وَلَا تَقْتُلُوْٓا اَوْلَادَكُمْ خَشْيَةَ اِمْلَاقٍۗ نَحْنُ نَرْزُقُهُمْ وَاِيَّاكُمْۗ اِنَّ قَتْلَهُمْ كَانَ خِطْـًٔا كَبِيْرًا ٣١
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqtulū
- تَقْتُلُوٓا۟
- तुम क़त्ल करो
- awlādakum
- أَوْلَٰدَكُمْ
- औलाद अपनी
- khashyata
- خَشْيَةَ
- ख़ौफ़ से
- im'lāqin
- إِمْلَٰقٍۖ
- मुफ़लिसी के
- naḥnu
- نَّحْنُ
- हम
- narzuquhum
- نَرْزُقُهُمْ
- हम रिज़्क़ देते हैं उन्हें
- wa-iyyākum
- وَإِيَّاكُمْۚ
- और तुम्हें (भी)
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- qatlahum
- قَتْلَهُمْ
- क़त्ल करना उनका
- kāna
- كَانَ
- है
- khiṭ'an
- خِطْـًٔا
- ख़ता
- kabīran
- كَبِيرًا
- बहुत बड़ी
और निर्धनता के भय से अपनी सन्तान की हत्या न करो, हम उन्हें भी रोज़ी देंगे और तुम्हें भी। वास्तव में उनकी हत्या बहुत ही बड़ा अपराध है ([१७] अल इस्रा: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَقْرَبُوا الزِّنٰىٓ اِنَّهٗ كَانَ فَاحِشَةً ۗوَسَاۤءَ سَبِيْلًا ٣٢
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqrabū
- تَقْرَبُوا۟
- तुम क़रीब जाओ
- l-zinā
- ٱلزِّنَىٰٓۖ
- ज़िना के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- यक़ीनन वो
- kāna
- كَانَ
- है वो
- fāḥishatan
- فَٰحِشَةً
- बेहयाई
- wasāa
- وَسَآءَ
- और बहुत बुरा
- sabīlan
- سَبِيلًا
- रास्ता
और व्यभिचार के निकट न जाओ। वह एक अश्लील कर्म और बुरा मार्ग है ([१७] अल इस्रा: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِيْ حَرَّمَ اللّٰهُ اِلَّا بِالْحَقِّۗ وَمَنْ قُتِلَ مَظْلُوْمًا فَقَدْ جَعَلْنَا لِوَلِيِّهٖ سُلْطٰنًا فَلَا يُسْرِفْ فِّى الْقَتْلِۗ اِنَّهٗ كَانَ مَنْصُوْرًا ٣٣
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqtulū
- تَقْتُلُوا۟
- तुम क़त्ल करो
- l-nafsa
- ٱلنَّفْسَ
- किसी जान को
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- हराम की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۗ
- साथ हक़ के
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- qutila
- قُتِلَ
- क़त्ल किया गया
- maẓlūman
- مَظْلُومًا
- मज़लूम
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाया हमने
- liwaliyyihi
- لِوَلِيِّهِۦ
- उसके वली के लिए
- sul'ṭānan
- سُلْطَٰنًا
- इख़्तियार/क़ुव्वत
- falā
- فَلَا
- पस ना
- yus'rif
- يُسْرِف
- वो ज़्यादती करे
- fī
- فِّى
- क़त्ल में
- l-qatli
- ٱلْقَتْلِۖ
- क़त्ल में
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- kāna
- كَانَ
- है वो
- manṣūran
- مَنصُورًا
- मदद किया हुआ
किसी जीव की हत्या न करो, जिसे (मारना) अल्लाह ने हराम ठहराया है। यह और बात है कि हक़ (न्याय) का तक़ाज़ा यही हो। और जिसकी अन्यायपूर्वक हत्या की गई हो, उसके उत्तराधिकारी को हमने अधिकार दिया है (कि वह हत्यारे से बदला ले सकता है), किन्तु वह हत्या के विषय में सीमा का उल्लंघन न करे। निश्चय ही उसकी सहायता की जाएगी ([१७] अल इस्रा: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَقْرَبُوْا مَالَ الْيَتِيْمِ اِلَّا بِالَّتِيْ هِيَ اَحْسَنُ حَتّٰى يَبْلُغَ اَشُدَّهٗۖ وَاَوْفُوْا بِالْعَهْدِۖ اِنَّ الْعَهْدَ كَانَ مَسْـُٔوْلًا ٣٤
