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सूरा अल कहफ़ - Page: 9

Al-Kahf

(गुफ़ा)

८१

فَاَرَدْنَآ اَنْ يُّبْدِلَهُمَا رَبُّهُمَا خَيْرًا مِّنْهُ زَكٰوةً وَّاَقْرَبَ رُحْمًا ٨١

fa-aradnā
فَأَرَدْنَآ
तो इरादा किया हमने
an
أَن
कि
yub'dilahumā
يُبْدِلَهُمَا
बदल कर दे उन दोनों को
rabbuhumā
رَبُّهُمَا
रब उन दोनों का
khayran
خَيْرًا
बेहतर
min'hu
مِّنْهُ
उससे
zakatan
زَكَوٰةً
पाकीज़गी में
wa-aqraba
وَأَقْرَبَ
और ज़्यादा क़रीब
ruḥ'man
رُحْمًا
रहमत में
इसलिए हमने चाहा कि उनका रब उन्हें इसके बदले दूसरी संतान दे, जो आत्मविकास में इससे अच्छा हो और दया-करूणा से अधिक निकट हो ([१८] अल कहफ़: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

وَاَمَّا الْجِدَارُ فَكَانَ لِغُلٰمَيْنِ يَتِيْمَيْنِ فِى الْمَدِيْنَةِ وَكَانَ تَحْتَهٗ كَنْزٌ لَّهُمَا وَكَانَ اَبُوْهُمَا صَالِحًا ۚفَاَرَادَ رَبُّكَ اَنْ يَّبْلُغَآ اَشُدَّهُمَا وَيَسْتَخْرِجَا كَنْزَهُمَا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَۚ وَمَا فَعَلْتُهٗ عَنْ اَمْرِيْۗ ذٰلِكَ تَأْوِيْلُ مَا لَمْ تَسْطِعْ عَّلَيْهِ صَبْرًاۗ ࣖ ٨٢

wa-ammā
وَأَمَّا
और रही
l-jidāru
ٱلْجِدَارُ
दीवार
fakāna
فَكَانَ
पस वो थी
lighulāmayni
لِغُلَٰمَيْنِ
दो लड़कों की
yatīmayni
يَتِيمَيْنِ
जो दोनों यतीम थे
فِى
शहर में
l-madīnati
ٱلْمَدِينَةِ
शहर में
wakāna
وَكَانَ
और था
taḥtahu
تَحْتَهُۥ
नीचे उसके
kanzun
كَنزٌ
एक ख़ज़ाना
lahumā
لَّهُمَا
उन दोनों का
wakāna
وَكَانَ
और था
abūhumā
أَبُوهُمَا
उन दोनों का बाप
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
fa-arāda
فَأَرَادَ
तो इरादा किया
rabbuka
رَبُّكَ
तेरे रब ने
an
أَن
कि
yablughā
يَبْلُغَآ
वो दोनों पहुँचें
ashuddahumā
أَشُدَّهُمَا
अपनी जवानी को
wayastakhrijā
وَيَسْتَخْرِجَا
और वो दोनों निकालें
kanzahumā
كَنزَهُمَا
अपने ख़ज़ाने को
raḥmatan
رَحْمَةً
बतौरे रहमत
min
مِّن
तेरे रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَۚ
तेरे रब की तरफ़ से
wamā
وَمَا
और नहीं
faʿaltuhu
فَعَلْتُهُۥ
किया मैंने उसे
ʿan
عَنْ
अपनी राय से
amrī
أَمْرِىۚ
अपनी राय से
dhālika
ذَٰلِكَ
ये है
tawīlu
تَأْوِيلُ
हक़ीक़त
مَا
उसकी जो
lam
لَمْ
नहीं
tasṭiʿ
تَسْطِع
तुम कर सके
ʿalayhi
عَّلَيْهِ
जिस पर
ṣabran
صَبْرًا
सब्र
और रही यह दीवार तो यह दो अनाथ बालकों की है जो इस नगर में रहते है। और इसके नीचे उनका ख़जाना मौजूद है। और उनका बाप नेक था, इसलिए तुम्हारे रब ने चाहा कि वे अपनी युवावस्था को पहुँच जाएँ और अपना ख़जाना निकाल लें। यह तुम्हारे रब की दयालुता के कारण हुआ। मैंने तो अपने अधिकार से कुछ नहीं किया। यह है वास्तविकता उसकी जिसपर तुम धैर्य न रख सके।' ([१८] अल कहफ़: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنْ ذِى الْقَرْنَيْنِۗ قُلْ سَاَتْلُوْا عَلَيْكُمْ مِّنْهُ ذِكْرًا ۗ ٨٣

