وَلَمَّا جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْ نَبَذَ فَرِيْقٌ مِّنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَۙ كِتٰبَ اللّٰهِ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِهِمْ كَاَنَّهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَۖ ١٠١
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- jāahum
- جَآءَهُمْ
- आ गया उनके पास
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल
- min
- مِّنْ
- अल्लाह के पास से
- ʿindi
- عِندِ
- अल्लाह के पास से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के पास से
- muṣaddiqun
- مُصَدِّقٌ
- तस्दीक़ करने वाला
- limā
- لِّمَا
- उसकी जो
- maʿahum
- مَعَهُمْ
- पास है उनके
- nabadha
- نَبَذَ
- फेंक दिया
- farīqun
- فَرِيقٌ
- एक गिरोह ने
- mina
- مِّنَ
- उन लोगों में से
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों में से
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- kitāba
- كِتَٰبَ
- अल्लाह की किताब को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की किताब को
- warāa
- وَرَآءَ
- पीछे
- ẓuhūrihim
- ظُهُورِهِمْ
- अपनी पुश्तों के
- ka-annahum
- كَأَنَّهُمْ
- गोया कि वो
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
और जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक रसूल आया, जिससे उस (भविष्यवाणी) की पुष्टि हो रही है जो उनके पास थी, तो उनके एक गिरोह ने, जिन्हें किताब मिली थी, अल्लाह की किताब को अपने पीठ पीछे डाल दिया, मानो वे कुछ जानते ही नही ([२] अल बकराह: 101)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّبَعُوْا مَا تَتْلُوا الشَّيٰطِيْنُ عَلٰى مُلْكِ سُلَيْمٰنَ ۚ وَمَا كَفَرَ سُلَيْمٰنُ وَلٰكِنَّ الشَّيٰطِيْنَ كَفَرُوْا يُعَلِّمُوْنَ النَّاسَ السِّحْرَ وَمَآ اُنْزِلَ عَلَى الْمَلَكَيْنِ بِبَابِلَ هَارُوْتَ وَمَارُوْتَ ۗ وَمَا يُعَلِّمٰنِ مِنْ اَحَدٍ حَتّٰى يَقُوْلَآ اِنَّمَا نَحْنُ فِتْنَةٌ فَلَا تَكْفُرْ ۗ فَيَتَعَلَّمُوْنَ مِنْهُمَا مَا يُفَرِّقُوْنَ بِهٖ بَيْنَ الْمَرْءِ وَزَوْجِهٖ ۗ وَمَا هُمْ بِضَاۤرِّيْنَ بِهٖ مِنْ اَحَدٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗ وَيَتَعَلَّمُوْنَ مَا يَضُرُّهُمْ وَلَا يَنْفَعُهُمْ ۗ وَلَقَدْ عَلِمُوْا لَمَنِ اشْتَرٰىهُ مَا لَهٗ فِى الْاٰخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ ۗ وَلَبِئْسَ مَاشَرَوْا بِهٖٓ اَنْفُسَهُمْ ۗ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ١٠٢
- wa-ittabaʿū
- وَٱتَّبَعُوا۟
- और उन्होंने पैरवी की
- mā
- مَا
- उसकी जो
- tatlū
- تَتْلُوا۟
- पढ़ते थे
- l-shayāṭīnu
- ٱلشَّيَٰطِينُ
- शयातीन
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बादशाहत पर (लगा कर)
- mul'ki
- مُلْكِ
- बादशाहत पर (लगा कर)
- sulaymāna
- سُلَيْمَٰنَۖ
- सुलेमान की
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया था
- sulaymānu
- سُلَيْمَٰنُ
- सुलेमान ने
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-shayāṭīna
- ٱلشَّيَٰطِينَ
- शयातीन ने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yuʿallimūna
- يُعَلِّمُونَ
- वो सिखाते थे
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- l-siḥ'ra
- ٱلسِّحْرَ
- जादू
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया था
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर
- l-malakayni
- ٱلْمَلَكَيْنِ
- दो फ़रिश्तों के
- bibābila
- بِبَابِلَ
- बाबिल में
- hārūta
- هَٰرُوتَ
- हारूत
- wamārūta
- وَمَٰرُوتَۚ
- और मारूत के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yuʿallimāni
- يُعَلِّمَانِ
- वो दोनों सिखाते थे
- min
- مِنْ
- किसी एक को
- aḥadin
- أَحَدٍ
- किसी एक को
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yaqūlā
- يَقُولَآ
- वो दोनों कहते
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम तो
- fit'natun
- فِتْنَةٌ
- एक फ़ितना हैं
- falā
- فَلَا
- पस ना
- takfur
- تَكْفُرْۖ
- तुम कुफ़्र करो
