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सूरा अल इस्रा - Page: 9

Al-Isra

(इस्रा और मेराज, The Night Journey, The Children of Israel)

८१

وَقُلْ جَاۤءَ الْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَاطِلُ ۖاِنَّ الْبَاطِلَ كَانَ زَهُوْقًا ٨١

waqul
وَقُلْ
और कह दीजिए
jāa
جَآءَ
आ गया
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़
wazahaqa
وَزَهَقَ
और मिट गया
l-bāṭilu
ٱلْبَٰطِلُۚ
बातिल
inna
إِنَّ
बेशक
l-bāṭila
ٱلْبَٰطِلَ
बातिल
kāna
كَانَ
है
zahūqan
زَهُوقًا
मिट जाने वला
कह दो, 'सत्य आ गया और असत्य मिट गया; असत्य तो मिट जानेवाला ही होता है।' ([१७] अल इस्रा: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

وَنُنَزِّلُ مِنَ الْقُرْاٰنِ مَا هُوَ شِفَاۤءٌ وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِيْنَۙ وَلَا يَزِيْدُ الظّٰلِمِيْنَ اِلَّا خَسَارًا ٨٢

wanunazzilu
وَنُنَزِّلُ
और हम नाज़िल करते हैं
mina
مِنَ
क़ुरआन से
l-qur'āni
ٱلْقُرْءَانِ
क़ुरआन से
مَا
जो
huwa
هُوَ
वो
shifāon
شِفَآءٌ
शिफ़ा
waraḥmatun
وَرَحْمَةٌ
और रहमत है
lil'mu'minīna
لِّلْمُؤْمِنِينَۙ
ईमान लाने वालों के लिए
walā
وَلَا
और नहीं
yazīdu
يَزِيدُ
वो ज़्यादा करता
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
illā
إِلَّا
मगर
khasāran
خَسَارًا
ख़सारे में
हम क़ुरआन में से जो उतारते है वह मोमिनों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) और दयालुता है, किन्तु ज़ालिमों के लिए तो वह बस घाटे ही में अभिवृद्धि करता है ([१७] अल इस्रा: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

وَاِذَآ اَنْعَمْنَا عَلَى الْاِنْسَانِ اَعْرَضَ وَنَاٰ بِجَانِبِهٖۚ وَاِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ كَانَ يَـُٔوْسًا ٨٣

wa-idhā
وَإِذَآ
और जब
anʿamnā
أَنْعَمْنَا
इनआम करते हैं हम
ʿalā
عَلَى
इन्सान पर
l-insāni
ٱلْإِنسَٰنِ
इन्सान पर
aʿraḍa
أَعْرَضَ
वो ऐराज़ करता है
wanaā
وَنَـَٔا
और वो दूर कर लेता है
bijānibihi
بِجَانِبِهِۦۖ
पहलू अपना
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
massahu
مَسَّهُ
पहुँचती है उसे
l-sharu
ٱلشَّرُّ
तकलीफ़
kāna
كَانَ
हो जाता है वो
yaūsan
يَـُٔوسًا
बहुत मायूस
मानव पर जब हम सुखद कृपा करते है तो वह मुँह फेरता और अपना पहलू बचाता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है, तो वह निराश होने लगता है ([१७] अल इस्रा: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

قُلْ كُلٌّ يَّعْمَلُ عَلٰى شَاكِلَتِهٖۗ فَرَبُّكُمْ اَعْلَمُ بِمَنْ هُوَ اَهْدٰى سَبِيْلًا ࣖ ٨٤

qul
قُلْ
कह दीजिए
kullun
كُلٌّ
हर एक
yaʿmalu
يَعْمَلُ
अमल करता है
ʿalā
عَلَىٰ
अपने तरीक़े पर
shākilatihi
شَاكِلَتِهِۦ
अपने तरीक़े पर
farabbukum
فَرَبُّكُمْ
तो रब तुम्हारा
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
biman
بِمَنْ
उसे जो
huwa
هُوَ
वो
ahdā
أَهْدَىٰ
ज़्यादा हिदायत याफ़्ता है
sabīlan
سَبِيلًا
रास्ते (के ऐतबार से)
कह दो, 'हर एक अपने ढब पर काम कर रहा है, तो अब तुम्हारा रब ही भली-भाँति जानता है कि कौन अधिक सीधे मार्ग पर है।' ([१७] अल इस्रा: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الرُّوْحِۗ قُلِ الرُّوْحُ مِنْ اَمْرِ رَبِّيْ وَمَآ اُوْتِيْتُمْ مِّنَ الْعِلْمِ اِلَّا قَلِيْلًا ٨٥

wayasalūnaka
وَيَسْـَٔلُونَكَ
और वो सवाल करते हैं आपसे
ʿani
عَنِ
रूह के बारे में
l-rūḥi
ٱلرُّوحِۖ
रूह के बारे में
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-rūḥu
ٱلرُّوحُ
रूह
min
مِنْ
हुक्म से है
amri
أَمْرِ
हुक्म से है
rabbī
رَبِّى
मेरे रब के
wamā
وَمَآ
और नहीं
ūtītum
أُوتِيتُم
दिए गए तुम
mina
مِّنَ
इल्म में से
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِ
इल्म में से
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़ा
वे तुमसे रूह के विषय में पूछते है। कह दो, 'रूह का संबंध तो मेरे रब के आदेश से है, किन्तु ज्ञान तुम्हें मिला थोड़ा ही है।' ([१७] अल इस्रा: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

