اَوْ يُصْبِحَ مَاۤؤُهَا غَوْرًا فَلَنْ تَسْتَطِيْعَ لَهٗ طَلَبًا ٤١
- aw
- أَوْ
- या
- yuṣ'biḥa
- يُصْبِحَ
- हो जाए
- māuhā
- مَآؤُهَا
- पानी उसका
- ghawran
- غَوْرًا
- गहरा
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ नहीं
- tastaṭīʿa
- تَسْتَطِيعَ
- तुम इस्तिताअत रखोगे
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- ṭalaban
- طَلَبًا
- तलाश करने की
या उसका पानी बिलकुल नीचे उतर जाए। फिर तू उसे ढूँढ़कर न ला सके।' ([१८] अल कहफ़: 41)Tafseer (तफ़सीर )
وَاُحِيْطَ بِثَمَرِهٖ فَاَصْبَحَ يُقَلِّبُ كَفَّيْهِ عَلٰى مَآ اَنْفَقَ فِيْهَا وَهِيَ خَاوِيَةٌ عَلٰى عُرُوْشِهَا وَيَقُوْلُ يٰلَيْتَنِيْ لَمْ اُشْرِكْ بِرَبِّيْٓ اَحَدًا ٤٢
- wa-uḥīṭa
- وَأُحِيطَ
- और घेर लिया गया
- bithamarihi
- بِثَمَرِهِۦ
- फल उसका
- fa-aṣbaḥa
- فَأَصْبَحَ
- तो उसने सुबह की
- yuqallibu
- يُقَلِّبُ
- वो मलता था
- kaffayhi
- كَفَّيْهِ
- अपनी दोनों हथेलियाँ
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَآ
- जो
- anfaqa
- أَنفَقَ
- उसने ख़र्च किया था
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- wahiya
- وَهِىَ
- और वो (बाग़)
- khāwiyatun
- خَاوِيَةٌ
- गिरा पड़ा था
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी छतों पर
- ʿurūshihā
- عُرُوشِهَا
- अपनी छतों पर
- wayaqūlu
- وَيَقُولُ
- और वो कह रहा था
- yālaytanī
- يَٰلَيْتَنِى
- ऐ काश कि मैं
- lam
- لَمْ
- ना
- ush'rik
- أُشْرِكْ
- मैं शरीक करता
- birabbī
- بِرَبِّىٓ
- साथ अपने रब के
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक को
हुआ भी यही कि उसका सारा फल घिराव में आ गया। उसने उसमें जो कुछ लागत लगाई थी, उसपर वह अपनी हथेलियों को नचाता रह गया. और स्थिति यह थी कि बाग़ अपनी टट्टियों पर हा पड़ा था और वह कह रहा था, 'क्या ही अच्छा होता कि मैंने अपने रब के साथ किसी को साझीदार न बनाया होता!' ([१८] अल कहफ़: 42)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمْ تَكُنْ لَّهٗ فِئَةٌ يَّنْصُرُوْنَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَمَا كَانَ مُنْتَصِرًاۗ ٤٣
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- takun
- تَكُن
- थे
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- fi-atun
- فِئَةٌ
- जमाअत (के लोग)
- yanṣurūnahu
- يَنصُرُونَهُۥ
- जो मदद करते उसकी
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- था वो
- muntaṣiran
- مُنتَصِرًا
- बदला लेने वाला
उसका कोई जत्था न हुआ जो उसके और अल्लाह के बीच पड़कर उसकी सहायता करता और न उसे स्वयं बदला लेने की सामर्थ्य प्राप्त थी ([१८] अल कहफ़: 43)Tafseer (तफ़सीर )
هُنَالِكَ الْوَلَايَةُ لِلّٰهِ الْحَقِّۗ هُوَ خَيْرٌ ثَوَابًا وَّخَيْرٌ عُقْبًا ࣖ ٤٤
- hunālika
- هُنَالِكَ
- वहाँ
- l-walāyatu
- ٱلْوَلَٰيَةُ
- सारा इख़्तियार
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह ही के लिए है
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّۚ
- जो सच्चा है
- huwa
- هُوَ
- वो
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- thawāban
- ثَوَابًا