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqrabū
- تَقْرَبُوا۟
- तुम क़रीब जाओ
- māla
- مَالَ
- माले
- l-yatīmi
- ٱلْيَتِيمِ
- यतीम के
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-allatī
- بِٱلَّتِى
- साथ उस तरीक़े के
- hiya
- هِىَ
- वो (जो)
- aḥsanu
- أَحْسَنُ
- ज़्यादा अच्छा है
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yablugha
- يَبْلُغَ
- वो पहुँच जाए
- ashuddahu
- أَشُدَّهُۥۚ
- अपनी जवानी को
- wa-awfū
- وَأَوْفُوا۟
- और पूरा करो
- bil-ʿahdi
- بِٱلْعَهْدِۖ
- अहद को
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-ʿahda
- ٱلْعَهْدَ
- अहद
- kāna
- كَانَ
- है
- masūlan
- مَسْـُٔولًا
- पूछा जाने वाला
और अनाथ के माल को हाथ में लगाओ सिवाय उत्तम रीति के, यहाँ तक कि वह अपनी युवा अवस्था को पहुँच जाए, और प्रतिज्ञा पूरी करो। प्रतिज्ञा के विषय में अवश्य पूछा जाएगा ([१७] अल इस्रा: 34)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَوْفُوا الْكَيْلَ اِذَا كِلْتُمْ وَزِنُوْا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيْمِۗ ذٰلِكَ خَيْرٌ وَّاَحْسَنُ تَأْوِيْلًا ٣٥
- wa-awfū
- وَأَوْفُوا۟
- और पूरा करो
- l-kayla
- ٱلْكَيْلَ
- पैमाना
- idhā
- إِذَا
- जब
- kil'tum
- كِلْتُمْ
- नापो तुम
- wazinū
- وَزِنُوا۟
- और तोलो
- bil-qis'ṭāsi
- بِٱلْقِسْطَاسِ
- साथ तराज़ू
- l-mus'taqīmi
- ٱلْمُسْتَقِيمِۚ
- सीधी के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- wa-aḥsanu
- وَأَحْسَنُ
- और ज़्यादा अच्छा है
- tawīlan
- تَأْوِيلًا
- अंजाम के ऐतबार से
और जब नापकर दो तो, नाप पूरी रखो। और ठीक तराज़ू से तौलो, यही उत्तम और परिणाम की दृष्टि से भी अधिक अच्छा है ([१७] अल इस्रा: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَقْفُ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ ۗاِنَّ السَّمْعَ وَالْبَصَرَ وَالْفُؤَادَ كُلُّ اُولٰۤىِٕكَ كَانَ عَنْهُ مَسْـُٔوْلًا ٣٦
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqfu
- تَقْفُ
- तुम पीछे पड़ो
- mā
- مَا
- उसके जो
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं
- laka
- لَكَ
- तुम्हें
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- ʿil'mun
- عِلْمٌۚ
- कोई इल्म
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-samʿa
- ٱلسَّمْعَ
- कान
- wal-baṣara
- وَٱلْبَصَرَ
- और आँख
- wal-fuāda
- وَٱلْفُؤَادَ
- और दिल
- kullu
- كُلُّ
- हर एक
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- उनमें से
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उसके बारे में
- masūlan
- مَسْـُٔولًا
- सवाल किया जाने वाला
और जिस चीज़ का तुम्हें ज्ञान न हो उसके पीछे न लगो। निस्संदेह कान और आँख और दिल इनमें से प्रत्येक के विषय में पूछा जाएगा ([१७] अल इस्रा: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَمْشِ فِى الْاَرْضِ مَرَحًاۚ اِنَّكَ لَنْ تَخْرِقَ الْاَرْضَ وَلَنْ تَبْلُغَ الْجِبَالَ طُوْلًا ٣٧
- walā
- وَلَا
- और ना
- tamshi
- تَمْشِ
- तुम चलो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- maraḥan
- مَرَحًاۖ
- इतराते हुए
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तुम