وَلَىِٕنْ شِئْنَا لَنَذْهَبَنَّ بِالَّذِيْٓ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ ثُمَّ لَا تَجِدُ لَكَ بِهٖ عَلَيْنَا وَكِيْلًاۙ؉؉ ٨٦

wala-in
وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
shi'nā
شِئْنَا
चाहें हम
lanadhhabanna
لَنَذْهَبَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर ले जाऐं
bi-alladhī
بِٱلَّذِىٓ
उसे जो
awḥaynā
أَوْحَيْنَآ
वही की हमने
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना आप पाऐंगे
tajidu
تَجِدُ
ना आप पाऐंगे
laka
لَكَ
अपने लिए
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हमारे (मुक़ाबले) पर
wakīlan
وَكِيلًا
कोई कारसाज़
यदि हम चाहें तो वह सब छीन लें जो हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना की है, फिर इसके लिए हमारे मुक़ाबले में अपना कोई समर्थक न पाओगे ([१७] अल इस्रा: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

اِلَّا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَۗ اِنَّ فَضْلَهٗ كَانَ عَلَيْكَ كَبِيْرًا ٨٧

illā
إِلَّا
सिवाय
raḥmatan
رَحْمَةً
रहमत के
min
مِّن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَۚ
आपके रब की तरफ़ से
inna
إِنَّ
बेशक
faḍlahu
فَضْلَهُۥ
फ़ज़ल उसका
kāna
كَانَ
है
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
kabīran
كَبِيرًا
बहुत बड़ा
यह तो बस तुम्हारे रब की दयालुता है। वास्तविकता यह है कि उसका तुमपर बड़ा अनुग्रह है ([१७] अल इस्रा: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

قُلْ لَّىِٕنِ اجْتَمَعَتِ الْاِنْسُ وَالْجِنُّ عَلٰٓى اَنْ يَّأْتُوْا بِمِثْلِ هٰذَا الْقُرْاٰنِ لَا يَأْتُوْنَ بِمِثْلِهٖ وَلَوْ كَانَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ ظَهِيْرًا ٨٨

qul
قُل
कह दीजिए
la-ini
لَّئِنِ
अलबत्ता अगर
ij'tamaʿati
ٱجْتَمَعَتِ
जमा हो जाऐं
l-insu
ٱلْإِنسُ
इन्सान
wal-jinu
وَٱلْجِنُّ
और जिन्न
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस (बात) पर
an
أَن
कि
yatū
يَأْتُوا۟
वो ले आऐं
bimith'li
بِمِثْلِ
मानिन्द
hādhā
هَٰذَا
इस
l-qur'āni
ٱلْقُرْءَانِ
क़ुरआन के
لَا
ना वो ला सकेंगे
yatūna
يَأْتُونَ
ना वो ला सकेंगे
bimith'lihi
بِمِثْلِهِۦ
इसकी तरह का
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kāna
كَانَ
हों
baʿḍuhum
بَعْضُهُمْ
बाज़ उनके
libaʿḍin
لِبَعْضٍ
बाज़ के लिए
ẓahīran
ظَهِيرًا
मददगार
कह दो, 'यदि मनुष्य और जिन्न इसके लिए इकट्ठे हो जाएँ कि क़ुरआन जैसी कोई चीज़ लाएँ, तो वे इस जैसी कोई चीज़ न ला सकेंगे, चाहे वे आपस में एक-दूसरे के सहायक ही क्यों न हों।' ([१७] अल इस्रा: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

وَلَقَدْ صَرَّفْنَا لِلنَّاسِ فِيْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍۖ فَاَبٰىٓ اَكْثَرُ النَّاسِ اِلَّا كُفُوْرًا ٨٩

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ṣarrafnā
صَرَّفْنَا
फेर-फेर कर लाते हैं हम
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
فِى
इस क़ुरआन में
hādhā
هَٰذَا
इस क़ुरआन में
l-qur'āni
ٱلْقُرْءَانِ
इस क़ुरआन में
min
مِن
हर तरह की
kulli
كُلِّ
हर तरह की
mathalin
مَثَلٍ
मिसाल
fa-abā
فَأَبَىٰٓ
पस इन्कार किया
aktharu
أَكْثَرُ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों ने
illā
إِلَّا
सिवाय
kufūran
كُفُورًا
कुफ़्र करने के
हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए प्रत्येक तत्वदर्शिता की बात फेर-फेरकर बयान की, फिर भी अधिकतर लोगों के लिए इनकार के सिवा हर चीज़ अस्वीकार्य ही रही ([१७] अल इस्रा: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

وَقَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكَ حَتّٰى تَفْجُرَ لَنَا مِنَ الْاَرْضِ يَنْۢبُوْعًاۙ ٩٠

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
nu'mina
نُّؤْمِنَ
हम ईमान लाऐंगे
laka
لَكَ
तुम पर
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tafjura
تَفْجُرَ
तुम जारी करो
lanā
لَنَا
हमारे लिए
mina
مِنَ
ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन से
yanbūʿan
يَنۢبُوعًا
एक चश्मा
और उन्होंने कहा, 'हम तुम्हारी बात नहीं मानेंगे, जब तक कि तुम हमारे लिए धरती से एक स्रोत प्रवाहित न कर दो, ([१७] अल इस्रा: 90)
Tafseer (तफ़सीर )