۞ وَقَالَ اللّٰهُ لَا تَتَّخِذُوْٓا اِلٰهَيْنِ اثْنَيْنِۚ اِنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَاِيَّايَ فَارْهَبُوْنِ ٥١
- waqāla
- وَقَالَ
- और फ़रमाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lā
- لَا
- ना तुम बनाओ
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوٓا۟
- ना तुम बनाओ
- ilāhayni
- إِلَٰهَيْنِ
- दो इलाह
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِۖ
- दो इलाह
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- huwa
- هُوَ
- वो
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह है
- wāḥidun
- وَٰحِدٌۖ
- एक ही
- fa-iyyāya
- فَإِيَّٰىَ
- तो सिर्फ़ मुझ ही से
- fa-ir'habūni
- فَٱرْهَبُونِ
- पस डरो मुझसे
अल्लाह का फ़रमान है, 'दो-दो पूज्य-प्रभु न बनाओ, वह तो बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः मुझी से डरो।' ([१६] अन नहल: 51)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَهُ الدِّيْنُ وَاصِبًاۗ اَفَغَيْرَ اللّٰهِ تَتَّقُوْنَ ٥٢
- walahu
- وَلَهُۥ
- और उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में है
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए है
- l-dīnu
- ٱلدِّينُ
- दीन
- wāṣiban
- وَاصِبًاۚ
- दायमी
- afaghayra
- أَفَغَيْرَ
- क्या फिर ग़ैर अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- क्या फिर ग़ैर अल्लाह से
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते हो
जो कुछ आकाशों और धरती में है सब उसी का है। उसी का दीन (धर्म) स्थायी और अनिवार्य है। फिर क्या अल्लाह के सिवा तुम किसी और का डर रखोगे? ([१६] अन नहल: 52)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا بِكُمْ مِّنْ نِّعْمَةٍ فَمِنَ اللّٰهِ ثُمَّ اِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فَاِلَيْهِ تَجْـَٔرُوْنَۚ ٥٣
- wamā
- وَمَا
- और जो भी है
- bikum
- بِكُم
- तुम्हारे पास
- min
- مِّن
- कोई नेअमत
- niʿ'matin
- نِّعْمَةٍ
- कोई नेअमत
- famina
- فَمِنَ
- पस अल्लाह की तरफ़ से है
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- पस अल्लाह की तरफ़ से है
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- idhā
- إِذَا
- जब
- massakumu
- مَسَّكُمُ
- पहुँचती है तुम्हें
- l-ḍuru
- ٱلضُّرُّ
- तकलीफ़
- fa-ilayhi
- فَإِلَيْهِ
- तो तरफ़ उसी के
- tajarūna
- تَجْـَٔرُونَ
- तुम फ़रयाद करते हो
तुम्हारे पास जो भी नेमत है वह अल्लाह ही की ओर से है। फिर जब तुम्हे कोई तकलीफ़ पहुँचती है, तो तुम उसी से फ़रियाद करते हो ([१६] अन नहल: 53)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اِذَا كَشَفَ الضُّرَّ عَنْكُمْ اِذَا فَرِيْقٌ مِّنْكُمْ بِرَبِّهِمْ يُشْرِكُوْنَۙ ٥٤
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- idhā
- إِذَا
- जब
- kashafa
- كَشَفَ
- वो हटा देता है
- l-ḍura
- ٱلضُّرَّ
- तकलीफ़ को
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुमसे
- idhā
- إِذَا
- यकायक
- farīqun
- فَرِيقٌ
- एर गिरोह (के लोग)
- minkum
- مِّنكُم
- तुम में से
- birabbihim
- بِرَبِّهِمْ
- साथ अपने रब के
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
फिर जब वह उस तकलीफ़ को तुमसे टाल देता है, तो क्या देखते है कि तुममें से कुछ लोग अपने रब के साथ साझीदार ठहराने लगते है, ([१६] अन नहल: 54)Tafseer (तफ़सीर )
لِيَكْفُرُوْا بِمَآ اٰتَيْنٰهُمْۗ فَتَمَتَّعُوْاۗ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ٥٥
- liyakfurū
- لِيَكْفُرُوا۟
- ताकि वो नाशुक्री करें
- bimā
- بِمَآ
- उसकी जो
- ātaynāhum
- ءَاتَيْنَٰهُمْۚ
- दिया हमने उन्हें
- fatamattaʿū
- فَتَمَتَّعُوا۟ۖ
- तो तुम फ़ायदे उठालो
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जान लोगे
कि परिणामस्वरूप जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसके प्रति कृतघ्नता दिखलाएँ। अच्छा, कुछ मज़े ले लो, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा ([१६] अन नहल: 55)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَجْعَلُوْنَ لِمَا لَا يَعْلَمُوْنَ نَصِيْبًا مِّمَّا رَزَقْنٰهُمْۗ تَاللّٰهِ لَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَفْتَرُوْنَ ٥٦
- wayajʿalūna
- وَيَجْعَلُونَ
- और वो मुक़र्रर करते हैं
- limā
- لِمَا
