ۨالَّذِيْنَ كَانَتْ اَعْيُنُهُمْ فِيْ غِطَاۤءٍ عَنْ ذِكْرِيْ وَكَانُوْا لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ سَمْعًا ࣖ ١٠١
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- kānat
- كَانَتْ
- थीं
- aʿyunuhum
- أَعْيُنُهُمْ
- आँखें उनकी
- fī
- فِى
- पर्दे में
- ghiṭāin
- غِطَآءٍ
- पर्दे में
- ʿan
- عَن
- मेरे ज़िक्र से
- dhik'rī
- ذِكْرِى
- मेरे ज़िक्र से
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- lā
- لَا
- ना वो इस्तिताअत रखते
- yastaṭīʿūna
- يَسْتَطِيعُونَ
- ना वो इस्तिताअत रखते
- samʿan
- سَمْعًا
- सुनने की
जिनके नेत्र मेरी अनुस्मृति की ओर से परदे में थे और जो कुछ सुन भी नहीं सकते थे ([१८] अल कहफ़: 101)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَحَسِبَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنْ يَّتَّخِذُوْا عِبَادِيْ مِنْ دُوْنِيْٓ اَوْلِيَاۤءَ ۗاِنَّآ اَعْتَدْنَا جَهَنَّمَ لِلْكٰفِرِيْنَ نُزُلًا ١٠٢
- afaḥasiba
- أَفَحَسِبَ
- क्या फिर गुमान करते हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- an
- أَن
- कि
- yattakhidhū
- يَتَّخِذُوا۟
- वो बना लेंगे
- ʿibādī
- عِبَادِى
- मेरे बन्दों को
- min
- مِن
- मेरे सिवा
- dūnī
- دُونِىٓ
- मेरे सिवा
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَۚ
- हिमायती/दोस्त
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- aʿtadnā
- أَعْتَدْنَا
- तैयार कर रखा है हमने
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम को
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- nuzulan
- نُزُلًا
- बतौरे मेहमानी के
तो क्या इनकार करनेवाले इस ख़याल में हैं कि मुझसे हटकर मेरे बन्दों को अपना हिमायती बना लें? हमने ऐसे इनकार करनेवालों के आतिथ्य-सत्कार के लिए जहन्नम तैयार कर रखा है ([१८] अल कहफ़: 102)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ هَلْ نُنَبِّئُكُمْ بِالْاَخْسَرِيْنَ اَعْمَالًا ۗ ١٠٣
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- hal
- هَلْ
- क्या
- nunabbi-ukum
- نُنَبِّئُكُم
- हम बताऐं तुम्हें
- bil-akhsarīna
- بِٱلْأَخْسَرِينَ
- सबसे ज़्यादा ख़सारा वाले
- aʿmālan
- أَعْمَٰلًا
- आमाल में
कहो, 'क्या हम तुम्हें उन लोगों की ख़बर दें, जो अपने कर्मों की स्पष्ट से सबसे बढ़कर घाटा उठानेवाले हैं? ([१८] अल कहफ़: 103)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ ضَلَّ سَعْيُهُمْ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَهُمْ يَحْسَبُوْنَ اَنَّهُمْ يُحْسِنُوْنَ صُنْعًا ١٠٤
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- ḍalla
- ضَلَّ
- ज़ाया हो गई
- saʿyuhum
- سَعْيُهُمْ
- कोशिश उनकी
- fī
- فِى
- ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- yaḥsabūna
- يَحْسَبُونَ
- वो समझते हैं
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- yuḥ'sinūna
- يُحْسِنُونَ
- वो अच्छे कर रहे हैं
- ṣun'ʿan
- صُنْعًا
- काम
यो वे लोग है जिनका प्रयास सांसारिक जीवन में अकारथ गया और वे यही समझते है कि वे बहुत अच्छा कर्म कर रहे है ([१८] अल कहफ़: 104)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ رَبِّهِمْ وَلِقَاۤىِٕهٖ فَحَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ فَلَا نُقِيْمُ لَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ وَزْنًا ١٠٥
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही वो लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- साथ आयात के
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- अपने रब की
- waliqāihi
- وَلِقَآئِهِۦ
- और उसकी मुलाक़ात की
- faḥabiṭat
- فَحَبِطَتْ
- तो ज़ाया हो गए
- aʿmāluhum
- أَعْمَٰلُهُمْ
- आमाल उनके
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- nuqīmu
- نُقِيمُ
- हम क़ायम करेंगे
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- waznan
- وَزْنًا
- कोई वज़न
यही वे लोग है जिन्होंने अपने रब की आयतों का और उससे मिलन का इनकार किया। अतः उनके कर्म जान को लागू हुए, तो हम क़ियामत के दिन उन्हें कोई वज़न न देंगे ([१८] अल कहफ़: 105)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ جَزَاۤؤُهُمْ جَهَنَّمُ بِمَا كَفَرُوْا وَاتَّخَذُوْٓا اٰيٰتِيْ وَرُسُلِيْ هُزُوًا ١٠٦
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये है
