كَذٰلِكَۗ وَقَدْ اَحَطْنَا بِمَا لَدَيْهِ خُبْرًا ٩١
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- waqad
- وَقَدْ
- और तहक़ीक़
- aḥaṭnā
- أَحَطْنَا
- घेर रखा था हमने
- bimā
- بِمَا
- उसको जो
- ladayhi
- لَدَيْهِ
- उसके पास था
- khub'ran
- خُبْرًا
- ख़बर में से
ऐसा ही हमने किया था और जो कुछ उसके पास था, उसकी हमें पूरी ख़बर थी ([१८] अल कहफ़: 91)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اَتْبَعَ سَبَبًا ٩٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- atbaʿa
- أَتْبَعَ
- उसने पीछे लगाया
- sababan
- سَبَبًا
- असबाब को
उसने फिर एक अभियान का आयोजन किया, ([१८] अल कहफ़: 92)Tafseer (तफ़सीर )
حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ بَيْنَ السَّدَّيْنِ وَجَدَ مِنْ دُوْنِهِمَا قَوْمًاۙ لَّا يَكَادُوْنَ يَفْقَهُوْنَ قَوْلًا ٩٣
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- balagha
- بَلَغَ
- वो पहुँचा
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान दो पहाड़ों के
- l-sadayni
- ٱلسَّدَّيْنِ
- दर्मियान दो पहाड़ों के
- wajada
- وَجَدَ
- उसने पाया
- min
- مِن
- उन दोनों से उस तरफ़
- dūnihimā
- دُونِهِمَا
- उन दोनों से उस तरफ़
- qawman
- قَوْمًا
- ऐसे लोगों को
- lā
- لَّا
- ना वो क़रीब थे
- yakādūna
- يَكَادُونَ
- ना वो क़रीब थे
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- कि वो समझते
- qawlan
- قَوْلًا
- बात को
यहाँ तक कि जब वह दो पर्वतों के बीच पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ लोग मिले, जो ऐसा लगाता नहीं था कि कोई बात समझ पाते हों ([१८] अल कहफ़: 93)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا يٰذَا الْقَرْنَيْنِ اِنَّ يَأْجُوْجَ وَمَأْجُوْجَ مُفْسِدُوْنَ فِى الْاَرْضِ فَهَلْ نَجْعَلُ لَكَ خَرْجًا عَلٰٓى اَنْ تَجْعَلَ بَيْنَنَا وَبَيْنَهُمْ سَدًّا ٩٤
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yādhā
- يَٰذَا
- ऐ ज़ुलक़रनैन
- l-qarnayni
- ٱلْقَرْنَيْنِ
- ऐ ज़ुलक़रनैन
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- yajūja
- يَأْجُوجَ
- याजूज
- wamajūja
- وَمَأْجُوجَ
- और माजूज
- muf'sidūna
- مُفْسِدُونَ
- फ़साद करने वाले हैं
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fahal
- فَهَلْ
- तो क्या
- najʿalu
- نَجْعَلُ
- हम (जमा) कर दें
- laka
- لَكَ
- तेरे लिए
- kharjan
- خَرْجًا
- कुछ ख़राज
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस पर
- an
- أَن
- कि
- tajʿala
- تَجْعَلَ
- तू बना दे
- baynanā
- بَيْنَنَا
- दर्मियान हमारे
- wabaynahum
- وَبَيْنَهُمْ
- और दर्मियान उनके
- saddan
- سَدًّا
- एक बँद/दीवार
उन्होंने कहा, 'ऐ ज़ुलक़रनैन! याजूज और माजूज इस भूभाग में उत्पात मचाते हैं। क्या हम तुम्हें कोई कर इस बात काम के लिए दें कि तुम हमारे और उनके बीच एक अवरोध निर्मित कर दो?' ([१८] अल कहफ़: 94)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ مَا مَكَّنِّيْ فِيْهِ رَبِّيْ خَيْرٌ فَاَعِيْنُوْنِيْ بِقُوَّةٍ اَجْعَلْ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ رَدْمًا ۙ ٩٥
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- mā
- مَا
- जो
- makkannī
- مَكَّنِّى
- क़ुदरत दी है मुझे
- fīhi
- فِيهِ
- इसमें
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब ने
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- fa-aʿīnūnī
- فَأَعِينُونِى
- पस तुम सब मदद करो मेरी
- biquwwatin
- بِقُوَّةٍ
- साथ क़ुव्वत के
- ajʿal
- أَجْعَلْ
- मैं बनाऊँ
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- wabaynahum
- وَبَيْنَهُمْ
- और दर्मियान उनके
- radman
- رَدْمًا
- एक मज़बूत बँद
उसने कहा, 'मेरे रब ने मुझे जो कुछ अधिकार एवं शक्ति दी है वह उत्तम है। तुम तो बस बल में मेरी सहायता करो। मैं तुम्हारे और उनके बीच एक सुदृढ़ दीवार बनाए देता हूँ ([१८] अल कहफ़: 95)Tafseer (तफ़सीर )
اٰتُوْنِيْ زُبَرَ الْحَدِيْدِۗ حَتّٰىٓ اِذَا سَاوٰى بَيْنَ الصَّدَفَيْنِ قَالَ انْفُخُوْا ۗحَتّٰىٓ اِذَا جَعَلَهٗ نَارًاۙ قَالَ اٰتُوْنِيْٓ اُفْرِغْ عَلَيْهِ قِطْرًا ۗ ٩٦
