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सूरा अन नहल - Page: 2

An-Nahl

(मधुमक्खी)

११

يُنْۢبِتُ لَكُمْ بِهِ الزَّرْعَ وَالزَّيْتُوْنَ وَالنَّخِيْلَ وَالْاَعْنَابَ وَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ١١

yunbitu
يُنۢبِتُ
वो उगाता है
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-zarʿa
ٱلزَّرْعَ
खेती
wal-zaytūna
وَٱلزَّيْتُونَ
ज़ैतून
wal-nakhīla
وَٱلنَّخِيلَ
और खजूर के दरख़्त
wal-aʿnāba
وَٱلْأَعْنَٰبَ
और अंगूर
wamin
وَمِن
और हर क़िस्म में से
kulli
كُلِّ
और हर क़िस्म में से
l-thamarāti
ٱلثَّمَرَٰتِۗ
फलों की
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yatafakkarūna
يَتَفَكَّرُونَ
जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
और उसी से वह तुम्हारे लिए खेतियाँ उगाता है और ज़ैतून, खजूर, अंगूर और हर प्रकार के फल पैदा करता है। निश्चय ही सोच-विचार करनेवालों के लिए इसमें एक निशानी है ([१६] अन नहल: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَسَخَّرَ لَكُمُ الَّيْلَ وَالنَّهَارَۙ وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ۗوَالنُّجُوْمُ مُسَخَّرٰتٌۢ بِاَمْرِهٖ ۗاِنَّ فِي ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَۙ ١٢

wasakhara
وَسَخَّرَ
और उसने मुसख़्ख़र किया
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
al-layla
ٱلَّيْلَ
रात
wal-nahāra
وَٱلنَّهَارَ
और दिन को
wal-shamsa
وَٱلشَّمْسَ
और सूरज
wal-qamara
وَٱلْقَمَرَۖ
और चाँद को
wal-nujūmu
وَٱلنُّجُومُ
और सितारे
musakharātun
مُسَخَّرَٰتٌۢ
मुसख़्ख़र किए गए हैं
bi-amrihi
بِأَمْرِهِۦٓۗ
उसके हुक्म से
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल रखते हैं
और उसने तुम्हारे लिए रात और दिन को और सूर्य और चन्द्रमा को कार्यरत कर रखा है। और तारे भी उसी की आज्ञा से कार्यरत है - निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लेते है- ([१६] अन नहल: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَمَا ذَرَاَ لَكُمْ فِى الْاَرْضِ مُخْتَلِفًا اَلْوَانُهٗ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّذَّكَّرُوْنَ ١٣

wamā
وَمَا
और जो कुछ
dhara-a
ذَرَأَ
उसने फैला दिया
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
mukh'talifan
مُخْتَلِفًا
मुख़्तलिफ़ हैं
alwānuhu
أَلْوَٰنُهُۥٓۗ
रंग उसके
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yadhakkarūna
يَذَّكَّرُونَ
जो नसीहत पकड़ते हैं
और धरती में तुम्हारे लिए जो रंग-बिरंग की चीज़े बिखेर रखी है, उसमें भी उन लोगों के लिए बड़ी निशानी है जो शिक्षा लेनेवाले है ([१६] अन नहल: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَهُوَ الَّذِيْ سَخَّرَ الْبَحْرَ لِتَأْكُلُوْا مِنْهُ لَحْمًا طَرِيًّا وَّتَسْتَخْرِجُوْا مِنْهُ حِلْيَةً تَلْبَسُوْنَهَاۚ وَتَرَى الْفُلْكَ مَوَاخِرَ فِيْهِ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ١٤

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
sakhara
سَخَّرَ
मुसख़्ख़र किया
l-baḥra
ٱلْبَحْرَ
समुन्दर को
litakulū
لِتَأْكُلُوا۟
ताकि तुम खाओ
min'hu
مِنْهُ
उससे
laḥman
لَحْمًا
गोश्त
ṭariyyan
طَرِيًّا
ताज़ा
watastakhrijū
وَتَسْتَخْرِجُوا۟
और तुम निकालो
min'hu
مِنْهُ
उससे
ḥil'yatan
حِلْيَةً
ज़ेवर
talbasūnahā
تَلْبَسُونَهَا
तुम पहनते हो उसे
watarā
وَتَرَى
और तुम देखते हो
l-ful'ka
ٱلْفُلْكَ
कश्तियाँ
mawākhira
مَوَاخِرَ
कि फाड़ने वाली हैं
fīhi
فِيهِ
उसमें
walitabtaghū
وَلِتَبْتَغُوا۟
और ताकि तुम तलाश करो
min
مِن
उसके फ़ज़ल में से
faḍlihi
فَضْلِهِۦ
उसके फ़ज़ल में से
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करो
वही तो है जिसने समुद्र को वश में किया है, ताकि तुम उससे ताज़ा मांस लेकर खाओ और उससे आभूषण निकालो, जिसे तुम पहनते हो। तुम देखते ही हो कि नौकाएँ उसको चीरती हुई चलती हैं (ताकि तुम सफ़र कर सको) और ताकि तुम उसका अनुग्रह तलाश करो और ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ ([१६] अन नहल: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَاَلْقٰى فِى الْاَرْضِ رَوَاسِيَ اَنْ تَمِيْدَ بِكُمْ وَاَنْهٰرًا وَّسُبُلًا لَّعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَۙ ١٥

