وَاَوْفُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ اِذَا عَاهَدْتُّمْ وَلَا تَنْقُضُوا الْاَيْمَانَ بَعْدَ تَوْكِيْدِهَا وَقَدْ جَعَلْتُمُ اللّٰهَ عَلَيْكُمْ كَفِيْلًا ۗاِنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَ ٩١
- wa-awfū
- وَأَوْفُوا۟
- और पूरा करो
- biʿahdi
- بِعَهْدِ
- अहद को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- idhā
- إِذَا
- जब
- ʿāhadttum
- عَٰهَدتُّمْ
- अहद करो तुम
- walā
- وَلَا
- और ना
- tanquḍū
- تَنقُضُوا۟
- तुम तोड़ो
- l-aymāna
- ٱلْأَيْمَٰنَ
- क़समों को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- tawkīdihā
- تَوْكِيدِهَا
- उनके पक्का करने के
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- jaʿaltumu
- جَعَلْتُمُ
- बनालिया है तुमने
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- अपने ऊपर
- kafīlan
- كَفِيلًاۚ
- ज़ामिन
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- mā
- مَا
- जो
- tafʿalūna
- تَفْعَلُونَ
- तुम करते हो
अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करो, जबकि तुमने प्रतिज्ञा की हो। और अपनी क़समों को उन्हें सुदृढ़ करने के पश्चात मत तोड़ो, जबकि तुम अपने ऊपर अल्लाह को अपना ज़ामिन बना चुके हो। निश्चय ही अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो ([१६] अन नहल: 91)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّتِيْ نَقَضَتْ غَزْلَهَا مِنْۢ بَعْدِ قُوَّةٍ اَنْكَاثًاۗ تَتَّخِذُوْنَ اَيْمَانَكُمْ دَخَلًا ۢ بَيْنَكُمْ اَنْ تَكُوْنَ اُمَّةٌ هِيَ اَرْبٰى مِنْ اُمَّةٍ ۗاِنَّمَا يَبْلُوْكُمُ اللّٰهُ بِهٖۗ وَلَيُبَيِّنَنَّ لَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ مَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ٩٢
- walā
- وَلَا
- और ना
- takūnū
- تَكُونُوا۟
- तुम हो जाओ
- ka-allatī
- كَٱلَّتِى
- उस औरत की तरह
- naqaḍat
- نَقَضَتْ
- जिसने तोड़ डाला
- ghazlahā
- غَزْلَهَا
- सूत अपना
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- quwwatin
- قُوَّةٍ
- मज़्बूत (कातने) के
- ankāthan
- أَنكَٰثًا
- टुकड़े-टुकड़े करके
- tattakhidhūna
- تَتَّخِذُونَ
- तुम बना लेते हो
- aymānakum
- أَيْمَٰنَكُمْ
- अपनी क़समों को
- dakhalan
- دَخَلًۢا
- बहाना
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- आपस में
- an
- أَن
- ताकि
- takūna
- تَكُونَ
- हो जाए
- ummatun
- أُمَّةٌ
- एक जमाअत
- hiya
- هِىَ
- वो
- arbā
- أَرْبَىٰ
- ज़्यादा बढ़ी हुई (माल में)
- min
- مِنْ
- जमाअत से (दूसरी)
- ummatin
- أُمَّةٍۚ
- जमाअत से (दूसरी)
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yablūkumu
- يَبْلُوكُمُ
- आज़माता है तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bihi
- بِهِۦۚ
- साथ उसके
- walayubayyinanna
- وَلَيُبَيِّنَنَّ
- और अलबत्ता वो ज़रूर वाज़ेह करेगा
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- mā
- مَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- fīhi
- فِيهِ
- जिसमें
- takhtalifūna
- تَخْتَلِفُونَ
- तुम इख़्तिलाफ़ करते
तुम उस स्त्री की भाँति न हो जाओ जिसने अपना सूत मेहनत से कातने के पश्चात टुकड़-टुकड़े करके रख दिया। तुम अपनी क़समों को परस्पर हस्तक्षेप करने का बहाना बनाने लगो इस ध्येय से कहीं ऐसा न हो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से बढ़ जाए। बात केवल यह है कि अल्लाह इस प्रतिज्ञा के द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेता है और जिस बात में तुम विभेद करते हो उसकी वास्तविकता तो वह क़ियामत के दिन अवश्य ही तुम पर खोल देगा ([१६] अन नहल: 92)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَجَعَلَكُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ يُّضِلُّ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَلَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٩٣
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lajaʿalakum
