرَىٰ
- नसारा
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- tattabiʿa
- تَتَّبِعَ
- आप पैरवी करें
- millatahum
- مِلَّتَهُمْۗ
- उनके तरीक़े की
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hudā
- هُدَى
- हिदायत
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-hudā
- ٱلْهُدَىٰۗ
- हिदायत है
- wala-ini
- وَلَئِنِ
- और अलबत्ता अगर
- ittabaʿta
- ٱتَّبَعْتَ
- पैरवी की आपने
- ahwāahum
- أَهْوَآءَهُم
- उनकी ख़्वाहिशात की
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद उसके
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- jāaka
- جَآءَكَ
- आ गया आपके पास
- mina
- مِنَ
- इल्म में से
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِۙ
- इल्म में से
- mā
- مَا
- नहीं
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- mina
- مِنَ
- अल्लाह से (बचाने वाला)
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से (बचाने वाला)
- min
- مِن
- कोई हिमायती
- waliyyin
- وَلِىٍّ
- कोई हिमायती
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīrin
- نَصِيرٍ
- कोई मददगार
न यहूदी तुमसे कभी राज़ी होनेवाले है और न ईसाई जब तक कि तुम अनके पंथ पर न चलने लग जाओ। कह दो, 'अल्लाह का मार्गदर्शन ही वास्तविक मार्गदर्शन है।' और यदि उस ज्ञान के पश्चात जो तुम्हारे पास आ चुका है, तुमने उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो अल्लाह से बचानेवाला न तो तुम्हारा कोई मित्र होगा और न सहायक ([२] अल बकराह: 120)Tafseer (तफ़सीर )