فَلَمَّا بَلَغَا مَجْمَعَ بَيْنِهِمَا نَسِيَا حُوْتَهُمَا فَاتَّخَذَ سَبِيْلَهٗ فِى الْبَحْرِ سَرَبًا ٦١
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- balaghā
- بَلَغَا
- वो दोनों पहुँचे
- majmaʿa
- مَجْمَعَ
- जमा होने की जगह
- baynihimā
- بَيْنِهِمَا
- दर्मियान उन दो (समुन्दरों) के
- nasiyā
- نَسِيَا
- तो दोनों भूल गए
- ḥūtahumā
- حُوتَهُمَا
- अपनी मछली
- fa-ittakhadha
- فَٱتَّخَذَ
- पस उसने बना लिया
- sabīlahu
- سَبِيلَهُۥ
- रास्ता अपना
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर में
- saraban
- سَرَبًا
- सुरंग की तरह
फिर जब वे दोनों संगम पर पहुँचे तो वे अपनी मछली से ग़ाफ़िल हो गए और उस (मछली) ने दरिया में सुरंह बनाती अपनी राह ली ([१८] अल कहफ़: 61)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا جَاوَزَا قَالَ لِفَتٰىهُ اٰتِنَا غَدَاۤءَنَاۖ لَقَدْ لَقِيْنَا مِنْ سَفَرِنَا هٰذَا نَصَبًا ٦٢
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- jāwazā
- جَاوَزَا
- वो दोनों आगे बढ़े
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- lifatāhu
- لِفَتَىٰهُ
- अपने नौजवान से
- ātinā
- ءَاتِنَا
- दो हमें
- ghadāanā
- غَدَآءَنَا
- खाना हमारा
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- laqīnā
- لَقِينَا
- पाई हमने
- min
- مِن
- अपने इस सफ़र में
- safarinā
- سَفَرِنَا
- अपने इस सफ़र में
- hādhā
- هَٰذَا
- अपने इस सफ़र में
- naṣaban
- نَصَبًا
- थकावट
फिर जब वे वहाँ से आगे बढ़ गए तो उसने अपने सेवक से कहा, 'लाओ, हमारा नाश्ता। अपने इस सफ़र में तो हमें बड़ी थकान पहुँची है।' ([१८] अल कहफ़: 62)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اَرَاَيْتَ اِذْ اَوَيْنَآ اِلَى الصَّخْرَةِ فَاِنِّيْ نَسِيْتُ الْحُوْتَۖ وَمَآ اَنْسٰىنِيْهُ اِلَّا الشَّيْطٰنُ اَنْ اَذْكُرَهٗۚ وَاتَّخَذَ سَبِيْلَهٗ فِى الْبَحْرِ عَجَبًا ٦٣
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- ara-ayta
- أَرَءَيْتَ
- क्या देखा तुमने
- idh
- إِذْ
- जब
- awaynā
- أَوَيْنَآ
- पनाह ली थी हमने
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ चट्टान के
- l-ṣakhrati
- ٱلصَّخْرَةِ
- तरफ़ चट्टान के
- fa-innī
- فَإِنِّى
- तो बेशक मैं
- nasītu
- نَسِيتُ
- भूल गया था मैं
- l-ḥūta
- ٱلْحُوتَ
- मछली को
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- ansānīhu
- أَنسَىٰنِيهُ
- भुलाया मुझे उसको
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान ने
- an
- أَنْ
- कि
- adhkurahu
- أَذْكُرَهُۥۚ
- मैं ज़िक्र करूँ उसका
- wa-ittakhadha
- وَٱتَّخَذَ
- और उसने बना लिया था
- sabīlahu
- سَبِيلَهُۥ
- रास्ता अपना
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर में
- ʿajaban
- عَجَبًا
- अजीब तरह से
उसने कहा, 'ज़रा देखिए तो सही, जब हम उस चट्टान के पास ठहरे हुए थे तो मैं मछली को भूल ही गया - और शैतान ही ने उसको याद रखने से मुझे ग़ाफ़िल कर दिया - और उसने आश्चर्य रूप से दरिया में अपनी राह ली।' ([१८] अल कहफ़: 63)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ ذٰلِكَ مَا كُنَّا نَبْغِۖ فَارْتَدَّا عَلٰٓى اٰثَارِهِمَا قَصَصًاۙ ٦٤
- qāla
- قَالَ
- कहा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- mā
- مَا
- जो
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- nabghi
- نَبْغِۚ
- हम चाहते
- fa-ir'taddā
- فَٱرْتَدَّا
- तो वो दोनों पलटे
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपने निशानाते क़दम पर
- āthārihimā
- ءَاثَارِهِمَا
- अपने निशानाते क़दम पर
- qaṣaṣan
- قَصَصًا
- इत्तिबा करते हुए
(मूसा ने) कहा, 'यही तो है जिसे हम तलाश कर रहे थे।' फिर वे दोनों अपने पदचिन्हों को देखते हुए वापस हुए ([१८] अल कहफ़: 64)Tafseer (तफ़सीर )
فَوَجَدَا عَبْدًا مِّنْ عِبَادِنَآ اٰتَيْنٰهُ رَحْمَةً مِّنْ عِنْدِنَا وَعَلَّمْنٰهُ مِنْ لَّدُنَّا عِلْمًا ٦٥
- fawajadā
- فَوَجَدَا
- तो दोनों ने पाया
