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सूरा अल कहफ़ - Page: 8

Al-Kahf

(गुफ़ा)

७१

فَانْطَلَقَاۗ حَتّٰٓى اِذَا رَكِبَا فِى السَّفِيْنَةِ خَرَقَهَاۗ قَالَ اَخَرَقْتَهَا لِتُغْرِقَ اَهْلَهَاۚ لَقَدْ جِئْتَ شَيْـًٔا اِمْرًا ٧١

fa-inṭalaqā
فَٱنطَلَقَا
तो दोनों चल दिए
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
rakibā
رَكِبَا
वो दोनों सवार हुए
فِى
कश्ती में
l-safīnati
ٱلسَّفِينَةِ
कश्ती में
kharaqahā
خَرَقَهَاۖ
तो उसने सूराख़ कर दिया उसमें
qāla
قَالَ
कहा
akharaqtahā
أَخَرَقْتَهَا
क्या सूराख़ कर दिया तुमने इसमें
litugh'riqa
لِتُغْرِقَ
ताकि तुम ग़र्क़ करो
ahlahā
أَهْلَهَا
उसके मालिकों (सवारों) को
laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
ji'ta
جِئْتَ
लाए हो तुम
shayan
شَيْـًٔا
एक चीज़
im'ran
إِمْرًا
बड़ी अजीब
अन्ततः दोनों चले, यहाँ तक कि जब नौका में सवार हुए तो उसने उसमें दरार डाल दी। (मूसा ने) कहा, 'आपने इसमें दरार डाल दी, ताकि उसके सवारों को डुबो दें? आपने तो एक अनोखी हरकत कर डाली।' ([१८] अल कहफ़: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

قَالَ اَلَمْ اَقُلْ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِيْعَ مَعِيَ صَبْرًا ٧٢

qāla
قَالَ
उसने कहा
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
aqul
أَقُلْ
मैंने कहा था
innaka
إِنَّكَ
बेशक तुम
lan
لَن
हरगिज़ ना
tastaṭīʿa
تَسْتَطِيعَ
तुम इस्तिताअत रखोगे
maʿiya
مَعِىَ
मेरे साथ
ṣabran
صَبْرًا
सब्र की
उसने कहा, 'क्या मैंने कहा नहीं था कि तुम मेरे साथ धैर्य न रख सकोंगे?' ([१८] अल कहफ़: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

قَالَ لَا تُؤَاخِذْنِيْ بِمَا نَسِيْتُ وَلَا تُرْهِقْنِيْ مِنْ اَمْرِيْ عُسْرًا ٧٣

qāla
قَالَ
कहा
لَا
ना तुम मुआख़ज़ा करो मेरा
tuākhidh'nī
تُؤَاخِذْنِى
ना तुम मुआख़ज़ा करो मेरा
bimā
بِمَا
उस पर जो
nasītu
نَسِيتُ
भूल गया मैं
walā
وَلَا
और ना
tur'hiq'nī
تُرْهِقْنِى
छा जा मुझपर
min
مِنْ
मेरे मामले में
amrī
أَمْرِى
मेरे मामले में
ʿus'ran
عُسْرًا
तँगी करके
कहा, 'जो भूल-चूक मुझसे हो गई उसपर मुझे न पकड़िए और मेरे मामलें में मुझे तंगी में न डालिए।' ([१८] अल कहफ़: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

فَانْطَلَقَا ۗحَتّٰٓى اِذَا لَقِيَا غُلٰمًا فَقَتَلَهٗ ۙقَالَ اَقَتَلْتَ نَفْسًا زَكِيَّةً؈ۢبِغَيْرِ نَفْسٍۗ لَقَدْ جِئْتَ شَيْـًٔا نُكْرًا ۔ ٧٤

fa-inṭalaqā
فَٱنطَلَقَا
तो दोनों चल दिए
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
laqiyā
لَقِيَا
वो दोनों मिले
ghulāman
غُلَٰمًا
एक लड़के को
faqatalahu
فَقَتَلَهُۥ
तो उसने क़त्ल कर दिया उसे
qāla
قَالَ
कहा
aqatalta
أَقَتَلْتَ
क्या क़त्ल कर दिया तुमने
nafsan
نَفْسًا
एक जान को
zakiyyatan
زَكِيَّةًۢ
जो पाक थी
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
nafsin
نَفْسٍ
किसी जान के (बदले)
laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
ji'ta
جِئْتَ
लाए हो तुम
shayan
شَيْـًٔا
एक चीज़
nuk'ran
نُّكْرًا
इन्तिहाई नापसंदीदा
फिर वे दोनों चले, यहाँ तक कि जब वे एक लड़के से मिले तो उसने उसे मार डाला। कहा, 'क्या आपने एक अच्छी-भली जान की हत्या कर दी, बिना इसके कि किसी की हत्या का बदला लेना अभीष्ट हो? यह तो आपने बहुत ही बुरा किया!' ([१८] अल कहफ़: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

