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सूरा अल हिज्र - Page: 8

Al-Hijr

(पथरीली ज़मीन, पत्थरों का नगर)

७१

قَالَ هٰٓؤُلَاۤءِ بَنٰتِيْٓ اِنْ كُنْتُمْ فٰعِلِيْنَۗ ٧١

qāla
قَالَ
उसने कहा
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये
banātī
بَنَاتِىٓ
बेटियाँ हैं मेरी
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
fāʿilīna
فَٰعِلِينَ
करने वाले
उसने कहा, 'तुमको यदि कुछ करना है, तो ये मेरी (क़ौम की) बेटियाँ (विधितः विवाह के लिए) मौजूद है।' ([१५] अल हिज्र: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

لَعَمْرُكَ اِنَّهُمْ لَفِيْ سَكْرَتِهِمْ يَعْمَهُوْنَ ٧٢

laʿamruka
لَعَمْرُكَ
आपकी ज़िन्दगी की क़सम
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
lafī
لَفِى
अलबत्ता अपने नशे में
sakratihim
سَكْرَتِهِمْ
अलबत्ता अपने नशे में
yaʿmahūna
يَعْمَهُونَ
वो बहक रहे थे
तुम्हारे जीवन की सौगन्ध, वे अपनी मस्ती में खोए हुए थे, ([१५] अल हिज्र: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

فَاَخَذَتْهُمُ الصَّيْحَةُ مُشْرِقِيْنَۙ ٧٣

fa-akhadhathumu
فَأَخَذَتْهُمُ
तो पकड़ लिया उन्हें
l-ṣayḥatu
ٱلصَّيْحَةُ
एक चिंघाड़ ने
mush'riqīna
مُشْرِقِينَ
सुरज तुलू होते वक़्त
अन्ततः पौ फटते-फटते एक भयंकर आवाज़ ने उन्हें आ लिया, ([१५] अल हिज्र: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

فَجَعَلْنَا عَالِيَهَا سَافِلَهَا وَاَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ حِجَارَةً مِّنْ سِجِّيْلٍ ٧٤

fajaʿalnā
فَجَعَلْنَا
तो करदिया हमने
ʿāliyahā
عَٰلِيَهَا
ऊपर वाला उसका
sāfilahā
سَافِلَهَا
निचला उसका
wa-amṭarnā
وَأَمْطَرْنَا
और बरसाए हमने
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
ḥijāratan
حِجَارَةً
पत्थर
min
مِّن
पकी हुई मिट्टी के
sijjīlin
سِجِّيلٍ
पकी हुई मिट्टी के
और हमने उस बस्ती को तलपट कर दिया, और उनपर कंकरीले पत्थर बरसाए ([१५] अल हिज्र: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّلْمُتَوَسِّمِيْنَۙ ٧٥

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
lil'mutawassimīna
لِّلْمُتَوَسِّمِينَ
गहरी नज़र से देखने वालों के लिए
निश्चय ही इसमें भापनेवालों के लिए निशानियाँ है ([१५] अल हिज्र: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

وَاِنَّهَا لَبِسَبِيْلٍ مُّقِيْمٍ ٧٦

wa-innahā
وَإِنَّهَا
और बेशक वो
labisabīlin
لَبِسَبِيلٍ
अलबत्ता एसे रास्ते पर है
muqīmin
مُّقِيمٍ
जो क़ायम है
और वह (बस्ती) सार्वजनिक मार्ग पर है ([१५] अल हिज्र: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّلْمُؤْمِنِيْنَۗ ٧٧

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
lil'mu'minīna
لِّلْمُؤْمِنِينَ
ईमान वालों के लिए
निश्चय ही इसमें मोमिनों के लिए एक बड़ी निशानी है ([१५] अल हिज्र: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

وَاِنْ كَانَ اَصْحٰبُ الْاَيْكَةِ لَظٰلِمِيْنَۙ ٧٨

wa-in
وَإِن
और बेशक
kāna
كَانَ
थे
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
ऐका/जंगल वाले
l-aykati
ٱلْأَيْكَةِ
ऐका/जंगल वाले
laẓālimīna
لَظَٰلِمِينَ
अलबत्ता ज़ालिम
और निश्चय ही ऐसा वाले भी अत्याचारी थे, ([१५] अल हिज्र: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْۘ وَاِنَّهُمَا لَبِاِمَامٍ مُّبِيْنٍۗ ࣖ ٧٩

fa-intaqamnā
فَٱنتَقَمْنَا
तो इन्तिक़ाम लिया हमने
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
wa-innahumā
وَإِنَّهُمَا
और बेशक वो दोनों हैं
labi-imāmin
لَبِإِمَامٍ
अलबत्ता रास्ते पर
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह
फिर हमने उनसे भी बदला लिया, और ये दोनों (भू-भाग) खुले मार्ग पर स्थित है ([१५] अल हिज्र: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

وَلَقَدْ كَذَّبَ اَصْحٰبُ الْحِجْرِ الْمُرْسَلِيْنَۙ ٨٠

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
हिज्र वालों ने
l-ḥij'ri
ٱلْحِجْرِ
हिज्र वालों ने
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों को
हिज्रवाले भी रसूलों को झुठला चुके है ([१५] अल हिज्र: 80)
Tafseer (तफ़सीर )