وَلَوْ يُؤَاخِذُ اللّٰهُ النَّاسَ بِظُلْمِهِمْ مَّا تَرَكَ عَلَيْهَا مِنْ دَاۤبَّةٍ وَّلٰكِنْ يُّؤَخِّرُهُمْ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۚ فَاِذَا جَاۤءَ اَجَلُهُمْ لَا يَسْتَأْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا يَسْتَقْدِمُوْنَ ٦١
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- yuākhidhu
- يُؤَاخِذُ
- मुआख़िज़ा करे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों का
- biẓul'mihim
- بِظُلْمِهِم
- बवजह उनके ज़ुल्म के
- mā
- مَّا
- ना
- taraka
- تَرَكَ
- वो छोड़े
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- इस (ज़मीन) पर
- min
- مِن
- कोई जानदार
- dābbatin
- دَآبَّةٍ
- कोई जानदार
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yu-akhiruhum
- يُؤَخِّرُهُمْ
- वो मोहलत दे रहा है उन्हें
- ilā
- إِلَىٰٓ
- एक मुद्दत तक
- ajalin
- أَجَلٍ
- एक मुद्दत तक
- musamman
- مُّسَمًّىۖ
- मुक़र्रर
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- jāa
- جَآءَ
- आ जाएगा
- ajaluhum
- أَجَلُهُمْ
- उनका वक़त मुक़र्रर
- lā
- لَا
- ना वो पीछे रहेंगे
- yastakhirūna
- يَسْتَـْٔخِرُونَ
- ना वो पीछे रहेंगे
- sāʿatan
- سَاعَةًۖ
- एक घड़ी
- walā
- وَلَا
- और ना
- yastaqdimūna
- يَسْتَقْدِمُونَ
- वो आगे बढ़ सकेंगे
यदि अल्लाह लोगों को उनके अत्याचार पर पकड़ने ही लग जाता तो धरती पर किसी जीवधारी को न छोड़ता, किन्तु वह उन्हें एक निश्चित समय तक टाले जाता है। फिर जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न तो एक घड़ी पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है ([१६] अन नहल: 61)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ مَا يَكْرَهُوْنَ وَتَصِفُ اَلْسِنَتُهُمُ الْكَذِبَ اَنَّ لَهُمُ الْحُسْنٰى لَا جَرَمَ اَنَّ لَهُمُ النَّارَ وَاَنَّهُمْ مُّفْرَطُوْنَ ٦٢
- wayajʿalūna
- وَيَجْعَلُونَ
- और वो मुक़र्रर करते हैं
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- mā
- مَا
- जो
- yakrahūna
- يَكْرَهُونَ
- वो (ख़ुद) नापसंद करते हैं
- wataṣifu
- وَتَصِفُ
- और बयान करती हैं
- alsinatuhumu
- أَلْسِنَتُهُمُ
- ज़बानें उनकी
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَ
- झूठ
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰۖ
- भलाई है
- lā
- لَا
- नहीं कोई शक
- jarama
- جَرَمَ
- नहीं कोई शक
- anna
- أَنَّ
- यक़ीनन
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-nāra
- ٱلنَّارَ
- आग है
- wa-annahum
- وَأَنَّهُم
- और यक़ीनन वो
- muf'raṭūna
- مُّفْرَطُونَ
- आगे पहुँचाए जाने वाले हैं
वे अल्लाह के लिए वह कुछ ठहराते है, जिसे ख़ुद अपने लिए नापसन्द करते है और उनकी ज़बाने झूठ कहती है कि उनके लिए अच्छा परिणाम है। निस्संदेह उनके लिए आग है और वे उसी में पड़े छोड़ दिए जाएँगे ([१६] अन नहल: 62)Tafseer (तफ़सीर )
تَاللّٰهِ لَقَدْ اَرْسَلْنَآ اِلٰٓى اُمَمٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَزَيَّنَ لَهُمُ الشَّيْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَهُوَ وَلِيُّهُمُ الْيَوْمَ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٦٣
- tal-lahi
- تَٱللَّهِ
- क़सम अल्लाह की
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَآ
- भेजा हमने (रसूलों को)
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ कुछ क़ौमों के
- umamin
- أُمَمٍ
- तरफ़ कुछ क़ौमों के
- min
- مِّن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले
- fazayyana
- فَزَيَّنَ
- तो मुज़य्यन कर दिया
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान ने
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- उनके आमाल को
- fahuwa
- فَهُوَ
- पस वो ही
- waliyyuhumu
- وَلِيُّهُمُ
- दोस्त है उनका
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
अल्लाह की सौगंध! हम तुमसे पहले भी कितने समुदायों की ओर रसूल भेज चुके है, किन्तु शैतान ने उनकी करतूतों को उनके लिए सुहावना बना दिया। तो वही आज भी उनका संरक्षक है। उनके लिए तो एक दुखद यातना है ([१६] अन नहल: 63)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَنْزَلْنَا عَلَيْكَ الْكِتٰبَ اِلَّا لِتُبَيِّنَ لَهُمُ الَّذِى اخْتَلَفُوْا فِيْهِۙ وَهُدًى وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٦٤
