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सूरा अल कहफ़ - Page: 10

Al-Kahf

(गुफ़ा)

९१

كَذٰلِكَۗ وَقَدْ اَحَطْنَا بِمَا لَدَيْهِ خُبْرًا ٩١

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
waqad
وَقَدْ
और तहक़ीक़
aḥaṭnā
أَحَطْنَا
घेर रखा था हमने
bimā
بِمَا
उसको जो
ladayhi
لَدَيْهِ
उसके पास था
khub'ran
خُبْرًا
ख़बर में से
ऐसा ही हमने किया था और जो कुछ उसके पास था, उसकी हमें पूरी ख़बर थी ([१८] अल कहफ़: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

ثُمَّ اَتْبَعَ سَبَبًا ٩٢

thumma
ثُمَّ
फिर
atbaʿa
أَتْبَعَ
उसने पीछे लगाया
sababan
سَبَبًا
असबाब को
उसने फिर एक अभियान का आयोजन किया, ([१८] अल कहफ़: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ بَيْنَ السَّدَّيْنِ وَجَدَ مِنْ دُوْنِهِمَا قَوْمًاۙ لَّا يَكَادُوْنَ يَفْقَهُوْنَ قَوْلًا ٩٣

ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
balagha
بَلَغَ
वो पहुँचा
bayna
بَيْنَ
दर्मियान दो पहाड़ों के
l-sadayni
ٱلسَّدَّيْنِ
दर्मियान दो पहाड़ों के
wajada
وَجَدَ
उसने पाया
min
مِن
उन दोनों से उस तरफ़
dūnihimā
دُونِهِمَا
उन दोनों से उस तरफ़
qawman
قَوْمًا
ऐसे लोगों को
لَّا
ना वो क़रीब थे
yakādūna
يَكَادُونَ
ना वो क़रीब थे
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
कि वो समझते
qawlan
قَوْلًا
बात को
यहाँ तक कि जब वह दो पर्वतों के बीच पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ लोग मिले, जो ऐसा लगाता नहीं था कि कोई बात समझ पाते हों ([१८] अल कहफ़: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

قَالُوْا يٰذَا الْقَرْنَيْنِ اِنَّ يَأْجُوْجَ وَمَأْجُوْجَ مُفْسِدُوْنَ فِى الْاَرْضِ فَهَلْ نَجْعَلُ لَكَ خَرْجًا عَلٰٓى اَنْ تَجْعَلَ بَيْنَنَا وَبَيْنَهُمْ سَدًّا ٩٤

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
yādhā
يَٰذَا
ऐ ज़ुलक़रनैन
l-qarnayni
ٱلْقَرْنَيْنِ
ऐ ज़ुलक़रनैन
inna
إِنَّ
बेशक
yajūja
يَأْجُوجَ
याजूज
wamajūja
وَمَأْجُوجَ
और माजूज
muf'sidūna
مُفْسِدُونَ
फ़साद करने वाले हैं
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fahal
فَهَلْ
तो क्या
najʿalu
نَجْعَلُ
हम (जमा) कर दें
laka
لَكَ
तेरे लिए
kharjan
خَرْجًا
कुछ ख़राज
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस पर
an
أَن
कि
tajʿala
تَجْعَلَ
तू बना दे
baynanā
بَيْنَنَا
दर्मियान हमारे
wabaynahum
وَبَيْنَهُمْ
और दर्मियान उनके
saddan
سَدًّا
एक बँद/दीवार
उन्होंने कहा, 'ऐ ज़ुलक़रनैन! याजूज और माजूज इस भूभाग में उत्पात मचाते हैं। क्या हम तुम्हें कोई कर इस बात काम के लिए दें कि तुम हमारे और उनके बीच एक अवरोध निर्मित कर दो?' ([१८] अल कहफ़: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

قَالَ مَا مَكَّنِّيْ فِيْهِ رَبِّيْ خَيْرٌ فَاَعِيْنُوْنِيْ بِقُوَّةٍ اَجْعَلْ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ رَدْمًا ۙ ٩٥

qāla
قَالَ
उसने कहा
مَا
जो
makkannī
مَكَّنِّى
क़ुदरत दी है मुझे
fīhi
فِيهِ
इसमें
rabbī
رَبِّى
मेरे रब ने
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
fa-aʿīnūnī
فَأَعِينُونِى
पस तुम सब मदद करो मेरी
biquwwatin
بِقُوَّةٍ
साथ क़ुव्वत के
ajʿal
أَجْعَلْ
मैं बनाऊँ
baynakum
بَيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
wabaynahum
وَبَيْنَهُمْ
और दर्मियान उनके
radman
رَدْمًا
एक मज़बूत बँद
उसने कहा, 'मेरे रब ने मुझे जो कुछ अधिकार एवं शक्ति दी है वह उत्तम है। तुम तो बस बल में मेरी सहायता करो। मैं तुम्हारे और उनके बीच एक सुदृढ़ दीवार बनाए देता हूँ ([१८] अल कहफ़: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

اٰتُوْنِيْ زُبَرَ الْحَدِيْدِۗ حَتّٰىٓ اِذَا سَاوٰى بَيْنَ الصَّدَفَيْنِ قَالَ انْفُخُوْا ۗحَتّٰىٓ اِذَا جَعَلَهٗ نَارًاۙ قَالَ اٰتُوْنِيْٓ اُفْرِغْ عَلَيْهِ قِطْرًا ۗ ٩٦

