اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ عَلٰى عَبْدِهِ الْكِتٰبَ وَلَمْ يَجْعَلْ لَّهٗ عِوَجًا ۜ ١
- al-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जिसने
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने बन्दे पर
- ʿabdihi
- عَبْدِهِ
- अपने बन्दे पर
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब को
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yajʿal
- يَجْعَل
- उसने रखा
- lahu
- لَّهُۥ
- उसमें
- ʿiwajā
- عِوَجَاۜ
- कोई टेढ़ापन
प्रशंसा अल्लाह के लिए है जिसने अपने बन्दे पर यह किताब अवतरित की और उसमें (अर्थात उस बन्दे में) कोई टेढ़ नहीं रखी, ([१८] अल कहफ़: 1)Tafseer (तफ़सीर )
قَيِّمًا لِّيُنْذِرَ بَأْسًا شَدِيْدًا مِّنْ لَّدُنْهُ وَيُبَشِّرَ الْمُؤْمِنِيْنَ الَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ الصّٰلِحٰتِ اَنَّ لَهُمْ اَجْرًا حَسَنًاۙ ٢
- qayyiman
- قَيِّمًا
- बिल्कुल सीधी
- liyundhira
- لِّيُنذِرَ
- ताकि वो डराए
- basan
- بَأْسًا
- अज़ाब
- shadīdan
- شَدِيدًا
- सख़्त से
- min
- مِّن
- उसकी तरफ़ से
- ladun'hu
- لَّدُنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- wayubashira
- وَيُبَشِّرَ
- और वो ख़ुशख़बरी दे
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- अमल करते हैं
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ajran
- أَجْرًا
- अजर है
- ḥasanan
- حَسَنًا
- अच्छा
ठीक और दूरुस्त, ताकि एक कठोर आपदा से सावधान कर दे जो उसकी और से आ पड़ेगी। और मोमिनों को, जो अच्छे कर्म करते है, शुभ सूचना दे दे कि उनके लिए अच्छा बदला है; ([१८] अल कहफ़: 2)Tafseer (तफ़सीर )
مَّاكِثِيْنَ فِيْهِ اَبَدًاۙ ٣
- mākithīna
- مَّٰكِثِينَ
- रहने वाले हैं
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- abadan
- أَبَدًا
- हमेशा-हमेशा
जिसमें वे सदैव रहेंगे ([१८] अल कहफ़: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَّيُنْذِرَ الَّذِيْنَ قَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًاۖ ٤
- wayundhira
- وَيُنذِرَ
- और वो डराए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- qālū
- قَالُوا۟
- कहा
- ittakhadha
- ٱتَّخَذَ
- बना ली
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- waladan
- وَلَدًا
- कोई औलाद
और उनको सावधान कर दे, जो कहते है, 'अल्लाह सन्तानवाला है।' ([१८] अल कहफ़: 4)Tafseer (तफ़सीर )
مَّا لَهُمْ بِهٖ مِنْ عِلْمٍ وَّلَا لِاٰبَاۤىِٕهِمْۗ كَبُرَتْ كَلِمَةً تَخْرُجُ مِنْ اَفْوَاهِهِمْۗ اِنْ يَّقُوْلُوْنَ اِلَّا كَذِبًا ٥
- mā
- مَّا
- नहीं
- lahum
- لَهُم
- उन्हें
- bihi
- بِهِۦ
- इसका
- min
- مِنْ
- कोई इल्म
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- कोई इल्म
- walā
- وَلَا
- और ना
- liābāihim
- لِءَابَآئِهِمْۚ
- उनके आबा ओ अजदाद को
- kaburat
- كَبُرَتْ
- बहुत बड़ी है
- kalimatan
- كَلِمَةً
- बात
- takhruju
- تَخْرُجُ
- जो निकलती है
- min
- مِنْ
- उनके मुँहों से
- afwāhihim
- أَفْوَٰهِهِمْۚ
- उनके मुँहों से
- in
- إِن
- नहीं
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kadhiban
- كَذِبًا
- झूठ
इसका न उन्हें कोई ज्ञान है और न उनके बाप-दादा ही को था। बड़ी बात है जो उनके मुँह से निकलती है। वे केवल झूठ बोलते है ([१८] अल कहफ़: 5)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ عَلٰٓى اٰثَارِهِمْ اِنْ لَّمْ يُؤْمِنُوْا بِهٰذَا الْحَدِيْثِ اَسَفًا ٦
- falaʿallaka
- فَلَعَلَّكَ
- पस शायद कि आप
- bākhiʿun
- بَٰخِعٌ
- हलाक करने वाले हैं