- fayataʿallamūna
- فَيَتَعَلَّمُونَ
- पस वो सीखते थे
- min'humā
- مِنْهُمَا
- उन दोनों से
- mā
- مَا
- जो
- yufarriqūna
- يُفَرِّقُونَ
- वो जुदाई डालते थे
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-mari
- ٱلْمَرْءِ
- मर्द
- wazawjihi
- وَزَوْجِهِۦۚ
- और उसकी बीवी के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं थे
- hum
- هُم
- वो
- biḍārrīna
- بِضَآرِّينَ
- ज़रर पहुँचाने वाले
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- min
- مِنْ
- किसी एक को
- aḥadin
- أَحَدٍ
- किसी एक को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न से
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के इज़्न से
- wayataʿallamūna
- وَيَتَعَلَّمُونَ
- और वो सीखते थे
- mā
- مَا
- जो
- yaḍurruhum
- يَضُرُّهُمْ
- नुक़सान देता उन्हें
- walā
- وَلَا
- और ना
- yanfaʿuhum
- يَنفَعُهُمْۚ
- वो नफ़ा देता उन्हें
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ʿalimū
- عَلِمُوا۟
- वो जानते थे
- lamani
- لَمَنِ
- अलबत्ता जिसने
- ish'tarāhu
- ٱشْتَرَىٰهُ
- ख़रीदा उसे
- mā
- مَا
- नहीं है
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- fī
- فِى
- आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत में
- min
- مِنْ
- कोई हिस्सा
- khalāqin
- خَلَٰقٍۚ
- कोई हिस्सा
- walabi'sa
- وَلَبِئْسَ
- और अलबत्ता कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- sharaw
- شَرَوْا۟
- उन्होंने बेच डाला
- bihi
- بِهِۦٓ
- बदले उसके
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْۚ
- अपनी जानों को
- law
- لَوْ
- काश
- kānū
- كَانُوا۟
- होते वो
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जानते
और जो वे उस चीज़ के पीछे पड़ गए जिसे शैतान सुलैमान की बादशाही पर थोपकर पढ़ते थे - हालाँकि सुलैमान ने कोई कुफ़्र नहीं किया था, बल्कि कुफ़्र तो शैतानों ने किया था; वे लोगों को जादू सिखाते थे - और उस चीज़ में पड़ गए जो बाबिल में दोनों फ़रिश्तों हारूत और मारूत पर उतारी गई थी। और वे किसी को भी सिखाते न थे जब तक कि कह न देते, 'हम तो बस एक परीक्षा है; तो तुम कुफ़्र में न पड़ना।' तो लोग उन दोनों से वह कुछ सीखते है, जिसके द्वारा पति और पत्नी में अलगाव पैदा कर दे - यद्यपि वे उससे किसी को भी हानि नहीं पहुँचा सकते थे। हाँ, यह और बात है कि अल्लाह के हुक्म से किसी को हानि पहुँचनेवाली ही हो - और वह कुछ सीखते है जो उन्हें हानि ही पहुँचाए और उन्हें कोई लाभ न पहुँचाए। और उन्हें भली-भाँति मालूम है कि जो उसका ग्राहक बना, उसका आखिरत में कोई हिस्सा नहीं। कितनी बुरी चीज़ के बदले उन्होंने प्राणों का सौदा किया, यदि वे जानते (तो ठीक मार्ग अपनाते) ([२] अल बकराह: 102)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَمَثُوْبَةٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ خَيْرٌ ۗ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ١٠٣
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- annahum
- أَنَّهُمْ
- बेशक वो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाते
- wa-ittaqaw
- وَٱتَّقَوْا۟
- और तक़वा इख़्तियार करते
- lamathūbatun
- لَمَثُوبَةٌ
- अलबत्ता सवाब पाते
- min
- مِّنْ
- अल्लाह के पास से
- ʿindi
- عِندِ
- अल्लाह के पास से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के पास से
- khayrun
- خَيْرٌۖ
- बेहतर
- law
- لَّوْ
- काश
- kānū
- كَانُوا۟
- होते वो
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जानते
और यदि वे ईमान लाते और डर रखते, तो अल्लाह के यहाँ से मिलनेवाला बदला कहीं अच्छा था, यदि वे जानते (तो इसे समझ सकते) ([२] अल बकराह: 103)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقُوْلُوْا رَاعِنَا وَقُوْلُوا انْظُرْنَا وَاسْمَعُوْا وَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٠٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम कहो
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- ना तुम कहो
- rāʿinā
- رَٰعِنَا
