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सूरा अन नहल - Page: 7

An-Nahl

(मधुमक्खी)

६१

وَلَوْ يُؤَاخِذُ اللّٰهُ النَّاسَ بِظُلْمِهِمْ مَّا تَرَكَ عَلَيْهَا مِنْ دَاۤبَّةٍ وَّلٰكِنْ يُّؤَخِّرُهُمْ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۚ فَاِذَا جَاۤءَ اَجَلُهُمْ لَا يَسْتَأْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا يَسْتَقْدِمُوْنَ ٦١

walaw
وَلَوْ
और अगर
yuākhidhu
يُؤَاخِذُ
मुआख़िज़ा करे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों का
biẓul'mihim
بِظُلْمِهِم
बवजह उनके ज़ुल्म के
مَّا
ना
taraka
تَرَكَ
वो छोड़े
ʿalayhā
عَلَيْهَا
इस (ज़मीन) पर
min
مِن
कोई जानदार
dābbatin
دَآبَّةٍ
कोई जानदार
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yu-akhiruhum
يُؤَخِّرُهُمْ
वो मोहलत दे रहा है उन्हें
ilā
إِلَىٰٓ
एक मुद्दत तक
ajalin
أَجَلٍ
एक मुद्दत तक
musamman
مُّسَمًّىۖ
मुक़र्रर
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
jāa
جَآءَ
आ जाएगा
ajaluhum
أَجَلُهُمْ
उनका वक़त मुक़र्रर
لَا
ना वो पीछे रहेंगे
yastakhirūna
يَسْتَـْٔخِرُونَ
ना वो पीछे रहेंगे
sāʿatan
سَاعَةًۖ
एक घड़ी
walā
وَلَا
और ना
yastaqdimūna
يَسْتَقْدِمُونَ
वो आगे बढ़ सकेंगे
यदि अल्लाह लोगों को उनके अत्याचार पर पकड़ने ही लग जाता तो धरती पर किसी जीवधारी को न छोड़ता, किन्तु वह उन्हें एक निश्चित समय तक टाले जाता है। फिर जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न तो एक घड़ी पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है ([१६] अन नहल: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

وَيَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ مَا يَكْرَهُوْنَ وَتَصِفُ اَلْسِنَتُهُمُ الْكَذِبَ اَنَّ لَهُمُ الْحُسْنٰى لَا جَرَمَ اَنَّ لَهُمُ النَّارَ وَاَنَّهُمْ مُّفْرَطُوْنَ ٦٢

wayajʿalūna
وَيَجْعَلُونَ
और वो मुक़र्रर करते हैं
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
مَا
जो
yakrahūna
يَكْرَهُونَ
वो (ख़ुद) नापसंद करते हैं
wataṣifu
وَتَصِفُ
और बयान करती हैं
alsinatuhumu
أَلْسِنَتُهُمُ
ज़बानें उनकी
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَ
झूठ
anna
أَنَّ
कि बेशक
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-ḥus'nā
ٱلْحُسْنَىٰۖ
भलाई है
لَا
नहीं कोई शक
jarama
جَرَمَ
नहीं कोई शक
anna
أَنَّ
यक़ीनन
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-nāra
ٱلنَّارَ
आग है
wa-annahum
وَأَنَّهُم
और यक़ीनन वो
muf'raṭūna
مُّفْرَطُونَ
आगे पहुँचाए जाने वाले हैं
वे अल्लाह के लिए वह कुछ ठहराते है, जिसे ख़ुद अपने लिए नापसन्द करते है और उनकी ज़बाने झूठ कहती है कि उनके लिए अच्छा परिणाम है। निस्संदेह उनके लिए आग है और वे उसी में पड़े छोड़ दिए जाएँगे ([१६] अन नहल: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

تَاللّٰهِ لَقَدْ اَرْسَلْنَآ اِلٰٓى اُمَمٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَزَيَّنَ لَهُمُ الشَّيْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَهُوَ وَلِيُّهُمُ الْيَوْمَ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٦٣

tal-lahi
تَٱللَّهِ
क़सम अल्लाह की
laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَآ
भेजा हमने (रसूलों को)
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ कुछ क़ौमों के
umamin
أُمَمٍ
तरफ़ कुछ क़ौमों के
min
مِّن
आपसे पहले
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले
fazayyana
فَزَيَّنَ
तो मुज़य्यन कर दिया
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान ने
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
उनके आमाल को
fahuwa
فَهُوَ
पस वो ही
waliyyuhumu
وَلِيُّهُمُ
दोस्त है उनका
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
अल्लाह की सौगंध! हम तुमसे पहले भी कितने समुदायों की ओर रसूल भेज चुके है, किन्तु शैतान ने उनकी करतूतों को उनके लिए सुहावना बना दिया। तो वही आज भी उनका संरक्षक है। उनके लिए तो एक दुखद यातना है ([१६] अन नहल: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