۞ قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكَ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِيْعَ مَعِيَ صَبْرًا ٧٥

qāla
قَالَ
उसने कहा
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
aqul
أَقُل
मैंने कहा था
laka
لَّكَ
तुम्हें
innaka
إِنَّكَ
बेशक तुम
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
tastaṭīʿa
تَسْتَطِيعَ
तुम इस्तिताअत रखोगे
maʿiya
مَعِىَ
मेरे साथ
ṣabran
صَبْرًا
सब्र की
उसने कहा, 'क्या मैंने तुमसे कहा नहीं था कि तुम मेरे साथ धैर्य न रख सकोगे?' ([१८] अल कहफ़: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

قَالَ اِنْ سَاَلْتُكَ عَنْ شَيْءٍۢ بَعْدَهَا فَلَا تُصٰحِبْنِيْۚ قَدْ بَلَغْتَ مِنْ لَّدُنِّيْ عُذْرًا ٧٦

qāla
قَالَ
कहा (मूसा ने)
in
إِن
अगर
sa-altuka
سَأَلْتُكَ
सवाल करूँ मैं तुमसे
ʿan
عَن
किसी चीज़ के बारे में
shayin
شَىْءٍۭ
किसी चीज़ के बारे में
baʿdahā
بَعْدَهَا
बाद इसके
falā
فَلَا
तो ना
tuṣāḥib'nī
تُصَٰحِبْنِىۖ
तुम साथ रखना मुझे
qad
قَدْ
तहक़ीक़
balaghta
بَلَغْتَ
पहुँच गए तुम
min
مِن
मेरी तरफ़ से
ladunnī
لَّدُنِّى
मेरी तरफ़ से
ʿudh'ran
عُذْرًا
उज़र को
कहा, 'इसके बाद यदि मैं आपसे कुछ पूछूँ तो आप मुझे साथ न रखें। अब तो मेरी ओर से आप पूरी तरह उज़ को पहुँच चुके है।' ([१८] अल कहफ़: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

فَانْطَلَقَا ۗحَتّٰىٓ اِذَآ اَتَيَآ اَهْلَ قَرْيَةِ ِۨاسْتَطْعَمَآ اَهْلَهَا فَاَبَوْا اَنْ يُّضَيِّفُوْهُمَا فَوَجَدَا فِيْهَا جِدَارًا يُّرِيْدُ اَنْ يَّنْقَضَّ فَاَقَامَهٗ ۗقَالَ لَوْ شِئْتَ لَتَّخَذْتَ عَلَيْهِ اَجْرًا ٧٧

fa-inṭalaqā
فَٱنطَلَقَا
पस वो दोनों चल दिए
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَآ
जब
atayā
أَتَيَآ
वो दोनों आए
ahla
أَهْلَ
एक बस्ती वालों के पास
qaryatin
قَرْيَةٍ
एक बस्ती वालों के पास
is'taṭʿamā
ٱسْتَطْعَمَآ
उन दोनों ने खाना माँगा
ahlahā
أَهْلَهَا
उसके रहने वालों से
fa-abaw
فَأَبَوْا۟
तो उन्होंने इन्कार कर दिया
an
أَن
कि
yuḍayyifūhumā
يُضَيِّفُوهُمَا
वो मेहमान बनाऐं उन्हें
fawajadā
فَوَجَدَا
तो उन दोनों ने पाई
fīhā
فِيهَا
उसमें
jidāran
جِدَارًا
एक दीवार
yurīdu
يُرِيدُ
वो चाहती थी
an
أَن
कि
yanqaḍḍa
يَنقَضَّ
वो टूट गिरे
fa-aqāmahu
فَأَقَامَهُۥۖ
तो उसने सीधा खड़ा कर दिया उसे
qāla
قَالَ
उसने कहा
law
لَوْ
अगर
shi'ta
شِئْتَ
चाहते तुम
lattakhadhta
لَتَّخَذْتَ
अलबत्ता ले लेते तुम
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
ajran
أَجْرًا
कोई उजरत
फिर वे दोनों चले, यहाँ तक कि जब वे एक बस्तीवालों के पास पहुँचे और उनसे भोजन माँगा, किन्तु उन्होंने उनके आतिथ्य से इनकार कर दिया। फिर वहाँ उन्हें एक दीवार मिली जो गिरा चाहती थी, तो उस व्यक्ति ने उसको खड़ा कर दिया। (मूसा ने) कहा, 'यदि आप चाहते तो इसकी कुछ मज़दूरी ले सकते थे।' ([१८] अल कहफ़: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