wa-alqā
وَأَلْقَىٰ
और उसने डाल दिए
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
rawāsiya
رَوَٰسِىَ
पहाड़
an
أَن
कि
tamīda
تَمِيدَ
वो ढुलक जाए (ना)
bikum
بِكُمْ
तुम्हें लेकर
wa-anhāran
وَأَنْهَٰرًا
और नहरें
wasubulan
وَسُبُلًا
और रास्ते
laʿallakum
لَّعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tahtadūna
تَهْتَدُونَ
तुम हिदायत पा जाओ
और उसने धरती में अटल पहाड़ डाल दिए, कि वह तुम्हें लेकर झुक न पड़े। और नदियाँ बनाई और प्राकृतिक मार्ग बनाए, ताकि तुम मार्ग पा सको ([१६] अन नहल: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَعَلٰمٰتٍۗ وَبِالنَّجْمِ هُمْ يَهْتَدُوْنَ ١٦

waʿalāmātin
وَعَلَٰمَٰتٍۚ
और अलामात (रखदीं)
wabil-najmi
وَبِٱلنَّجْمِ
और साथ सितारों के
hum
هُمْ
वो
yahtadūna
يَهْتَدُونَ
वो राह पाते हैं
और मार्ग चिन्ह भी बनाए और तारों के द्वारा भी लोग मार्ग पर लेते है ([१६] अन नहल: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَفَمَنْ يَّخْلُقُ كَمَنْ لَّا يَخْلُقُۗ اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ١٧

afaman
أَفَمَن
क्या भला वो जो
yakhluqu
يَخْلُقُ
पैदा करता है
kaman
كَمَن
मानिन्द उसके है जो
لَّا
नहीं पैदा करता
yakhluqu
يَخْلُقُۗ
नहीं पैदा करता
afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
tadhakkarūna
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ते
फिर क्या जो पैदा करता है वह उस जैसा हो सकता है, जो पैदा नहीं करता? फिर क्या तुम्हें होश नहीं होता? ([१६] अन नहल: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَاِنْ تَعُدُّوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ لَا تُحْصُوْهَا ۗاِنَّ اللّٰهَ لَغَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١٨

wa-in
وَإِن
और अगर
taʿuddū
تَعُدُّوا۟
तुम गिनना चाहो
niʿ'mata
نِعْمَةَ
नेअमतों को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
لَا
नहीं तुम शुमार कर सकते उन्हें
tuḥ'ṣūhā
تُحْصُوهَآۗ
नहीं तुम शुमार कर सकते उन्हें
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laghafūrun
لَغَفُورٌ
अलबत्ता बहुत बख़्ने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
और यदि तुम अल्लाह की नेमतों (कृपादानों) को गिनना चाहो तो उन्हें पूर्ण-रूप से गिन नहीं सकते। निस्संदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([१६] अन नहल: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تُسِرُّوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ١٩

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
مَا
जो कुछ
tusirrūna
تُسِرُّونَ
तुम छुपाते हो
wamā
وَمَا
और जो कुछ
tuʿ'linūna
تُعْلِنُونَ
तुम ज़ाहिर करते हो
और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ प्रकट करते हो ([१६] अन नहल: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَالَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَا يَخْلُقُوْنَ شَيْـًٔا وَّهُمْ يُخْلَقُوْنَۗ ٢٠

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और जिन्हें
yadʿūna
يَدْعُونَ
वो पुकारते हैं
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
لَا
नहीं वो पैदा कर सकते
yakhluqūna
يَخْلُقُونَ
नहीं वो पैदा कर सकते
shayan
شَيْـًٔا
कोई चीज़
wahum
وَهُمْ
और वो
yukh'laqūna
يُخْلَقُونَ
वो पैदा किए जाते हैं
और जिन्हें वे अल्लाह से हटकर पुकारते है वे किसी चीज़ को भी पैदा नहीं करते, बल्कि वे स्वयं पैदा किए जाते है ([१६] अन नहल: 20)
Tafseer (तफ़सीर )