قَالَتْ لَهُمْ رُسُلُهُمْ اِنْ نَّحْنُ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَمُنُّ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖۗ وَمَا كَانَ لَنَآ اَنْ نَّأْتِيَكُمْ بِسُلْطٰنٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ١١
- qālat
- قَالَتْ
- कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- rusuluhum
- رُسُلُهُمْ
- उनके रसूलों ने
- in
- إِن
- नहीं हैं
- naḥnu
- نَّحْنُ
- हम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- basharun
- بَشَرٌ
- एक इन्सान
- mith'lukum
- مِّثْلُكُمْ
- तुम जैसे
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yamunnu
- يَمُنُّ
- एहसान करता है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- जिस पर
- man
- مَن
- जिस पर
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۖ
- अपने बन्दों में से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है (मुमकिन)
- lanā
- لَنَآ
- हमारे लिए
- an
- أَن
- कि
- natiyakum
- نَّأْتِيَكُم
- हम ले आऐं तुम्हारे पास
- bisul'ṭānin
- بِسُلْطَٰنٍ
- कोई दलील
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न से
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के इज़्न से
- waʿalā
- وَعَلَى
- और अल्लाह ही पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और अल्लाह ही पर
- falyatawakkali
- فَلْيَتَوَكَّلِ
- पस चाहिए कि तवक्कल करें
- l-mu'minūna
- ٱلْمُؤْمِنُونَ
- ईमान लाने वाले
उनके रसूलों ने उनसे कहा, 'हम तो वास्तव में बस तुम्हारे ही जैसे मनुष्य है, किन्तु अल्लाह अपने बन्दों में से जिनपर चाहता है एहसान करता है और यह हमारा काम नहीं कि तुम्हारे सामने कोई प्रमाण ले आएँ। यह तो बस अल्लाह के आदेश के पश्चात ही सम्भव है; और अल्लाह ही पर ईमानवालों को भरोसा करना चाहिए ([१४] इब्राहीम: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا لَنَآ اَلَّا نَتَوَكَّلَ عَلَى اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنَا سُبُلَنَاۗ وَلَنَصْبِرَنَّ عَلٰى مَآ اٰذَيْتُمُوْنَاۗ وَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُوْنَ ࣖ ١٢
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- lanā
- لَنَآ
- हमें
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- natawakkala
- نَتَوَكَّلَ
- हम तवक्कल करें
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- hadānā
- هَدَىٰنَا
- हिदायत दी उसने हमें
- subulanā
- سُبُلَنَاۚ
- हमारे रास्तों की
- walanaṣbiranna
- وَلَنَصْبِرَنَّ
- और अलबत्ता हम ज़रूर सब्र करेंगे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर जो
- mā
- مَآ
- उस पर जो
- ādhaytumūnā
- ءَاذَيْتُمُونَاۚ
- अज़ियत दे रहे हो तुम हमें
- waʿalā
- وَعَلَى
- और अल्लाह ही पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और अल्लाह ही पर
- falyatawakkali
- فَلْيَتَوَكَّلِ
- पस चाहिए कि तवक्कल करें
- l-mutawakilūna
- ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
- तवक्कल करने वाले
आख़िर हमें क्या हुआ है कि हम अल्लाह पर भरोसा न करें, जबकि उसने हमें हमारे मार्ग दिखाए है? तुम हमें जो तकलीफ़ पहुँचा रहे हो उसके मुक़ाबले में हम धैर्य से काम लेंगे। भरोसा करनेवालों को तो अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।' ([१४] इब्राहीम: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِرُسُلِهِمْ لَنُخْرِجَنَّكُمْ مِّنْ اَرْضِنَآ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِيْ مِلَّتِنَاۗ فَاَوْحٰٓى اِلَيْهِمْ رَبُّهُمْ لَنُهْلِكَنَّ الظّٰلِمِيْنَ ۗ ١٣
