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सूरा अन नहल - शब्द द्वारा शब्द

An-Nahl

(मधुमक्खी)

bismillaahirrahmaanirrahiim

اَتٰىٓ اَمْرُ اللّٰهِ فَلَا تَسْتَعْجِلُوْهُ ۗسُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ١

atā
أَتَىٰٓ
आ पहुँचा
amru
أَمْرُ
हुक्म
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
falā
فَلَا
पस ना
tastaʿjilūhu
تَسْتَعْجِلُوهُۚ
तुम जल्दी माँगो उसे
sub'ḥānahu
سُبْحَٰنَهُۥ
पाक है वो
wataʿālā
وَتَعَٰلَىٰ
और बुलन्द तर है
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
आ गया आदेश अल्लाह का, तो अब उसके लिए जल्दी न मचाओ। वह महान और उच्च है उस शिर्क से जो व कर रहे है ([१६] अन नहल: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

يُنَزِّلُ الْمَلٰۤىِٕكَةَ بِالرُّوْحِ مِنْ اَمْرِهٖ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖٓ اَنْ اَنْذِرُوْٓا اَنَّهٗ لَآ اِلٰهَ اِلَّآ اَنَا۠ فَاتَّقُوْنِ ٢

yunazzilu
يُنَزِّلُ
वो उतारता है
l-malāikata
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्तों को
bil-rūḥi
بِٱلرُّوحِ
साथ वही के
min
مِنْ
अपने हुक्म से
amrihi
أَمْرِهِۦ
अपने हुक्म से
ʿalā
عَلَىٰ
जिस पर
man
مَن
जिस पर
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦٓ
अपने बन्दों में से
an
أَنْ
कि
andhirū
أَنذِرُوٓا۟
तुम डराओ (लोगों को)
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّآ
मगर
anā
أَنَا۠
मैं ही
fa-ittaqūni
فَٱتَّقُونِ
पस डरो मुझसे
वह फ़रिश्तों को अपने हुक्म की रूह (वह्यल) के साथ अपने जिस बन्दे पर चाहता है उतारता है कि 'सचेत कर दो, मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तुम मेरा ही डर रखो।' ([१६] अन नहल: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّۗ تَعٰلٰى عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٣

khalaqa
خَلَقَ
उसने पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۚ
साथ हक़ के
taʿālā
تَعَٰلَىٰ
बुलन्द तर है
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
उसने आकाशों और धरती को सोद्देश्य पैदा किया। वह अत्यन्त उच्च है उस शिर्क से जो वे कर रहे है ([१६] अन नहल: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

خَلَقَ الْاِنْسَانَ مِنْ نُّطْفَةٍ فَاِذَا هُوَ خَصِيْمٌ مُّبِيْنٌ ٤

khalaqa
خَلَقَ
उसने पैदा किया
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
min
مِن
एक नुत्फ़े से
nuṭ'fatin
نُّطْفَةٍ
एक नुत्फ़े से
fa-idhā
فَإِذَا
फिर अचानक
huwa
هُوَ
वो
khaṣīmun
خَصِيمٌ
झगड़ालू है
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
उसने मनुष्यों को एक बूँद से पैदा किया। फिर क्या देखते है कि वह खुला झगड़नेवाला बन गया! ([१६] अन नहल: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالْاَنْعَامَ خَلَقَهَا لَكُمْ فِيْهَا دِفْءٌ وَّمَنَافِعُ وَمِنْهَا تَأْكُلُوْنَ ٥

wal-anʿāma
وَٱلْأَنْعَٰمَ
और चौपाए
khalaqahā
خَلَقَهَاۗ
उसने पैदा किया उन्हें
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उनमें
dif'on
دِفْءٌ
गरमी का सामान है
wamanāfiʿu
وَمَنَٰفِعُ
और कई फ़ायदे हैं
wamin'hā
وَمِنْهَا
और उनमें से
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाते हो
रहे पशु, उन्हें भी उसी ने पैदा किया, जिसमें तुम्हारे लिए ऊष्मा प्राप्त करने का सामान भी है और हैं अन्य कितने ही लाभ। उनमें से कुछ को तुम खाते भी हो ([१६] अन नहल: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلَكُمْ فِيْهَا جَمَالٌ حِيْنَ تُرِيْحُوْنَ وَحِيْنَ تَسْرَحُوْنَۖ ٦

walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उनमें
jamālun
جَمَالٌ
ख़ूब सूरती है
ḥīna
حِينَ
जिस वक़्त
turīḥūna
تُرِيحُونَ
तुम शाम को चरा कर लाते हो
waḥīna
وَحِينَ
और जिस वक़्त
tasraḥūna
تَسْرَحُونَ
तुम सुबह चराने जाते हो
उनमें तुम्हारे लिए सौन्दर्य भी है, जबकि तुम सायंकाल उन्हें लाते और जबकि तुम उन्हें चराने ले जाते हो ([१६] अन नहल: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَتَحْمِلُ اَثْقَالَكُمْ اِلٰى بَلَدٍ لَّمْ تَكُوْنُوْا بٰلِغِيْهِ اِلَّا بِشِقِّ الْاَنْفُسِۗ اِنَّ رَبَّكُمْ لَرَءُوْفٌ رَّحِيْمٌۙ ٧

wataḥmilu
وَتَحْمِلُ
और वो उठा ले जाते हैं
athqālakum
أَثْقَالَكُمْ
बोझ तुम्हारे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ उस शहर के
baladin
بَلَدٍ
तरफ़ उस शहर के
lam
لَّمْ
ना
takūnū
تَكُونُوا۟
थे तुम
bālighīhi
بَٰلِغِيهِ
पहुँचने वाले उस तक
illā
إِلَّا
मगर
bishiqqi
بِشِقِّ
साथ मशक़्क़त के
l-anfusi
ٱلْأَنفُسِۚ
जानों की
inna
إِنَّ
बेशक
rabbakum
رَبَّكُمْ
रब तुम्हारा
laraūfun
لَرَءُوفٌ
अलबत्ता बहुत शफ़क़त करने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
वे तुम्हारे बोझ ढोकर ऐसे भूभाग तक ले जाते हैं, जहाँ तुम जी-तोड़ परिश्रम के बिना नहीं पहुँच सकते थे। निस्संदेह तुम्हारा रब बड़ा ही करुणामय, दयावान है ([१६] अन नहल: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَّالْخَيْلَ وَالْبِغَالَ وَالْحَمِيْرَ لِتَرْكَبُوْهَا وَزِيْنَةًۗ وَيَخْلُقُ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ٨

wal-khayla
وَٱلْخَيْلَ
और घोड़े
wal-bighāla
وَٱلْبِغَالَ
और ख़च्चर
wal-ḥamīra
وَٱلْحَمِيرَ
और गधे
litarkabūhā
لِتَرْكَبُوهَا
ताकि तुम सवारी करो उन पर
wazīnatan
وَزِينَةًۚ
और ज़ीनत भी हैं
wayakhluqu
وَيَخْلُقُ
और वो पैदा करेगा
مَا
जो
لَا
नहीं
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
और घोड़े और खच्चर और गधे भी पैदा किए, ताकि तुम उनपर सवार हो और शोभा का कारण भी। और वह उसे भी पैदा करता है, जिसे तुम नहीं जानते ([१६] अन नहल: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَعَلَى اللّٰهِ قَصْدُ السَّبِيْلِ وَمِنْهَا جَاۤىِٕرٌ ۗوَلَوْ شَاۤءَ لَهَدٰىكُمْ اَجْمَعِيْنَ ࣖ ٩

waʿalā
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर है
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर है
qaṣdu
قَصْدُ
सीधा
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
रास्ता
wamin'hā
وَمِنْهَا
और उनमें से कुछ
jāirun
جَآئِرٌۚ
टेढ़े हैं
walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
वो चाहता
lahadākum
لَهَدَىٰكُمْ
अलबत्ता हिदायत दे देता तुम्हें
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सबके सबको
अल्लाह के लिए ज़रूरी है उचित एवं अनुकूल मार्ग दिखाना और कुछ मार्ग टेढ़े भी है। यदि वह चाहता तो तुम सबको अवश्य सीधा मार्ग दिखा देता ([१६] अन नहल: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

هُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً لَّكُمْ مِّنْهُ شَرَابٌ وَّمِنْهُ شَجَرٌ فِيْهِ تُسِيْمُوْنَ ١٠

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
anzala
أَنزَلَ
उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءًۖ
पानी
lakum
لَّكُم
तुम्हारे लिए
min'hu
مِّنْهُ
उसमें से
sharābun
شَرَابٌ
पीना है
wamin'hu
وَمِنْهُ
और उसमें से
shajarun
شَجَرٌ
दरख़्त है
fīhi
فِيهِ
जिसमें
tusīmūna
تُسِيمُونَ
तुम चराते हो
वही है जिसने आकाश से तुम्हारे लिए पानी उतारा, जिसे तुम पीते हो और उसी से पेड़ और वनस्पतियाँ भी उगती है, जिनमें तुम जानवरों को चराते हो ([१६] अन नहल: 10)
Tafseer (तफ़सीर )