Skip to content

सूरा अन नहल - Page: 12

An-Nahl

(मधुमक्खी)

१११

۞ يَوْمَ تَأْتِيْ كُلُّ نَفْسٍ تُجَادِلُ عَنْ نَّفْسِهَا وَتُوَفّٰى كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ١١١

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tatī
تَأْتِى
आएगा
kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍ
नफ़्स
tujādilu
تُجَٰدِلُ
वो झगड़ेगा
ʿan
عَن
अपने नफ़्स के बारे में
nafsihā
نَّفْسِهَا
अपने नफ़्स के बारे में
watuwaffā
وَتُوَفَّىٰ
और पूरा-पूरा दिया जाएगा
kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍ
नफ़्स को
مَّا
जो
ʿamilat
عَمِلَتْ
उसने अमल किया
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
yuẓ'lamūna
يُظْلَمُونَ
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनी और प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ उसने किया होगा, उसका पूरा-पूरा बदला चुका दिया जाएगा, और उनपर कुछ भी अत्याचार न होगा ([१६] अन नहल: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا قَرْيَةً كَانَتْ اٰمِنَةً مُّطْمَىِٕنَّةً يَّأْتِيْهَا رِزْقُهَا رَغَدًا مِّنْ كُلِّ مَكَانٍ فَكَفَرَتْ بِاَنْعُمِ اللّٰهِ فَاَذَاقَهَا اللّٰهُ لِبَاسَ الْجُوْعِ وَالْخَوْفِ بِمَا كَانُوْا يَصْنَعُوْنَ ١١٢

waḍaraba
وَضَرَبَ
और बयान की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mathalan
مَثَلًا
मिसाल
qaryatan
قَرْيَةً
एक बस्ती की
kānat
كَانَتْ
वो थी
āminatan
ءَامِنَةً
अमन वाली
muṭ'ma-innatan
مُّطْمَئِنَّةً
मुत्मइन
yatīhā
يَأْتِيهَا
आता था उसके पास
riz'quhā
رِزْقُهَا
रिज़्क़ उसका
raghadan
رَغَدًا
बाफ़राग़त
min
مِّن
हर जगह से
kulli
كُلِّ
हर जगह से
makānin
مَكَانٍ
हर जगह से
fakafarat
فَكَفَرَتْ
तो उसने नाशुक्री की
bi-anʿumi
بِأَنْعُمِ
अल्लाह की नेअमतों की
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की नेअमतों की
fa-adhāqahā
فَأَذَٰقَهَا
तो चखाया उसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
libāsa
لِبَاسَ
लिबास
l-jūʿi
ٱلْجُوعِ
भूख का
wal-khawfi
وَٱلْخَوْفِ
और ख़ौफ़ का
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaṣnaʿūna
يَصْنَعُونَ
किया करते
अल्लाह ने एक मिसाल बयान की है: एक बस्ती थी जो निश्चिन्त और सन्तुष्ट थी। हर जगह से उसकी रोज़ी प्रचुरता के साथ चली आ रही थी कि वह अल्लाह की नेमतों के प्रति अकृतज्ञता दिखाने लगी। तब अल्लाह ने उसके निवासियों को उनकी करतूतों के बदले में भूख का मज़ा चख़ाया और भय का वस्त्र पहनाया ([१६] अन नहल: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

وَلَقَدْ جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ مِّنْهُمْ فَكَذَّبُوْهُ فَاَخَذَهُمُ الْعَذَابُ وَهُمْ ظٰلِمُوْنَ ١١٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
jāahum
جَآءَهُمْ
आया उनके पास
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
fakadhabūhu
فَكَذَّبُوهُ
तो उन्होंने झुठलाया उसे
fa-akhadhahumu
فَأَخَذَهُمُ
तो पकड़ लिया उन्हें
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब ने
wahum
وَهُمْ
जबकि वो
ẓālimūna
ظَٰلِمُونَ
ज़ालिम थे
उनके पास उन्हीं में से एक रसूल आया। किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। अन्ततः यातना ने उन्हें इस दशा में आ लिया कि वे अत्याचारी थे ([१६] अन नहल: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

فَكُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ حَلٰلًا طَيِّبًاۖ وَّاشْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ اِيَّاهُ تَعْبُدُوْنَ ١١٤

fakulū
فَكُلُوا۟
पस खाओ
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
razaqakumu
رَزَقَكُمُ
रिज़्क़ दिया तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ḥalālan
حَلَٰلًا
हलाल
ṭayyiban
طَيِّبًا
पाक
wa-ush'kurū
وَٱشْكُرُوا۟
और शुक्र करो
niʿ'mata
نِعْمَتَ
अल्लाह की नेअमत का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की नेअमत का
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
iyyāhu
إِيَّاهُ
सिर्फ़ उसी की
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
तुम इबादत करते
अतः जो कुछ अल्लाह ने तुम्हें हलाल-पाक रोज़ी दी है उसे खाओ और अल्लाह की नेमत के प्रति कृतज्ञता दिखाओ, यदि तुम उसी को स्वामी मानते हो ([१६] अन नहल: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

اِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنْزِيْرِ وَمَآ اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖۚ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١١٥

innamā
إِنَّمَا
बेशक
ḥarrama
حَرَّمَ
उसने हराम किया
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-maytata
ٱلْمَيْتَةَ
मुर्दार
wal-dama
وَٱلدَّمَ
और ख़ून
walaḥma
وَلَحْمَ
और गोशत
l-khinzīri
ٱلْخِنزِيرِ
ख़िन्ज़ीर का
wamā
وَمَآ
और जो
uhilla
أُهِلَّ
पुकारा जाए
lighayri
لِغَيْرِ
वास्ते ग़ैर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
bihi
بِهِۦۖ
उस पर
famani
فَمَنِ
तो जो कोई
uḍ'ṭurra
ٱضْطُرَّ
मजबूर किया गया
ghayra
غَيْرَ
ना
bāghin
بَاغٍ
रग़बत करने वाला हो
walā
وَلَا
और ना
ʿādin
عَادٍ
हद से गुज़रने वाला
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
उसने तो तुमपर केवल मुर्दार, रक्त, सुअर का मांस और जिसपर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो, हराम ठहराया है। फिर यदि कोई इस प्रकार विवश हो जाए कि न तो उसकी ललक हो और न वह हद से आगे बढ़नेवाला हो तो निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([१६] अन नहल: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَا تَصِفُ اَلْسِنَتُكُمُ الْكَذِبَ هٰذَا حَلٰلٌ وَّهٰذَا حَرَامٌ لِّتَفْتَرُوْا عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَۗ اِنَّ الَّذِيْنَ يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَ لَا يُفْلِحُوْنَۗ ١١٦

walā
وَلَا
और ना
taqūlū
تَقُولُوا۟
तुम कहो
limā
لِمَا
वो जो
taṣifu
تَصِفُ
बयान करती हैं
alsinatukumu
أَلْسِنَتُكُمُ
ज़बानें तुम्हारी
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَ
झूठ
hādhā
هَٰذَا
कि ये
ḥalālun
حَلَٰلٌ
हलाल है
wahādhā
وَهَٰذَا
और ये
ḥarāmun
حَرَامٌ
हराम है
litaftarū
لِّتَفْتَرُوا۟
ताकि तुम गढ़ सको
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَۚ
झूठ
inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
गढ़ते हैं
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَ
झूठ
لَا
नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
yuf'liḥūna
يُفْلِحُونَ
नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
और अपनी ज़बानों के बयान किए हुए झूठ के आधार पर यह न कहा करो, 'यह हलाल है और यह हराम है,' ताकि इस तरह अल्लाह पर झूठ आरोपित करो। जो लोग अल्लाह से सम्बद्ध करके झूठ घड़ते है, वे कदापि सफल होनेवाले नहीं ([१६] अन नहल: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

مَتَاعٌ قَلِيْلٌ ۖوَّلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١١٧

matāʿun
مَتَٰعٌ
फ़ायदा है
qalīlun
قَلِيلٌ
थोड़ा सा
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए है
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
यह उपभोग थोड़ा है, उनके लिए वास्तव में तो दुखद यातना है ([१६] अन नहल: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

وَعَلَى الَّذِيْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا مَا قَصَصْنَا عَلَيْكَ مِنْ قَبْلُ ۗوَمَا ظَلَمْنٰهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْٓا اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَ ١١٨

waʿalā
وَعَلَى
और ऊपर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
hādū
هَادُوا۟
यहूदी बन गए
ḥarramnā
حَرَّمْنَا
हराम कर दिया हमने
مَا
जो
qaṣaṣnā
قَصَصْنَا
बयान किया हमने
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُۖ
इससे पहले
wamā
وَمَا
और नहीं
ẓalamnāhum
ظَلَمْنَٰهُمْ
ज़ुल्म किया था हमने उन पर
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
kānū
كَانُوٓا۟
थे वो
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपनी जानों पर
yaẓlimūna
يَظْلِمُونَ
वो ज़ुल्म करते
जो यहूदी है उनपर हम पहले वे चीज़े हराम कर चुके है जिनका उल्लेख हमने तुमसे किया। उनपर तो अत्याचार हमने नहीं किया, बल्कि वे स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते रहे ([१६] अन नहल: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

ثُمَّ اِنَّ رَبَّكَ لِلَّذِيْنَ عَمِلُوا السُّوْۤءَ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابُوْا مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ وَاَصْلَحُوْٓا اِنَّ رَبَّكَ مِنْۢ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ١١٩

thumma
ثُمَّ
फिर
inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उन लोगों के लिए जिन्होंने
ʿamilū
عَمِلُوا۟
अमल किए
l-sūa
ٱلسُّوٓءَ
बुरे
bijahālatin
بِجَهَٰلَةٍ
बवजह जहालत के
thumma
ثُمَّ
फिर
tābū
تَابُوا۟
उन्होंने तौबा करली
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
इसके
wa-aṣlaḥū
وَأَصْلَحُوٓا۟
और उन्होंने इस्लाह करली
inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdihā
بَعْدِهَا
बाद इसके
laghafūrun
لَغَفُورٌ
अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
फिर तुम्हारा रब उनके लिए जिन्होंने अज्ञानवश बुरा कर्म किया, फिर इसके बाद तौबा करके सुधार कर लिया, तो निश्चय ही तुम्हारा रब इसके पश्चात बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([१६] अन नहल: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

اِنَّ اِبْرٰهِيْمَ كَانَ اُمَّةً قَانِتًا لِّلّٰهِ حَنِيْفًاۗ وَلَمْ يَكُ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَۙ ١٢٠

inna
إِنَّ
बेशक
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम
kāna
كَانَ
था
ummatan
أُمَّةً
एक उम्मत
qānitan
قَانِتًا
मुतीअ/फ़रमाबरदार
lillahi
لِّلَّهِ
अल्लाह के लिए
ḥanīfan
حَنِيفًا
यकसू
walam
وَلَمْ
और ना
yaku
يَكُ
था वो
mina
مِنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
निश्चय ही इबराहीम की स्थिति एक समुदाय की थी। वह अल्लाह का आज्ञाकारी और उसकी ओर एकाग्र था। वह कोई बहुदेववादी न था ([१६] अन नहल: 120)
Tafseer (तफ़सीर )