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सूरा अल बकराह - Page: 11

Al-Baqarah

(गाय)

१०१

وَلَمَّا جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْ نَبَذَ فَرِيْقٌ مِّنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَۙ كِتٰبَ اللّٰهِ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِهِمْ كَاَنَّهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَۖ ١٠١

walammā
وَلَمَّا
और जब
jāahum
جَآءَهُمْ
आ गया उनके पास
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल
min
مِّنْ
अल्लाह के पास से
ʿindi
عِندِ
अल्लाह के पास से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के पास से
muṣaddiqun
مُصَدِّقٌ
तस्दीक़ करने वाला
limā
لِّمَا
उसकी जो
maʿahum
مَعَهُمْ
पास है उनके
nabadha
نَبَذَ
फेंक दिया
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह ने
mina
مِّنَ
उन लोगों में से
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में से
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
kitāba
كِتَٰبَ
अल्लाह की किताब को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की किताब को
warāa
وَرَآءَ
पीछे
ẓuhūrihim
ظُهُورِهِمْ
अपनी पुश्तों के
ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
और जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक रसूल आया, जिससे उस (भविष्यवाणी) की पुष्टि हो रही है जो उनके पास थी, तो उनके एक गिरोह ने, जिन्हें किताब मिली थी, अल्लाह की किताब को अपने पीठ पीछे डाल दिया, मानो वे कुछ जानते ही नही ([२] अल बकराह: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

وَاتَّبَعُوْا مَا تَتْلُوا الشَّيٰطِيْنُ عَلٰى مُلْكِ سُلَيْمٰنَ ۚ وَمَا كَفَرَ سُلَيْمٰنُ وَلٰكِنَّ الشَّيٰطِيْنَ كَفَرُوْا يُعَلِّمُوْنَ النَّاسَ السِّحْرَ وَمَآ اُنْزِلَ عَلَى الْمَلَكَيْنِ بِبَابِلَ هَارُوْتَ وَمَارُوْتَ ۗ وَمَا يُعَلِّمٰنِ مِنْ اَحَدٍ حَتّٰى يَقُوْلَآ اِنَّمَا نَحْنُ فِتْنَةٌ فَلَا تَكْفُرْ ۗ فَيَتَعَلَّمُوْنَ مِنْهُمَا مَا يُفَرِّقُوْنَ بِهٖ بَيْنَ الْمَرْءِ وَزَوْجِهٖ ۗ وَمَا هُمْ بِضَاۤرِّيْنَ بِهٖ مِنْ اَحَدٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗ وَيَتَعَلَّمُوْنَ مَا يَضُرُّهُمْ وَلَا يَنْفَعُهُمْ ۗ وَلَقَدْ عَلِمُوْا لَمَنِ اشْتَرٰىهُ مَا لَهٗ فِى الْاٰخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ ۗ وَلَبِئْسَ مَاشَرَوْا بِهٖٓ اَنْفُسَهُمْ ۗ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ١٠٢

