۞ يَوْمَ تَأْتِيْ كُلُّ نَفْسٍ تُجَادِلُ عَنْ نَّفْسِهَا وَتُوَفّٰى كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ١١١
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- tatī
- تَأْتِى
- आएगा
- kullu
- كُلُّ
- हर
- nafsin
- نَفْسٍ
- नफ़्स
- tujādilu
- تُجَٰدِلُ
- वो झगड़ेगा
- ʿan
- عَن
- अपने नफ़्स के बारे में
- nafsihā
- نَّفْسِهَا
- अपने नफ़्स के बारे में
- watuwaffā
- وَتُوَفَّىٰ
- और पूरा-पूरा दिया जाएगा
- kullu
- كُلُّ
- हर
- nafsin
- نَفْسٍ
- नफ़्स को
- mā
- مَّا
- जो
- ʿamilat
- عَمِلَتْ
- उसने अमल किया
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
- yuẓ'lamūna
- يُظْلَمُونَ
- ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनी और प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ उसने किया होगा, उसका पूरा-पूरा बदला चुका दिया जाएगा, और उनपर कुछ भी अत्याचार न होगा ([१६] अन नहल: 111)Tafseer (तफ़सीर )
وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا قَرْيَةً كَانَتْ اٰمِنَةً مُّطْمَىِٕنَّةً يَّأْتِيْهَا رِزْقُهَا رَغَدًا مِّنْ كُلِّ مَكَانٍ فَكَفَرَتْ بِاَنْعُمِ اللّٰهِ فَاَذَاقَهَا اللّٰهُ لِبَاسَ الْجُوْعِ وَالْخَوْفِ بِمَا كَانُوْا يَصْنَعُوْنَ ١١٢
- waḍaraba
- وَضَرَبَ
- और बयान की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mathalan
- مَثَلًا
- मिसाल
- qaryatan
- قَرْيَةً
- एक बस्ती की
- kānat
- كَانَتْ
- वो थी
- āminatan
- ءَامِنَةً
- अमन वाली
- muṭ'ma-innatan
- مُّطْمَئِنَّةً
- मुत्मइन
- yatīhā
- يَأْتِيهَا
- आता था उसके पास
- riz'quhā
- رِزْقُهَا
- रिज़्क़ उसका
- raghadan
- رَغَدًا
- बाफ़राग़त
- min
- مِّن
- हर जगह से
- kulli
- كُلِّ
- हर जगह से
- makānin
- مَكَانٍ
- हर जगह से
- fakafarat
- فَكَفَرَتْ
- तो उसने नाशुक्री की
- bi-anʿumi
- بِأَنْعُمِ
- अल्लाह की नेअमतों की
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की नेअमतों की
- fa-adhāqahā
- فَأَذَٰقَهَا
- तो चखाया उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- libāsa
- لِبَاسَ
- लिबास
- l-jūʿi
- ٱلْجُوعِ
- भूख का
- wal-khawfi
- وَٱلْخَوْفِ
- और ख़ौफ़ का
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaṣnaʿūna
- يَصْنَعُونَ
- किया करते
अल्लाह ने एक मिसाल बयान की है: एक बस्ती थी जो निश्चिन्त और सन्तुष्ट थी। हर जगह से उसकी रोज़ी प्रचुरता के साथ चली आ रही थी कि वह अल्लाह की नेमतों के प्रति अकृतज्ञता दिखाने लगी। तब अल्लाह ने उसके निवासियों को उनकी करतूतों के बदले में भूख का मज़ा चख़ाया और भय का वस्त्र पहनाया ([१६] अन नहल: 112)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ مِّنْهُمْ فَكَذَّبُوْهُ فَاَخَذَهُمُ الْعَذَابُ وَهُمْ ظٰلِمُوْنَ ١١٣
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- jāahum
- جَآءَهُمْ
- आया उनके पास
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- fakadhabūhu
- فَكَذَّبُوهُ
- तो उन्होंने झुठलाया उसे
- fa-akhadhahumu
- فَأَخَذَهُمُ
- तो पकड़ लिया उन्हें
- l-ʿadhābu
- ٱلْعَذَابُ
- अज़ाब ने
- wahum
- وَهُمْ
- जबकि वो
- ẓālimūna
- ظَٰلِمُونَ
- ज़ालिम थे
उनके पास उन्हीं में से एक रसूल आया। किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। अन्ततः यातना ने उन्हें इस दशा में आ लिया कि वे अत्याचारी थे ([१६] अन नहल: 113)Tafseer (तफ़सीर )
فَكُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ حَلٰلًا طَيِّبًاۖ وَّاشْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ اِيَّاهُ تَعْبُدُوْنَ ١١٤
- fakulū
- فَكُلُوا۟
- पस खाओ
