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सूरा अन नहल - Page: 8

An-Nahl

(मधुमक्खी)

७१

وَاللّٰهُ فَضَّلَ بَعْضَكُمْ عَلٰى بَعْضٍ فِى الرِّزْقِۚ فَمَا الَّذِيْنَ فُضِّلُوْا بِرَاۤدِّيْ رِزْقِهِمْ عَلٰى مَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُمْ فَهُمْ فِيْهِ سَوَاۤءٌۗ اَفَبِنِعْمَةِ اللّٰهِ يَجْحَدُوْنَ ٧١

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
faḍḍala
فَضَّلَ
फ़ज़ीलत दी
baʿḍakum
بَعْضَكُمْ
तुम्हारे बाज़ को
ʿalā
عَلَىٰ
बाज़ पर
baʿḍin
بَعْضٍ
बाज़ पर
فِى
रिज़्क़ में
l-riz'qi
ٱلرِّزْقِۚ
रिज़्क़ में
famā
فَمَا
तो नहीं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
fuḍḍilū
فُضِّلُوا۟
फ़ज़ीलत दिए गए
birāddī
بِرَآدِّى
लौटाने वाले
riz'qihim
رِزْقِهِمْ
रिज़्क़ अपना
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
مَا
उनके जो
malakat
مَلَكَتْ
मालिक हुए
aymānuhum
أَيْمَٰنُهُمْ
दाऐं हाथ उनके
fahum
فَهُمْ
तो वो
fīhi
فِيهِ
उसमें
sawāon
سَوَآءٌۚ
यक्सां/बराबर हों
afabiniʿ'mati
أَفَبِنِعْمَةِ
क्या फिर नेअमत का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
yajḥadūna
يَجْحَدُونَ
वो इन्कार करते हैं
और अल्लाह ने तुममें से किसी को किसी पर रोज़ी में बड़ाई दी है। किन्तु जिनको बड़ाई दी गई है वे ऐसे नहीं है कि अपनी रोज़ी उनकी ओर फेर दिया करते हों, जो उनके क़ब्ज़े में है कि वे सब इसमें बराबर हो जाएँ। फिर क्या अल्लाह के अनुग्रह का उन्हें इनकार है? ([१६] अन नहल: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْ بَنِيْنَ وَحَفَدَةً وَّرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّيِّبٰتِۗ اَفَبِالْبَاطِلِ يُؤْمِنُوْنَ وَبِنِعْمَتِ اللّٰهِ هُمْ يَكْفُرُوْنَۙ ٧٢

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
तुम्हारे नफ़्सों से
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों से
azwājan
أَزْوَٰجًا
बीवियों को
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
तुम्हारी बीवियों से
azwājikum
أَزْوَٰجِكُم
तुम्हारी बीवियों से
banīna
بَنِينَ
बेटों
waḥafadatan
وَحَفَدَةً
और पोतों को
warazaqakum
وَرَزَقَكُم
और उसने रिज़्क़ दिया तुम्हें
mina
مِّنَ
पाकीज़ा चीज़ों से
l-ṭayibāti
ٱلطَّيِّبَٰتِۚ
पाकीज़ा चीज़ों से
afabil-bāṭili
أَفَبِٱلْبَٰطِلِ
क्या फिर बातिल पर
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान रखते हैं
wabiniʿ'mati
وَبِنِعْمَتِ
और नेअमत का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
hum
هُمْ
वो
yakfurūna
يَكْفُرُونَ
वो इन्कार करते हैं
और अल्लाह ही ने तुम्हारे लिए तुम्हारी सहजाति पत्नियों बनाई और तुम्हारी पत्नियों से तुम्हारे लिए पुत्र और पौत्र पैदा किए और तुम्हे अच्छी पाक चीज़ों की रोज़ी प्रदान की; तो क्या वे मिथ्या को मानते है और अल्लाह के अनुग्रह ही का उन्हें इनकार है? ([१६] अन नहल: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

وَيَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَمْلِكُ لَهُمْ رِزْقًا مِّنَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ شَيْـًٔا وَّلَا يَسْتَطِيْعُوْنَ ۚ ٧٣

wayaʿbudūna
وَيَعْبُدُونَ
और वो इबादत करते हैं
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
مَا
उनकी जो
لَا
नहीं मालिक होते
yamliku
يَمْلِكُ
नहीं मालिक होते
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
riz'qan
رِزْقًا
रिज़्क़ के
mina
مِّنَ
आसमामों से
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमामों से
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन से
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
वो इस्तिताअत रखते हैं
और अल्लाह से हटकर उन्हें पूजते है, जिन्हें आकाशों और धरती से रोज़ी प्रदान करने का कुछ भी अधिकार प्राप्त नहीं है और न उन्हें कोई सामर्थ्य ही प्राप्त है ([१६] अन नहल: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

فَلَا تَضْرِبُوْا لِلّٰهِ الْاَمْثَالَ ۗاِنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ٧٤

falā
فَلَا
पस ना
taḍribū
تَضْرِبُوا۟
तुम बयान करो
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
l-amthāla
ٱلْأَمْثَالَۚ
मिसालें
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
لَا
नहीं तुम जानते
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते
अतः अल्लाह के लिए मिसालें न घड़ो। जानता अल्लाह है, तुम नहीं जानते ([१६] अन नहल: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

