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सूरा अन नहल - Page: 6

An-Nahl

(मधुमक्खी)

५१

۞ وَقَالَ اللّٰهُ لَا تَتَّخِذُوْٓا اِلٰهَيْنِ اثْنَيْنِۚ اِنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَاِيَّايَ فَارْهَبُوْنِ ٥١

waqāla
وَقَالَ
और फ़रमाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
لَا
ना तुम बनाओ
tattakhidhū
تَتَّخِذُوٓا۟
ना तुम बनाओ
ilāhayni
إِلَٰهَيْنِ
दो इलाह
ith'nayni
ٱثْنَيْنِۖ
दो इलाह
innamā
إِنَّمَا
बेशक
huwa
هُوَ
वो
ilāhun
إِلَٰهٌ
इलाह है
wāḥidun
وَٰحِدٌۖ
एक ही
fa-iyyāya
فَإِيَّٰىَ
तो सिर्फ़ मुझ ही से
fa-ir'habūni
فَٱرْهَبُونِ
पस डरो मुझसे
अल्लाह का फ़रमान है, 'दो-दो पूज्य-प्रभु न बनाओ, वह तो बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः मुझी से डरो।' ([१६] अन नहल: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

وَلَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَهُ الدِّيْنُ وَاصِبًاۗ اَفَغَيْرَ اللّٰهِ تَتَّقُوْنَ ٥٢

walahu
وَلَهُۥ
और उसी के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
walahu
وَلَهُ
और उसी के लिए है
l-dīnu
ٱلدِّينُ
दीन
wāṣiban
وَاصِبًاۚ
दायमी
afaghayra
أَفَغَيْرَ
क्या फिर ग़ैर अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
क्या फिर ग़ैर अल्लाह से
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते हो
जो कुछ आकाशों और धरती में है सब उसी का है। उसी का दीन (धर्म) स्थायी और अनिवार्य है। फिर क्या अल्लाह के सिवा तुम किसी और का डर रखोगे? ([१६] अन नहल: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

وَمَا بِكُمْ مِّنْ نِّعْمَةٍ فَمِنَ اللّٰهِ ثُمَّ اِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فَاِلَيْهِ تَجْـَٔرُوْنَۚ ٥٣

wamā
وَمَا
और जो भी है
bikum
بِكُم
तुम्हारे पास
min
مِّن
कोई नेअमत
niʿ'matin
نِّعْمَةٍ
कोई नेअमत
famina
فَمِنَ
पस अल्लाह की तरफ़ से है
l-lahi
ٱللَّهِۖ
पस अल्लाह की तरफ़ से है
thumma
ثُمَّ
फिर
idhā
إِذَا
जब
massakumu
مَسَّكُمُ
पहुँचती है तुम्हें
l-ḍuru
ٱلضُّرُّ
तकलीफ़
fa-ilayhi
فَإِلَيْهِ
तो तरफ़ उसी के
tajarūna
تَجْـَٔرُونَ
तुम फ़रयाद करते हो
तुम्हारे पास जो भी नेमत है वह अल्लाह ही की ओर से है। फिर जब तुम्हे कोई तकलीफ़ पहुँचती है, तो तुम उसी से फ़रियाद करते हो ([१६] अन नहल: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

ثُمَّ اِذَا كَشَفَ الضُّرَّ عَنْكُمْ اِذَا فَرِيْقٌ مِّنْكُمْ بِرَبِّهِمْ يُشْرِكُوْنَۙ ٥٤

thumma
ثُمَّ
फिर
idhā
إِذَا
जब
kashafa
كَشَفَ
वो हटा देता है
l-ḍura
ٱلضُّرَّ
तकलीफ़ को
ʿankum
عَنكُمْ
तुमसे
idhā
إِذَا
यकायक
farīqun
فَرِيقٌ
एर गिरोह (के लोग)
minkum
مِّنكُم
तुम में से
birabbihim
بِرَبِّهِمْ
साथ अपने रब के
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
फिर जब वह उस तकलीफ़ को तुमसे टाल देता है, तो क्या देखते है कि तुममें से कुछ लोग अपने रब के साथ साझीदार ठहराने लगते है, ([१६] अन नहल: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

لِيَكْفُرُوْا بِمَآ اٰتَيْنٰهُمْۗ فَتَمَتَّعُوْاۗ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ٥٥

liyakfurū
لِيَكْفُرُوا۟
ताकि वो नाशुक्री करें
bimā
بِمَآ
उसकी जो
ātaynāhum
ءَاتَيْنَٰهُمْۚ
दिया हमने उन्हें
fatamattaʿū
فَتَمَتَّعُوا۟ۖ
तो तुम फ़ायदे उठालो
fasawfa
فَسَوْفَ
पस अनक़रीब
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जान लोगे
कि परिणामस्वरूप जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसके प्रति कृतघ्नता दिखलाएँ। अच्छा, कुछ मज़े ले लो, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा ([१६] अन नहल: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