- nafsaka
- نَّفْسَكَ
- अपनी जान को
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उनके पीछे
- āthārihim
- ءَاثَٰرِهِمْ
- उनके पीछे
- in
- إِن
- अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟
- वो ईमान लाऐं
- bihādhā
- بِهَٰذَا
- साथ इस
- l-ḥadīthi
- ٱلْحَدِيثِ
- कलाम के
- asafan
- أَسَفًا
- ग़म के मारे
अच्छा, शायद उनके पीछे, यदि उन्होंने यह बात न मानी तो तुम अफ़सोस के मारे अपने प्राण ही खो दोगे! ([१८] अल कहफ़: 6)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّا جَعَلْنَا مَا عَلَى الْاَرْضِ زِيْنَةً لَّهَا لِنَبْلُوَهُمْ اَيُّهُمْ اَحْسَنُ عَمَلًا ٧
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाया हमने
- mā
- مَا
- उसको जो
- ʿalā
- عَلَى
- ज़मीन पर है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन पर है
- zīnatan
- زِينَةً
- ज़ीनत/आराइश
- lahā
- لَّهَا
- उसके लिए
- linabluwahum
- لِنَبْلُوَهُمْ
- ताकि हम आज़माऐं उन्हें
- ayyuhum
- أَيُّهُمْ
- कौन सा उनमें से
- aḥsanu
- أَحْسَنُ
- ज़्यादा अच्छा है
- ʿamalan
- عَمَلًا
- अमल में
धरती पर जो कुछ है उसे तो हमने उसकी शोभा बनाई है, ताकि हम उनकी परीक्षा लें कि उनमें कर्म की दृष्टि से कौन उत्तम है ([१८] अल कहफ़: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنَّا لَجَاعِلُوْنَ مَا عَلَيْهَا صَعِيْدًا جُرُزًاۗ ٨
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lajāʿilūna
- لَجَٰعِلُونَ
- अलबत्ता बनाने वाले हैं
- mā
- مَا
- उसको जो
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उस पर है
- ṣaʿīdan
- صَعِيدًا
- मैदान
- juruzan
- جُرُزًا
- चटियल
और जो कुछ उसपर है उसे तो हम एक चटियल मैदान बना देनेवाले है ([१८] अल कहफ़: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ حَسِبْتَ اَنَّ اَصْحٰبَ الْكَهْفِ وَالرَّقِيْمِ كَانُوْا مِنْ اٰيٰتِنَا عَجَبًا ٩
- am
- أَمْ
- क्या
- ḥasib'ta
- حَسِبْتَ
- समझा आपने
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- aṣḥāba
- أَصْحَٰبَ
- ग़ार वाले
- l-kahfi
- ٱلْكَهْفِ
- ग़ार वाले
- wal-raqīmi
- وَٱلرَّقِيمِ
- और कतबे वाले
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- min
- مِنْ
- हमारी निशानियों में से
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- हमारी निशानियों में से
- ʿajaban
- عَجَبًا
- अजीब
क्या तुम समझते हो कि गुफा और रक़ीमवाले हमारी अद्भु त निशानियों में से थे? ([१८] अल कहफ़: 9)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْ اَوَى الْفِتْيَةُ اِلَى الْكَهْفِ فَقَالُوْا رَبَّنَآ اٰتِنَا مِنْ لَّدُنْكَ رَحْمَةً وَّهَيِّئْ لَنَا مِنْ اَمْرِنَا رَشَدًا ١٠
- idh
- إِذْ
- जब
- awā
- أَوَى
- पनाह ली
- l-fit'yatu
- ٱلْفِتْيَةُ
- उन नौजवानों ने
- ilā
- إِلَى
- तरफ़
- l-kahfi
- ٱلْكَهْفِ
- ग़ार के
- faqālū
- فَقَالُوا۟
- फिर वो कहने लगे
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- ātinā
- ءَاتِنَا
- दे हमें
- min
- مِن
- अपने पास से
- ladunka
- لَّدُنكَ
- अपने पास से
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- रहमत
- wahayyi
- وَهَيِّئْ
- और मुहैय्या कर
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- min
- مِنْ
- हमारे मामले में
- amrinā
- أَمْرِنَا
- हमारे मामले में
- rashadan
- رَشَدًا
- रहनुमाई
जब उन नवयुवकों ने गुफ़ा में जाकर शरण ली तो कहा, 'हमारे रब! हमें अपने यहाँ से दयालुता प्रदान कर और हमारे लिए हमारे अपने मामले को ठीक कर दे।' ([१८] अल कहफ़: 10)Tafseer (तफ़सीर )