وَقُلْ جَاۤءَ الْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَاطِلُ ۖاِنَّ الْبَاطِلَ كَانَ زَهُوْقًا ٨١
- waqul
- وَقُلْ
- और कह दीजिए
- jāa
- جَآءَ
- आ गया
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़
- wazahaqa
- وَزَهَقَ
- और मिट गया
- l-bāṭilu
- ٱلْبَٰطِلُۚ
- बातिल
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-bāṭila
- ٱلْبَٰطِلَ
- बातिल
- kāna
- كَانَ
- है
- zahūqan
- زَهُوقًا
- मिट जाने वला
कह दो, 'सत्य आ गया और असत्य मिट गया; असत्य तो मिट जानेवाला ही होता है।' ([१७] अल इस्रा: 81)Tafseer (तफ़सीर )
وَنُنَزِّلُ مِنَ الْقُرْاٰنِ مَا هُوَ شِفَاۤءٌ وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِيْنَۙ وَلَا يَزِيْدُ الظّٰلِمِيْنَ اِلَّا خَسَارًا ٨٢
- wanunazzilu
- وَنُنَزِّلُ
- और हम नाज़िल करते हैं
- mina
- مِنَ
- क़ुरआन से
- l-qur'āni
- ٱلْقُرْءَانِ
- क़ुरआन से
- mā
- مَا
- जो
- huwa
- هُوَ
- वो
- shifāon
- شِفَآءٌ
- शिफ़ा
- waraḥmatun
- وَرَحْمَةٌ
- और रहमत है
- lil'mu'minīna
- لِّلْمُؤْمِنِينَۙ
- ईमान लाने वालों के लिए
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yazīdu
- يَزِيدُ
- वो ज़्यादा करता
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khasāran
- خَسَارًا
- ख़सारे में
हम क़ुरआन में से जो उतारते है वह मोमिनों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) और दयालुता है, किन्तु ज़ालिमों के लिए तो वह बस घाटे ही में अभिवृद्धि करता है ([१७] अल इस्रा: 82)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَآ اَنْعَمْنَا عَلَى الْاِنْسَانِ اَعْرَضَ وَنَاٰ بِجَانِبِهٖۚ وَاِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ كَانَ يَـُٔوْسًا ٨٣
- wa-idhā
- وَإِذَآ
- और जब
- anʿamnā
- أَنْعَمْنَا
- इनआम करते हैं हम
- ʿalā
- عَلَى
- इन्सान पर
- l-insāni
- ٱلْإِنسَٰنِ
- इन्सान पर
- aʿraḍa
- أَعْرَضَ
- वो ऐराज़ करता है
- wanaā
- وَنَـَٔا
- और वो दूर कर लेता है
- bijānibihi
- بِجَانِبِهِۦۖ
- पहलू अपना
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- massahu
- مَسَّهُ
- पहुँचती है उसे
- l-sharu
- ٱلشَّرُّ
- तकलीफ़
- kāna
- كَانَ
- हो जाता है वो
- yaūsan
- يَـُٔوسًا
- बहुत मायूस
मानव पर जब हम सुखद कृपा करते है तो वह मुँह फेरता और अपना पहलू बचाता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है, तो वह निराश होने लगता है ([१७] अल इस्रा: 83)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ كُلٌّ يَّعْمَلُ عَلٰى شَاكِلَتِهٖۗ فَرَبُّكُمْ اَعْلَمُ بِمَنْ هُوَ اَهْدٰى سَبِيْلًا ࣖ ٨٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- kullun
- كُلٌّ
- हर एक
- yaʿmalu
- يَعْمَلُ
- अमल करता है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने तरीक़े पर
- shākilatihi
- شَاكِلَتِهِۦ
- अपने तरीक़े पर
- farabbukum
- فَرَبُّكُمْ
- तो रब तुम्हारा
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानता है
- biman
- بِمَنْ
- उसे जो
- huwa
- هُوَ
- वो
- ahdā
- أَهْدَىٰ
- ज़्यादा हिदायत याफ़्ता है
- sabīlan
- سَبِيلًا
- रास्ते (के ऐतबार से)
कह दो, 'हर एक अपने ढब पर काम कर रहा है, तो अब तुम्हारा रब ही भली-भाँति जानता है कि कौन अधिक सीधे मार्ग पर है।' ([१७] अल इस्रा: 84)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الرُّوْحِۗ قُلِ الرُّوْحُ مِنْ اَمْرِ رَبِّيْ وَمَآ اُوْتِيْتُمْ مِّنَ الْعِلْمِ اِلَّا قَلِيْلًا ٨٥
- wayasalūnaka
- وَيَسْـَٔلُونَكَ
- और वो सवाल करते हैं आपसे
- ʿani
- عَنِ
- रूह के बारे में
- l-rūḥi
- ٱلرُّوحِۖ
- रूह के बारे में
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-rūḥu
- ٱلرُّوحُ
- रूह
- min
- مِنْ
- हुक्म से है
- amri
- أَمْرِ
- हुक्म से है
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब के
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- ūtītum
- أُوتِيتُم
- दिए गए तुम
- mina
- مِّنَ
- इल्म में से
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِ
- इल्म में से
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़ा
वे तुमसे रूह के विषय में पूछते है। कह दो, 'रूह का संबंध तो मेरे रब के आदेश से है, किन्तु ज्ञान तुम्हें मिला थोड़ा ही है।' ([१७] अल इस्रा: 85)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ شِئْنَا لَنَذْهَبَنَّ بِالَّذِيْٓ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ ثُمَّ لَا تَجِدُ لَكَ بِهٖ عَلَيْنَا وَكِيْلًاۙ؉؉ ٨٦
