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सूरा अल हिज्र - Page: 3

Al-Hijr

(पथरीली ज़मीन, पत्थरों का नगर)

२१

وَاِنْ مِّنْ شَيْءٍ اِلَّا عِنْدَنَا خَزَاۤىِٕنُهٗ وَمَا نُنَزِّلُهٗٓ اِلَّا بِقَدَرٍ مَّعْلُوْمٍ ٢١

wa-in
وَإِن
और नहीं
min
مِّن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई चीज़
illā
إِلَّا
मगर
ʿindanā
عِندَنَا
हमारे पास
khazāinuhu
خَزَآئِنُهُۥ
ख़ज़ाने हैं उसके
wamā
وَمَا
और नहीं
nunazziluhu
نُنَزِّلُهُۥٓ
हम उतारते उसे
illā
إِلَّا
मगर
biqadarin
بِقَدَرٍ
साथ अंदाज़े
maʿlūmin
مَّعْلُومٍ
मालूम के
कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक ज्ञात (निश्चिंत) मात्रा के साथ उतारते है ([१५] अल हिज्र: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَاَرْسَلْنَا الرِّيٰحَ لَوَاقِحَ فَاَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَاَسْقَيْنٰكُمُوْهُۚ وَمَآ اَنْتُمْ لَهٗ بِخَازِنِيْنَ ٢٢

wa-arsalnā
وَأَرْسَلْنَا
और भेजा हमने
l-riyāḥa
ٱلرِّيَٰحَ
हवाओं को
lawāqiḥa
لَوَٰقِحَ
बारआवर
fa-anzalnā
فَأَنزَلْنَا
फिर नाज़िल किया हमने
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fa-asqaynākumūhu
فَأَسْقَيْنَٰكُمُوهُ
पस पिलाया हमने तुम्हें वो
wamā
وَمَآ
और नहीं
antum
أَنتُمْ
हो तुम
lahu
لَهُۥ
उसे
bikhāzinīna
بِخَٰزِنِينَ
ज़ख़ीरा करने वाले
हम ही वर्षा लानेवाली हवाओं को भेजते है। फिर आकाश से पानी बरसाते है और उससे तुम्हें सिंचित करते है। उसके ख़जानादार तुम नहीं हो ([१५] अल हिज्र: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَاِنَّا لَنَحْنُ نُحْيٖ وَنُمِيْتُ وَنَحْنُ الْوَارِثُوْنَ ٢٣

wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lanaḥnu
لَنَحْنُ
यक़ीनन हम ही
nuḥ'yī
نُحْىِۦ
हम ज़िन्दा करते हैं
wanumītu
وَنُمِيتُ
और हम मौत देते हैं
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम ही
l-wārithūna
ٱلْوَٰرِثُونَ
वारिस हैं
हम ही जीवन और मृत्यु देते है और हम ही उत्तराधिकारी रह जाते है ([१५] अल हिज्र: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَلَقَدْ عَلِمْنَا الْمُسْتَقْدِمِيْنَ مِنْكُمْ وَلَقَدْ عَلِمْنَا الْمُسْتَأْخِرِيْنَ ٢٤

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ʿalim'nā
عَلِمْنَا
जान लिया हमने
l-mus'taqdimīna
ٱلْمُسْتَقْدِمِينَ
आगे बढ़ने वालों को
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ʿalim'nā
عَلِمْنَا
जान लिया हमने
l-mus'takhirīna
ٱلْمُسْتَـْٔخِرِينَ
पीछे रहने वालों को
हम तुम्हारे पहले के लोगों को भी जानते है और बाद के आनेवालों को भी हम जानते है ([१५] अल हिज्र: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَاِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَحْشُرُهُمْۗ اِنَّهٗ حَكِيْمٌ عَلِيْمٌ ࣖ ٢٥

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
huwa
هُوَ
वो
yaḥshuruhum
يَحْشُرُهُمْۚ
वो इकट्ठा करेगा उन्हें
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो ही है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिक्मत वाला
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला
तुम्हारा रब ही है, जो उन्हें इकट्ठा करेगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है ([१५] अल हिज्र: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْاِنْسَانَ مِنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍۚ ٢٦

walaqad
وَلَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
khalaqnā
خَلَقْنَا
पैदा किया हमने
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इंसान को
min
مِن
खनकती मिट्टी से
ṣalṣālin
صَلْصَٰلٍ
खनकती मिट्टी से
min
مِّنْ
कीचड़ से
ḥama-in
حَمَإٍ
कीचड़ से
masnūnin
مَّسْنُونٍ
बदबूदार
हमने मनुष्य को सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से बनाया है, ([१५] अल हिज्र: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَالْجَاۤنَّ خَلَقْنٰهُ مِنْ قَبْلُ مِنْ نَّارِ السَّمُوْمِ ٢٧

wal-jāna
وَٱلْجَآنَّ
और जिन्न को
khalaqnāhu
خَلَقْنَٰهُ
पैदा किया हमने उसे
min
مِن
इससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُ
इससे क़ब्ल
min
مِن
आग की लपट से
nāri
نَّارِ
आग की लपट से
l-samūmi
ٱلسَّمُومِ
आग की लपट से
और उससे पहले हम जिन्नों को लू रूपी अग्नि से पैदा कर चुके थे ([१५] अल हिज्र: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

وَاِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلٰۤىِٕكَةِ اِنِّيْ خَالِقٌۢ بَشَرًا مِّنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍۚ ٢٨

wa-idh
وَإِذْ
और जब
qāla
قَالَ
फ़रमाया
rabbuka
رَبُّكَ
आपके रब ने
lil'malāikati
لِلْمَلَٰٓئِكَةِ
फ़रिश्तों से
innī
إِنِّى
बेशक मैं
khāliqun
خَٰلِقٌۢ
पैदा करने वाला हूँ
basharan
بَشَرًا
एक इन्सान
min
مِّن
खनकती मिट्टी से
ṣalṣālin
صَلْصَٰلٍ
खनकती मिट्टी से
min
مِّنْ
कीचड़ से
ḥama-in
حَمَإٍ
कीचड़ से
masnūnin
مَّسْنُونٍ
बदबूदार
याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा, 'मैं सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ ([१५] अल हिज्र: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

فَاِذَا سَوَّيْتُهٗ وَنَفَخْتُ فِيْهِ مِنْ رُّوْحِيْ فَقَعُوْا لَهٗ سٰجِدِيْنَ ٢٩

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
sawwaytuhu
سَوَّيْتُهُۥ
दुरुस्त कर दूँ मैं उसे
wanafakhtu
وَنَفَخْتُ
और फूँक दूँ मैं
fīhi
فِيهِ
उसमें
min
مِن
अपनी रूह से
rūḥī
رُّوحِى
अपनी रूह से
faqaʿū
فَقَعُوا۟
तो गिर पड़ना
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
sājidīna
سَٰجِدِينَ
सजदा करते हुए
तो जब मैं उसे पूरा बना चुकूँ और उसमें अपनी रूह फूँक दूँ तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना!' ([१५] अल हिज्र: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

فَسَجَدَ الْمَلٰۤىِٕكَةُ كُلُّهُمْ اَجْمَعُوْنَۙ ٣٠

fasajada
فَسَجَدَ
तो सजदा किया
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्तों ने
kulluhum
كُلُّهُمْ
सबके सबने
ajmaʿūna
أَجْمَعُونَ
इकट्ठे
अतएव सब के सब फ़रिश्तो ने सजदा किया, ([१५] अल हिज्र: 30)
Tafseer (तफ़सीर )