३१
اِلَّآ اِبْلِيْسَۗ اَبٰىٓ اَنْ يَّكُوْنَ مَعَ السّٰجِدِيْنَ ٣١
- illā
- إِلَّآ
- सिवाय
- ib'līsa
- إِبْلِيسَ
- इबलीस के
- abā
- أَبَىٰٓ
- उसने इन्कार किया
- an
- أَن
- कि
- yakūna
- يَكُونَ
- हो वो
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-sājidīna
- ٱلسَّٰجِدِينَ
- सजदा करने वालों के
सिवाय इबलीस के। उसने सजदा करनेवालों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया ([१५] अल हिज्र: 31)Tafseer (तफ़सीर )
३२
قَالَ يٰٓاِبْلِيْسُ مَا لَكَ اَلَّا تَكُوْنَ مَعَ السّٰجِدِيْنَ ٣٢
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- yāib'līsu
- يَٰٓإِبْلِيسُ
- ऐ इब्लीस
- mā
- مَا
- क्या है
- laka
- لَكَ
- तुझे
- allā
- أَلَّا
- कि नहीं
- takūna
- تَكُونَ
- हुआ तू
- maʿa
- مَعَ
- साथ सजदा करने वालों के
- l-sājidīna
- ٱلسَّٰجِدِينَ
- साथ सजदा करने वालों के
कहा, 'ऐ इबलीस! तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करनेवालों में शामिल नहीं हुआ?' ([१५] अल हिज्र: 32)Tafseer (तफ़सीर )
३३
قَالَ لَمْ اَكُنْ لِّاَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهٗ مِنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍ ٣٣
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- lam
- لَمْ
- नहीं
- akun
- أَكُن
- हूँ मैं
- li-asjuda
- لِّأَسْجُدَ
- कि मैं सजदा करूँ
- libasharin
- لِبَشَرٍ
- ऐसे इन्सान को
- khalaqtahu
- خَلَقْتَهُۥ
- बनाया तूने उसे
- min
- مِن
- खनकती मिट्टी से
- ṣalṣālin
- صَلْصَٰلٍ
- खनकती मिट्टी से
- min
- مِّنْ
- कीचड़ से
- ḥama-in
- حَمَإٍ
- कीचड़ से
- masnūnin
- مَّسْنُونٍ
- बदबूदार
उसने कहा, 'मैं ऐसा नहीं हूँ कि मैं उस मनुष्य को सजदा करूँ जिसको तू ने सड़े हुए गारे की खनखनाती हुए मिट्टी से बनाया।' ([१५] अल हिज्र: 33)Tafseer (तफ़सीर )
३४
قَالَ فَاخْرُجْ مِنْهَا فَاِنَّكَ رَجِيْمٌۙ ٣٤
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- fa-ukh'ruj
- فَٱخْرُجْ
- पस निकल जा
- min'hā
- مِنْهَا
- इससे
- fa-innaka
- فَإِنَّكَ
- पस बेशक तू
- rajīmun
- رَجِيمٌ
- मरदूद है
कहा, 'अच्छा, तू निकल जा यहाँ से, क्योंकि तुझपर फिटकार है! ([१५] अल हिज्र: 34)Tafseer (तफ़सीर )
३५
وَّاِنَّ عَلَيْكَ اللَّعْنَةَ اِلٰى يَوْمِ الدِّيْنِ ٣٥
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- तुझ पर
- l-laʿnata
- ٱللَّعْنَةَ
- लानत है
- ilā
- إِلَىٰ
- बदले के दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- बदले के दिन तक
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- बदले के दिन तक
निश्चय ही बदले के दिन तक तुझ पर धिक्कार है।' ([१५] अल हिज्र: 35)Tafseer (तफ़सीर )
३६
قَالَ رَبِّ فَاَنْظِرْنِيْٓ اِلٰى يَوْمِ يُبْعَثُوْنَ ٣٦
- qāla
- قَالَ
- वो बोला
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- fa-anẓir'nī
- فَأَنظِرْنِىٓ
- पस मोहलत दे मुझे
- ilā
- إِلَىٰ
- उस दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- उस दिन तक
- yub'ʿathūna
- يُبْعَثُونَ
- वो सब उठाए जाऐंगे (कि)
उसने कहा, 'मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहलत दे, जबकि सब उठाए जाएँगे।' ([१५] अल हिज्र: 36)Tafseer (तफ़सीर )
३७
قَالَ فَاِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِيْنَۙ ٣٧
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- fa-innaka
- فَإِنَّكَ
- पस बेशक तू
- mina
- مِنَ
- मोहलत दिए जाने वालों में से है
- l-munẓarīna
- ٱلْمُنظَرِينَ
- मोहलत दिए जाने वालों में से है
कहा, 'अच्छा, तुझे मुहलत है, ([१५] अल हिज्र: 37)Tafseer (तफ़सीर )
३८
اِلٰى يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُوْمِ ٣٨
- ilā
- إِلَىٰ
- उस दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- उस दिन तक
- l-waqti
- ٱلْوَقْتِ
- वक़्त (जिस का)
- l-maʿlūmi
- ٱلْمَعْلُومِ
- मालूम/मुक़र्रर है
उस दिन तक के लिए जिसका समय ज्ञात एवं नियत है।' ([१५] अल हिज्र: 38)Tafseer (तफ़सीर )
३९
قَالَ رَبِّ بِمَآ اَغْوَيْتَنِيْ لَاُزَيِّنَنَّ لَهُمْ فِى الْاَرْضِ وَلَاُغْوِيَنَّهُمْ اَجْمَعِيْنَۙ ٣٩
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- bimā
- بِمَآ
- बवजह उसके जो
- aghwaytanī
- أَغْوَيْتَنِى
- बेराह किया तूने मुझे
- la-uzayyinanna
- لَأُزَيِّنَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर मुज़य्यन कर दूँ गा
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wala-ugh'wiyannahum
- وَلَأُغْوِيَنَّهُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर बहकाऊँगा उनको
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सबके सबको
उसने कहा, 'मेरे रब! इसलिए कि तूने मुझे सीधे मार्ग से विचलित कर दिया है, अतः मैं भी धरती में उनके लिए मनमोहकता पैदा करूँगा और उन सबको बहकाकर रहूँगा, ([१५] अल हिज्र: 39)Tafseer (तफ़सीर )
४०
اِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِيْنَ ٤٠
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- ʿibādaka
- عِبَادَكَ
- तेरे बन्दों के
- min'humu
- مِنْهُمُ
- उनमें से
- l-mukh'laṣīna
- ٱلْمُخْلَصِينَ
- जो चुने हुए हैं
सिवाय उनके जो तेरे चुने हुए बन्दे होंगे।' ([१५] अल हिज्र: 40)Tafseer (तफ़सीर )