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- shi'nā
- شِئْنَا
- चाहें हम
- lanadhhabanna
- لَنَذْهَبَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर ले जाऐं
- bi-alladhī
- بِٱلَّذِىٓ
- उसे जो
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही की हमने
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना आप पाऐंगे
- tajidu
- تَجِدُ
- ना आप पाऐंगे
- laka
- لَكَ
- अपने लिए
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हमारे (मुक़ाबले) पर
- wakīlan
- وَكِيلًا
- कोई कारसाज़
यदि हम चाहें तो वह सब छीन लें जो हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना की है, फिर इसके लिए हमारे मुक़ाबले में अपना कोई समर्थक न पाओगे ([१७] अल इस्रा: 86)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَۗ اِنَّ فَضْلَهٗ كَانَ عَلَيْكَ كَبِيْرًا ٨٧
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- रहमत के
- min
- مِّن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَۚ
- आपके रब की तरफ़ से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- faḍlahu
- فَضْلَهُۥ
- फ़ज़ल उसका
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- kabīran
- كَبِيرًا
- बहुत बड़ा
यह तो बस तुम्हारे रब की दयालुता है। वास्तविकता यह है कि उसका तुमपर बड़ा अनुग्रह है ([१७] अल इस्रा: 87)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّىِٕنِ اجْتَمَعَتِ الْاِنْسُ وَالْجِنُّ عَلٰٓى اَنْ يَّأْتُوْا بِمِثْلِ هٰذَا الْقُرْاٰنِ لَا يَأْتُوْنَ بِمِثْلِهٖ وَلَوْ كَانَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ ظَهِيْرًا ٨٨
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- la-ini
- لَّئِنِ
- अलबत्ता अगर
- ij'tamaʿati
- ٱجْتَمَعَتِ
- जमा हो जाऐं
- l-insu
- ٱلْإِنسُ
- इन्सान
- wal-jinu
- وَٱلْجِنُّ
- और जिन्न
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस (बात) पर
- an
- أَن
- कि
- yatū
- يَأْتُوا۟
- वो ले आऐं
- bimith'li
- بِمِثْلِ
- मानिन्द
- hādhā
- هَٰذَا
- इस
- l-qur'āni
- ٱلْقُرْءَانِ
- क़ुरआन के
- lā
- لَا
- ना वो ला सकेंगे
- yatūna
- يَأْتُونَ
- ना वो ला सकेंगे
- bimith'lihi
- بِمِثْلِهِۦ
- इसकी तरह का
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kāna
- كَانَ
- हों
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُمْ
- बाज़ उनके
- libaʿḍin
- لِبَعْضٍ
- बाज़ के लिए
- ẓahīran
- ظَهِيرًا
- मददगार
कह दो, 'यदि मनुष्य और जिन्न इसके लिए इकट्ठे हो जाएँ कि क़ुरआन जैसी कोई चीज़ लाएँ, तो वे इस जैसी कोई चीज़ न ला सकेंगे, चाहे वे आपस में एक-दूसरे के सहायक ही क्यों न हों।' ([१७] अल इस्रा: 88)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ صَرَّفْنَا لِلنَّاسِ فِيْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍۖ فَاَبٰىٓ اَكْثَرُ النَّاسِ اِلَّا كُفُوْرًا ٨٩
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ṣarrafnā
- صَرَّفْنَا
- फेर-फेर कर लाते हैं हम
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- fī
- فِى
- इस क़ुरआन में
- hādhā
- هَٰذَا
- इस क़ुरआन में
- l-qur'āni
- ٱلْقُرْءَانِ
- इस क़ुरआन में
- min
- مِن
- हर तरह की
- kulli
- كُلِّ
- हर तरह की
- mathalin
- مَثَلٍ
- मिसाल
- fa-abā
- فَأَبَىٰٓ
- पस इन्कार किया
- aktharu
- أَكْثَرُ
- अक्सर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों ने
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- kufūran
- كُفُورًا
- कुफ़्र करने के
हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए प्रत्येक तत्वदर्शिता की बात फेर-फेरकर बयान की, फिर भी अधिकतर लोगों के लिए इनकार के सिवा हर चीज़ अस्वीकार्य ही रही ([१७] अल इस्रा: 89)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكَ حَتّٰى تَفْجُرَ لَنَا مِنَ الْاَرْضِ يَنْۢبُوْعًاۙ ٩٠
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- nu'mina
- نُّؤْمِنَ
- हम ईमान लाऐंगे
- laka
- لَكَ
- तुम पर
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- tafjura
- تَفْجُرَ
- तुम जारी करो
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- mina
- مِنَ
- ज़मीन से
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन से
- yanbūʿan
- يَنۢبُوعًا
- एक चश्मा
और उन्होंने कहा, 'हम तुम्हारी बात नहीं मानेंगे, जब तक कि तुम हमारे लिए धरती से एक स्रोत प्रवाहित न कर दो, ([१७] अल इस्रा: 90)Tafseer (तफ़सीर )