وَمَآ اَنْزَلْنَا عَلَيْكَ الْكِتٰبَ اِلَّا لِتُبَيِّنَ لَهُمُ الَّذِى اخْتَلَفُوْا فِيْهِۙ وَهُدًى وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٦٤

wamā
وَمَآ
और नहीं
anzalnā
أَنزَلْنَا
नाज़िल किया हमने
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब को
illā
إِلَّا
मगर
litubayyina
لِتُبَيِّنَ
ताकि आप वाज़ेह करें
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
alladhī
ٱلَّذِى
वो चीज़
ikh'talafū
ٱخْتَلَفُوا۟
उन्होंने इख़्तिलाफ़ किया
fīhi
فِيهِۙ
जिसमें
wahudan
وَهُدًى
और हिदायत
waraḥmatan
وَرَحْمَةً
और रहमत है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान रखते हों
हमने यह किताब तुमपर इसीलिए अवतरित की है कि जिसमें वे विभेद कर रहे है उसे तुम उनपर स्पष्टा कर दो और यह मार्गदर्शन और दयालुता है उन लोगों के लिए जो ईमान लाएँ ([१६] अन नहल: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

وَاللّٰهُ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَاَحْيَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّسْمَعُوْنَ ࣖ ٦٥

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
anzala
أَنزَلَ
उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fa-aḥyā
فَأَحْيَا
फिर ज़िन्दा कर दिया
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
mawtihā
مَوْتِهَآۚ
उसकी मौत के
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yasmaʿūna
يَسْمَعُونَ
जो सुनते हैं
और अल्लाह ही ने आकाश से पानी बरसाया। फिर उसके द्वारा धरती को उसके मृत हो जाने के पश्चात जीवित किया। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानी है जो सुनते है ([१६] अन नहल: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

وَاِنَّ لَكُمْ فِى الْاَنْعَامِ لَعِبْرَةً ۚ نُسْقِيْكُمْ مِّمَّا فِيْ بُطُوْنِهٖ مِنْۢ بَيْنِ فَرْثٍ وَّدَمٍ لَّبَنًا خَالِصًا سَاۤىِٕغًا لِّلشّٰرِبِيْنَ ٦٦

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
فِى
मवेशी जानवरों में
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
मवेशी जानवरों में
laʿib'ratan
لَعِبْرَةًۖ
अलबत्ता इबरत है
nus'qīkum
نُّسْقِيكُم
हम पिलाते हैं तुम्हें
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
فِى
उनके पेटों में है
buṭūnihi
بُطُونِهِۦ
उनके पेटों में है
min
مِنۢ
दर्मियान
bayni
بَيْنِ
दर्मियान
farthin
فَرْثٍ
गोबर
wadamin
وَدَمٍ
और ख़ून के
labanan
لَّبَنًا
दूध
khāliṣan
خَالِصًا
ख़ालिस
sāighan
سَآئِغًا
ख़ुशगवार
lilshāribīna
لِّلشَّٰرِبِينَ
पीने वालों के लिए
और तुम्हारे लिए चौपायों में से एक बड़ी शिक्षा-सामग्री है, जो कुछ उनके पेटों में है उसमें से गोबर और रक्त से मध्य से हम तुम्हे विशुद्ध दूध पिलाते है, जो पीनेवालों के लिए अत्यन्त प्रिय है, ([१६] अन नहल: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

وَمِنْ ثَمَرٰتِ النَّخِيْلِ وَالْاَعْنَابِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْهُ سَكَرًا وَّرِزْقًا حَسَنًاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٦٧

wamin
وَمِن
और फलों में से
thamarāti
ثَمَرَٰتِ
और फलों में से
l-nakhīli
ٱلنَّخِيلِ
खजूर
wal-aʿnābi
وَٱلْأَعْنَٰبِ
और अंगूर
tattakhidhūna
تَتَّخِذُونَ
तुम बनालेते हो
min'hu
مِنْهُ
उससे
sakaran
سَكَرًا
नशाआवर चीज़
wariz'qan
وَرِزْقًا
और रिज़्क़
ḥasanan
حَسَنًاۗ
अच्छा
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल रखते हैं
और खजूरों और अंगूरों के फलों से भी, जिससे तुम मादक चीज़ भी तैयार कर लेते हो और अच्छी रोज़ी भी। निश्चय ही इसमें बुद्धि से काम लेनेवाले लोगों के लिए एक बड़ी निशानी है ([१६] अन नहल: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

