وَّجَعَلَنِيْ مُبٰرَكًا اَيْنَ مَا كُنْتُۖ وَاَوْصٰنِيْ بِالصَّلٰوةِ وَالزَّكٰوةِ مَا دُمْتُ حَيًّا ۖ ٣١
- wajaʿalanī
- وَجَعَلَنِى
- और उसने बनाया मुझे
- mubārakan
- مُبَارَكًا
- मुबारक
- ayna
- أَيْنَ
- जहाँ कहीं
- mā
- مَا
- जहाँ कहीं
- kuntu
- كُنتُ
- मैं हूँ
- wa-awṣānī
- وَأَوْصَٰنِى
- और उसने ताकीद की मुझे
- bil-ṣalati
- بِٱلصَّلَوٰةِ
- नमाज़ की
- wal-zakati
- وَٱلزَّكَوٰةِ
- और ज़कात की
- mā
- مَا
- जब तक मैं रहूँ
- dum'tu
- دُمْتُ
- जब तक मैं रहूँ
- ḥayyan
- حَيًّا
- ज़िन्दा
और मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ, और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ ([१९] मरियम: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَّبَرًّاۢ بِوَالِدَتِيْ وَلَمْ يَجْعَلْنِيْ جَبَّارًا شَقِيًّا ٣٢
- wabarran
- وَبَرًّۢا
- और नेक सुलूक करने वाला
- biwālidatī
- بِوَٰلِدَتِى
- अपनी वालिदा से
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yajʿalnī
- يَجْعَلْنِى
- उसने बनाया मुझे
- jabbāran
- جَبَّارًا
- सरकश
- shaqiyyan
- شَقِيًّا
- बदबख़्त
और अपनी माँ का हक़ अदा करनेवाला बनाया। और उसने मुझे सरकश और बेनसीब नहीं बनाया ([१९] मरियम: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَالسَّلٰمُ عَلَيَّ يَوْمَ وُلِدْتُّ وَيَوْمَ اَمُوْتُ وَيَوْمَ اُبْعَثُ حَيًّا ٣٣
- wal-salāmu
- وَٱلسَّلَٰمُ
- और सलामती है
- ʿalayya
- عَلَىَّ
- मुझ पर
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- wulidttu
- وُلِدتُّ
- पैदा किया गया मैं
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- amūtu
- أَمُوتُ
- मैं मरुँगा
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- ub'ʿathu
- أُبْعَثُ
- मैं उठाया जाऊँगा
- ḥayyan
- حَيًّا
- ज़िन्दा करके
सलाम है मुझपर जिस दिन कि मैं पैदा हुआ और जिस दिन कि मैं मरूँ और जिस दिन कि जीवित करके उठाया जाऊँ!' ([१९] मरियम: 33)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ عِيْسَى ابْنُ مَرْيَمَ ۚقَوْلَ الْحَقِّ الَّذِيْ فِيْهِ يَمْتَرُوْنَ ٣٤
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये हैं
- ʿīsā
- عِيسَى
- ईसा इब्ने मरियम
- ub'nu
- ٱبْنُ
- ईसा इब्ने मरियम
- maryama
- مَرْيَمَۚ
- ईसा इब्ने मरियम
- qawla
- قَوْلَ
- बात
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ की
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- fīhi
- فِيهِ
- इसमें
- yamtarūna
- يَمْتَرُونَ
- वो शक करते हैं
सच्ची और पक्की बात की स्पष्ट से यह है कि मरयम का बेटा ईसा, जिसके विषय में वे सन्देह में पड़े हुए है ([१९] मरियम: 34)Tafseer (तफ़सीर )
مَا كَانَ لِلّٰهِ اَنْ يَّتَّخِذَ مِنْ وَّلَدٍ سُبْحٰنَهٗ ۗاِذَا قَضٰٓى اَمْرًا فَاِنَّمَا يَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ۗ ٣٥
- mā
- مَا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- है (लायक़)
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के
- an
- أَن
- कि
- yattakhidha
- يَتَّخِذَ
- वो बनाए
- min
- مِن
- कोई औलाद
- waladin
- وَلَدٍۖ
- कोई औलाद
- sub'ḥānahu
- سُبْحَٰنَهُۥٓۚ
- पाक है वो
- idhā
- إِذَا
- जब
- qaḍā
- قَضَىٰٓ
- वो फ़ैसला करता है
- amran
- أَمْرًا
- किसी काम का
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yaqūlu
- يَقُولُ
- वो कहता है
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- kun
- كُن
- हो जा
- fayakūnu
- فَيَكُونُ
- तो वो हो जाता है
अल्लाह ऐसा नहीं कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। महान और उच्च है, वह! जब वह किसी चीज़ का फ़ैसला करता है तो बस उसे कह देता है, 'हो जा!' तो वह हो जाती है। - ([१९] मरियम: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنَّ اللّٰهَ رَبِّيْ وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْهُ ۗهٰذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِيْمٌ ٣٦