قَالَ هٰذَا فِرَاقُ بَيْنِيْ وَبَيْنِكَۚ سَاُنَبِّئُكَ بِتَأْوِيْلِ مَا لَمْ تَسْتَطِعْ عَّلَيْهِ صَبْرًا ٧٨

qāla
قَالَ
कहा
hādhā
هَٰذَا
ये है
firāqu
فِرَاقُ
जुदाई
baynī
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
wabaynika
وَبَيْنِكَۚ
और दर्मियान तुम्हारे
sa-unabbi-uka
سَأُنَبِّئُكَ
अनक़रीब मैं बताऊँगा तुम्हें
bitawīli
بِتَأْوِيلِ
हक़ीक़त
مَا
उसकी जो
lam
لَمْ
नहीं
tastaṭiʿ
تَسْتَطِع
तुम कर सके
ʿalayhi
عَّلَيْهِ
जिस पर
ṣabran
صَبْرًا
सब्र
उसने कहा, 'यह मेरे और तुम्हारे बीच जुदाई का अवसर है। अब मैं तुमको उसकी वास्तविकता बताए दे रहा हूँ, जिसपर तुम धैर्य से काम न ले सके।' ([१८] अल कहफ़: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

اَمَّا السَّفِيْنَةُ فَكَانَتْ لِمَسٰكِيْنَ يَعْمَلُوْنَ فِى الْبَحْرِ فَاَرَدْتُّ اَنْ اَعِيْبَهَاۗ وَكَانَ وَرَاۤءَهُمْ مَّلِكٌ يَّأْخُذُ كُلَّ سَفِيْنَةٍ غَصْبًا ٧٩

ammā
أَمَّا
रही
l-safīnatu
ٱلسَّفِينَةُ
कश्ती
fakānat
فَكَانَتْ
तो थी वो
limasākīna
لِمَسَٰكِينَ
मिस्कीनों की
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
जो काम करते थे
فِى
दरिया में
l-baḥri
ٱلْبَحْرِ
दरिया में
fa-aradttu
فَأَرَدتُّ
तो चाहा मैंने
an
أَنْ
कि
aʿībahā
أَعِيبَهَا
मैं ऐबदार कर दूँ उसे
wakāna
وَكَانَ
और था
warāahum
وَرَآءَهُم
आगे उनके
malikun
مَّلِكٌ
एक बादशाह
yakhudhu
يَأْخُذُ
जो ले रहा था
kulla
كُلَّ
हर
safīnatin
سَفِينَةٍ
कश्ती को
ghaṣban
غَصْبًا
ज़ुल्म/जबर से
वह जो नौका थी, कुछ निर्धन लोगों की थी जो दरिया में काम करते थे, तो मैंने चाहा कि उसे ऐबदार कर दूँ, क्योंकि आगे उनके परे एक सम्राट था, जो प्रत्येक नौका को ज़बरदस्ती छीन लेता था ([१८] अल कहफ़: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

وَاَمَّا الْغُلٰمُ فَكَانَ اَبَوَاهُ مُؤْمِنَيْنِ فَخَشِيْنَآ اَنْ يُّرْهِقَهُمَا طُغْيَانًا وَّكُفْرًا ۚ ٨٠

wa-ammā
وَأَمَّا
और रहा
l-ghulāmu
ٱلْغُلَٰمُ
लड़का
fakāna
فَكَانَ
तो थे
abawāhu
أَبَوَاهُ
वालिदैन उसके
mu'minayni
مُؤْمِنَيْنِ
दोनों मोमिन
fakhashīnā
فَخَشِينَآ
तो डर हुआ हमें
an
أَن
कि
yur'hiqahumā
يُرْهِقَهُمَا
वो तकलीफ़ देगा उन्हें
ṭugh'yānan
طُغْيَٰنًا
सरकशी
wakuf'ran
وَكُفْرًا
और कुफ़्र से
और रहा वह लड़का, तो उसके माँ-बाप ईमान पर थे। हमें आशंका हुई कि वह सरकशी और कुफ़्र से उन्हें तंग करेगा ([१८] अल कहफ़: 80)
Tafseer (तफ़सीर )