- राइना/रिआयत कीजिए हमारी
- waqūlū
- وَقُولُوا۟
- बल्कि कहो
- unẓur'nā
- ٱنظُرْنَا
- उन्ज़ुरना/नज़र कीजिए हमारी तरफ़
- wa-is'maʿū
- وَٱسْمَعُوا۟ۗ
- और सुना करो
- walil'kāfirīna
- وَلِلْكَٰفِرِينَ
- और काफ़िरों के लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
ऐ ईमान लानेवालो! 'राइना' न कहा करो, बल्कि 'उनज़ुरना' कहा और सुना करो। और इनकार करनेवालों के लिए दुखद यातना है ([२] अल बकराह: 104)Tafseer (तफ़सीर )
مَا يَوَدُّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَلَا الْمُشْرِكِيْنَ اَنْ يُّنَزَّلَ عَلَيْكُمْ مِّنْ خَيْرٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ ۗ وَاللّٰهُ يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ١٠٥
- mā
- مَّا
- नहीं
- yawaddu
- يَوَدُّ
- चाहते
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِنْ
- अहले किताब में से
- ahli
- أَهْلِ
- अहले किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- अहले किताब में से
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन
- an
- أَن
- कि
- yunazzala
- يُنَزَّلَ
- नाज़िल की जाए
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- min
- مِّنْ
- कोई ख़ैर
- khayrin
- خَيْرٍ
- कोई ख़ैर
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْۗ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yakhtaṣṣu
- يَخْتَصُّ
- वो ख़ास कर लेता है
- biraḥmatihi
- بِرَحْمَتِهِۦ
- साथ अपनी रहमत के
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- dhū
- ذُو
- फ़ज़ल वाला है
- l-faḍli
- ٱلْفَضْلِ
- फ़ज़ल वाला है
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- बहुत बड़े
इनकार करनेवाले नहीं चाहते, न किताबवाले और न मुशरिक (बहुदेववादी) कि तुम्हारे रब की ओर से तुमपर कोई भलाई उतरे, हालाँकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता के लिए ख़ास कर ले; अल्लाह बड़ा अनुग्रह करनेवाला है ([२] अल बकराह: 105)Tafseer (तफ़सीर )
۞ مَا نَنْسَخْ مِنْ اٰيَةٍ اَوْ نُنْسِهَا نَأْتِ بِخَيْرٍ مِّنْهَآ اَوْ مِثْلِهَا ۗ اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٠٦
- mā
- مَا
- जो भी
- nansakh
- نَنسَخْ
- हम मनसूख़ करते हैं
- min
- مِنْ
- कोई आयत
- āyatin
- ءَايَةٍ
- कोई आयत
- aw
- أَوْ
- या
- nunsihā
- نُنسِهَا
- हम भुलवा देते हैं उसे
- nati
- نَأْتِ
- हम ले आते हैं
- bikhayrin
- بِخَيْرٍ
- बेहतर
- min'hā
- مِّنْهَآ
- उससे
- aw
- أَوْ
- या
- mith'lihā
- مِثْلِهَآۗ
- उस जैसी
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- taʿlam
- تَعْلَمْ
- आपने जाना
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- बहुत क़ुदरत रखने वाला है
हम जिस आयत (और निशान) को भी मिटा दें या उसे भुला देते है, तो उससे बेहतर लाते है या उस जैसा दूसरा ही। क्या तुम नहीं जानते हो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है? ([२] अल बकराह: 106)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۗ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ١٠٧
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- taʿlam
- تَعْلَمْ
- आपने जाना
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۗ
- और ज़मीन की
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- min
- مِن
- कोई दोस्त
- waliyyin
- وَلِىٍّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīrin
- نَصِيرٍ
- कोई मददगार
क्या तुम नहीं जानते कि आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है और अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक? ([२] अल बकराह: 107)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ تُرِيْدُوْنَ اَنْ تَسْـَٔلُوْا رَسُوْلَكُمْ كَمَا سُىِٕلَ مُوْسٰى مِنْ قَبْلُ ۗوَمَنْ يَّتَبَدَّلِ الْكُفْرَ بِالْاِيْمَانِ فَقَدْ ضَلَّ سَوَاۤءَ السَّبِيْلِ ١٠٨
- am
- أَمْ
- क्या
- turīdūna
- تُرِيدُونَ
- तुम चाहते हो
- an
- أَن
- कि
- tasalū
- تَسْـَٔلُوا۟
- तुम सवाल करो
- rasūlakum
- رَسُولَكُمْ
- अपने रसूल से