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- razaqakumu
- رَزَقَكُمُ
- रिज़्क़ दिया तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ḥalālan
- حَلَٰلًا
- हलाल
- ṭayyiban
- طَيِّبًا
- पाक
- wa-ush'kurū
- وَٱشْكُرُوا۟
- और शुक्र करो
- niʿ'mata
- نِعْمَتَ
- अल्लाह की नेअमत का
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की नेअमत का
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- iyyāhu
- إِيَّاهُ
- सिर्फ़ उसी की
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम इबादत करते
अतः जो कुछ अल्लाह ने तुम्हें हलाल-पाक रोज़ी दी है उसे खाओ और अल्लाह की नेमत के प्रति कृतज्ञता दिखाओ, यदि तुम उसी को स्वामी मानते हो ([१६] अन नहल: 114)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنْزِيْرِ وَمَآ اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖۚ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١١٥
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- उसने हराम किया
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-maytata
- ٱلْمَيْتَةَ
- मुर्दार
- wal-dama
- وَٱلدَّمَ
- और ख़ून
- walaḥma
- وَلَحْمَ
- और गोशत
- l-khinzīri
- ٱلْخِنزِيرِ
- ख़िन्ज़ीर का
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- uhilla
- أُهِلَّ
- पुकारा जाए
- lighayri
- لِغَيْرِ
- वास्ते ग़ैर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- bihi
- بِهِۦۖ
- उस पर
- famani
- فَمَنِ
- तो जो कोई
- uḍ'ṭurra
- ٱضْطُرَّ
- मजबूर किया गया
- ghayra
- غَيْرَ
- ना
- bāghin
- بَاغٍ
- रग़बत करने वाला हो
- walā
- وَلَا
- और ना
- ʿādin
- عَادٍ
- हद से गुज़रने वाला
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
उसने तो तुमपर केवल मुर्दार, रक्त, सुअर का मांस और जिसपर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो, हराम ठहराया है। फिर यदि कोई इस प्रकार विवश हो जाए कि न तो उसकी ललक हो और न वह हद से आगे बढ़नेवाला हो तो निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([१६] अन नहल: 115)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَا تَصِفُ اَلْسِنَتُكُمُ الْكَذِبَ هٰذَا حَلٰلٌ وَّهٰذَا حَرَامٌ لِّتَفْتَرُوْا عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَۗ اِنَّ الَّذِيْنَ يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَ لَا يُفْلِحُوْنَۗ ١١٦
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- तुम कहो
- limā
- لِمَا
- वो जो
- taṣifu
- تَصِفُ
- बयान करती हैं
- alsinatukumu
- أَلْسِنَتُكُمُ
- ज़बानें तुम्हारी
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَ
- झूठ
- hādhā
- هَٰذَا
- कि ये
- ḥalālun
- حَلَٰلٌ
- हलाल है
- wahādhā
- وَهَٰذَا
- और ये
- ḥarāmun
- حَرَامٌ
- हराम है
- litaftarū
- لِّتَفْتَرُوا۟
- ताकि तुम गढ़ सको
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَۚ
- झूठ
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yaftarūna
- يَفْتَرُونَ
- गढ़ते हैं
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَ
- झूठ
- lā
- لَا
- नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
- yuf'liḥūna
- يُفْلِحُونَ
- नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
और अपनी ज़बानों के बयान किए हुए झूठ के आधार पर यह न कहा करो, 'यह हलाल है और यह हराम है,' ताकि इस तरह अल्लाह पर झूठ आरोपित करो। जो लोग अल्लाह से सम्बद्ध करके झूठ घड़ते है, वे कदापि सफल होनेवाले नहीं ([१६] अन नहल: 116)Tafseer (तफ़सीर )