- बदला (देने में)
- wakhayrun
- وَخَيْرٌ
- और बेहतर है
- ʿuq'ban
- عُقْبًا
- अंजाम के ऐतबार से
ऐसे अवसर पर काम बनाने का सारा अधिकार परम सत्य अल्लाह ही को प्राप्त है। वही बदला देने में सबसे अच्छा है और वही अच्छा परिणाम दिखाने की स्पष्ट से भी सर्वोत्तम है ([१८] अल कहफ़: 44)Tafseer (तफ़सीर )
وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلَ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا كَمَاۤءٍ اَنْزَلْنٰهُ مِنَ السَّمَاۤءِ فَاخْتَلَطَ بِهٖ نَبَاتُ الْاَرْضِ فَاَصْبَحَ هَشِيْمًا تَذْرُوْهُ الرِّيٰحُ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ مُّقْتَدِرًا ٤٥
- wa-iḍ'rib
- وَٱضْرِبْ
- और बयान कीजिए
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mathala
- مَّثَلَ
- मिसाल
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- दुनिया की ज़िन्दगी की
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की ज़िन्दगी की
- kamāin
- كَمَآءٍ
- जैसे पानी
- anzalnāhu
- أَنزَلْنَٰهُ
- उतारा हमने उसे
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- fa-ikh'talaṭa
- فَٱخْتَلَطَ
- तो मिल जुल गईं
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- nabātu
- نَبَاتُ
- नबातात
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन की
- fa-aṣbaḥa
- فَأَصْبَحَ
- तो वो हो गईं
- hashīman
- هَشِيمًا
- चूरा-चूरा
- tadhrūhu
- تَذْرُوهُ
- बिखेरती हैं उसे
- l-riyāḥu
- ٱلرِّيَٰحُۗ
- हवाऐं
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- muq'tadiran
- مُّقْتَدِرًا
- क़ुदरत रखने वाला है
और उनके समक्ष सांसारिक जीवन की उपमा प्रस्तुत करो, यह ऐसी है जैसे पानी हो, जिसे हमने आकाश से उतारा तो उससे धरती की पौध घनी होकर परस्पर गुँथ गई। फिर वह चूरा-चूरा होकर रह गई, जिसे हवाएँ उड़ाए लिए फिरती है। अल्लाह को तो हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([१८] अल कहफ़: 45)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْمَالُ وَالْبَنُوْنَ زِيْنَةُ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۚ وَالْبٰقِيٰتُ الصّٰلِحٰتُ خَيْرٌ عِنْدَ رَبِّكَ ثَوَابًا وَّخَيْرٌ اَمَلًا ٤٦
- al-mālu
- ٱلْمَالُ
- माल
- wal-banūna
- وَٱلْبَنُونَ
- और बेटे
- zīnatu
- زِينَةُ
- ज़ीनत हैं
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- दुनिया की ज़िन्दगी की
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया की ज़िन्दगी की
- wal-bāqiyātu
- وَٱلْبَٰقِيَٰتُ
- और बाक़ी रहने वाली
- l-ṣāliḥātu
- ٱلصَّٰلِحَٰتُ
- नेकियाँ
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर हैं
- ʿinda
- عِندَ
- आपके रब के नज़दीक
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब के नज़दीक
- thawāban
- ثَوَابًا
- सवाब के ऐतबार से
- wakhayrun
- وَخَيْرٌ
- और बेहतर है
- amalan
- أَمَلًا
- उम्मीद के ऐतबार से
माल और बेटे तो केवल सांसारिक जीवन की शोभा है, जबकि बाक़ी रहनेवाली नेकियाँ ही तुम्हारे रब के यहाँ परिणाम की दृष्टि से भी उत्तम है और आशा की दृष्टि से भी वही उत्तम है ([१८] अल कहफ़: 46)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَوْمَ نُسَيِّرُ الْجِبَالَ وَتَرَى الْاَرْضَ بَارِزَةًۙ وَّحَشَرْنٰهُمْ فَلَمْ نُغَادِرْ مِنْهُمْ اَحَدًاۚ ٤٧