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- su-ila
- سُئِلَ
- सवाल किए गए
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा
- min
- مِن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُۗ
- इससे क़ब्ल
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yatabaddali
- يَتَبَدَّلِ
- बदले में लेगा
- l-kuf'ra
- ٱلْكُفْرَ
- कुफ़्र को
- bil-īmāni
- بِٱلْإِيمَٰنِ
- ईमान के
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ḍalla
- ضَلَّ
- वो भटक गया
- sawāa
- سَوَآءَ
- सीधे
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- रास्ते से
(ऐ ईमानवालों! तुम अपने रसूल के आदर का ध्यान रखो) या तुम चाहते हो कि अपने रसूल से उसी प्रकार से प्रश्न और बात करो, जिस प्रकार इससे पहले मूसा से बात की गई है? हालाँकि जिस व्यक्ति न ईमान के बदले इनकार की नीति अपनाई, तो वह सीधे रास्ते से भटक गया ([२] अल बकराह: 108)Tafseer (तफ़सीर )
وَدَّ كَثِيْرٌ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَوْ يَرُدُّوْنَكُمْ مِّنْۢ بَعْدِ اِيْمَانِكُمْ كُفَّارًاۚ حَسَدًا مِّنْ عِنْدِ اَنْفُسِهِمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ الْحَقُّ ۚ فَاعْفُوْا وَاصْفَحُوْا حَتّٰى يَأْتِيَ اللّٰهُ بِاَمْرِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٠٩
- wadda
- وَدَّ
- चाहते हैं
- kathīrun
- كَثِيرٌ
- बहुत से
- min
- مِّنْ
- अहले किताब में से
- ahli
- أَهْلِ
- अहले किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- अहले किताब में से
- law
- لَوْ
- काश
- yaruddūnakum
- يَرُدُّونَكُم
- वो फेर दें तुम्हें
- min
- مِّنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- īmānikum
- إِيمَٰنِكُمْ
- तुम्हारे ईमान के
- kuffāran
- كُفَّارًا
- काफ़िर बना कर
- ḥasadan
- حَسَدًا
- हसद की बिना पर
- min
- مِّنْ
- पास से
- ʿindi
- عِندِ
- पास से
- anfusihim
- أَنفُسِهِم
- अपने नफ़्सों के
- min
- مِّنۢ
- बाद उसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद उसके
- mā
- مَا
- जो
- tabayyana
- تَبَيَّنَ
- वाज़ेह हो गया
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّۖ
- हक़
- fa-iʿ'fū
- فَٱعْفُوا۟
- पस माफ़ कर दो
- wa-iṣ'faḥū
- وَٱصْفَحُوا۟
- और दरगुज़र करो
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yatiya
- يَأْتِىَ
- ले आए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bi-amrihi
- بِأَمْرِهِۦٓۗ
- हुक्म अपना
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- बहुत क़ुदरत रखने वाला है
बहुत-से किताबवाले अपने भीतर की ईर्ष्या से चाहते है कि किसी प्रकार वे तुम्हारे ईमान लाने के बाद फेरकर तुम्हे इनकार कर देनेवाला बना दें, यद्यपि सत्य उनपर प्रकट हो चुका है, तो तुम दरगुज़र (क्षमा) से काम लो और जाने दो यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला लागू न कर दे। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२] अल बकराह: 109)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ ۗ وَمَا تُقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ مِّنْ خَيْرٍ تَجِدُوْهُ عِنْدَ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ١١٠
- wa-aqīmū
- وَأَقِيمُوا۟
- और क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātū
- وَءَاتُوا۟
- और अदा करो
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَۚ
- ज़कात
- wamā
- وَمَا
- और जो भी
- tuqaddimū
- تُقَدِّمُوا۟
- तुम आगे भेजोगे
- li-anfusikum
- لِأَنفُسِكُم
- अपने नफ़्सों के लिए
- min
- مِّنْ
- कोई ख़ैर
- khayrin
- خَيْرٍ
- कोई ख़ैर
- tajidūhu
- تَجِدُوهُ
- तुम पाओगे उसे
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के पास
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के पास
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसको जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
और नमाज़ कायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है ([२] अल बकराह: 110)Tafseer (तफ़सीर )