११
وَمَا يَأْتِيْهِمْ مِّنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ١١
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yatīhim
- يَأْتِيهِم
- आया उनके पास
- min
- مِّن
- कोई रसूल
- rasūlin
- رَّسُولٍ
- कोई रसूल
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- yastahziūna
- يَسْتَهْزِءُونَ
- वो मज़ाक़ उड़ाते
कोई भी रसूल उनके पास ऐसा नहीं आया, जिसका उन्होंने उपहास न किया हो ([१५] अल हिज्र: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
كَذٰلِكَ نَسْلُكُهٗ فِيْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِيْنَۙ ١٢
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- naslukuhu
- نَسْلُكُهُۥ
- हम दाख़िल करते हैं उसको
- fī
- فِى
- दिलों में
- qulūbi
- قُلُوبِ
- दिलों में
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों के
इसी तरह हम अपराधियों के दिलों में इसे उतारते है ([१५] अल हिज्र: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
لَا يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ الْاَوَّلِيْنَ ١٣
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- bihi
- بِهِۦۖ
- इस पर
- waqad
- وَقَدْ
- और तहक़ीक़
- khalat
- خَلَتْ
- गुज़र चुका
- sunnatu
- سُنَّةُ
- तरीक़ा
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों का
वे इसे मानेंगे नहीं। पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं ([१५] अल हिज्र: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
وَلَوْ فَتَحْنَا عَلَيْهِمْ بَابًا مِّنَ السَّمَاۤءِ فَظَلُّوْا فِيْهِ يَعْرُجُوْنَۙ ١٤
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- fataḥnā
- فَتَحْنَا
- खोलदें हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- bāban
- بَابًا
- कोई दरवाज़ा
- mina
- مِّنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- faẓallū
- فَظَلُّوا۟
- तो शिरू होजाऐं
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- yaʿrujūna
- يَعْرُجُونَ
- वो चढ़ते
यदि हम उनपर आकाश से कोई द्वार खोल दें और वे दिन-दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगें, ([१५] अल हिज्र: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
لَقَالُوْٓا اِنَّمَا سُكِّرَتْ اَبْصَارُنَا بَلْ نَحْنُ قَوْمٌ مَّسْحُوْرُوْنَ ࣖ ١٥
- laqālū
- لَقَالُوٓا۟
- अलबत्ता वो कहेंगे
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- sukkirat
- سُكِّرَتْ
- मदहोश करदी गई हैं
- abṣārunā
- أَبْصَٰرُنَا
- निगाहें हमारी
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम तो
- qawmun
- قَوْمٌ
- लोग हैं
- masḥūrūna
- مَّسْحُورُونَ
- सहरज़दा
फिर भी वे यही कहेंगे, 'हमारी आँखें मदमाती हैं, बल्कि हम लोगों पर जादू कर दिया गया है!' ([१५] अल हिज्र: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
وَلَقَدْ جَعَلْنَا فِى السَّمَاۤءِ بُرُوْجًا وَّزَيَّنّٰهَا لِلنّٰظِرِيْنَۙ ١٦
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाए हमने
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान में
- burūjan
- بُرُوجًا
- कई बुर्ज
- wazayyannāhā
- وَزَيَّنَّٰهَا
- और मुज़य्यन किया हमने उसे
- lilnnāẓirīna
- لِلنَّٰظِرِينَ
- देखने वालों के लिए
हमने आकाश में बुर्ज (तारा-समूह) बनाए और हमने उसे देखनेवालों के लिए सुसज्जित भी किया ([१५] अल हिज्र: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
وَحَفِظْنٰهَا مِنْ كُلِّ شَيْطٰنٍ رَّجِيْمٍۙ ١٧
- waḥafiẓ'nāhā
- وَحَفِظْنَٰهَا
- और हिफ़ाज़त की हमने उसकी
- min
- مِن
- हर शैतान से
- kulli
- كُلِّ
- हर शैतान से
- shayṭānin
- شَيْطَٰنٍ
- हर शैतान से
- rajīmin
- رَّجِيمٍ
- जो मरदूद है
और हर फिटकारे हुए शैतान से उसे सुरक्षित रखा - ([१५] अल हिज्र: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
اِلَّا مَنِ اسْتَرَقَ السَّمْعَ فَاَتْبَعَهٗ شِهَابٌ مُّبِيْنٌ ١٨
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mani
- مَنِ
- जिसने
- is'taraqa
- ٱسْتَرَقَ
- चुरा लिया
- l-samʿa
- ٱلسَّمْعَ
- सुनी हुई बात को
- fa-atbaʿahu
- فَأَتْبَعَهُۥ
- तो पीछा करता है उसका
- shihābun
- شِهَابٌ
- एक शोला
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- चमकता हुआ
यह और बात है कि किसी ने चोरी-छिपे कुछ सुनगुन ले लिया तो एक प्रत्यक्ष अग्निशिखा ने भी झपटकर उसका पीछा किया - ([१५] अल हिज्र: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَالْاَرْضَ مَدَدْنٰهَا وَاَلْقَيْنَا فِيْهَا رَوَاسِيَ وَاَنْۢبَتْنَا فِيْهَا مِنْ كُلِّ شَيْءٍ مَّوْزُوْنٍ ١٩
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- madadnāhā
- مَدَدْنَٰهَا
- फैला दिया हमने उसे
- wa-alqaynā
- وَأَلْقَيْنَا
- और डाले हमने
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- rawāsiya
- رَوَٰسِىَ
- पहाड़
- wa-anbatnā
- وَأَنۢبَتْنَا
- और उगाई हमने
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- min
- مِن
- हर तरह की
- kulli
- كُلِّ
- हर तरह की
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़
- mawzūnin
- مَّوْزُونٍ
- मोज़ूं/मुनासिब
और हमने धरती को फैलाया और उसमें अटल पहाड़ डाल दिए और उसमें हर चीज़ नपे-तुले अन्दाज़ में उगाई ([१५] अल हिज्र: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِيْهَا مَعَايِشَ وَمَنْ لَّسْتُمْ لَهٗ بِرَازِقِيْنَ ٢٠
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाए हमने
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- maʿāyisha
- مَعَٰيِشَ
- असबाबे मईशत
- waman
- وَمَن
- और उसके लिए (भी)
- lastum
- لَّسْتُمْ
- नहीं हो तुम
- lahu
- لَهُۥ
- जिसके
- birāziqīna
- بِرَٰزِقِينَ
- राज़िक़
और उसमें तुम्हारे गुज़र-बसर के सामान निर्मित किए, और उनको भी जिनको रोज़ी देनेवाले तुम नहीं हो ([१५] अल हिज्र: 20)Tafseer (तफ़सीर )