ذٰلِكَ الْكِتٰبُ لَا رَيْبَ ۛ فِيْهِ ۛ هُدًى لِّلْمُتَّقِيْنَۙ ٢
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- l-kitābu
- ٱلْكِتَٰبُ
- किताब
- lā
- لَا
- नहीं
- rayba
- رَيْبَۛ
- कोई शक
- fīhi
- فِيهِۛ
- इस में
- hudan
- هُدًى
- हिदायत है
- lil'muttaqīna
- لِّلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के लिए
वह किताब यही हैं, जिसमें कोई सन्देह नहीं, मार्गदर्शन हैं डर रखनेवालों के लिए, ([२] अल बकराह: 2)Tafseer (तफ़सीर )
الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِالْغَيْبِ وَيُقِيْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ ۙ ٣
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- ईमान लाते हैं
- bil-ghaybi
- بِٱلْغَيْبِ
- ग़ैब पर
- wayuqīmūna
- وَيُقِيمُونَ
- और वो क़ायम करते हैं
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- wamimmā
- وَمِمَّا
- और उससे जो
- razaqnāhum
- رَزَقْنَٰهُمْ
- रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च करते हैं
जो अनदेखे ईमान लाते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया हैं उसमें से कुछ खर्च करते हैं; ([२] अल बकराह: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ ۚ وَبِالْاٰخِرَةِ هُمْ يُوْقِنُوْنَۗ ٤
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- ईमान लाते हैं
- bimā
- بِمَآ
- उस पर जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- min
- مِن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले
- wabil-ākhirati
- وَبِٱلْءَاخِرَةِ
- और आख़िरत पर
- hum
- هُمْ
- वो
- yūqinūna
- يُوقِنُونَ
- वो यक़ीन रखते हैं
और जो उस पर ईमान लाते हैं जो तुम पर उतरा और जो तुमसे पहले अवतरित हुआ हैं और आख़िरत पर वही लोग विश्वास रखते हैं; ([२] अल बकराह: 4)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ عَلٰى هُدًى مِّنْ رَّبِّهِمْ ۙ وَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ٥
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- ʿalā
- عَلَىٰ
- हिदायत पर
- hudan
- هُدًى
- हिदायत पर
- min
- مِّن
- अपने रब की तरफ़ से
- rabbihim
- رَّبِّهِمْۖ
- अपने रब की तरफ़ से
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-muf'liḥūna
- ٱلْمُفْلِحُونَ
- जो फ़लाह पाने वाले हैं
वही लोग हैं जो अपने रब के सीधे मार्ग पर हैं और वही सफलता प्राप्त करनेवाले हैं ([२] अल बकराह: 5)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا سَوَاۤءٌ عَلَيْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- sawāon
- سَوَآءٌ
- यकसाँ/बराबर है
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- a-andhartahum
- ءَأَنذَرْتَهُمْ
- ख़्वाह डराऐं आप उन्हें
- am
- أَمْ
- या
- lam
- لَمْ
- ना
- tundhir'hum
- تُنذِرْهُمْ
- आप डराऐं उन्हें
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
जिन लोगों ने कुफ़्र (इनकार) किया उनके लिए बराबर हैं, चाहे तुमने उन्हें सचेत किया हो या सचेत न किया हो, वे ईमान नहीं लाएँगे ([२] अल बकराह: 6)Tafseer (तफ़सीर )
خَتَمَ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ وَعَلٰى سَمْعِهِمْ ۗ وَعَلٰٓى اَبْصَارِهِمْ غِشَاوَةٌ وَّلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ࣖ ٧
- khatama
- خَتَمَ
- मोहर लगा दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- उनके दिलों के
- waʿalā
- وَعَلَىٰ
- और ऊपर
- samʿihim
- سَمْعِهِمْۖ
- उनके कानों के
- waʿalā
- وَعَلَىٰٓ
- और ऊपर
- abṣārihim
- أَبْصَٰرِهِمْ
- उनकी आँखों के
- ghishāwatun
- غِشَٰوَةٌۖ
- पर्दा है
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
अल्लाह ने उनके दिलों पर और कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आँखों पर परदा पड़ा है, और उनके लिए बड़ी यातना है ([२] अल बकराह: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّقُوْلُ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَبِالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَمَا هُمْ بِمُؤْمِنِيْنَۘ ٨
- wamina
- وَمِنَ
- और बाज़ लोग हैं
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और बाज़ लोग हैं
- man
- مَن
- जो
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहते हैं
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wabil-yawmi
- وَبِٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- hum
- هُم
- वो
- bimu'minīna
- بِمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हैं, हालाँकि वे ईमान नहीं रखते ([२] अल बकराह: 8)Tafseer (तफ़सीर )
يُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا ۚ وَمَا يَخْدَعُوْنَ اِلَّآ اَنْفُسَهُمْ وَمَا يَشْعُرُوْنَۗ ٩
- yukhādiʿūna
- يُخَٰدِعُونَ
- वो धोखा देते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yakhdaʿūna
- يَخْدَعُونَ
- वो धोखा देते
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने नफ़्सों को
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- वो शऊर रखते
वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने-आपको ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते ([२] अल बकराह: 9)Tafseer (तफ़सीर )
فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌۙ فَزَادَهُمُ اللّٰهُ مَرَضًاۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ۢ ەۙ بِمَا كَانُوْا يَكْذِبُوْنَ ١٠
- fī
- فِى
- उनके दिलों में
- qulūbihim
- قُلُوبِهِم
- उनके दिलों में
- maraḍun
- مَّرَضٌ
- मर्ज़ है
- fazādahumu
- فَزَادَهُمُ
- तो ज़्यादा कर दिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- maraḍan
- مَرَضًاۖ
- मर्ज़ में
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌۢ
- अलमनाक/दर्दनाक
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yakdhibūna
- يَكْذِبُونَ
- वो झूठ बोलते
उनके दिलों में रोग था तो अल्लाह ने उनके रोग को और बढ़ा दिया और उनके लिए झूठ बोलते रहने के कारण उनके लिए एक दुखद यातना है ([२] अल बकराह: 10)Tafseer (तफ़सीर )