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- takhriqa
- تَخْرِقَ
- तुम फाड़ सकते
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ नहीं
- tablugha
- تَبْلُغَ
- तुम पहुँच सकते
- l-jibāla
- ٱلْجِبَالَ
- पहाड़ों को
- ṭūlan
- طُولًا
- लम्बाई में
और धरती में अकड़कर न चलो, न तो तुम धरती को फाड़ सकते हो और न लम्बे होकर पहाड़ो को पहुँच सकते हो ([१७] अल इस्रा: 37)Tafseer (तफ़सीर )
كُلُّ ذٰلِكَ كَانَ سَيِّئُهٗ عِنْدَ رَبِّكَ مَكْرُوْهًا ٣٨
- kullu
- كُلُّ
- ये सब (काम)
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये सब (काम)
- kāna
- كَانَ
- है
- sayyi-uhu
- سَيِّئُهُۥ
- बुराई उनकी
- ʿinda
- عِندَ
- आपके रब के नज़दीक
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब के नज़दीक
- makrūhan
- مَكْرُوهًا
- मकरूह/नापसंदीदा
इनमें से प्रत्येक की बुराई तुम्हारे रब की स्पष्ट में अप्रिय ही है ([१७] अल इस्रा: 38)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ مِمَّآ اَوْحٰٓى اِلَيْكَ رَبُّكَ مِنَ الْحِكْمَةِۗ وَلَا تَجْعَلْ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَتُلْقٰى فِيْ جَهَنَّمَ مَلُوْمًا مَّدْحُوْرًا ٣٩
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- mimmā
- مِمَّآ
- उसमें से है जो
- awḥā
- أَوْحَىٰٓ
- वही की
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- rabbuka
- رَبُّكَ
- आपके रब ने
- mina
- مِنَ
- हिकमत में से
- l-ḥik'mati
- ٱلْحِكْمَةِۗ
- हिकमत में से
- walā
- وَلَا
- और ना
- tajʿal
- تَجْعَلْ
- तुम बनाओ
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- कोई इलाह
- ākhara
- ءَاخَرَ
- दूसरा
- fatul'qā
- فَتُلْقَىٰ
- वरना तुम डाल दिए जाओगे
- fī
- فِى
- जहन्नम में
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम में
- malūman
- مَلُومًا
- मलामत किए हुए
- madḥūran
- مَّدْحُورًا
- धुतकारे हुए
ये तत्वदर्शिता की वे बातें है, जिनकी प्रकाशना तुम्हारे रब ने तुम्हारी ओर की है। और देखो, अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य-प्रभु न घड़ना, अन्यथा जहन्नम में डाल दिए जाओगे निन्दित, ठुकराए हुए! ([१७] अल इस्रा: 39)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَاَصْفٰىكُمْ رَبُّكُمْ بِالْبَنِيْنَ وَاتَّخَذَ مِنَ الْمَلٰۤىِٕكَةِ اِنَاثًاۗ اِنَّكُمْ لَتَقُوْلُوْنَ قَوْلًا عَظِيْمًا ࣖ ٤٠
- afa-aṣfākum
- أَفَأَصْفَىٰكُمْ
- क्या फिर चुन लिया तुम्हें
- rabbukum
- رَبُّكُم
- तुम्हारे रब ने
- bil-banīna
- بِٱلْبَنِينَ
- साथ बेटों के
- wa-ittakhadha
- وَٱتَّخَذَ
- और उसने बना लिया
- mina
- مِنَ
- फ़रिश्तों को
- l-malāikati
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों को
- ināthan
- إِنَٰثًاۚ
- बेटियाँ
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- lataqūlūna
- لَتَقُولُونَ
- अलबत्ता तुम कहते हो
- qawlan
- قَوْلًا
- बात
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ी
क्या तुम्हारे रब ने तुम्हें तो बेटों के लिए ख़ास किया और स्वयं अपने लिए फ़रिश्तों को बेटियाँ बनाया? बहुत भारी बात है जो तुम कह रहे हो! ([१७] अल इस्रा: 40)Tafseer (तफ़सीर )