مَتَاعٌ قَلِيْلٌ ۖوَّلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١١٧
- matāʿun
- مَتَٰعٌ
- फ़ायदा है
- qalīlun
- قَلِيلٌ
- थोड़ा सा
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए है
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
यह उपभोग थोड़ा है, उनके लिए वास्तव में तो दुखद यातना है ([१६] अन नहल: 117)Tafseer (तफ़सीर )
وَعَلَى الَّذِيْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا مَا قَصَصْنَا عَلَيْكَ مِنْ قَبْلُ ۗوَمَا ظَلَمْنٰهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْٓا اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَ ١١٨
- waʿalā
- وَعَلَى
- और ऊपर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों के जो
- hādū
- هَادُوا۟
- यहूदी बन गए
- ḥarramnā
- حَرَّمْنَا
- हराम कर दिया हमने
- mā
- مَا
- जो
- qaṣaṣnā
- قَصَصْنَا
- बयान किया हमने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُۖ
- इससे पहले
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- ẓalamnāhum
- ظَلَمْنَٰهُمْ
- ज़ुल्म किया था हमने उन पर
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- kānū
- كَانُوٓا۟
- थे वो
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपनी जानों पर
- yaẓlimūna
- يَظْلِمُونَ
- वो ज़ुल्म करते
जो यहूदी है उनपर हम पहले वे चीज़े हराम कर चुके है जिनका उल्लेख हमने तुमसे किया। उनपर तो अत्याचार हमने नहीं किया, बल्कि वे स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते रहे ([१६] अन नहल: 118)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اِنَّ رَبَّكَ لِلَّذِيْنَ عَمِلُوا السُّوْۤءَ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابُوْا مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ وَاَصْلَحُوْٓا اِنَّ رَبَّكَ مِنْۢ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ١١٩
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उन लोगों के लिए जिन्होंने
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- अमल किए
- l-sūa
- ٱلسُّوٓءَ
- बुरे
- bijahālatin
- بِجَهَٰلَةٍ
- बवजह जहालत के
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tābū
- تَابُوا۟
- उन्होंने तौबा करली
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसके
- wa-aṣlaḥū
- وَأَصْلَحُوٓا۟
- और उन्होंने इस्लाह करली
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdihā
- بَعْدِهَا
- बाद इसके
- laghafūrun
- لَغَفُورٌ
- अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
फिर तुम्हारा रब उनके लिए जिन्होंने अज्ञानवश बुरा कर्म किया, फिर इसके बाद तौबा करके सुधार कर लिया, तो निश्चय ही तुम्हारा रब इसके पश्चात बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([१६] अन नहल: 119)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اِبْرٰهِيْمَ كَانَ اُمَّةً قَانِتًا لِّلّٰهِ حَنِيْفًاۗ وَلَمْ يَكُ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَۙ ١٢٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम
- kāna
- كَانَ
- था
- ummatan
- أُمَّةً
- एक उम्मत
- qānitan
- قَانِتًا
- मुतीअ/फ़रमाबरदार
- lillahi
- لِّلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- ḥanīfan
- حَنِيفًا
- यकसू
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- yaku
- يَكُ
- था वो
- mina
- مِنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
निश्चय ही इबराहीम की स्थिति एक समुदाय की थी। वह अल्लाह का आज्ञाकारी और उसकी ओर एकाग्र था। वह कोई बहुदेववादी न था ([१६] अन नहल: 120)Tafseer (तफ़सीर )