وَيَجْعَلُوْنَ لِمَا لَا يَعْلَمُوْنَ نَصِيْبًا مِّمَّا رَزَقْنٰهُمْۗ تَاللّٰهِ لَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَفْتَرُوْنَ ٥٦

wayajʿalūna
وَيَجْعَلُونَ
और वो मुक़र्रर करते हैं
limā
لِمَا
उसके लिए जो
لَا
नहीं वो जानते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो जानते
naṣīban
نَصِيبًا
एक हिस्सा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
razaqnāhum
رَزَقْنَٰهُمْۗ
रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
tal-lahi
تَٱللَّهِ
क़सम अल्लाह की
latus'alunna
لَتُسْـَٔلُنَّ
अलबत्ता तुम ज़रूर सवाल किए जाओगे
ʿammā
عَمَّا
उसके बारे में जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taftarūna
تَفْتَرُونَ
तुम गढ़ते
हमने उन्हें जो आजीविका प्रदान की है उसमें वे उसका हिस्सा लगाते है जिन्हें वे जानते भी नहीं। अल्लाह की सौगंध! तुम जो झूठ घड़ते हो उसके विषय में तुमसे अवश्य पूछा जाएगा ([१६] अन नहल: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

وَيَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ الْبَنٰتِ سُبْحٰنَهٗۙ وَلَهُمْ مَّا يَشْتَهُوْنَ ٥٧

wayajʿalūna
وَيَجْعَلُونَ
और वो बनाते हैं
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
l-banāti
ٱلْبَنَٰتِ
बेटियाँ
sub'ḥānahu
سُبْحَٰنَهُۥۙ
पाक है वो
walahum
وَلَهُم
और उनके लिए है
مَّا
जो
yashtahūna
يَشْتَهُونَ
वो ख़्वाहिश रखते हैं
और वे अल्लाह के लिए बेटियाँ ठहराते है - महान और उच्च है वह - और अपने लिए वह, जो वे चाहें ([१६] अन नहल: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَاِذَا بُشِّرَ اَحَدُهُمْ بِالْاُنْثٰى ظَلَّ وَجْهُهٗ مُسْوَدًّا وَّهُوَ كَظِيْمٌۚ ٥٨

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
bushira
بُشِّرَ
ख़ुशख़बरी दी जाती है
aḥaduhum
أَحَدُهُم
उनमें से किसी एक को
bil-unthā
بِٱلْأُنثَىٰ
लड़की की
ẓalla
ظَلَّ
होजाता है
wajhuhu
وَجْهُهُۥ
चेहरा उसका
mus'waddan
مُسْوَدًّا
स्याह
wahuwa
وَهُوَ
और वो
kaẓīmun
كَظِيمٌ
सख़्त ग़मगीन होता है
और जब उनमें से किसी को बेटी की शुभ सूचना मिलती है तो उसके चहरे पर कलौंस छा जाती है और वह घुटा-घुटा रहता है ([१६] अन नहल: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

يَتَوٰرٰى مِنَ الْقَوْمِ مِنْ سُوْۤءِ مَا بُشِّرَ بِهٖۗ اَيُمْسِكُهٗ عَلٰى هُوْنٍ اَمْ يَدُسُّهٗ فِى التُّرَابِۗ اَلَا سَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ٥٩

yatawārā
يَتَوَٰرَىٰ
वो छुपता है
mina
مِنَ
क़ौम से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
क़ौम से
min
مِن
बसबब आर के
sūi
سُوٓءِ
बसबब आर के
مَا
जो
bushira
بُشِّرَ
वो ख़ुश ख़बरी दिया गया
bihi
بِهِۦٓۚ
जिसकी
ayum'sikuhu
أَيُمْسِكُهُۥ
क्या वो रोके रखे उसे
ʿalā
عَلَىٰ
साथ ज़िल्लत के
hūnin
هُونٍ
साथ ज़िल्लत के
am
أَمْ
या
yadussuhu
يَدُسُّهُۥ
वो दबा दे उसे
فِى
मिट्टी में
l-turābi
ٱلتُّرَابِۗ
मिट्टी में
alā
أَلَا
ख़बरदार
sāa
سَآءَ
कितना बुरा है
مَا
जो
yaḥkumūna
يَحْكُمُونَ
वो फ़ैसला करते हैं
जो शुभ सूचना उसे दी गई वह (उसकी दृष्टि में) ऐसी बुराई की बात हुई जो उसके कारण वह लोगों से छिपता फिरता है कि अपमान सहन करके उसे रहने दे या उसे मिट्टी में दबा दे। देखो, कितना बुरा फ़ैसला है जो वे करते है! ([१६] अन नहल: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

لِلَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ مَثَلُ السَّوْءِۚ وَلِلّٰهِ الْمَثَلُ الْاَعْلٰىۗ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ٦٠

lilladhīna
لِلَّذِينَ
उन लोगों के लिए जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत पर
mathalu
مَثَلُ
मिसाल है
l-sawi
ٱلسَّوْءِۖ
बुरी
walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह के लिए
l-mathalu
ٱلْمَثَلُ
मिसाल है
l-aʿlā
ٱلْأَعْلَىٰۚ
आला
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त है
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिक्मत वाला है
जो लोग आख़िरत को नहीं मानते बुरी मिसाल है उनकी। रहा अल्लाह, तो उसकी मिसाल अत्यन्त उच्च है। वह तो प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([१६] अन नहल: 60)
Tafseer (तफ़सीर )