- ʿabdan
- عَبْدًا
- एक बन्दे को
- min
- مِّنْ
- हमारे बन्दों में से
- ʿibādinā
- عِبَادِنَآ
- हमारे बन्दों में से
- ātaynāhu
- ءَاتَيْنَٰهُ
- दी थी हमने उसे
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- रहमत
- min
- مِّنْ
- अपने पास से
- ʿindinā
- عِندِنَا
- अपने पास से
- waʿallamnāhu
- وَعَلَّمْنَٰهُ
- और सिखाया था हमने उसे
- min
- مِن
- अपने पास से
- ladunnā
- لَّدُنَّا
- अपने पास से
- ʿil'man
- عِلْمًا
- एक (ख़ास) इल्म
फिर उन्होंने हमारे बन्दों में से एक बन्दे को पाया, जिसे हमने अपने पास से दयालुता प्रदान की थी और जिसे अपने पास से ज्ञान प्रदान किया था ([१८] अल कहफ़: 65)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ لَهٗ مُوسٰى هَلْ اَتَّبِعُكَ عَلٰٓى اَنْ تُعَلِّمَنِ مِمَّا عُلِّمْتَ رُشْدًا ٦٦
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- hal
- هَلْ
- क्या
- attabiʿuka
- أَتَّبِعُكَ
- मैं पैरवी करूँ तुम्हारी
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उस पर
- an
- أَن
- कि
- tuʿallimani
- تُعَلِّمَنِ
- तुम सिखाओ मुझे
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- ʿullim'ta
- عُلِّمْتَ
- तुम सिखाए गए
- rush'dan
- رُشْدًا
- हिदायत (समझ बूझ)
मूसा ने उससे कहा, 'क्या मैं आपके पीछे चलूँ, ताकि आप मुझे उस ज्ञान औऱ विवेक की शिक्षा दें, जो आपको दी गई है?' ([१८] अल कहफ़: 66)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِيْعَ مَعِيَ صَبْرًا ٦٧
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तुम
- lan
- لَن
- हरगिज़ ना
- tastaṭīʿa
- تَسْتَطِيعَ
- तुम इस्तिताअत रखोगे
- maʿiya
- مَعِىَ
- मेरे साथ
- ṣabran
- صَبْرًا
- सब्र की
उसने कहा, 'तुम मेरे साथ धैर्य न रख सकोगे, ([१८] अल कहफ़: 67)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَيْفَ تَصْبِرُ عَلٰى مَا لَمْ تُحِطْ بِهٖ خُبْرًا ٦٨
- wakayfa
- وَكَيْفَ
- और किस तरह
- taṣbiru
- تَصْبِرُ
- तुम सब्र कर सकते हो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَا
- जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- tuḥiṭ
- تُحِطْ
- तुमने अहाता किया
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- khub'ran
- خُبْرًا
- इल्म से
और जो चीज़ तुम्हारे ज्ञान-परिधि से बाहर हो, उस पर तुम धैर्य कैसे रख सकते हो?' ([१८] अल कहफ़: 68)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ سَتَجِدُنِيْٓ اِنْ شَاۤءَ اللّٰهُ صَابِرًا وَّلَآ اَعْصِيْ لَكَ اَمْرًا ٦٩
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- satajidunī
- سَتَجِدُنِىٓ
- यक़ीनन तुम पाओगे मुझे
- in
- إِن
- अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ṣābiran
- صَابِرًا
- सब्र करने वाला
- walā
- وَلَآ
- और नहीं
- aʿṣī
- أَعْصِى
- मैं नाफ़रमानी करूँगा
- laka
- لَكَ
- तुम्हारी
- amran
- أَمْرًا
- किसी हुक्म में
(मूसा ने) कहा, 'यदि अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे। और मैं किसी मामले में भी आपकी अवज्ञा नहीं करूँगा।' ([१८] अल कहफ़: 69)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ فَاِنِ اتَّبَعْتَنِيْ فَلَا تَسْـَٔلْنِيْ عَنْ شَيْءٍ حَتّٰٓى اُحْدِثَ لَكَ مِنْهُ ذِكْرًا ࣖ ٧٠
- qāla
- قَالَ
- कहा
- fa-ini
- فَإِنِ
- फिर अगर
- ittabaʿtanī
- ٱتَّبَعْتَنِى
- पैरवी करो तुम मेरी
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tasalnī
- تَسْـَٔلْنِى
- तुम सवाल करना मुझसे
- ʿan
- عَن
- किसी चीज़ के बारे में
- shayin
- شَىْءٍ
- किसी चीज़ के बारे में
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- uḥ'ditha
- أُحْدِثَ
- मैं बयान करूँ
- laka
- لَكَ
- तुम्हारे लिए
- min'hu
- مِنْهُ
- उसका
- dhik'ran
- ذِكْرًا
- ज़िक्र
उसने कहा, 'अच्छा, यदि तुम मेरे साथ चलते हो तो मुझसे किसी चीज़ के विषय में न पूछना, यहाँ तक कि मैं स्वयं ही तुमसे उसकी चर्चा करूँ।' ([१८] अल कहफ़: 70)Tafseer (तफ़सीर )