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وَقُلِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ لَمْ يَتَّخِذْ وَلَدًا وَّلَمْ يَكُنْ لَّهٗ شَرِيْكٌ فِى الْمُلْكِ وَلَمْ يَكُنْ لَّهٗ وَلِيٌّ مِّنَ الذُّلِّ وَكَبِّرْهُ تَكْبِيْرًا ࣖ ١١١
- waquli
- وَقُلِ
- और कह दीजिए
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yattakhidh
- يَتَّخِذْ
- बनाई
- waladan
- وَلَدًا
- कोई औलाद
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- sharīkun
- شَرِيكٌ
- कोई शरीक
- fī
- فِى
- बादशाहत में
- l-mul'ki
- ٱلْمُلْكِ
- बादशाहत में
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- waliyyun
- وَلِىٌّ
- कोई मददगार
- mina
- مِّنَ
- कमज़ोरी (की वजह) से
- l-dhuli
- ٱلذُّلِّۖ
- कमज़ोरी (की वजह) से
- wakabbir'hu
- وَكَبِّرْهُ
- और बड़ाई बयान कीजिए उसकी
- takbīran
- تَكْبِيرًۢا
- ख़ूब बड़ाई बयान करना
और कहो, 'प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने न तो अपना कोई बेटा बनाया और न बादशाही में उसका कोई सहभागी है और न ऐसा ही है कि वह दीन-हीन हो जिसके कारण बचाव के लिए उसका कोई सहायक मित्र हो।' और बड़ाई बयान करो उसकी, पूर्ण बड़ाई ([१७] अल इस्रा: 111)Tafseer (तफ़सीर )