wa-ittabaʿū
وَٱتَّبَعُوا۟
और उन्होंने पैरवी की
مَا
उसकी जो
tatlū
تَتْلُوا۟
पढ़ते थे
l-shayāṭīnu
ٱلشَّيَٰطِينُ
शयातीन
ʿalā
عَلَىٰ
बादशाहत पर (लगा कर)
mul'ki
مُلْكِ
बादशाहत पर (लगा कर)
sulaymāna
سُلَيْمَٰنَۖ
सुलेमान की
wamā
وَمَا
और नहीं
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र किया था
sulaymānu
سُلَيْمَٰنُ
सुलेमान ने
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-shayāṭīna
ٱلشَّيَٰطِينَ
शयातीन ने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
yuʿallimūna
يُعَلِّمُونَ
वो सिखाते थे
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
l-siḥ'ra
ٱلسِّحْرَ
जादू
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया था
ʿalā
عَلَى
ऊपर
l-malakayni
ٱلْمَلَكَيْنِ
दो फ़रिश्तों के
bibābila
بِبَابِلَ
बाबिल में
hārūta
هَٰرُوتَ
हारूत
wamārūta
وَمَٰرُوتَۚ
और मारूत के
wamā
وَمَا
और नहीं
yuʿallimāni
يُعَلِّمَانِ
वो दोनों सिखाते थे
min
مِنْ
किसी एक को
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक को
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yaqūlā
يَقُولَآ
वो दोनों कहते
innamā
إِنَّمَا
बेशक
naḥnu
نَحْنُ
हम तो
fit'natun
فِتْنَةٌ
एक फ़ितना हैं
falā
فَلَا
पस ना
takfur
تَكْفُرْۖ
तुम कुफ़्र करो
fayataʿallamūna
فَيَتَعَلَّمُونَ
पस वो सीखते थे
min'humā
مِنْهُمَا
उन दोनों से
مَا
जो
yufarriqūna
يُفَرِّقُونَ
वो जुदाई डालते थे
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-mari
ٱلْمَرْءِ
मर्द
wazawjihi
وَزَوْجِهِۦۚ
और उसकी बीवी के
wamā
وَمَا
और नहीं थे
hum
هُم
वो
biḍārrīna
بِضَآرِّينَ
ज़रर पहुँचाने वाले
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
min
مِنْ
किसी एक को
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक को
illā
إِلَّا
मगर
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के इज़्न से
wayataʿallamūna
وَيَتَعَلَّمُونَ
और वो सीखते थे
مَا
जो
yaḍurruhum
يَضُرُّهُمْ
नुक़सान देता उन्हें
walā
وَلَا
और ना
yanfaʿuhum
يَنفَعُهُمْۚ
वो नफ़ा देता उन्हें
walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ʿalimū
عَلِمُوا۟
वो जानते थे
lamani
لَمَنِ
अलबत्ता जिसने
ish'tarāhu
ٱشْتَرَىٰهُ
ख़रीदा उसे
مَا
नहीं है
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
min
مِنْ
कोई हिस्सा
khalāqin
خَلَٰقٍۚ
कोई हिस्सा
walabi'sa
وَلَبِئْسَ
और अलबत्ता कितना बुरा है
مَا
जो
sharaw
شَرَوْا۟
उन्होंने बेच डाला
bihi
بِهِۦٓ
बदले उसके
anfusahum
أَنفُسَهُمْۚ
अपनी जानों को
law
لَوْ
काश
kānū
كَانُوا۟
होते वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जानते
और जो वे उस चीज़ के पीछे पड़ गए जिसे शैतान सुलैमान की बादशाही पर थोपकर पढ़ते थे - हालाँकि सुलैमान ने कोई कुफ़्र नहीं किया था, बल्कि कुफ़्र तो शैतानों ने किया था; वे लोगों को जादू सिखाते थे - और उस चीज़ में पड़ गए जो बाबिल में दोनों फ़रिश्तों हारूत और मारूत पर उतारी गई थी। और वे किसी को भी सिखाते न थे जब तक कि कह न देते, 'हम तो बस एक परीक्षा है; तो तुम कुफ़्र में न पड़ना।' तो लोग उन दोनों से वह कुछ सीखते है, जिसके द्वारा पति और पत्नी में अलगाव पैदा कर दे - यद्यपि वे उससे किसी को भी हानि नहीं पहुँचा सकते थे। हाँ, यह और बात है कि अल्लाह के हुक्म से किसी को हानि पहुँचनेवाली ही हो - और वह कुछ सीखते है जो उन्हें हानि ही पहुँचाए और उन्हें कोई लाभ न पहुँचाए। और उन्हें भली-भाँति मालूम है कि जो उसका ग्राहक बना, उसका आखिरत में कोई हिस्सा नहीं। कितनी बुरी चीज़ के बदले उन्होंने प्राणों का सौदा किया, यदि वे जानते (तो ठीक मार्ग अपनाते) ([२] अल बकराह: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

وَلَوْ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَمَثُوْبَةٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ خَيْرٌ ۗ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ١٠٣

walaw
وَلَوْ
और अगर
annahum
أَنَّهُمْ
बेशक वो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाते
wa-ittaqaw
وَٱتَّقَوْا۟
और तक़वा इख़्तियार करते
lamathūbatun
لَمَثُوبَةٌ
अलबत्ता सवाब पाते
min
مِّنْ
अल्लाह के पास से
ʿindi
عِندِ
अल्लाह के पास से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के पास से
khayrun
خَيْرٌۖ
बेहतर
law
لَّوْ
काश
kānū
كَانُوا۟
होते वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जानते
और यदि वे ईमान लाते और डर रखते, तो अल्लाह के यहाँ से मिलनेवाला बदला कहीं अच्छा था, यदि वे जानते (तो इसे समझ सकते) ([२] अल बकराह: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقُوْلُوْا رَاعِنَا وَقُوْلُوا انْظُرْنَا وَاسْمَعُوْا وَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٠٤