ātūnī
ءَاتُونِى
दो मुझे
zubara
زُبَرَ
तख़्ते
l-ḥadīdi
ٱلْحَدِيدِۖ
लोहे के
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
sāwā
سَاوَىٰ
उसने बराबर कर दिया
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-ṣadafayni
ٱلصَّدَفَيْنِ
दो पहाड़ों के ख़ला को
qāla
قَالَ
कहा
unfukhū
ٱنفُخُوا۟ۖ
फूँको
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
jaʿalahu
جَعَلَهُۥ
उसने कर दिया उसे
nāran
نَارًا
आग
qāla
قَالَ
कहा
ātūnī
ءَاتُونِىٓ
दो मुझे
uf'righ
أُفْرِغْ
मैं उँडेलूं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
qiṭ'ran
قِطْرًا
पिघला हुआ ताँबा
मुझे लोहे के टुकड़े ला दो।' यहाँ तक कि जब दोनों पर्वतों के बीच के रिक्त स्थान को पाटकर बराबर कर दिया तो कहा, 'धौंको!' यहाँ तक कि जब उसे आग कर दिया तो कहा, 'मुझे पिघला हुआ ताँबा ला दो, ताकि मैं उसपर उँड़ेल दूँ।' ([१८] अल कहफ़: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

فَمَا اسْطَاعُوْٓا اَنْ يَّظْهَرُوْهُ وَمَا اسْتَطَاعُوْا لَهٗ نَقْبًا ٩٧

famā
فَمَا
तो ना
is'ṭāʿū
ٱسْطَٰعُوٓا۟
वो ताक़त रखते थे
an
أَن
कि
yaẓharūhu
يَظْهَرُوهُ
वो चढ़ सकें उस पर
wamā
وَمَا
और ना
is'taṭāʿū
ٱسْتَطَٰعُوا۟
वो ताक़त रखते थे
lahu
لَهُۥ
उसमें
naqban
نَقْبًا
सूराख़ करने की
तो न तो वे (याजूज, माजूज) उसपर चढ़कर आ सकते थे और न वे उसमें सेंध ही लगा सकते थे ([१८] अल कहफ़: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

قَالَ هٰذَا رَحْمَةٌ مِّنْ رَّبِّيْۚ فَاِذَا جَاۤءَ وَعْدُ رَبِّيْ جَعَلَهٗ دَكَّاۤءَۚ وَكَانَ وَعْدُ رَبِّيْ حَقًّا ۗ ٩٨

qāla
قَالَ
कहा
hādhā
هَٰذَا
ये है
raḥmatun
رَحْمَةٌ
रहमत
min
مِّن
मेरे रब की तरफ़ से
rabbī
رَّبِّىۖ
मेरे रब की तरफ़ से
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
jāa
جَآءَ
आ जाएगा
waʿdu
وَعْدُ
वादा
rabbī
رَبِّى
मेरे रब का
jaʿalahu
جَعَلَهُۥ
वो कर देगा उसे
dakkāa
دَكَّآءَۖ
रेज़ा-रेज़ा
wakāna
وَكَانَ
और है
waʿdu
وَعْدُ
वादा
rabbī
رَبِّى
मेरे रब का
ḥaqqan
حَقًّا
बरहक़
उसने कहा, 'यह मेरे रब की दयालुता है, किन्तु जब मेरे रब के वादे का समय आ जाएगा तो वह उसे ढाकर बराबर कर देगा, और मेरे रब का वादा सच्चा है।' ([१८] अल कहफ़: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

۞ وَتَرَكْنَا بَعْضَهُمْ يَوْمَىِٕذٍ يَّمُوْجُ فِيْ بَعْضٍ وَّنُفِخَ فِى الصُّوْرِ فَجَمَعْنٰهُمْ جَمْعًا ۙ ٩٩

wataraknā
وَتَرَكْنَا
और छोड़ देंगे हम
baʿḍahum
بَعْضَهُمْ
उनके बाज़ को
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
yamūju
يَمُوجُ
वो मौज की तरह घुस जाऐंगे
فِى
बाज़ में
baʿḍin
بَعْضٍۖ
बाज़ में
wanufikha
وَنُفِخَ
और फूँक मारी जाएगी
فِى
सूर में
l-ṣūri
ٱلصُّورِ
सूर में
fajamaʿnāhum
فَجَمَعْنَٰهُمْ
तो जमा कर लेंगे हम उन्हें
jamʿan
جَمْعًا
जमा करना
उस दिन हम उन्हें छोड़ देंगे कि वे एक-दूसरे से मौज़ों की तरह परस्पर गुत्मथ-गुत्था हो जाएँगे। और 'सूर' फूँका जाएगा। फिर हम उन सबको एक साथ इकट्ठा करेंगे ([१८] अल कहफ़: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

وَّعَرَضْنَا جَهَنَّمَ يَوْمَىِٕذٍ لِّلْكٰفِرِيْنَ عَرْضًا ۙ ١٠٠

waʿaraḍnā
وَعَرَضْنَا
और पेश करेंगे हम
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम को
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
lil'kāfirīna
لِّلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
ʿarḍan
عَرْضًا
पेश करना
और उस दिन जहन्नम को इनकार करनेवालों के सामने कर देंगे ([१८] अल कहफ़: 100)
Tafseer (तफ़सीर )