۞ ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا عَبْدًا مَّمْلُوْكًا لَّا يَقْدِرُ عَلٰى شَيْءٍ وَّمَنْ رَّزَقْنٰهُ مِنَّا رِزْقًا حَسَنًا فَهُوَ يُنْفِقُ مِنْهُ سِرًّا وَّجَهْرًاۗ هَلْ يَسْتَوٗنَ ۚ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ ۗبَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٧٥

ḍaraba
ضَرَبَ
बयान की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mathalan
مَثَلًا
मिसाल
ʿabdan
عَبْدًا
एक ग़ुलाम
mamlūkan
مَّمْلُوكًا
ममलूक की
لَّا
नहीं वो क़ुदरत रखता
yaqdiru
يَقْدِرُ
नहीं वो क़ुदरत रखता
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
waman
وَمَن
और उसकी जो
razaqnāhu
رَّزَقْنَٰهُ
रिज़्क दिया हमने उसे
minnā
مِنَّا
अपनी तरफ़ से
riz'qan
رِزْقًا
रिज़्क़
ḥasanan
حَسَنًا
अच्छा
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
yunfiqu
يُنفِقُ
वो ख़र्च करता हैं
min'hu
مِنْهُ
उसमें से
sirran
سِرًّا
पोशीदा
wajahran
وَجَهْرًاۖ
एलानिया
hal
هَلْ
क्या
yastawūna
يَسْتَوُۥنَۚ
वो बराबर हो सकते हैं
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِۚ
अल्लाह के लिए है
bal
بَلْ
बल्कि
aktharuhum
أَكْثَرُهُمْ
अक्सर उनके
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
अल्लाह ने एक मिसाल पेश की है: एक ग़ुलाम है, जिसपर दूसरे का अधिकार है, उसे किसी चीज़ पर अधिकार प्राप्त नहीं। इसके विपरीत एक वह व्यक्ति है, जिसे हमने अपनी ओर से अच्छी रोज़ी प्रदान की है, फिर वह उसमें से खुले और छिपे ख़र्च करता है। तो क्या वे परस्पर समान है? प्रशंसा अल्लाह के लिए है! किन्तु उनमें अधिकतर लोग जानते नहीं ([१६] अन नहल: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا رَّجُلَيْنِ اَحَدُهُمَآ اَبْكَمُ لَا يَقْدِرُ عَلٰى شَيْءٍ وَّهُوَ كَلٌّ عَلٰى مَوْلٰىهُ ۗ اَيْنَمَا يُوَجِّهْهُّ لَا يَأْتِ بِخَيْرٍ ۖهَلْ يَسْتَوِيْ هُوَۙ وَمَنْ يَّأْمُرُ بِالْعَدْلِ وَهُوَ عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ࣖ ٧٦

waḍaraba
وَضَرَبَ
और बयान की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mathalan
مَثَلًا
एक मिसाल
rajulayni
رَّجُلَيْنِ
दो मर्दों की
aḥaduhumā
أَحَدُهُمَآ
उन दोनों में से एक
abkamu
أَبْكَمُ
गूँगा है
لَا
नहीं वो क़ुदरत रखता
yaqdiru
يَقْدِرُ
नहीं वो क़ुदरत रखता
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
wahuwa
وَهُوَ
और वो
kallun
كَلٌّ
बोझ है
ʿalā
عَلَىٰ
अपने मालिक पर
mawlāhu
مَوْلَىٰهُ
अपने मालिक पर
aynamā
أَيْنَمَا
जहां कहीं
yuwajjihhu
يُوَجِّههُّ
वो भेजता है उसे
لَا
नहीं वो लाता
yati
يَأْتِ
नहीं वो लाता
bikhayrin
بِخَيْرٍۖ
कोई भलाई
hal
هَلْ
क्या
yastawī
يَسْتَوِى
बराबर हो सकता है
huwa
هُوَ
वो
waman
وَمَن
और वो जो
yamuru
يَأْمُرُ
हुक्म देता है
bil-ʿadli
بِٱلْعَدْلِۙ
इन्साफ़ का
wahuwa
وَهُوَ
और वो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
ऊपर रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के है
अल्लाह ने एक और मिसाल पेश की है: दो व्यक्ति है। उनमें से एक गूँगा है। किसी चीज़ पर उसे अधिकार प्राप्त नहीं। वह अपने स्वामी पर एक बोझ है - उसे वह जहाँ भेजता है, कुछ भला करके नहीं लाता। क्या वह और जो न्याय का आदेश देता है और स्वयं भी सीधे मार्ग पर है वह, समान हो सकते है? ([१६] अन नहल: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

وَلِلّٰهِ غَيْبُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَمَآ اَمْرُ السَّاعَةِ اِلَّا كَلَمْحِ الْبَصَرِ اَوْ هُوَ اَقْرَبُۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٧٧