- لَجَعَلَكُمْ
- अलबत्ता वो बना देता तुम्हें
- ummatan
- أُمَّةً
- उम्मत
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةً
- एक ही
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yuḍillu
- يُضِلُّ
- वो गुमराह करता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- wayahdī
- وَيَهْدِى
- और वो हिदायत देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- walatus'alunna
- وَلَتُسْـَٔلُنَّ
- और अलबत्ता तुम ज़रूर सवाल किए जाओगे
- ʿammā
- عَمَّا
- उसके बारे में जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
यदि अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक ही समुदाय बना देता, परन्तु वह जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। तुम जो कुछ भी करते हो उसके विषय में तो तुमसे अवश्य पूछा जाएगा ([१६] अन नहल: 93)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَتَّخِذُوْٓا اَيْمَانَكُمْ دَخَلًا ۢ بَيْنَكُمْ فَتَزِلَّ قَدَمٌۢ بَعْدَ ثُبُوْتِهَا وَتَذُوْقُوا السُّوْۤءَ بِمَا صَدَدْتُّمْ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۚوَلَكُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ٩٤
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوٓا۟
- तुम बनाओ
- aymānakum
- أَيْمَٰنَكُمْ
- अपनी क़समों को
- dakhalan
- دَخَلًۢا
- धोखा देने का ज़रिया
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- आपस में
- fatazilla
- فَتَزِلَّ
- वरना फिसल जाएगा
- qadamun
- قَدَمٌۢ
- क़दम
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- thubūtihā
- ثُبُوتِهَا
- उसके जम जाने के
- watadhūqū
- وَتَذُوقُوا۟
- और तुम चखोगे
- l-sūa
- ٱلسُّوٓءَ
- बुराई/सज़ा
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- ṣadadttum
- صَدَدتُّمْ
- रोका तुमने
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के रास्ते से
- walakum
- وَلَكُمْ
- और तुम्हारे लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
तुम अपनी क़समों को परस्पर हस्तक्षेप करने का बहाना न बना लेना। कहीं ऐसा न हो कि कोई क़दम जमने के पश्चात उखड़ जाए और अल्लाह के मार्ग से तुम्हारे रोकने के बदले में तुम्हें तकलीफ़ का मज़ा चखना पड़े और तुम एक बड़ी यातना के भागी ठहरो ([१६] अन नहल: 94)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَشْتَرُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِيْلًاۗ اِنَّمَا عِنْدَ اللّٰهِ هُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٩٥
- walā
- وَلَا
- और ना
- tashtarū
- تَشْتَرُوا۟
- तुम लो
- biʿahdi
- بِعَهْدِ
- बदले अल्लाह के अहद के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- बदले अल्लाह के अहद के
- thamanan
- ثَمَنًا
- क़ीमत
- qalīlan
- قَلِيلًاۚ
- थोड़ी
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक जो
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के पास है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के पास है
- huwa
- هُوَ
- वो
- khayrun
- خَيْرٌ
- बहतर है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते
और तुच्छ मूल्य के लिए अल्लाह की प्रतिज्ञा का सौदा न करो। अल्लाह के पास जो कुछ है वह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है, यदि तुम जानो; ([१६] अन नहल: 95)Tafseer (तफ़सीर )
مَا عِنْدَكُمْ يَنْفَدُ وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ بَاقٍۗ وَلَنَجْزِيَنَّ الَّذِيْنَ صَبَرُوْٓا اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٩٦
- mā
- مَا
- जो कुछ
- ʿindakum
- عِندَكُمْ
- तुम्हारे पास है
- yanfadu
- يَنفَدُۖ
- ख़तम हो जाएगा
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के पास है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के पास है
- bāqin
- بَاقٍۗ
- बाक़ी रहने वाला है
- walanajziyanna
- وَلَنَجْزِيَنَّ
- और अलबत्ता हम ज़रूर बदले में देंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ṣabarū
