८१
وَاٰتَيْنٰهُمْ اٰيٰتِنَا فَكَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِيْنَۙ ٨١
- waātaynāhum
- وَءَاتَيْنَٰهُمْ
- और दीं हमने इन्हें
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- अपनी निशानियाँ
- fakānū
- فَكَانُوا۟
- तो थे वो
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उनसे
- muʿ'riḍīna
- مُعْرِضِينَ
- ऐराज़ करने वाले
हमने तो उन्हें अपनी निशानियाँ प्रदान की थी, परन्तु वे उनकी उपेक्षा ही करते रहे ([१५] अल हिज्र: 81)Tafseer (तफ़सीर )
८२
وَكَانُوْا يَنْحِتُوْنَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوْتًا اٰمِنِيْنَ ٨٢
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- yanḥitūna
- يَنْحِتُونَ
- वो तराशते
- mina
- مِنَ
- पहाड़ों से
- l-jibāli
- ٱلْجِبَالِ
- पहाड़ों से
- buyūtan
- بُيُوتًا
- घरों को
- āminīna
- ءَامِنِينَ
- अमन से रहने वाले
वे बड़ी बेफ़िक्री से पहाड़ो को काट-काटकर घर बनाते थे ([१५] अल हिज्र: 82)Tafseer (तफ़सीर )
८३
فَاَخَذَتْهُمُ الصَّيْحَةُ مُصْبِحِيْنَۙ ٨٣
- fa-akhadhathumu
- فَأَخَذَتْهُمُ
- तो पकड़ लिया उन्हें
- l-ṣayḥatu
- ٱلصَّيْحَةُ
- चिंघाड़ ने
- muṣ'biḥīna
- مُصْبِحِينَ
- जबकि वो सुबह करने वाले थे
अन्ततः एक भयानक आवाज़ ने प्रातः होते- होते उन्हें आ लिया ([१५] अल हिज्र: 83)Tafseer (तफ़सीर )
८४
فَمَآ اَغْنٰى عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَۗ ٨٤
- famā
- فَمَآ
- तो ना
- aghnā
- أَغْنَىٰ
- काम आया
- ʿanhum
- عَنْهُم
- उन्हें
- mā
- مَّا
- जो कुछ
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaksibūna
- يَكْسِبُونَ
- वो कमाई करते
फिर जो कुछ वे कमाते रहे, वह उनके कुछ काम न आ सका ([१५] अल हिज्र: 84)Tafseer (तफ़सीर )
८५
وَمَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ اِلَّا بِالْحَقِّۗ وَاِنَّ السَّاعَةَ لَاٰتِيَةٌ فَاصْفَحِ الصَّفْحَ الْجَمِيْلَ ٨٥
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- khalaqnā
- خَلَقْنَا
- पैदा किया हमने
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَآ
- दर्मियान है इन दोनों के
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۗ
- साथ हक़ के
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-sāʿata
- ٱلسَّاعَةَ
- क़यामत
- laātiyatun
- لَءَاتِيَةٌۖ
- ज़रूर आनेवाली है
- fa-iṣ'faḥi
- فَٱصْفَحِ
- पस दरगुज़र कीजिए
- l-ṣafḥa
- ٱلصَّفْحَ
- दरगुज़र करना
- l-jamīla
- ٱلْجَمِيلَ
- ख़ूबसूरती से
हमने तो आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके मध्य है, सोद्देश्य पैदा किया है, और वह क़ियामत की घड़ी तो अनिवार्यतः आनेवाली है। अतः तुम भली प्रकार दरगुज़र (क्षमा) से काम लो ([१५] अल हिज्र: 85)Tafseer (तफ़सीर )
८६
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ الْخَلّٰقُ الْعَلِيْمُ ٨٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-khalāqu
- ٱلْخَلَّٰقُ
- ख़ूब पैदा करने वाला
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला
निश्चय ही तुम्हारा रब ही बड़ा पैदा करनेवाला, सब कुछ जाननेवाला है ([१५] अल हिज्र: 86)Tafseer (तफ़सीर )
८७
وَلَقَدْ اٰتَيْنٰكَ سَبْعًا مِّنَ الْمَثَانِيْ وَالْقُرْاٰنَ الْعَظِيْمَ ٨٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ātaynāka
- ءَاتَيْنَٰكَ
- दीं हमने आपको
- sabʿan
- سَبْعًا
- सात
- mina
- مِّنَ
- दोहराई जाने वाली (आयात)
- l-mathānī
- ٱلْمَثَانِى
- दोहराई जाने वाली (आयात)
- wal-qur'āna
- وَٱلْقُرْءَانَ
- और क़ुरआने
- l-ʿaẓīma
- ٱلْعَظِيمَ
- अज़ीम
हमने तुम्हें सात 'मसानी' का समूह यानी महान क़ुरआन दिया- ([१५] अल हिज्र: 87)Tafseer (तफ़सीर )
८८
لَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ اِلٰى مَا مَتَّعْنَا بِهٖٓ اَزْوَاجًا مِّنْهُمْ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِلْمُؤْمِنِيْنَ ٨٨
- lā
- لَا
- गरगिज़ ना आप दराज़ कीजिए
- tamuddanna
- تَمُدَّنَّ
- गरगिज़ ना आप दराज़ कीजिए
- ʿaynayka
- عَيْنَيْكَ
- अपनी दोनो आँखें
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उसके जो
- mā
- مَا
- तरफ़ उसके जो
- mattaʿnā
- مَتَّعْنَا
- फ़ायदा दिया हमने
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ जिसके
- azwājan
- أَزْوَٰجًا
- मुख़्तलिफ़ लोगों को
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḥzan
- تَحْزَنْ
- आप ग़म कीजिए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- wa-ikh'fiḍ
- وَٱخْفِضْ
- और झुका लीजिए
- janāḥaka
- جَنَاحَكَ
- बाज़ू अपना
- lil'mu'minīna
- لِلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों के लिए
जो कुछ सुख-सामग्री हमने उनमें से विभिन्न प्रकार के लोगों को दी है, तुम उसपर अपनी आँखें न पसारो और न उनपर दुखी हो, तुम तो अपनी भुजाएँ मोमिनों के लिए झुकाए रखो, ([१५] अल हिज्र: 88)Tafseer (तफ़सीर )
८९
وَقُلْ اِنِّيْٓ اَنَا النَّذِيْرُ الْمُبِيْنُۚ ٨٩
- waqul
- وَقُلْ
- और कह दीजिए
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- anā
- أَنَا
- मैं तो
- l-nadhīru
- ٱلنَّذِيرُ
- डराने वाला हूँ
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- खुल्लम-खुल्ला
और कह दो, 'मैं तो साफ़-साफ़ चेतावनी देनेवाला हूँ।' ([१५] अल हिज्र: 89)Tafseer (तफ़सीर )
९०
كَمَآ اَنْزَلْنَا عَلَى الْمُقْتَسِمِيْنَۙ ٩٠
- kamā
- كَمَآ
- जैसा कि
- anzalnā
- أَنزَلْنَا
- नाज़िल किया हमने
- ʿalā
- عَلَى
- तक़सीम करने वालों पर
- l-muq'tasimīna
- ٱلْمُقْتَسِمِينَ
- तक़सीम करने वालों पर
जिस प्रकार हमने हिस्सा-बख़रा करनेवालों पर उतारा था, ([१५] अल हिज्र: 90)Tafseer (तफ़सीर )