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- nusayyiru
- نُسَيِّرُ
- हम चलाऐंगे
- l-jibāla
- ٱلْجِبَالَ
- पहाड़ों को
- watarā
- وَتَرَى
- और आप देखेंगे
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- bārizatan
- بَارِزَةً
- खुली हुई/अयाँ
- waḥasharnāhum
- وَحَشَرْنَٰهُمْ
- और इकट्ठा कर लेंगे हम उन्हें
- falam
- فَلَمْ
- फिर नहीं
- nughādir
- نُغَادِرْ
- हम छोड़ेंगे
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक को
जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगे और तुम धरती को बिलकुल नग्न देखोगे और हम उन्हें इकट्ठा करेंगे तो उनमें से किसी एक को भी न छोड़ेंगे ([१८] अल कहफ़: 47)Tafseer (तफ़सीर )
وَعُرِضُوْا عَلٰى رَبِّكَ صَفًّاۗ لَقَدْ جِئْتُمُوْنَا كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍۢ ۖبَلْ زَعَمْتُمْ اَلَّنْ نَّجْعَلَ لَكُمْ مَّوْعِدًا ٤٨
- waʿuriḍū
- وَعُرِضُوا۟
- और वो पेश किए जाऐंगे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- आपके रब पर
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब पर
- ṣaffan
- صَفًّا
- सफ़ दर सफ़
- laqad
- لَّقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- ji'tumūnā
- جِئْتُمُونَا
- आ गए तुम हमारे पास
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- khalaqnākum
- خَلَقْنَٰكُمْ
- पैदा किया था हमने तुम्हें
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली
- marratin
- مَرَّةٍۭۚ
- बार/मर्तबा
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- zaʿamtum
- زَعَمْتُمْ
- गुमान किया तुमने
- allan
- أَلَّن
- कि हरगिज़ नहीं
- najʿala
- نَّجْعَلَ
- हम बनाऐंगे
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mawʿidan
- مَّوْعِدًا
- कोई वादे का वक़्त/जगह
वे तुम्हारे रब के सामने पंक्तिबद्ध उपस्थित किए जाएँगे - 'तुम हमारे सामने आ पहुँचे, जैसा हमने तुम्हें पहली बार पैदा किया था। नहीं, बल्कि तुम्हारा तो यह दावा था कि हम तुम्हारे लिए वादा किया हुआ कोई समय लाएँगे ही नहीं।' ([१८] अल कहफ़: 48)Tafseer (तफ़सीर )
وَوُضِعَ الْكِتٰبُ فَتَرَى الْمُجْرِمِيْنَ مُشْفِقِيْنَ مِمَّا فِيْهِ وَيَقُوْلُوْنَ يٰوَيْلَتَنَا مَالِ هٰذَا الْكِتٰبِ لَا يُغَادِرُ صَغِيْرَةً وَّلَا كَبِيْرَةً اِلَّآ اَحْصٰىهَاۚ وَوَجَدُوْا مَا عَمِلُوْا حَاضِرًاۗ وَلَا يَظْلِمُ رَبُّكَ اَحَدًا ࣖ ٤٩
- wawuḍiʿa
- وَوُضِعَ
- और रख दी जाएगी
- l-kitābu
- ٱلْكِتَٰبُ
- किताब
- fatarā
- فَتَرَى
- पस आप देखेंगे
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों को
- mush'fiqīna
- مُشْفِقِينَ
- डर रहे होंगे
- mimmā
- مِمَّا
- उससे जो
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें (होगा)
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहेंगे
- yāwaylatanā
- يَٰوَيْلَتَنَا
- हाय अफ़सोस हम पर
- māli
- مَالِ
- क्या है इस किताब को
- hādhā
- هَٰذَا