- صَبَرُوٓا۟
- सब्र किया
- ajrahum
- أَجْرَهُم
- अज्र उनका
- bi-aḥsani
- بِأَحْسَنِ
- बेहतरीन
- mā
- مَا
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
तुम्हारे पास जो कुछ है वह तो समाप्त हो जाएगा, किन्तु अल्लाह के पास जो कुछ है वही बाक़ी रहनेवाला है। जिन लोगों ने धैर्य से काम लिया उन्हें तो, जो उत्तम कर्म वे करते रहे उसके बदले में, हम अवश्य उनका प्रतिदान प्रदान करेंगे ([१६] अन नहल: 96)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَنُحْيِيَنَّهٗ حَيٰوةً طَيِّبَةًۚ وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٩٧
- man
- مَنْ
- जिसने
- ʿamila
- عَمِلَ
- अमल किया
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- min
- مِّن
- ख़्वाह कोई मर्द हो
- dhakarin
- ذَكَرٍ
- ख़्वाह कोई मर्द हो
- aw
- أَوْ
- या
- unthā
- أُنثَىٰ
- औरत
- wahuwa
- وَهُوَ
- जबकि वो
- mu'minun
- مُؤْمِنٌ
- मोमिन हो
- falanuḥ'yiyannahu
- فَلَنُحْيِيَنَّهُۥ
- पस अलबत्ता हम ज़रूर ज़िन्दगी देंगे उसे
- ḥayatan
- حَيَوٰةً
- ज़िन्दगी
- ṭayyibatan
- طَيِّبَةًۖ
- पाकीज़ा
- walanajziyannahum
- وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ
- और अलबत्ता हम ज़रूर बदले में देंगे उन्हें
- ajrahum
- أَجْرَهُم
- अज्र उनका
- bi-aḥsani
- بِأَحْسَنِ
- बेहतरीन
- mā
- مَا
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
जिस किसी ने भी अच्छा कर्म किया, पुरुष हो या स्त्री, शर्त यह है कि वह ईमान पर हो, तो हम उसे अवश्य पवित्र जीवन-यापन कराएँगे। ऐसे लोग जो अच्छा कर्म करते रहे उसके बदले में हम उन्हें अवश्य उनका प्रतिदान प्रदान करेंगे ([१६] अन नहल: 97)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِذَا قَرَأْتَ الْقُرْاٰنَ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ ٩٨
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- qarata
- قَرَأْتَ
- पढ़ें आप
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरआन को
- fa-is'taʿidh
- فَٱسْتَعِذْ
- तो पनाह माँगिए
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- mina
- مِنَ
- शैतान से
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِ
- शैतान से
- l-rajīmi
- ٱلرَّجِيمِ
- जो मरदूद है
अतः जब तुम क़ुरआन पढ़ने लगो तो फिटकारे हुए शैतान से बचने के लिए अल्लाह की पनाह माँग लिया करो ([१६] अन नहल: 98)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّهٗ لَيْسَ لَهٗ سُلْطٰنٌ عَلَى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰى رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُوْنَ ٩٩
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- lahu
- لَهُۥ
- उसका
- sul'ṭānun
- سُلْطَٰنٌ
- कोई ज़ोर
- ʿalā
- عَلَى
- उन लोगों पर जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों पर जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿalā
- وَعَلَىٰ
- और अपने रब पर ही
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- और अपने रब पर ही
- yatawakkalūna
- يَتَوَكَّلُونَ
- वो तवक्कल करते हैं
उसका तो उन लोगों पर कोई ज़ोर नहीं चलता जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते है ([१६] अन नहल: 99)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا سُلْطٰنُهٗ عَلَى الَّذِيْنَ يَتَوَلَّوْنَهٗ وَالَّذِيْنَ هُمْ بِهٖ مُشْرِكُوْنَ ࣖ ١٠٠
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- sul'ṭānuhu
- سُلْطَٰنُهُۥ
- ज़ोर उसका
- ʿalā
- عَلَى
- उन लोगों पर है जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों पर है जो
- yatawallawnahu
- يَتَوَلَّوْنَهُۥ
- दोस्त बनाते हैं उसे
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और (उन पर) जो
- hum
- هُم
- वो
- bihi
- بِهِۦ
- उसकी वजह से
- mush'rikūna
- مُشْرِكُونَ
- शिर्क करने वाले हैं
उसका ज़ोर तो बस उन्हीं लोगों पर चलता है जो उसे अपना मित्र बनाते है और उस (अल्लाह) के साथ साझी ठहराते है ([१६] अन नहल: 100)Tafseer (तफ़सीर )