- उसके लिए जो
- lā
- لَا
- नहीं वो जानते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो जानते
- naṣīban
- نَصِيبًا
- एक हिस्सा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- razaqnāhum
- رَزَقْنَٰهُمْۗ
- रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
- tal-lahi
- تَٱللَّهِ
- क़सम अल्लाह की
- latus'alunna
- لَتُسْـَٔلُنَّ
- अलबत्ता तुम ज़रूर सवाल किए जाओगे
- ʿammā
- عَمَّا
- उसके बारे में जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taftarūna
- تَفْتَرُونَ
- तुम गढ़ते
हमने उन्हें जो आजीविका प्रदान की है उसमें वे उसका हिस्सा लगाते है जिन्हें वे जानते भी नहीं। अल्लाह की सौगंध! तुम जो झूठ घड़ते हो उसके विषय में तुमसे अवश्य पूछा जाएगा ([१६] अन नहल: 56)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ الْبَنٰتِ سُبْحٰنَهٗۙ وَلَهُمْ مَّا يَشْتَهُوْنَ ٥٧
- wayajʿalūna
- وَيَجْعَلُونَ
- और वो बनाते हैं
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- l-banāti
- ٱلْبَنَٰتِ
- बेटियाँ
- sub'ḥānahu
- سُبْحَٰنَهُۥۙ
- पाक है वो
- walahum
- وَلَهُم
- और उनके लिए है
- mā
- مَّا
- जो
- yashtahūna
- يَشْتَهُونَ
- वो ख़्वाहिश रखते हैं
और वे अल्लाह के लिए बेटियाँ ठहराते है - महान और उच्च है वह - और अपने लिए वह, जो वे चाहें ([१६] अन नहल: 57)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا بُشِّرَ اَحَدُهُمْ بِالْاُنْثٰى ظَلَّ وَجْهُهٗ مُسْوَدًّا وَّهُوَ كَظِيْمٌۚ ٥٨
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- bushira
- بُشِّرَ
- ख़ुशख़बरी दी जाती है
- aḥaduhum
- أَحَدُهُم
- उनमें से किसी एक को
- bil-unthā
- بِٱلْأُنثَىٰ
- लड़की की
- ẓalla
- ظَلَّ
- होजाता है
- wajhuhu
- وَجْهُهُۥ
- चेहरा उसका
- mus'waddan
- مُسْوَدًّا
- स्याह
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- kaẓīmun
- كَظِيمٌ
- सख़्त ग़मगीन होता है
और जब उनमें से किसी को बेटी की शुभ सूचना मिलती है तो उसके चहरे पर कलौंस छा जाती है और वह घुटा-घुटा रहता है ([१६] अन नहल: 58)Tafseer (तफ़सीर )
يَتَوٰرٰى مِنَ الْقَوْمِ مِنْ سُوْۤءِ مَا بُشِّرَ بِهٖۗ اَيُمْسِكُهٗ عَلٰى هُوْنٍ اَمْ يَدُسُّهٗ فِى التُّرَابِۗ اَلَا سَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ٥٩
- yatawārā
- يَتَوَٰرَىٰ
- वो छुपता है
- mina
- مِنَ
- क़ौम से
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- क़ौम से
- min
- مِن
- बसबब आर के
- sūi
- سُوٓءِ
- बसबब आर के
- mā
- مَا
- जो
- bushira
- بُشِّرَ
- वो ख़ुश ख़बरी दिया गया
- bihi
- بِهِۦٓۚ
- जिसकी
- ayum'sikuhu
- أَيُمْسِكُهُۥ
- क्या वो रोके रखे उसे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- साथ ज़िल्लत के
- hūnin
- هُونٍ
- साथ ज़िल्लत के
- am
- أَمْ
- या
- yadussuhu
- يَدُسُّهُۥ
- वो दबा दे उसे
- fī
- فِى
- मिट्टी में
- l-turābi
- ٱلتُّرَابِۗ
- मिट्टी में
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- sāa
- سَآءَ
- कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- yaḥkumūna
- يَحْكُمُونَ
- वो फ़ैसला करते हैं
जो शुभ सूचना उसे दी गई वह (उसकी दृष्टि में) ऐसी बुराई की बात हुई जो उसके कारण वह लोगों से छिपता फिरता है कि अपमान सहन करके उसे रहने दे या उसे मिट्टी में दबा दे। देखो, कितना बुरा फ़ैसला है जो वे करते है! ([१६] अन नहल: 59)Tafseer (तफ़सीर )
لِلَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ مَثَلُ السَّوْءِۚ وَلِلّٰهِ الْمَثَلُ الْاَعْلٰىۗ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ٦٠
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उन लोगों के लिए जो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
- bil-ākhirati
- بِٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत पर
- mathalu
- مَثَلُ
- मिसाल है
- l-sawi
- ٱلسَّوْءِۖ
- बुरी
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह के लिए
- l-mathalu
- ٱلْمَثَلُ
- मिसाल है
- l-aʿlā
- ٱلْأَعْلَىٰۚ
- आला
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिक्मत वाला है
जो लोग आख़िरत को नहीं मानते बुरी मिसाल है उनकी। रहा अल्लाह, तो उसकी मिसाल अत्यन्त उच्च है। वह तो प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([१६] अन नहल: 60)Tafseer (तफ़सीर )