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- rabbī
- رَبِّى
- रब है मेरा
- warabbukum
- وَرَبُّكُمْ
- और रब है तुम्हारा
- fa-uʿ'budūhu
- فَٱعْبُدُوهُۚ
- पस इबादत करो उसकी
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- ṣirāṭun
- صِرَٰطٌ
- रास्ता
- mus'taqīmun
- مُّسْتَقِيمٌ
- सीधा
'और निस्संदेह अल्लाह मेरा रब भी है और तुम्हारा रब भी। अतः तुम उसी की बन्दगी करो यही सीधा मार्ग है।' ([१९] मरियम: 36)Tafseer (तफ़सीर )
فَاخْتَلَفَ الْاَحْزَابُ مِنْۢ بَيْنِهِمْۚ فَوَيْلٌ لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ مَّشْهَدِ يَوْمٍ عَظِيْمٍ ٣٧
- fa-ikh'talafa
- فَٱخْتَلَفَ
- तो इख़्तिलाफ़ किया
- l-aḥzābu
- ٱلْأَحْزَابُ
- गिरोहों ने
- min
- مِنۢ
- आपस में
- baynihim
- بَيْنِهِمْۖ
- आपस में
- fawaylun
- فَوَيْلٌ
- तो हलाकत है
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उनके लिए जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِن
- हाज़री से
- mashhadi
- مَّشْهَدِ
- हाज़री से
- yawmin
- يَوْمٍ
- बड़े दिन की
- ʿaẓīmin
- عَظِيمٍ
- बड़े दिन की
किन्तु उनमें कितने ही गिरोहों ने पारस्परिक वैमनस्य के कारण विभेद किया, तो जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए बड़ी तबाही है एक बड़े दिन की उपस्थिति से ([१९] मरियम: 37)Tafseer (तफ़सीर )
اَسْمِعْ بِهِمْ وَاَبْصِرْۙ يَوْمَ يَأْتُوْنَنَا لٰكِنِ الظّٰلِمُوْنَ الْيَوْمَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٣٨
- asmiʿ
- أَسْمِعْ
- क्या ख़ूब सुनने वाले होंगे वो
- bihim
- بِهِمْ
- क्या ख़ूब सुनने वाले होंगे वो
- wa-abṣir
- وَأَبْصِرْ
- और क्या ख़ूब देखने वाले
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yatūnanā
- يَأْتُونَنَاۖ
- वो आऐंगे हमारे पास
- lākini
- لَٰكِنِ
- लेकिन
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- ज़ालिम लोग
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- fī
- فِى
- गुमराही में हैं
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में हैं
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुली
भली-भाँति सुननेवाले और भली-भाँति देखनेवाले होंगे, जिस दिन वे हमारे समाने आएँगे! किन्तु आज ये ज़ालिम खुली गुमराही में पड़े हुए है ([१९] मरियम: 38)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَنْذِرْهُمْ يَوْمَ الْحَسْرَةِ اِذْ قُضِيَ الْاَمْرُۘ وَهُمْ فِيْ غَفْلَةٍ وَّهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ٣٩
- wa-andhir'hum
- وَأَنذِرْهُمْ
- और डराइए उन्हें
- yawma
- يَوْمَ
- हसरत के दिन से
- l-ḥasrati
- ٱلْحَسْرَةِ
- हसरत के दिन से
- idh
- إِذْ
- जब
- quḍiya
- قُضِىَ
- फ़ैसला किया जाएगा
- l-amru
- ٱلْأَمْرُ
- इस मामले का
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- fī
- فِى
- (अब) ग़फ़लत में हैं
- ghaflatin
- غَفْلَةٍ
- (अब) ग़फ़लत में हैं
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
उन्हें पश्चाताप के दिन से डराओ, जबकि मामले का फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनका हाल यह है कि वे ग़फ़लत में पड़े हुए है और वे ईमान नहीं ला रहे है ([१९] मरियम: 39)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّا نَحْنُ نَرِثُ الْاَرْضَ وَمَنْ عَلَيْهَا وَاِلَيْنَا يُرْجَعُوْنَ ࣖ ٤٠
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम ही
- narithu
- نَرِثُ
- हम वारिस होंगे
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन के
- waman
- وَمَنْ
- और जो
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उस पर है
- wa-ilaynā
- وَإِلَيْنَا
- और तरफ़ हमारे ही
- yur'jaʿūna
- يُرْجَعُونَ
- वो लौटाए जाऐंगे
धरती और जो भी उसके ऊपर है उसके वारिस हम ही रह जाएँगे और हमारी ही ओर उन्हें लौटना होगा ([१९] मरियम: 40)Tafseer (तफ़सीर )