- ātūnī
- ءَاتُونِى
- दो मुझे
- zubara
- زُبَرَ
- तख़्ते
- l-ḥadīdi
- ٱلْحَدِيدِۖ
- लोहे के
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- sāwā
- سَاوَىٰ
- उसने बराबर कर दिया
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-ṣadafayni
- ٱلصَّدَفَيْنِ
- दो पहाड़ों के ख़ला को
- qāla
- قَالَ
- कहा
- unfukhū
- ٱنفُخُوا۟ۖ
- फूँको
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- jaʿalahu
- جَعَلَهُۥ
- उसने कर दिया उसे
- nāran
- نَارًا
- आग
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ātūnī
- ءَاتُونِىٓ
- दो मुझे
- uf'righ
- أُفْرِغْ
- मैं उँडेलूं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इस पर
- qiṭ'ran
- قِطْرًا
- पिघला हुआ ताँबा
मुझे लोहे के टुकड़े ला दो।' यहाँ तक कि जब दोनों पर्वतों के बीच के रिक्त स्थान को पाटकर बराबर कर दिया तो कहा, 'धौंको!' यहाँ तक कि जब उसे आग कर दिया तो कहा, 'मुझे पिघला हुआ ताँबा ला दो, ताकि मैं उसपर उँड़ेल दूँ।' ([१८] अल कहफ़: 96)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَا اسْطَاعُوْٓا اَنْ يَّظْهَرُوْهُ وَمَا اسْتَطَاعُوْا لَهٗ نَقْبًا ٩٧
- famā
- فَمَا
- तो ना
- is'ṭāʿū
- ٱسْطَٰعُوٓا۟
- वो ताक़त रखते थे
- an
- أَن
- कि
- yaẓharūhu
- يَظْهَرُوهُ
- वो चढ़ सकें उस पर
- wamā
- وَمَا
- और ना
- is'taṭāʿū
- ٱسْتَطَٰعُوا۟
- वो ताक़त रखते थे
- lahu
- لَهُۥ
- उसमें
- naqban
- نَقْبًا
- सूराख़ करने की
तो न तो वे (याजूज, माजूज) उसपर चढ़कर आ सकते थे और न वे उसमें सेंध ही लगा सकते थे ([१८] अल कहफ़: 97)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ هٰذَا رَحْمَةٌ مِّنْ رَّبِّيْۚ فَاِذَا جَاۤءَ وَعْدُ رَبِّيْ جَعَلَهٗ دَكَّاۤءَۚ وَكَانَ وَعْدُ رَبِّيْ حَقًّا ۗ ٩٨
- qāla
- قَالَ
- कहा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- raḥmatun
- رَحْمَةٌ
- रहमत
- min
- مِّن
- मेरे रब की तरफ़ से
- rabbī
- رَّبِّىۖ
- मेरे रब की तरफ़ से
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- jāa
- جَآءَ
- आ जाएगा
- waʿdu
- وَعْدُ
- वादा
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब का
- jaʿalahu
- جَعَلَهُۥ
- वो कर देगा उसे
- dakkāa
- دَكَّآءَۖ
- रेज़ा-रेज़ा
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- waʿdu
- وَعْدُ
- वादा
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब का
- ḥaqqan
- حَقًّا
- बरहक़
उसने कहा, 'यह मेरे रब की दयालुता है, किन्तु जब मेरे रब के वादे का समय आ जाएगा तो वह उसे ढाकर बराबर कर देगा, और मेरे रब का वादा सच्चा है।' ([१८] अल कहफ़: 98)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَتَرَكْنَا بَعْضَهُمْ يَوْمَىِٕذٍ يَّمُوْجُ فِيْ بَعْضٍ وَّنُفِخَ فِى الصُّوْرِ فَجَمَعْنٰهُمْ جَمْعًا ۙ ٩٩
- wataraknā
- وَتَرَكْنَا
- और छोड़ देंगे हम
- baʿḍahum
- بَعْضَهُمْ
- उनके बाज़ को
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- yamūju
- يَمُوجُ
- वो मौज की तरह घुस जाऐंगे
- fī
- فِى
- बाज़ में
- baʿḍin
- بَعْضٍۖ
- बाज़ में
- wanufikha
- وَنُفِخَ
- और फूँक मारी जाएगी
- fī
- فِى
- सूर में
- l-ṣūri
- ٱلصُّورِ
- सूर में
- fajamaʿnāhum
- فَجَمَعْنَٰهُمْ
- तो जमा कर लेंगे हम उन्हें
- jamʿan
- جَمْعًا
- जमा करना
उस दिन हम उन्हें छोड़ देंगे कि वे एक-दूसरे से मौज़ों की तरह परस्पर गुत्मथ-गुत्था हो जाएँगे। और 'सूर' फूँका जाएगा। फिर हम उन सबको एक साथ इकट्ठा करेंगे ([१८] अल कहफ़: 99)Tafseer (तफ़सीर )
وَّعَرَضْنَا جَهَنَّمَ يَوْمَىِٕذٍ لِّلْكٰفِرِيْنَ عَرْضًا ۙ ١٠٠
- waʿaraḍnā
- وَعَرَضْنَا
- और पेश करेंगे हम
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम को
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lil'kāfirīna
- لِّلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- ʿarḍan
- عَرْضًا
- पेश करना
और उस दिन जहन्नम को इनकार करनेवालों के सामने कर देंगे ([१८] अल कहफ़: 100)Tafseer (तफ़सीर )