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
ghaybu
غَيْبُ
ग़ैब
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन का
wamā
وَمَآ
और नहीं
amru
أَمْرُ
मामला
l-sāʿati
ٱلسَّاعَةِ
क़यामत का
illā
إِلَّا
मगर
kalamḥi
كَلَمْحِ
जैसे झपकना
l-baṣari
ٱلْبَصَرِ
आँख का
aw
أَوْ
या
huwa
هُوَ
है वो
aqrabu
أَقْرَبُۚ
उस से भी ज़्यादा क़रीब
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
आकाशों और धरती के रहस्यों का सम्बन्ध अल्लाह ही से है। और उस क़ियामत की घड़ी का मामला तो बस ऐसा है जैसे आँखों का झपकना या वह इससे भी अधिक निकट है। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्ती है ([१६] अन नहल: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

وَاللّٰهُ اَخْرَجَكُمْ مِّنْۢ بُطُوْنِ اُمَّهٰتِكُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ شَيْـًٔاۙ وَّجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَ ۙ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٧٨

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
akhrajakum
أَخْرَجَكُم
निकाला तुम्हें
min
مِّنۢ
पेटों से
buṭūni
بُطُونِ
पेटों से
ummahātikum
أُمَّهَٰتِكُمْ
तुम्हारी माओं के
لَا
नहीं तुम जानते थे
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते थे
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाए
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-samʿa
ٱلسَّمْعَ
कान
wal-abṣāra
وَٱلْأَبْصَٰرَ
और आँखें
wal-afidata
وَٱلْأَفْـِٔدَةَۙ
और दिल
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्रगुज़ार बनो
अल्लाह ने तुम्हें तुम्हारी माँओ के पेट से इस दशा में निकाला कि तुम कुछ जानते न थे। उसने तुम्हें कान, आँखें और दिल दिए, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ ([१६] अन नहल: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

اَلَمْ يَرَوْا اِلَى الطَّيْرِ مُسَخَّرٰتٍ فِيْ جَوِّ السَّمَاۤءِ ۗمَا يُمْسِكُهُنَّ اِلَّا اللّٰهُ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٧٩

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ परिन्दों के
l-ṭayri
ٱلطَّيْرِ
तरफ़ परिन्दों के
musakharātin
مُسَخَّرَٰتٍ
जो मुसख़्ख़र किए गए हैं
فِى
फ़ज़ा में
jawwi
جَوِّ
फ़ज़ा में
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान की
مَا
नहीं
yum'sikuhunna
يُمْسِكُهُنَّ
थामे हुए उन्हें
illā
إِلَّا
मगर
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियां हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हों
क्या उन्होंने पक्षियों को नभ मंडल में वशीभूत नहीं देखा? उन्हें तो बस अल्लाह ही थामें हुए होता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए कितनी ही निशानियाँ है जो ईमान लाएँ ([१६] अन नहल: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّنْۢ بُيُوْتِكُمْ سَكَنًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنْ جُلُوْدِ الْاَنْعَامِ بُيُوْتًا تَسْتَخِفُّوْنَهَا يَوْمَ ظَعْنِكُمْ وَيَوْمَ اِقَامَتِكُمْ ۙ وَمِنْ اَصْوَافِهَا وَاَوْبَارِهَا وَاَشْعَارِهَآ اَثَاثًا وَّمَتَاعًا اِلٰى حِيْنٍ ٨٠

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنۢ
तुम्हारे घरों को
buyūtikum
بُيُوتِكُمْ
तुम्हारे घरों को
sakanan
سَكَنًا
रहने की जगह
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
खालों से
julūdi
جُلُودِ
खालों से
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
मवेशियों की
buyūtan
بُيُوتًا
घरों को
tastakhiffūnahā
تَسْتَخِفُّونَهَا
तुम हलका-फुलका पाते हो उन्हें
yawma
يَوْمَ
दिन
ẓaʿnikum
ظَعْنِكُمْ
अपने सफ़र के
wayawma
وَيَوْمَ
और दिन
iqāmatikum
إِقَامَتِكُمْۙ
अपनी इक़ामत के
wamin
وَمِنْ
और उनकी ऊन से
aṣwāfihā
أَصْوَافِهَا
और उनकी ऊन से
wa-awbārihā
وَأَوْبَارِهَا
और उनकी पशम से
wa-ashʿārihā
وَأَشْعَارِهَآ
और उनके बालों से
athāthan
أَثَٰثًا
सामान
wamatāʿan
وَمَتَٰعًا
और फायदे की चीज़ें
ilā
إِلَىٰ
एक वक़्त तक
ḥīnin
حِينٍ
एक वक़्त तक
और अल्लाह ने तुम्हारे घरों को तुम्हारे लिए टिकने की जगह बनाया है और जानवरों की खालों से भी तुम्हारे लिए घर बनाए - जिन्हें तुम अपनी यात्रा के दिन और अपने ठहरने के दिन हल्का-फुलका पाते हो - और एक अवधि के लिए उनके ऊन, उनके लोमचर्म और उनके बालों से कितने ही सामान और बरतने की चीज़े बनाई ([१६] अन नहल: 80)
Tafseer (तफ़सीर )