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anzalnā
- أَنزَلْنَا
- नाज़िल किया हमने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- litubayyina
- لِتُبَيِّنَ
- ताकि आप वाज़ेह करें
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो चीज़
- ikh'talafū
- ٱخْتَلَفُوا۟
- उन्होंने इख़्तिलाफ़ किया
- fīhi
- فِيهِۙ
- जिसमें
- wahudan
- وَهُدًى
- और हिदायत
- waraḥmatan
- وَرَحْمَةً
- और रहमत है
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- जो ईमान रखते हों
हमने यह किताब तुमपर इसीलिए अवतरित की है कि जिसमें वे विभेद कर रहे है उसे तुम उनपर स्पष्टा कर दो और यह मार्गदर्शन और दयालुता है उन लोगों के लिए जो ईमान लाएँ ([१६] अन नहल: 64)Tafseer (तफ़सीर )
وَاللّٰهُ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَاَحْيَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّسْمَعُوْنَ ࣖ ٦٥
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह ने
- anzala
- أَنزَلَ
- उतारा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fa-aḥyā
- فَأَحْيَا
- फिर ज़िन्दा कर दिया
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَآۚ
- उसकी मौत के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyatan
- لَءَايَةً
- अलबत्ता एक निशानी है
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- जो सुनते हैं
और अल्लाह ही ने आकाश से पानी बरसाया। फिर उसके द्वारा धरती को उसके मृत हो जाने के पश्चात जीवित किया। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानी है जो सुनते है ([१६] अन नहल: 65)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنَّ لَكُمْ فِى الْاَنْعَامِ لَعِبْرَةً ۚ نُسْقِيْكُمْ مِّمَّا فِيْ بُطُوْنِهٖ مِنْۢ بَيْنِ فَرْثٍ وَّدَمٍ لَّبَنًا خَالِصًا سَاۤىِٕغًا لِّلشّٰرِبِيْنَ ٦٦
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fī
- فِى
- मवेशी जानवरों में
- l-anʿāmi
- ٱلْأَنْعَٰمِ
- मवेशी जानवरों में
- laʿib'ratan
- لَعِبْرَةًۖ
- अलबत्ता इबरत है
- nus'qīkum
- نُّسْقِيكُم
- हम पिलाते हैं तुम्हें
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- fī
- فِى
- उनके पेटों में है
- buṭūnihi
- بُطُونِهِۦ
- उनके पेटों में है
- min
- مِنۢ
- दर्मियान
- bayni
- بَيْنِ
- दर्मियान
- farthin
- فَرْثٍ
- गोबर
- wadamin
- وَدَمٍ
- और ख़ून के
- labanan
- لَّبَنًا
- दूध
- khāliṣan
- خَالِصًا
- ख़ालिस
- sāighan
- سَآئِغًا
- ख़ुशगवार
- lilshāribīna
- لِّلشَّٰرِبِينَ
- पीने वालों के लिए
और तुम्हारे लिए चौपायों में से एक बड़ी शिक्षा-सामग्री है, जो कुछ उनके पेटों में है उसमें से गोबर और रक्त से मध्य से हम तुम्हे विशुद्ध दूध पिलाते है, जो पीनेवालों के लिए अत्यन्त प्रिय है, ([१६] अन नहल: 66)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ ثَمَرٰتِ النَّخِيْلِ وَالْاَعْنَابِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْهُ سَكَرًا وَّرِزْقًا حَسَنًاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٦٧
- wamin
- وَمِن
- और फलों में से
- thamarāti
- ثَمَرَٰتِ
- और फलों में से
- l-nakhīli
- ٱلنَّخِيلِ
- खजूर
- wal-aʿnābi
- وَٱلْأَعْنَٰبِ
- और अंगूर
- tattakhidhūna
- تَتَّخِذُونَ
- तुम बनालेते हो
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- sakaran
- سَكَرًا
- नशाआवर चीज़
- wariz'qan
- وَرِزْقًا
- और रिज़्क़
- ḥasanan
- حَسَنًاۗ
- अच्छा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyatan
- لَءَايَةً
- अलबत्ता एक निशानी है
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- जो अक़्ल रखते हैं
और खजूरों और अंगूरों के फलों से भी, जिससे तुम मादक चीज़ भी तैयार कर लेते हो और अच्छी रोज़ी भी। निश्चय ही इसमें बुद्धि से काम लेनेवाले लोगों के लिए एक बड़ी निशानी है ([१६] अन नहल: 67)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَوْحٰى رَبُّكَ اِلَى النَّحْلِ اَنِ اتَّخِذِيْ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوْتًا وَّمِنَ الشَّجَرِ وَمِمَّا يَعْرِشُوْنَۙ ٦٨