wayasalūnaka
وَيَسْـَٔلُونَكَ
और वो सवाल करते हैं आपसे
ʿan
عَن
ज़ुलक़रनैन के बारे में
dhī
ذِى
ज़ुलक़रनैन के बारे में
l-qarnayni
ٱلْقَرْنَيْنِۖ
ज़ुलक़रनैन के बारे में
qul
قُلْ
कह दीजिए
sa-atlū
سَأَتْلُوا۟
अनक़रीब मैं पढ़ूँगा
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
min'hu
مِّنْهُ
उसका
dhik'ran
ذِكْرًا
कुछ हाल
वे तुमसे ज़ुलक़रनैन के विषय में पूछते हैं। कह दो, 'मैं तुम्हें उसका कुछ वृतान्त सुनाता हूँ।' ([१८] अल कहफ़: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

اِنَّا مَكَّنَّا لَهٗ فِى الْاَرْضِ وَاٰتَيْنٰهُ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ سَبَبًا ۙ ٨٤

innā
إِنَّا
बेशक हम
makkannā
مَكَّنَّا
इक़्तिदार दिया हमने
lahu
لَهُۥ
उसे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
waātaynāhu
وَءَاتَيْنَٰهُ
और दिए हमने उसे
min
مِن
हर चीज़ से
kulli
كُلِّ
हर चीज़ से
shayin
شَىْءٍ
हर चीज़ से
sababan
سَبَبًا
असबाब
हमने उसे धरती में सत्ता प्रदान की थी और उसे हर प्रकार के संसाधन दिए थे ([१८] अल कहफ़: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

فَاَتْبَعَ سَبَبًا ٨٥

fa-atbaʿa
فَأَتْبَعَ
तो उसने पीछे लगाया
sababan
سَبَبًا
असबाब को
अतएव उसने एक अभियान का आयोजन किया ([१८] अल कहफ़: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ مَغْرِبَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَغْرُبُ فِيْ عَيْنٍ حَمِئَةٍ وَّوَجَدَ عِنْدَهَا قَوْمًا ەۗ قُلْنَا يٰذَا الْقَرْنَيْنِ اِمَّآ اَنْ تُعَذِّبَ وَاِمَّآ اَنْ تَتَّخِذَ فِيْهِمْ حُسْنًا ٨٦

ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
balagha
بَلَغَ
वो पहुँच गया
maghriba
مَغْرِبَ
ग़ुरूब होने की जगह
l-shamsi
ٱلشَّمْسِ
सूरज के
wajadahā
وَجَدَهَا
उसने पाया उसे
taghrubu
تَغْرُبُ
वो ग़ुरूब हो रहा है
فِى
एक चश्मे में
ʿaynin
عَيْنٍ
एक चश्मे में
ḥami-atin
حَمِئَةٍ
स्याह कीचड़ वाले
wawajada
وَوَجَدَ
और उसने पाया
ʿindahā
عِندَهَا
पास उसके
qawman
قَوْمًاۗ
एक क़ौम को
qul'nā
قُلْنَا
कहा हमने
yādhā
يَٰذَا
ऐ ज़ुलक़रनैन
l-qarnayni
ٱلْقَرْنَيْنِ
ऐ ज़ुलक़रनैन
immā
إِمَّآ
ख़्वाह
an
أَن
ये कि
tuʿadhiba
تُعَذِّبَ
तू सज़ा दे
wa-immā
وَإِمَّآ
और ख़्वाह
an
أَن
ये कि
tattakhidha
تَتَّخِذَ
तू इख़्तियार करे
fīhim
فِيهِمْ
उनके मामले में
ḥus'nan
حُسْنًا
भलाई
यहाँ तक कि जब वह सूर्यास्त-स्थल तक पहुँचा तो उसे मटमैले काले पानी के एक स्रोत में डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक क़ौम मिली। हमने कहा, 'ऐ ज़ुलक़रनैन! तुझे अधिकार है कि चाहे तकलीफ़ पहुँचाए और चाहे उनके साथ अच्छा व्यवहार करे।' ([१८] अल कहफ़: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

