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सूरा अल हिज्र - Page: 4

Al-Hijr

(पथरीली ज़मीन, पत्थरों का नगर)

३१

اِلَّآ اِبْلِيْسَۗ اَبٰىٓ اَنْ يَّكُوْنَ مَعَ السّٰجِدِيْنَ ٣١

illā
إِلَّآ
सिवाय
ib'līsa
إِبْلِيسَ
इबलीस के
abā
أَبَىٰٓ
उसने इन्कार किया
an
أَن
कि
yakūna
يَكُونَ
हो वो
maʿa
مَعَ
साथ
l-sājidīna
ٱلسَّٰجِدِينَ
सजदा करने वालों के
सिवाय इबलीस के। उसने सजदा करनेवालों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया ([१५] अल हिज्र: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

قَالَ يٰٓاِبْلِيْسُ مَا لَكَ اَلَّا تَكُوْنَ مَعَ السّٰجِدِيْنَ ٣٢

qāla
قَالَ
फ़रमाया
yāib'līsu
يَٰٓإِبْلِيسُ
ऐ इब्लीस
مَا
क्या है
laka
لَكَ
तुझे
allā
أَلَّا
कि नहीं
takūna
تَكُونَ
हुआ तू
maʿa
مَعَ
साथ सजदा करने वालों के
l-sājidīna
ٱلسَّٰجِدِينَ
साथ सजदा करने वालों के
कहा, 'ऐ इबलीस! तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करनेवालों में शामिल नहीं हुआ?' ([१५] अल हिज्र: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

قَالَ لَمْ اَكُنْ لِّاَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهٗ مِنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍ ٣٣

qāla
قَالَ
उसने कहा
lam
لَمْ
नहीं
akun
أَكُن
हूँ मैं
li-asjuda
لِّأَسْجُدَ
कि मैं सजदा करूँ
libasharin
لِبَشَرٍ
ऐसे इन्सान को
khalaqtahu
خَلَقْتَهُۥ
बनाया तूने उसे
min
مِن
खनकती मिट्टी से
ṣalṣālin
صَلْصَٰلٍ
खनकती मिट्टी से
min
مِّنْ
कीचड़ से
ḥama-in
حَمَإٍ
कीचड़ से
masnūnin
مَّسْنُونٍ
बदबूदार
उसने कहा, 'मैं ऐसा नहीं हूँ कि मैं उस मनुष्य को सजदा करूँ जिसको तू ने सड़े हुए गारे की खनखनाती हुए मिट्टी से बनाया।' ([१५] अल हिज्र: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

قَالَ فَاخْرُجْ مِنْهَا فَاِنَّكَ رَجِيْمٌۙ ٣٤

qāla
قَالَ
फ़रमाया
fa-ukh'ruj
فَٱخْرُجْ
पस निकल जा
min'hā
مِنْهَا
इससे
fa-innaka
فَإِنَّكَ
पस बेशक तू
rajīmun
رَجِيمٌ
मरदूद है
कहा, 'अच्छा, तू निकल जा यहाँ से, क्योंकि तुझपर फिटकार है! ([१५] अल हिज्र: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

وَّاِنَّ عَلَيْكَ اللَّعْنَةَ اِلٰى يَوْمِ الدِّيْنِ ٣٥

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
ʿalayka
عَلَيْكَ
तुझ पर
l-laʿnata
ٱللَّعْنَةَ
लानत है
ilā
إِلَىٰ
बदले के दिन तक
yawmi
يَوْمِ
बदले के दिन तक
l-dīni
ٱلدِّينِ
बदले के दिन तक
निश्चय ही बदले के दिन तक तुझ पर धिक्कार है।' ([१५] अल हिज्र: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

قَالَ رَبِّ فَاَنْظِرْنِيْٓ اِلٰى يَوْمِ يُبْعَثُوْنَ ٣٦

qāla
قَالَ
वो बोला
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
fa-anẓir'nī
فَأَنظِرْنِىٓ
पस मोहलत दे मुझे
ilā
إِلَىٰ
उस दिन तक
yawmi
يَوْمِ
उस दिन तक
yub'ʿathūna
يُبْعَثُونَ
वो सब उठाए जाऐंगे (कि)
उसने कहा, 'मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहलत दे, जबकि सब उठाए जाएँगे।' ([१५] अल हिज्र: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

قَالَ فَاِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِيْنَۙ ٣٧

qāla
قَالَ
फ़रमाया
fa-innaka
فَإِنَّكَ
पस बेशक तू
mina
مِنَ
मोहलत दिए जाने वालों में से है
l-munẓarīna
ٱلْمُنظَرِينَ
मोहलत दिए जाने वालों में से है
कहा, 'अच्छा, तुझे मुहलत है, ([१५] अल हिज्र: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

اِلٰى يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُوْمِ ٣٨

ilā
إِلَىٰ
उस दिन तक
yawmi
يَوْمِ
उस दिन तक
l-waqti
ٱلْوَقْتِ
वक़्त (जिस का)
l-maʿlūmi
ٱلْمَعْلُومِ
मालूम/मुक़र्रर है
उस दिन तक के लिए जिसका समय ज्ञात एवं नियत है।' ([१५] अल हिज्र: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

قَالَ رَبِّ بِمَآ اَغْوَيْتَنِيْ لَاُزَيِّنَنَّ لَهُمْ فِى الْاَرْضِ وَلَاُغْوِيَنَّهُمْ اَجْمَعِيْنَۙ ٣٩

qāla
قَالَ
उसने कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
bimā
بِمَآ
बवजह उसके जो
aghwaytanī
أَغْوَيْتَنِى
बेराह किया तूने मुझे
la-uzayyinanna
لَأُزَيِّنَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर मुज़य्यन कर दूँ गा
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wala-ugh'wiyannahum
وَلَأُغْوِيَنَّهُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर बहकाऊँगा उनको
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सबके सबको
उसने कहा, 'मेरे रब! इसलिए कि तूने मुझे सीधे मार्ग से विचलित कर दिया है, अतः मैं भी धरती में उनके लिए मनमोहकता पैदा करूँगा और उन सबको बहकाकर रहूँगा, ([१५] अल हिज्र: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

اِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِيْنَ ٤٠

illā
إِلَّا
सिवाय
ʿibādaka
عِبَادَكَ
तेरे बन्दों के
min'humu
مِنْهُمُ
उनमें से
l-mukh'laṣīna
ٱلْمُخْلَصِينَ
जो चुने हुए हैं
सिवाय उनके जो तेरे चुने हुए बन्दे होंगे।' ([१५] अल हिज्र: 40)
Tafseer (तफ़सीर )