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम कहो
taqūlū
تَقُولُوا۟
ना तुम कहो
rāʿinā
رَٰعِنَا
राइना/रिआयत कीजिए हमारी
waqūlū
وَقُولُوا۟
बल्कि कहो
unẓur'nā
ٱنظُرْنَا
उन्ज़ुरना/नज़र कीजिए हमारी तरफ़
wa-is'maʿū
وَٱسْمَعُوا۟ۗ
और सुना करो
walil'kāfirīna
وَلِلْكَٰفِرِينَ
और काफ़िरों के लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
ऐ ईमान लानेवालो! 'राइना' न कहा करो, बल्कि 'उनज़ुरना' कहा और सुना करो। और इनकार करनेवालों के लिए दुखद यातना है ([२] अल बकराह: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

مَا يَوَدُّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَلَا الْمُشْرِكِيْنَ اَنْ يُّنَزَّلَ عَلَيْكُمْ مِّنْ خَيْرٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ ۗ وَاللّٰهُ يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ١٠٥

مَّا
नहीं
yawaddu
يَوَدُّ
चाहते
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min
مِنْ
अहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
अहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
walā
وَلَا
और ना
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन
an
أَن
कि
yunazzala
يُنَزَّلَ
नाज़िल की जाए
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
min
مِّنْ
कोई ख़ैर
khayrin
خَيْرٍ
कोई ख़ैर
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْۗ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yakhtaṣṣu
يَخْتَصُّ
वो ख़ास कर लेता है
biraḥmatihi
بِرَحْمَتِهِۦ
साथ अपनी रहमत के
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
dhū
ذُو
फ़ज़ल वाला है
l-faḍli
ٱلْفَضْلِ
फ़ज़ल वाला है
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़े
इनकार करनेवाले नहीं चाहते, न किताबवाले और न मुशरिक (बहुदेववादी) कि तुम्हारे रब की ओर से तुमपर कोई भलाई उतरे, हालाँकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता के लिए ख़ास कर ले; अल्लाह बड़ा अनुग्रह करनेवाला है ([२] अल बकराह: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

۞ مَا نَنْسَخْ مِنْ اٰيَةٍ اَوْ نُنْسِهَا نَأْتِ بِخَيْرٍ مِّنْهَآ اَوْ مِثْلِهَا ۗ اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٠٦

مَا
जो भी
nansakh
نَنسَخْ
हम मनसूख़ करते हैं
min
مِنْ
कोई आयत
āyatin
ءَايَةٍ
कोई आयत
aw
أَوْ
या
nunsihā
نُنسِهَا
हम भुलवा देते हैं उसे
nati
نَأْتِ
हम ले आते हैं
bikhayrin
بِخَيْرٍ
बेहतर
min'hā
مِّنْهَآ
उससे
aw
أَوْ
या
mith'lihā
مِثْلِهَآۗ
उस जैसी
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
taʿlam
تَعْلَمْ
आपने जाना
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
बहुत क़ुदरत रखने वाला है
हम जिस आयत (और निशान) को भी मिटा दें या उसे भुला देते है, तो उससे बेहतर लाते है या उस जैसा दूसरा ही। क्या तुम नहीं जानते हो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है? ([२] अल बकराह: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۗ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ١٠٧

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
taʿlam
تَعْلَمْ
आपने जाना
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۗ
और ज़मीन की
wamā
وَمَا
और नहीं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
min
مِن
कोई दोस्त
waliyyin
وَلِىٍّ
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīrin
نَصِيرٍ
कोई मददगार
क्या तुम नहीं जानते कि आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है और अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक? ([२] अल बकराह: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