قَالَ اَمَّا مَنْ ظَلَمَ فَسَوْفَ نُعَذِّبُهٗ ثُمَّ يُرَدُّ اِلٰى رَبِّهٖ فَيُعَذِّبُهٗ عَذَابًا نُّكْرًا ٨٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
ammā
أَمَّا
रहा वो
man
مَن
जिसने
ẓalama
ظَلَمَ
ज़ुल्म किया
fasawfa
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
nuʿadhibuhu
نُعَذِّبُهُۥ
हम सज़ा देंगे उसे
thumma
ثُمَّ
फिर
yuraddu
يُرَدُّ
वो लौटाया जाएगा
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbihi
رَبِّهِۦ
तरफ़ अपने रब के
fayuʿadhibuhu
فَيُعَذِّبُهُۥ
तो वो अजाब देगा उसे
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
nuk'ran
نُّكْرًا
सख़्त
उसने कहा, 'जो कोई ज़ुल्म करेगा उसे तो हम दंड देंगे। फिर वह अपने रब की ओर पलटेगा और वह उसे कठोर यातना देगा ([१८] अल कहफ़: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

وَاَمَّا مَنْ اٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَلَهٗ جَزَاۤءً ۨالْحُسْنٰىۚ وَسَنَقُوْلُ لَهٗ مِنْ اَمْرِنَا يُسْرًا ۗ ٨٨

wa-ammā
وَأَمَّا
और रहा
man
مَنْ
वो जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
waʿamila
وَعَمِلَ
और उसने अमल किए
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
falahu
فَلَهُۥ
तो उसके लिए
jazāan
جَزَآءً
जज़ा है
l-ḥus'nā
ٱلْحُسْنَىٰۖ
अच्छी
wasanaqūlu
وَسَنَقُولُ
और अनक़रीब हम कहेंगे
lahu
لَهُۥ
उसे
min
مِنْ
अपने काम में से
amrinā
أَمْرِنَا
अपने काम में से
yus'ran
يُسْرًا
आसान
किन्तु जो कोई ईमान लाया औऱ अच्छा कर्म किया, उसके लिए तो अच्छा बदला है और हम उसे अपना सहज एवं मृदुल आदेश देंगे।' ([१८] अल कहफ़: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

ثُمَّ اَتْبَعَ سَبَبًا ٨٩

thumma
ثُمَّ
फिर
atbaʿa
أَتْبَعَ
उसने पीछे लगाया
sababan
سَبَبًا
असबाब को
फिर उसने एक और अभियान का आयोजन किया ([१८] अल कहफ़: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ مَطْلِعَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَطْلُعُ عَلٰى قَوْمٍ لَّمْ نَجْعَلْ لَّهُمْ مِّنْ دُوْنِهَا سِتْرًا ۙ ٩٠

ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
balagha
بَلَغَ
वो पहुँच गया
maṭliʿa
مَطْلِعَ
तुलूअ होने की जगह
l-shamsi
ٱلشَّمْسِ
सूरज के
wajadahā
وَجَدَهَا
उसने पाया उसे
taṭluʿu
تَطْلُعُ
कि वो तुलूअ हो रहा है
ʿalā
عَلَىٰ
उन लोगों पर
qawmin
قَوْمٍ
उन लोगों पर
lam
لَّمْ
नहीं
najʿal
نَجْعَل
बनाया हमने
lahum
لَّهُم
उनके लिए
min
مِّن
उस (सूरज) के आगे
dūnihā
دُونِهَا
उस (सूरज) के आगे
sit'ran
سِتْرًا
कोई परदा/ओट
यहाँ तक कि जब वह सूर्योदय स्थल पर जा पहुँचा तो उसने उसे ऐसे लोगों पर उदित होते पाया जिनके लिए हमने सूर्य के मुक़ाबले में कोई ओट नहीं रखी थी ([१८] अल कहफ़: 90)
Tafseer (तफ़सीर )