وَالَّذِيْنَ هَاجَرُوْا فِى اللّٰهِ مِنْۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوْا لَنُبَوِّئَنَّهُمْ فِى الدُّنْيَا حَسَنَةً ۗوَلَاَجْرُ الْاٰخِرَةِ اَكْبَرُۘ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَۙ ٤١
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- hājarū
- هَاجَرُوا۟
- हिजरत की
- fī
- فِى
- अल्लाह की राह में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की राह में
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद इसके
- mā
- مَا
- जो
- ẓulimū
- ظُلِمُوا۟
- वो ज़ुल्म किए गए
- lanubawwi-annahum
- لَنُبَوِّئَنَّهُمْ
- अलबत्ता ज़रूर ठिकाना देंगे उन्हें
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- ḥasanatan
- حَسَنَةًۖ
- अच्छा
- wala-ajru
- وَلَأَجْرُ
- और यक़ीनन अज्र
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत का
- akbaru
- أَكْبَرُۚ
- सबसे बड़ा है
- law
- لَوْ
- काश
- kānū
- كَانُوا۟
- होते वो
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जानते
और जिन लोगों ने इसके पश्चात कि उनपर ज़ुल्म ढाया गया था अल्लाह के लिए घर-बार छोड़ा उन्हें हम दुनिया में भी अच्छा ठिकाना देंगे और आख़िरत का प्रतिदान तो बहुत बड़ा है। क्या ही अच्छा होता कि वे जानते ([१६] अन नहल: 41)Tafseer (तफ़सीर )
الَّذِيْنَ صَبَرُوْا وَعَلٰى رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُوْنَ ٤٢
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- ṣabarū
- صَبَرُوا۟
- सब्र किया
- waʿalā
- وَعَلَىٰ
- और अपने रब पर ही
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- और अपने रब पर ही
- yatawakkalūna
- يَتَوَكَّلُونَ
- वो भरोसा करते हैं
ये वे लोग है जो जमे रहे और वे अपने रब पर भरोसा रखते है ([१६] अन नहल: 42)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ اِلَّا رِجَالًا نُّوْحِيْٓ اِلَيْهِمْ فَاسْـَٔلُوْٓا اَهْلَ الذِّكْرِ اِنْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَۙ ٤٣
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- min
- مِن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले
- illā
- إِلَّا
- मगर
- rijālan
- رِجَالًا
- मर्दों को
- nūḥī
- نُّوحِىٓ
- हम वही करते थे
- ilayhim
- إِلَيْهِمْۚ
- तरफ़ उनके
- fasalū
- فَسْـَٔلُوٓا۟
- पस पूछलो
- ahla
- أَهْلَ
- अहले इल्म से
- l-dhik'ri
- ٱلذِّكْرِ
- अहले इल्म से
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- नहीं तुम जानते
हमने तुमसे पहले भी पुरुषों ही को रसूल बनाकर भेजा था - जिनकी ओर हम प्रकाशना करते रहे है। यदि तुम नहीं जानते तो अनुस्मृतिवालों से पूछ लो ([१६] अन नहल: 43)Tafseer (तफ़सीर )
بِالْبَيِّنٰتِ وَالزُّبُرِۗ وَاَنْزَلْنَآ اِلَيْكَ الذِّكْرَ لِتُبَيِّنَ لِلنَّاسِ مَا نُزِّلَ اِلَيْهِمْ وَلَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُوْنَ ٤٤
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह दलाइल
- wal-zuburi
- وَٱلزُّبُرِۗ
- और सहीफ़ों के
- wa-anzalnā
- وَأَنزَلْنَآ
- और नाज़िल किया हमने
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- l-dhik'ra
- ٱلذِّكْرَ
- ज़िक्र को
- litubayyina
- لِتُبَيِّنَ
- ताकि आप वाज़ेह करें
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोंगों के लिए
- mā
- مَا
- जो कुछ
- nuzzila
- نُزِّلَ
- नाज़िल किया गया
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- walaʿallahum
- وَلَعَلَّهُمْ
- और ताकि वो
- yatafakkarūna
- يَتَفَكَّرُونَ
- वो ग़ौरो फ़िक्र करें
स्पष्ट प्रमाणों और ज़बूरों (किताबों) के साथ। और अब यह अनुस्मृति तुम्हारी ओर हमने अवतरित की, ताकि तुम लोगों के समक्ष खोल-खोलकर बयान कर दो जो कुछ उनकी ओर उतारा गया है और ताकि वे सोच-विचार करें ([१६] अन नहल: 44)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَاَمِنَ الَّذِيْنَ مَكَرُوا السَّيِّاٰتِ اَنْ يَّخْسِفَ اللّٰهُ بِهِمُ الْاَرْضَ اَوْ يَأْتِيَهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُوْنَۙ ٤٥
- afa-amina
- أَفَأَمِنَ
- क्या फिर बेख़ौफ़ होगए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- makarū
- مَكَرُوا۟
- चालें चलीं
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुरी
- an
- أَن
- कि
- yakhsifa
- يَخْسِفَ
- धंसादे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bihimu
- بِهِمُ
- उन्हें
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन में
- aw
- أَوْ
- या
- yatiyahumu