- क्या है इस किताब को
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- क्या है इस किताब को
- lā
- لَا
- नहीं छोड़ा
- yughādiru
- يُغَادِرُ
- नहीं छोड़ा
- ṣaghīratan
- صَغِيرَةً
- किसी छोटी (चीज़) को
- walā
- وَلَا
- और ना
- kabīratan
- كَبِيرَةً
- बड़ी (चीज़) को
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- aḥṣāhā
- أَحْصَىٰهَاۚ
- उसने शुमार कर रखा है उसे
- wawajadū
- وَوَجَدُوا۟
- और वो पा लेंगे
- mā
- مَا
- जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- उन्होंने अमल किए
- ḥāḍiran
- حَاضِرًاۗ
- हाज़िर
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaẓlimu
- يَظْلِمُ
- ज़ुल्म करेगा
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक पर
किताब (कर्मपत्रिका) रखी जाएगी तो अपराधियों को देखोंगे कि जो कुछ उसमें होगा उससे डर रहे है और कह रहे है, 'हाय, हमारा दुर्भाग्य! यह कैसी किताब है कि यह न कोई छोटी बात छोड़ती है न बड़ी, बल्कि सभी को इसने अपने अन्दर समाहित कर रखा है।' जो कुछ उन्होंने किया होगा सब मौजूद पाएँगे। तुम्हारा रब किसी पर ज़ुल्म न करेगा ([१८] अल कहफ़: 49)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قُلْنَا لِلْمَلٰۤىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ فَسَجَدُوْٓا اِلَّآ اِبْلِيْسَۗ كَانَ مِنَ الْجِنِّ فَفَسَقَ عَنْ اَمْرِ رَبِّهٖۗ اَفَتَتَّخِذُوْنَهٗ وَذُرِّيَّتَهٗٓ اَوْلِيَاۤءَ مِنْ دُوْنِيْ وَهُمْ لَكُمْ عَدُوٌّۗ بِئْسَ لِلظّٰلِمِيْنَ بَدَلًا ٥٠
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qul'nā
- قُلْنَا
- कहा हमने
- lil'malāikati
- لِلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों से
- us'judū
- ٱسْجُدُوا۟
- सजदा करो
- liādama
- لِءَادَمَ
- आदम को
- fasajadū
- فَسَجَدُوٓا۟
- तो उन्होंने सजदा किया
- illā
- إِلَّآ
- सिवाय
- ib'līsa
- إِبْلِيسَ
- इब्लीस के
- kāna
- كَانَ
- था वो
- mina
- مِنَ
- जिन्नों में से
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों में से
- fafasaqa
- فَفَسَقَ
- तो उसने नाफ़रमानी की
- ʿan
- عَنْ
- हुक्म की
- amri
- أَمْرِ
- हुक्म की
- rabbihi
- رَبِّهِۦٓۗ
- अपने रब के
- afatattakhidhūnahu
- أَفَتَتَّخِذُونَهُۥ
- क्या फिर तुम बनाते हो उसे
- wadhurriyyatahu
- وَذُرِّيَّتَهُۥٓ
- और उसकी औलाद को
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- दोस्त
- min
- مِن
- मेरे सिवा
- dūnī
- دُونِى
- मेरे सिवा
- wahum
- وَهُمْ
- हालाँकि वो
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّۢۚ
- दुश्मन है
- bi'sa
- بِئْسَ
- कितना बुरा है
- lilẓẓālimīna
- لِلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों के लिए
- badalan
- بَدَلًا
- बतौर बदल
याद करो जब हमने फ़रिश्तों से कहा, 'आदम को सजदा करो।' तो इबलीस के सिवा सबने सजदा किया। वह जिन्नों में से था। तो उसने अपने रब के आदेश का उल्लंघन किया। अब क्या तुम मुझसे इतर उसे और उसकी सन्तान को संरक्षक मित्र बनाते हो? हालाँकि वे तुम्हारे शत्रु है। क्या ही बुरा विकल्प है, जो ज़ालिमों के हाथ आया! ([१८] अल कहफ़: 50)Tafseer (तफ़सीर )