- wa-awḥā
- وَأَوْحَىٰ
- और वही की
- rabbuka
- رَبُّكَ
- आपके रब ने
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ शहद की मक्खी के
- l-naḥli
- ٱلنَّحْلِ
- तरफ़ शहद की मक्खी के
- ani
- أَنِ
- कि
- ittakhidhī
- ٱتَّخِذِى
- तू बनाले
- mina
- مِنَ
- पहाड़ों में से
- l-jibāli
- ٱلْجِبَالِ
- पहाड़ों में से
- buyūtan
- بُيُوتًا
- घर
- wamina
- وَمِنَ
- और दरख़्तों में से
- l-shajari
- ٱلشَّجَرِ
- और दरख़्तों में से
- wamimmā
- وَمِمَّا
- और उसमें से जो
- yaʿrishūna
- يَعْرِشُونَ
- वो ऊपर चढ़ाते हैं
और तुम्हारे रब ने मुधमक्खी के जी में यह बात डाल दी कि 'पहाड़ों में और वृक्षों में और लोगों के बनाए हुए छत्रों में घर बना ([१६] अन नहल: 68)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ كُلِيْ مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ فَاسْلُكِيْ سُبُلَ رَبِّكِ ذُلُلًاۗ يَخْرُجُ مِنْ بُطُوْنِهَا شَرَابٌ مُّخْتَلِفٌ اَلْوَانُهٗ ۖفِيْهِ شِفَاۤءٌ لِّلنَّاسِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ٦٩
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- kulī
- كُلِى
- खा
- min
- مِن
- हर क़िस्म के
- kulli
- كُلِّ
- हर क़िस्म के
- l-thamarāti
- ٱلثَّمَرَٰتِ
- फलों की
- fa-us'lukī
- فَٱسْلُكِى
- फिर चलती रह
- subula
- سُبُلَ
- रास्तों पर
- rabbiki
- رَبِّكِ
- अपने रब के
- dhululan
- ذُلُلًاۚ
- हमवार/आसान
- yakhruju
- يَخْرُجُ
- निकलता है
- min
- مِنۢ
- उसके पेटों से
- buṭūnihā
- بُطُونِهَا
- उसके पेटों से
- sharābun
- شَرَابٌ
- शरबत/शहद
- mukh'talifun
- مُّخْتَلِفٌ
- मुख़्तलिफ़ हैं
- alwānuhu
- أَلْوَٰنُهُۥ
- रंग उसके
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- shifāon
- شِفَآءٌ
- शिफ़ा है
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِۗ
- लोगों के लिए
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- उसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसमें
- laāyatan
- لَءَايَةً
- अलबत्ता निशानी है
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yatafakkarūna
- يَتَفَكَّرُونَ
- जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
फिर हर प्रकार के फल-फूलों से ख़ुराक ले और अपने रब के समतम मार्गों पर चलती रह।' उसके पेट से विभिन्न रंग का एक पेय निकलता है, जिसमें लोगों के लिए आरोग्य है। निश्चय ही सोच-विचार करनेवाले लोगों के लिए इसमें एक बड़ी निशानी है ([१६] अन नहल: 69)Tafseer (तफ़सीर )
وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ ثُمَّ يَتَوَفّٰىكُمْ وَمِنْكُمْ مَّنْ يُّرَدُّ اِلٰٓى اَرْذَلِ الْعُمُرِ لِكَيْ لَا يَعْلَمَ بَعْدَ عِلْمٍ شَيْـًٔاۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ قَدِيْرٌ ࣖ ٧٠
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह ने
- khalaqakum
- خَلَقَكُمْ
- पैदा किया तुम्हें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yatawaffākum
- يَتَوَفَّىٰكُمْۚ
- वो फ़ौत करता है तुम्हें
- waminkum
- وَمِنكُم
- और तुम में से
- man
- مَّن
- कोई
- yuraddu
- يُرَدُّ
- फेरा जाता है
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़
- ardhali
- أَرْذَلِ
- नाकारा उमर के
- l-ʿumuri
- ٱلْعُمُرِ
- नाकारा उमर के
- likay
- لِكَىْ
- ताकि
- lā
- لَا
- ना वो जाने
- yaʿlama
- يَعْلَمَ
- ना वो जाने
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- जानने के
- shayan
- شَيْـًٔاۚ
- कुछ भी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- बहुत इल्म वाला है
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत वाला है
अल्लाह ने तुम्हें पैदा किया। फिर वह तुम्हारी आत्माओं को ग्रस्त कर लेता है और तुममें से कोई (बुढापे की) निकृष्ट तम अवस्था की ओर फिर जाता है, कि (परिणामस्वरूप) जानने के पश्चात फिर वह कुछ न जाने। निस्संदेह अल्लाह सर्वज्ञ, बड़ा सामर्थ्यवान है ([१६] अन नहल: 70)Tafseer (तफ़सीर )