- يَأْتِيَهُمُ
- आजाए उनके पास
- l-ʿadhābu
- ٱلْعَذَابُ
- अज़ाब
- min
- مِنْ
- जहाँ से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- lā
- لَا
- नहीं वो शऊर रखते
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- नहीं वो शऊर रखते
फिर क्या वे लोग जो ऐसी बुरी-बुरी चालें चल रहे है, इस बात से निश्चिन्त हो गए है कि अल्लाह उन्हें धरती में धँसा दे या ऐसे मौके से उनपर यातना आ जाए जिसका उन्हें एहसास तक न हो? ([१६] अन नहल: 45)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ يَأْخُذَهُمْ فِيْ تَقَلُّبِهِمْ فَمَا هُمْ بِمُعْجِزِيْنَۙ ٤٦
- aw
- أَوْ
- या
- yakhudhahum
- يَأْخُذَهُمْ
- वो पकड़ ले उन्हें
- fī
- فِى
- उनके चलने-फिरने में
- taqallubihim
- تَقَلُّبِهِمْ
- उनके चलने-फिरने में
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- hum
- هُم
- वो
- bimuʿ'jizīna
- بِمُعْجِزِينَ
- आजिज़ करने वाले
या उन्हें चलते-फिरते ही पकड़ ले, वे क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले तो है नहीं? ([१६] अन नहल: 46)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ يَأْخُذَهُمْ عَلٰى تَخَوُّفٍۗ فَاِنَّ رَبَّكُمْ لَرَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ٤٧
- aw
- أَوْ
- या
- yakhudhahum
- يَأْخُذَهُمْ
- वो पकड़ले उन्हें
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ख़ौफ़ज़दा होने पर
- takhawwufin
- تَخَوُّفٍ
- ख़ौफ़ज़दा होने पर
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- rabbakum
- رَبَّكُمْ
- रब तुम्हारा
- laraūfun
- لَرَءُوفٌ
- अलबत्ता शफ़क़त करने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
क्या अल्लाह की पैदा की हुई किसी चीज़ को उन्होंने देखा नहीं कि किस प्रकार उसकी परछाइयाँ अल्लाह को सजदा करती और विनम्रता दिखाती हुई दाएँ और बाएँ ढलती है? ([१६] अन नहल: 47)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَرَوْا اِلٰى مَا خَلَقَ اللّٰهُ مِنْ شَيْءٍ يَّتَفَيَّؤُا ظِلٰلُهٗ عَنِ الْيَمِيْنِ وَالشَّمَاۤىِٕلِ سُجَّدًا لِّلّٰهِ وَهُمْ دَاخِرُوْنَ ٤٨
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- वो देखते
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उसके जो
- mā
- مَا
- तरफ़ उसके जो
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min
- مِن
- कोई भी चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई भी चीज़
- yatafayya-u
- يَتَفَيَّؤُا۟
- झुकते हैं
- ẓilāluhu
- ظِلَٰلُهُۥ
- साए उसके
- ʿani
- عَنِ
- दाऐं से
- l-yamīni
- ٱلْيَمِينِ
- दाऐं से
- wal-shamāili
- وَٱلشَّمَآئِلِ
- और बाऐं से
- sujjadan
- سُجَّدًا
- सजदा करते हुए
- lillahi
- لِّلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- wahum
- وَهُمْ
- इस हाल में कि वो
- dākhirūna
- دَٰخِرُونَ
- आजिज़ करने वाले हैं
या वह उन्हें त्रस्त अवस्था में पकड़ ले? किन्तु तुम्हारा रब तो बड़ा ही करुणामय, दयावान है ([१६] अन नहल: 48)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِلّٰهِ يَسْجُدُ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ مِنْ دَاۤبَّةٍ وَّالْمَلٰۤىِٕكَةُ وَهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُوْنَ ٤٩
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए
- yasjudu
- يَسْجُدُ
- सजदा करते हैं
- mā
- مَا
- जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में हैं
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में हैं
- min
- مِن
- जानदारों में से
- dābbatin
- دَآبَّةٍ
- जानदारों में से
- wal-malāikatu
- وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- और फ़रिशते
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- नहीं वो तकब्बुर करते
- yastakbirūna
- يَسْتَكْبِرُونَ
- नहीं वो तकब्बुर करते
और आकाशों और धरती में जितने भी जीवधारी है वे सब अल्लाह ही को सजदा करते है और फ़रिश्ते भी और वे घमंड बिलकुल नहीं करते ([१६] अन नहल: 49)Tafseer (तफ़सीर )
يَخَافُوْنَ رَبَّهُمْ مِّنْ فَوْقِهِمْ وَيَفْعَلُوْنَ مَا يُؤْمَرُوْنَ ࣖ ۩ ٥٠
- yakhāfūna
- يَخَافُونَ
- वो डरते हैं
- rabbahum
- رَبَّهُم
- अपने रब से
- min
- مِّن
- अपने ऊपर से
- fawqihim
- فَوْقِهِمْ
- अपने ऊपर से
- wayafʿalūna
- وَيَفْعَلُونَ
- और वो करते हैं
- mā
- مَا
- जो
- yu'marūna
- يُؤْمَرُونَ۩
- वो हुक्म दिए जाते हैं
अपने ऊपर से अपने रब का डर रखते है और जो उन्हें आदेश होता है, वही करते है ([१६] अन नहल: 50)Tafseer (तफ़सीर )