१
الۤرٰ ۗتِلْكَ اٰيٰتُ الْكِتٰبِ وَقُرْاٰنٍ مُّبِيْنٍ ۔ ١
- alif-lam-ra
- الٓرۚ
- अलिफ़ लाम रा
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- āyātu
- ءَايَٰتُ
- आयात हैं
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब की
- waqur'ānin
- وَقُرْءَانٍ
- और क़ुरआन वाज़ेह की
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- और क़ुरआन वाज़ेह की
अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह किताब अर्थात स्पष्ट क़ुरआन की आयतें हैं ([१५] अल हिज्र: 1)Tafseer (तफ़सीर )
२
رُبَمَا يَوَدُّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوْ كَانُوْا مُسْلِمِيْنَ ٢
- rubamā
- رُّبَمَا
- कभी
- yawaddu
- يَوَدُّ
- चाहेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- law
- لَوْ
- काश
- kānū
- كَانُوا۟
- वो होते
- mus'limīna
- مُسْلِمِينَ
- मुसलमान
ऐसे समय आएँगे जब इनकार करनेवाले कामना करेंगे कि क्या ही अच्छा होता कि हम मुस्लिम (आज्ञाकारी) होते! ([१५] अल हिज्र: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
ذَرْهُمْ يَأْكُلُوْا وَيَتَمَتَّعُوْا وَيُلْهِهِمُ الْاَمَلُ فَسَوْفَ يَعْلَمُوْنَ ٣
- dharhum
- ذَرْهُمْ
- छोड़ दीजिए उन्हें
- yakulū
- يَأْكُلُوا۟
- वो खाऐं
- wayatamattaʿū
- وَيَتَمَتَّعُوا۟
- और मज़े उड़ाऐं
- wayul'hihimu
- وَيُلْهِهِمُ
- और ग़ाफ़िल रखे उन्हें
- l-amalu
- ٱلْأَمَلُۖ
- उम्मीद
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जान लेंगे
छोड़ो उन्हें खाएँ और मज़े उड़ाएँ और (लम्बी) आशा उन्हें भुलावे में डाले रखे। उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा! ([१५] अल हिज्र: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
وَمَآ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ اِلَّا وَلَهَا كِتَابٌ مَّعْلُوْمٌ ٤
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक किया
- min
- مِن
- किसी बस्ती को
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- किसी बस्ती को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- walahā
- وَلَهَا
- जबकि उसके लिए
- kitābun
- كِتَابٌ
- लिखा हुआ है
- maʿlūmun
- مَّعْلُومٌ
- मालूम (वक़्त)
हमने जिस बस्ती को भी विनष्ट किया है, उसके लिए अनिवार्यतः एक निश्चित फ़ैसला रहा है! ([१५] अल हिज्र: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
مَا تَسْبِقُ مِنْ اُمَّةٍ اَجَلَهَا وَمَا يَسْتَأْخِرُوْنَ ٥
- mā
- مَّا
- नहीं
- tasbiqu
- تَسْبِقُ
- सबक़त करती/आगे बढ़ती
- min
- مِنْ
- कोई उम्मत
- ummatin
- أُمَّةٍ
- कोई उम्मत
- ajalahā
- أَجَلَهَا
- अपने मुक़र्रर वक़्त से
- wamā
- وَمَا
- और ना
- yastakhirūna
- يَسْتَـْٔخِرُونَ
- वो पीछे रह सकती है
किसी समुदाय के लोग न अपने निश्चित समय से आगे बढ़ सकते है और न वे पीछे रह सकते है ([१५] अल हिज्र: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
وَقَالُوْا يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْ نُزِّلَ عَلَيْهِ الذِّكْرُ اِنَّكَ لَمَجْنُوْنٌ ۗ ٦
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो शख़्स
- nuzzila
- نُزِّلَ
- उतारा गया
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- l-dhik'ru
- ٱلذِّكْرُ
- ज़िक्र (क़ुरआन)
- innaka
- إِنَّكَ
- यक़ीनन तू
- lamajnūnun
- لَمَجْنُونٌ
- अलबत्ता मजनून है
वे कहते है, 'ऐ व्यक्ति, जिसपर अनुस्मरण अवतरित हुआ, तुम निश्चय ही दीवाने हो! ([१५] अल हिज्र: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
لَوْمَا تَأْتِيْنَا بِالْمَلٰۤىِٕكَةِ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ٧
- law
- لَّوْ
- क्यों नहीं
- mā
- مَا
- क्यों नहीं
- tatīnā
- تَأْتِينَا
- तू लाया हमारे पास
- bil-malāikati
- بِٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों को
- in
- إِن
- अगर
- kunta
- كُنتَ
- है तू
- mina
- مِنَ
- सच्चों में से
- l-ṣādiqīna
- ٱلصَّٰدِقِينَ
- सच्चों में से
यदि तुम सच्चे हो तो हमारे समक्ष फ़रिश्तों को क्यों नहीं ले आते?' ([१५] अल हिज्र: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
مَا نُنَزِّلُ الْمَلٰۤىِٕكَةَ اِلَّا بِالْحَقِّ وَمَا كَانُوْٓا اِذًا مُّنْظَرِيْنَ ٨
- mā
- مَا
- नहीं
- nunazzilu
- نُنَزِّلُ
- हम उतारा करते
- l-malāikata
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
- फ़रिश्तों को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kānū
- كَانُوٓا۟
- होते वो
- idhan
- إِذًا
- तब
- munẓarīna
- مُّنظَرِينَ
- मोहलत दिए गए
फ़रिश्तों को हम केवल सत्य के प्रयोजन हेतु उतारते है और उस समय लोगों को मुहलत नहीं मिलेगी ([१५] अल हिज्र: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
اِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَاِنَّا لَهٗ لَحٰفِظُوْنَ ٩
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम ही ने
- nazzalnā
- نَزَّلْنَا
- नाज़िल किया हमने
- l-dhik'ra
- ٱلذِّكْرَ
- ज़िक्र (क़ुरआन)
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम ही
- lahu
- لَهُۥ
- उसकी
- laḥāfiẓūna
- لَحَٰفِظُونَ
- अलबत्ता हिफ़ज़त करने वाले हैं
यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं ([१५] अल हिज्र: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ فِيْ شِيَعِ الْاَوَّلِيْنَ ١٠
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजे हमने
- min
- مِن
- आपसे पहले (रसूल)
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले (रसूल)
- fī
- فِى
- गिरोहों में
- shiyaʿi
- شِيَعِ
- गिरोहों में
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहले लोगों के
तुमसे पहले कितने ही विगत गिरोंहों में हम रसूल भेज चुके है ([१५] अल हिज्र: 10)Tafseer (तफ़सीर )