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सूरा अन नहल - Page: 10

An-Nahl

(मधुमक्खी)

९१

وَاَوْفُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ اِذَا عَاهَدْتُّمْ وَلَا تَنْقُضُوا الْاَيْمَانَ بَعْدَ تَوْكِيْدِهَا وَقَدْ جَعَلْتُمُ اللّٰهَ عَلَيْكُمْ كَفِيْلًا ۗاِنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَ ٩١

wa-awfū
وَأَوْفُوا۟
और पूरा करो
biʿahdi
بِعَهْدِ
अहद को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
idhā
إِذَا
जब
ʿāhadttum
عَٰهَدتُّمْ
अहद करो तुम
walā
وَلَا
और ना
tanquḍū
تَنقُضُوا۟
तुम तोड़ो
l-aymāna
ٱلْأَيْمَٰنَ
क़समों को
baʿda
بَعْدَ
बाद
tawkīdihā
تَوْكِيدِهَا
उनके पक्का करने के
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
jaʿaltumu
جَعَلْتُمُ
बनालिया है तुमने
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
अपने ऊपर
kafīlan
كَفِيلًاۚ
ज़ामिन
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
مَا
जो
tafʿalūna
تَفْعَلُونَ
तुम करते हो
अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करो, जबकि तुमने प्रतिज्ञा की हो। और अपनी क़समों को उन्हें सुदृढ़ करने के पश्चात मत तोड़ो, जबकि तुम अपने ऊपर अल्लाह को अपना ज़ामिन बना चुके हो। निश्चय ही अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो ([१६] अन नहल: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّتِيْ نَقَضَتْ غَزْلَهَا مِنْۢ بَعْدِ قُوَّةٍ اَنْكَاثًاۗ تَتَّخِذُوْنَ اَيْمَانَكُمْ دَخَلًا ۢ بَيْنَكُمْ اَنْ تَكُوْنَ اُمَّةٌ هِيَ اَرْبٰى مِنْ اُمَّةٍ ۗاِنَّمَا يَبْلُوْكُمُ اللّٰهُ بِهٖۗ وَلَيُبَيِّنَنَّ لَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ مَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ٩٢

walā
وَلَا
और ना
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम हो जाओ
ka-allatī
كَٱلَّتِى
उस औरत की तरह
naqaḍat
نَقَضَتْ
जिसने तोड़ डाला
ghazlahā
غَزْلَهَا
सूत अपना
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
quwwatin
قُوَّةٍ
मज़्बूत (कातने) के
ankāthan
أَنكَٰثًا
टुकड़े-टुकड़े करके
tattakhidhūna
تَتَّخِذُونَ
तुम बना लेते हो
aymānakum
أَيْمَٰنَكُمْ
अपनी क़समों को
dakhalan
دَخَلًۢا
बहाना
baynakum
بَيْنَكُمْ
आपस में
an
أَن
ताकि
takūna
تَكُونَ
हो जाए
ummatun
أُمَّةٌ
एक जमाअत
hiya
هِىَ
वो
arbā
أَرْبَىٰ
ज़्यादा बढ़ी हुई (माल में)
min
مِنْ
जमाअत से (दूसरी)
ummatin
أُمَّةٍۚ
जमाअत से (दूसरी)
innamā
إِنَّمَا
बेशक
yablūkumu
يَبْلُوكُمُ
आज़माता है तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bihi
بِهِۦۚ
साथ उसके
walayubayyinanna
وَلَيُبَيِّنَنَّ
और अलबत्ता वो ज़रूर वाज़ेह करेगा
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
مَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
fīhi
فِيهِ
जिसमें
takhtalifūna
تَخْتَلِفُونَ
तुम इख़्तिलाफ़ करते
तुम उस स्त्री की भाँति न हो जाओ जिसने अपना सूत मेहनत से कातने के पश्चात टुकड़-टुकड़े करके रख दिया। तुम अपनी क़समों को परस्पर हस्तक्षेप करने का बहाना बनाने लगो इस ध्येय से कहीं ऐसा न हो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से बढ़ जाए। बात केवल यह है कि अल्लाह इस प्रतिज्ञा के द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेता है और जिस बात में तुम विभेद करते हो उसकी वास्तविकता तो वह क़ियामत के दिन अवश्य ही तुम पर खोल देगा ([१६] अन नहल: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَجَعَلَكُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ يُّضِلُّ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَلَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٩٣

walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lajaʿalakum
لَجَعَلَكُمْ
अलबत्ता वो बना देता तुम्हें
ummatan
أُمَّةً
उम्मत
wāḥidatan
وَٰحِدَةً
एक ही
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yuḍillu
يُضِلُّ
वो गुमराह करता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayahdī
وَيَهْدِى
और वो हिदायत देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
walatus'alunna
وَلَتُسْـَٔلُنَّ
और अलबत्ता तुम ज़रूर सवाल किए जाओगे
ʿammā
عَمَّا
उसके बारे में जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
यदि अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक ही समुदाय बना देता, परन्तु वह जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। तुम जो कुछ भी करते हो उसके विषय में तो तुमसे अवश्य पूछा जाएगा ([१६] अन नहल: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

وَلَا تَتَّخِذُوْٓا اَيْمَانَكُمْ دَخَلًا ۢ بَيْنَكُمْ فَتَزِلَّ قَدَمٌۢ بَعْدَ ثُبُوْتِهَا وَتَذُوْقُوا السُّوْۤءَ بِمَا صَدَدْتُّمْ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۚوَلَكُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ٩٤

walā
وَلَا
और ना
tattakhidhū
تَتَّخِذُوٓا۟
तुम बनाओ
aymānakum
أَيْمَٰنَكُمْ
अपनी क़समों को
dakhalan
دَخَلًۢا
धोखा देने का ज़रिया
baynakum
بَيْنَكُمْ
आपस में
fatazilla
فَتَزِلَّ
वरना फिसल जाएगा
qadamun
قَدَمٌۢ
क़दम
baʿda
بَعْدَ
बाद
thubūtihā
ثُبُوتِهَا
उसके जम जाने के
watadhūqū
وَتَذُوقُوا۟
और तुम चखोगे
l-sūa
ٱلسُّوٓءَ
बुराई/सज़ा
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ṣadadttum
صَدَدتُّمْ
रोका तुमने
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के रास्ते से
walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
तुम अपनी क़समों को परस्पर हस्तक्षेप करने का बहाना न बना लेना। कहीं ऐसा न हो कि कोई क़दम जमने के पश्चात उखड़ जाए और अल्लाह के मार्ग से तुम्हारे रोकने के बदले में तुम्हें तकलीफ़ का मज़ा चखना पड़े और तुम एक बड़ी यातना के भागी ठहरो ([१६] अन नहल: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

وَلَا تَشْتَرُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِيْلًاۗ اِنَّمَا عِنْدَ اللّٰهِ هُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٩٥

walā
وَلَا
और ना
tashtarū
تَشْتَرُوا۟
तुम लो
biʿahdi
بِعَهْدِ
बदले अल्लाह के अहद के
l-lahi
ٱللَّهِ
बदले अल्लाह के अहद के
thamanan
ثَمَنًا
क़ीमत
qalīlan
قَلِيلًاۚ
थोड़ी
innamā
إِنَّمَا
बेशक जो
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के पास है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के पास है
huwa
هُوَ
वो
khayrun
خَيْرٌ
बहतर है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
और तुच्छ मूल्य के लिए अल्लाह की प्रतिज्ञा का सौदा न करो। अल्लाह के पास जो कुछ है वह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है, यदि तुम जानो; ([१६] अन नहल: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

مَا عِنْدَكُمْ يَنْفَدُ وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ بَاقٍۗ وَلَنَجْزِيَنَّ الَّذِيْنَ صَبَرُوْٓا اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٩٦

مَا
जो कुछ
ʿindakum
عِندَكُمْ
तुम्हारे पास है
yanfadu
يَنفَدُۖ
ख़तम हो जाएगा
wamā
وَمَا
और जो कुछ
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के पास है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के पास है
bāqin
بَاقٍۗ
बाक़ी रहने वाला है
walanajziyanna
وَلَنَجْزِيَنَّ
और अलबत्ता हम ज़रूर बदले में देंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ṣabarū
صَبَرُوٓا۟
सब्र किया
ajrahum
أَجْرَهُم
अज्र उनका
bi-aḥsani
بِأَحْسَنِ
बेहतरीन
مَا
उसका जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
तुम्हारे पास जो कुछ है वह तो समाप्त हो जाएगा, किन्तु अल्लाह के पास जो कुछ है वही बाक़ी रहनेवाला है। जिन लोगों ने धैर्य से काम लिया उन्हें तो, जो उत्तम कर्म वे करते रहे उसके बदले में, हम अवश्य उनका प्रतिदान प्रदान करेंगे ([१६] अन नहल: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

مَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَنُحْيِيَنَّهٗ حَيٰوةً طَيِّبَةًۚ وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٩٧

man
مَنْ
जिसने
ʿamila
عَمِلَ
अमल किया
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
min
مِّن
ख़्वाह कोई मर्द हो
dhakarin
ذَكَرٍ
ख़्वाह कोई मर्द हो
aw
أَوْ
या
unthā
أُنثَىٰ
औरत
wahuwa
وَهُوَ
जबकि वो
mu'minun
مُؤْمِنٌ
मोमिन हो
falanuḥ'yiyannahu
فَلَنُحْيِيَنَّهُۥ
पस अलबत्ता हम ज़रूर ज़िन्दगी देंगे उसे
ḥayatan
حَيَوٰةً
ज़िन्दगी
ṭayyibatan
طَيِّبَةًۖ
पाकीज़ा
walanajziyannahum
وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ
और अलबत्ता हम ज़रूर बदले में देंगे उन्हें
ajrahum
أَجْرَهُم
अज्र उनका
bi-aḥsani
بِأَحْسَنِ
बेहतरीन
مَا
उसका जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
जिस किसी ने भी अच्छा कर्म किया, पुरुष हो या स्त्री, शर्त यह है कि वह ईमान पर हो, तो हम उसे अवश्य पवित्र जीवन-यापन कराएँगे। ऐसे लोग जो अच्छा कर्म करते रहे उसके बदले में हम उन्हें अवश्य उनका प्रतिदान प्रदान करेंगे ([१६] अन नहल: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

فَاِذَا قَرَأْتَ الْقُرْاٰنَ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ ٩٨

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
qarata
قَرَأْتَ
पढ़ें आप
l-qur'āna
ٱلْقُرْءَانَ
क़ुरआन को
fa-is'taʿidh
فَٱسْتَعِذْ
तो पनाह माँगिए
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
mina
مِنَ
शैतान से
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान से
l-rajīmi
ٱلرَّجِيمِ
जो मरदूद है
अतः जब तुम क़ुरआन पढ़ने लगो तो फिटकारे हुए शैतान से बचने के लिए अल्लाह की पनाह माँग लिया करो ([१६] अन नहल: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

اِنَّهٗ لَيْسَ لَهٗ سُلْطٰنٌ عَلَى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰى رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُوْنَ ٩٩

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
laysa
لَيْسَ
नहीं है
lahu
لَهُۥ
उसका
sul'ṭānun
سُلْطَٰنٌ
कोई ज़ोर
ʿalā
عَلَى
उन लोगों पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों पर जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿalā
وَعَلَىٰ
और अपने रब पर ही
rabbihim
رَبِّهِمْ
और अपने रब पर ही
yatawakkalūna
يَتَوَكَّلُونَ
वो तवक्कल करते हैं
उसका तो उन लोगों पर कोई ज़ोर नहीं चलता जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते है ([१६] अन नहल: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

اِنَّمَا سُلْطٰنُهٗ عَلَى الَّذِيْنَ يَتَوَلَّوْنَهٗ وَالَّذِيْنَ هُمْ بِهٖ مُشْرِكُوْنَ ࣖ ١٠٠

innamā
إِنَّمَا
बेशक
sul'ṭānuhu
سُلْطَٰنُهُۥ
ज़ोर उसका
ʿalā
عَلَى
उन लोगों पर है जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों पर है जो
yatawallawnahu
يَتَوَلَّوْنَهُۥ
दोस्त बनाते हैं उसे
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और (उन पर) जो
hum
هُم
वो
bihi
بِهِۦ
उसकी वजह से
mush'rikūna
مُشْرِكُونَ
शिर्क करने वाले हैं
उसका ज़ोर तो बस उन्हीं लोगों पर चलता है जो उसे अपना मित्र बनाते है और उस (अल्लाह) के साथ साझी ठहराते है ([१६] अन नहल: 100)
Tafseer (तफ़सीर )