وَاَوْحٰى رَبُّكَ اِلَى النَّحْلِ اَنِ اتَّخِذِيْ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوْتًا وَّمِنَ الشَّجَرِ وَمِمَّا يَعْرِشُوْنَۙ ٦٨

wa-awḥā
وَأَوْحَىٰ
और वही की
rabbuka
رَبُّكَ
आपके रब ने
ilā
إِلَى
तरफ़ शहद की मक्खी के
l-naḥli
ٱلنَّحْلِ
तरफ़ शहद की मक्खी के
ani
أَنِ
कि
ittakhidhī
ٱتَّخِذِى
तू बनाले
mina
مِنَ
पहाड़ों में से
l-jibāli
ٱلْجِبَالِ
पहाड़ों में से
buyūtan
بُيُوتًا
घर
wamina
وَمِنَ
और दरख़्तों में से
l-shajari
ٱلشَّجَرِ
और दरख़्तों में से
wamimmā
وَمِمَّا
और उसमें से जो
yaʿrishūna
يَعْرِشُونَ
वो ऊपर चढ़ाते हैं
और तुम्हारे रब ने मुधमक्खी के जी में यह बात डाल दी कि 'पहाड़ों में और वृक्षों में और लोगों के बनाए हुए छत्रों में घर बना ([१६] अन नहल: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

ثُمَّ كُلِيْ مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ فَاسْلُكِيْ سُبُلَ رَبِّكِ ذُلُلًاۗ يَخْرُجُ مِنْ بُطُوْنِهَا شَرَابٌ مُّخْتَلِفٌ اَلْوَانُهٗ ۖفِيْهِ شِفَاۤءٌ لِّلنَّاسِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ٦٩

thumma
ثُمَّ
फिर
kulī
كُلِى
खा
min
مِن
हर क़िस्म के
kulli
كُلِّ
हर क़िस्म के
l-thamarāti
ٱلثَّمَرَٰتِ
फलों की
fa-us'lukī
فَٱسْلُكِى
फिर चलती रह
subula
سُبُلَ
रास्तों पर
rabbiki
رَبِّكِ
अपने रब के
dhululan
ذُلُلًاۚ
हमवार/आसान
yakhruju
يَخْرُجُ
निकलता है
min
مِنۢ
उसके पेटों से
buṭūnihā
بُطُونِهَا
उसके पेटों से
sharābun
شَرَابٌ
शरबत/शहद
mukh'talifun
مُّخْتَلِفٌ
मुख़्तलिफ़ हैं
alwānuhu
أَلْوَٰنُهُۥ
रंग उसके
fīhi
فِيهِ
उसमें
shifāon
شِفَآءٌ
शिफ़ा है
lilnnāsi
لِّلنَّاسِۗ
लोगों के लिए
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता निशानी है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yatafakkarūna
يَتَفَكَّرُونَ
जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
फिर हर प्रकार के फल-फूलों से ख़ुराक ले और अपने रब के समतम मार्गों पर चलती रह।' उसके पेट से विभिन्न रंग का एक पेय निकलता है, जिसमें लोगों के लिए आरोग्य है। निश्चय ही सोच-विचार करनेवाले लोगों के लिए इसमें एक बड़ी निशानी है ([१६] अन नहल: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ ثُمَّ يَتَوَفّٰىكُمْ وَمِنْكُمْ مَّنْ يُّرَدُّ اِلٰٓى اَرْذَلِ الْعُمُرِ لِكَيْ لَا يَعْلَمَ بَعْدَ عِلْمٍ شَيْـًٔاۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ قَدِيْرٌ ࣖ ٧٠

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
khalaqakum
خَلَقَكُمْ
पैदा किया तुम्हें
thumma
ثُمَّ
फिर
yatawaffākum
يَتَوَفَّىٰكُمْۚ
वो फ़ौत करता है तुम्हें
waminkum
وَمِنكُم
और तुम में से
man
مَّن
कोई
yuraddu
يُرَدُّ
फेरा जाता है
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ardhali
أَرْذَلِ
नाकारा उमर के
l-ʿumuri
ٱلْعُمُرِ
नाकारा उमर के
likay
لِكَىْ
ताकि
لَا
ना वो जाने
yaʿlama
يَعْلَمَ
ना वो जाने
baʿda
بَعْدَ
बाद
ʿil'min
عِلْمٍ
जानने के
shayan
شَيْـًٔاۚ
कुछ भी
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
बहुत इल्म वाला है
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत वाला है
अल्लाह ने तुम्हें पैदा किया। फिर वह तुम्हारी आत्माओं को ग्रस्त कर लेता है और तुममें से कोई (बुढापे की) निकृष्ट तम अवस्था की ओर फिर जाता है, कि (परिणामस्वरूप) जानने के पश्चात फिर वह कुछ न जाने। निस्संदेह अल्लाह सर्वज्ञ, बड़ा सामर्थ्यवान है ([१६] अन नहल: 70)
Tafseer (तफ़सीर )