- jazāuhum
- جَزَآؤُهُمْ
- बदला उनका
- jahannamu
- جَهَنَّمُ
- जहन्नम
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- उन्होंने कुफ़्र किया
- wa-ittakhadhū
- وَٱتَّخَذُوٓا۟
- और उन्होंने बना लिया
- āyātī
- ءَايَٰتِى
- मेरी आयात को
- warusulī
- وَرُسُلِى
- और मेरे रसूलों को
- huzuwan
- هُزُوًا
- मज़ाक़
उनका बदला वही जहन्नम है, इसलिए कि उन्होंने कुफ़्र की नीति अपनाई और मेरी आयतों और मेरे रसूलों का उपहास किया ([१८] अल कहफ़: 106)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ كَانَتْ لَهُمْ جَنّٰتُ الْفِرْدَوْسِ نُزُلًا ۙ ١٠٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- kānat
- كَانَتْ
- हैं
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- jannātu
- جَنَّٰتُ
- बाग़ात
- l-fir'dawsi
- ٱلْفِرْدَوْسِ
- फ़िरदौस के
- nuzulan
- نُزُلًا
- बतौरे मेहमनी
निश्चय ही जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके आतिथ्य के लिए फ़िरदौस के बाग़ होंगे, ([१८] अल कहफ़: 107)Tafseer (तफ़सीर )
خٰلِدِيْنَ فِيْهَا لَا يَبْغُوْنَ عَنْهَا حِوَلًا ١٠٨
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- lā
- لَا
- ना वो चाहेंगे
- yabghūna
- يَبْغُونَ
- ना वो चाहेंगे
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उनसे
- ḥiwalan
- حِوَلًا
- फिरना
जिनमें वे सदैव रहेंगे, वहाँ से हटना न चाहेंगे।' ([१८] अल कहफ़: 108)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّوْ كَانَ الْبَحْرُ مِدَادًا لِّكَلِمٰتِ رَبِّيْ لَنَفِدَ الْبَحْرُ قَبْلَ اَنْ تَنْفَدَ كَلِمٰتُ رَبِّيْ وَلَوْ جِئْنَا بِمِثْلِهٖ مَدَدًا ١٠٩
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- law
- لَّوْ
- अगर
- kāna
- كَانَ
- हो जाए
- l-baḥru
- ٱلْبَحْرُ
- समन्दर (का पानी)
- midādan
- مِدَادًا
- रोशनाई
- likalimāti
- لِّكَلِمَٰتِ
- कलिमात के लिए
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब के
- lanafida
- لَنَفِدَ
- अलबत्ता ख़त्म हो जाए
- l-baḥru
- ٱلْبَحْرُ
- समन्दर (का पानी)
- qabla
- قَبْلَ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- tanfada
- تَنفَدَ
- ख़त्म हों
- kalimātu
- كَلِمَٰتُ
- कलिमात
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब के
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- ji'nā
- جِئْنَا
- लाऐं हम
- bimith'lihi
- بِمِثْلِهِۦ
- मानिन्द इसके
- madadan
- مَدَدًا
- मदद (मज़ीद)
कहो, 'यदि समुद्र मेरे रब के बोल को लिखने के लिए रोशनाई हो जाए तो इससे पहले कि मेरे रब के बोल समाप्त हों, समुद्र ही समाप्त हो जाएगा। यद्यपि हम उसके सदृश्य एक और भी समुद्र उसके साथ ला मिलाएँ।' ([१८] अल कहफ़: 109)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنَّمَآ اَنَا۠ بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ يُوْحٰٓى اِلَيَّ اَنَّمَآ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌۚ فَمَنْ كَانَ يَرْجُوْا لِقَاۤءَ رَبِّهٖ فَلْيَعْمَلْ عَمَلًا صَالِحًا وَّلَا يُشْرِكْ بِعِبَادَةِ رَبِّهٖٓ اَحَدًا ࣖ ١١٠
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- basharun
- بَشَرٌ
- एक इन्सान हूँ
- mith'lukum
- مِّثْلُكُمْ
- तुम जैसा
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती है
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- annamā
- أَنَّمَآ
- बेशक
- ilāhukum
- إِلَٰهُكُمْ
- इलाह तुम्हारा
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह है
- wāḥidun
- وَٰحِدٌۖ
- एक ही
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- kāna
- كَانَ
- हो वो
- yarjū
- يَرْجُوا۟
- वो उम्मीद रखता
- liqāa
- لِقَآءَ
- मुलाक़ात की
- rabbihi
- رَبِّهِۦ
- अपने रब से
- falyaʿmal
- فَلْيَعْمَلْ
- पस चाहिए कि वो अमल करे
- ʿamalan
- عَمَلًا
- अमल
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- walā
- وَلَا
- और ना
- yush'rik
- يُشْرِكْ
- वो शरीक ठहराए
- biʿibādati
- بِعِبَادَةِ
- इबादत में
- rabbihi
- رَبِّهِۦٓ
- अपने रब की
- aḥadan
- أَحَدًۢا
- किसी एक को
कह दो, 'मैं तो केवल तुम्हीं जैसा मनुष्य हूँ। मेरी ओर प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः जो कोई अपने रब से मिलन की आशा रखता हो, उसे चाहिए कि अच्छा कर्म करे और अपने रब की बन्दगी में किसी को साझी न बनाए।' ([१८] अल कहफ़: 110)Tafseer (तफ़सीर )