اَمْ تُرِيْدُوْنَ اَنْ تَسْـَٔلُوْا رَسُوْلَكُمْ كَمَا سُىِٕلَ مُوْسٰى مِنْ قَبْلُ ۗوَمَنْ يَّتَبَدَّلِ الْكُفْرَ بِالْاِيْمَانِ فَقَدْ ضَلَّ سَوَاۤءَ السَّبِيْلِ ١٠٨

am
أَمْ
क्या
turīdūna
تُرِيدُونَ
तुम चाहते हो
an
أَن
कि
tasalū
تَسْـَٔلُوا۟
तुम सवाल करो
rasūlakum
رَسُولَكُمْ
अपने रसूल से
kamā
كَمَا
जैसा कि
su-ila
سُئِلَ
सवाल किए गए
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा
min
مِن
इससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُۗ
इससे क़ब्ल
waman
وَمَن
और जो कोई
yatabaddali
يَتَبَدَّلِ
बदले में लेगा
l-kuf'ra
ٱلْكُفْرَ
कुफ़्र को
bil-īmāni
بِٱلْإِيمَٰنِ
ईमान के
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
ḍalla
ضَلَّ
वो भटक गया
sawāa
سَوَآءَ
सीधे
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
रास्ते से
(ऐ ईमानवालों! तुम अपने रसूल के आदर का ध्यान रखो) या तुम चाहते हो कि अपने रसूल से उसी प्रकार से प्रश्न और बात करो, जिस प्रकार इससे पहले मूसा से बात की गई है? हालाँकि जिस व्यक्ति न ईमान के बदले इनकार की नीति अपनाई, तो वह सीधे रास्ते से भटक गया ([२] अल बकराह: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

وَدَّ كَثِيْرٌ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَوْ يَرُدُّوْنَكُمْ مِّنْۢ بَعْدِ اِيْمَانِكُمْ كُفَّارًاۚ حَسَدًا مِّنْ عِنْدِ اَنْفُسِهِمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ الْحَقُّ ۚ فَاعْفُوْا وَاصْفَحُوْا حَتّٰى يَأْتِيَ اللّٰهُ بِاَمْرِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٠٩

wadda
وَدَّ
चाहते हैं
kathīrun
كَثِيرٌ
बहुत से
min
مِّنْ
अहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
अहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
law
لَوْ
काश
yaruddūnakum
يَرُدُّونَكُم
वो फेर दें तुम्हें
min
مِّنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
īmānikum
إِيمَٰنِكُمْ
तुम्हारे ईमान के
kuffāran
كُفَّارًا
काफ़िर बना कर
ḥasadan
حَسَدًا
हसद की बिना पर
min
مِّنْ
पास से
ʿindi
عِندِ
पास से
anfusihim
أَنفُسِهِم
अपने नफ़्सों के
min
مِّنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
مَا
जो
tabayyana
تَبَيَّنَ
वाज़ेह हो गया
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۖ
हक़
fa-iʿ'fū
فَٱعْفُوا۟
पस माफ़ कर दो
wa-iṣ'faḥū
وَٱصْفَحُوا۟
और दरगुज़र करो
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatiya
يَأْتِىَ
ले आए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bi-amrihi
بِأَمْرِهِۦٓۗ
हुक्म अपना
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
बहुत क़ुदरत रखने वाला है
बहुत-से किताबवाले अपने भीतर की ईर्ष्या से चाहते है कि किसी प्रकार वे तुम्हारे ईमान लाने के बाद फेरकर तुम्हे इनकार कर देनेवाला बना दें, यद्यपि सत्य उनपर प्रकट हो चुका है, तो तुम दरगुज़र (क्षमा) से काम लो और जाने दो यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला लागू न कर दे। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२] अल बकराह: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

وَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ ۗ وَمَا تُقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ مِّنْ خَيْرٍ تَجِدُوْهُ عِنْدَ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ١١٠

wa-aqīmū
وَأَقِيمُوا۟
और क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātū
وَءَاتُوا۟
और अदा करो
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَۚ
ज़कात
wamā
وَمَا
और जो भी
tuqaddimū
تُقَدِّمُوا۟
तुम आगे भेजोगे
li-anfusikum
لِأَنفُسِكُم
अपने नफ़्सों के लिए
min
مِّنْ
कोई ख़ैर
khayrin
خَيْرٍ
कोई ख़ैर
tajidūhu
تَجِدُوهُ
तुम पाओगे उसे
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के पास
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के पास
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bimā
بِمَا
उसको जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
और नमाज़ कायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है ([२] अल बकराह: 110)
Tafseer (तफ़सीर )