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lirusulihim
- لِرُسُلِهِمْ
- अपने रसूलों को
- lanukh'rijannakum
- لَنُخْرِجَنَّكُم
- अलबत्ता हम ज़रूर निकाल देंगे तुम्हें
- min
- مِّنْ
- अपनी ज़मीन से
- arḍinā
- أَرْضِنَآ
- अपनी ज़मीन से
- aw
- أَوْ
- या
- lataʿūdunna
- لَتَعُودُنَّ
- अलबत्ता तुम ज़रूर लौटोगे
- fī
- فِى
- हमारी मिल्लत में
- millatinā
- مِلَّتِنَاۖ
- हमारी मिल्लत में
- fa-awḥā
- فَأَوْحَىٰٓ
- तो वही की
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- rabbuhum
- رَبُّهُمْ
- उनके रब ने
- lanuh'likanna
- لَنُهْلِكَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर हलाक कर देंगे
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
अन्ततः इनकार करनेवालों ने अपने रसूलों से कहा, 'हम तुम्हें अपने भू-भाग से निकालकर रहेंगे, या तो तुम्हें हमारे पंथ में लौट आना होगा।' तब उनके रब ने उनकी ओर प्रकाशना की, 'हम अत्याचारियों को विनष्ट करके रहेंगे ([१४] इब्राहीम: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَنُسْكِنَنَّكُمُ الْاَرْضَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۗذٰلِكَ لِمَنْ خَافَ مَقَامِيْ وَخَافَ وَعِيْدِ ١٤
- walanus'kinannakumu
- وَلَنُسْكِنَنَّكُمُ
- और अलबत्ता हम ज़रूर आबाद कर देंगे तुम्हें
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन में
- min
- مِنۢ
- बाद इनके
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْۚ
- बाद इनके
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- liman
- لِمَنْ
- उसके लिए है जो
- khāfa
- خَافَ
- डरे
- maqāmī
- مَقَامِى
- मेरे सामने खड़ा होने से
- wakhāfa
- وَخَافَ
- और वो डरे
- waʿīdi
- وَعِيدِ
- मेरी वईद से
और उनके पश्चात तुम्हें इस धरती में बसाएँगे। यह उसके लिए है, जिसे मेरे समक्ष खड़े होने का भय हो और जो मेरी चेतावनी से डरे।' ([१४] इब्राहीम: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَاسْتَفْتَحُوْا وَخَابَ كُلُّ جَبَّارٍ عَنِيْدٍۙ ١٥
- wa-is'taftaḥū
- وَٱسْتَفْتَحُوا۟
- और उन्होंने फ़ैसला चाहा
- wakhāba
- وَخَابَ
- और नामुराद हुआ
- kullu
- كُلُّ
- हर
- jabbārin
- جَبَّارٍ
- सरकश
- ʿanīdin
- عَنِيدٍ
- इनाद रखने वाला
उन्होंने फ़ैसला चाहा और प्रत्येक सरकश-दुराग्रही असफल होकर रहा ([१४] इब्राहीम: 15)Tafseer (तफ़सीर )
مِّنْ وَّرَاۤىِٕهٖ جَهَنَّمُ وَيُسْقٰى مِنْ مَّاۤءٍ صَدِيْدٍۙ ١٦
- min
- مِّن
- उसके आगे
- warāihi
- وَرَآئِهِۦ
- उसके आगे
- jahannamu
- جَهَنَّمُ
- जहन्नम है
- wayus'qā
- وَيُسْقَىٰ
- और वो पिलाया जाएगा
- min
- مِن
- पानी में से
- māin
- مَّآءٍ
- पानी में से
- ṣadīdin
- صَدِيدٍ
- पीप वाले
वह जहन्नम से घिरा है और पीने को उसे कचलोहू का पानी दिया जाएगा, ([१४] इब्राहीम: 16)Tafseer (तफ़सीर )
يَّتَجَرَّعُهٗ وَلَا يَكَادُ يُسِيْغُهٗ وَيَأْتِيْهِ الْمَوْتُ مِنْ كُلِّ مَكَانٍ وَّمَا هُوَ بِمَيِّتٍۗ وَمِنْ وَّرَاۤىِٕهٖ عَذَابٌ غَلِيْظٌ ١٧
- yatajarraʿuhu
- يَتَجَرَّعُهُۥ
- वो घूँट-घूँट पियेगा उसे
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yakādu
- يَكَادُ
- वो क़रीब होगा
- yusīghuhu
- يُسِيغُهُۥ
- कि वो निगल सके उसे
- wayatīhi
- وَيَأْتِيهِ
- और आएगी उसके पास
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- min
- مِن
- हर जगह से
- kulli
- كُلِّ
- हर जगह से
- makānin
- مَكَانٍ
- हर जगह से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं (होगा)
- huwa
- هُوَ
- वो
- bimayyitin
- بِمَيِّتٍۖ
- मरने वाला
- wamin
- وَمِن
- और उसके आगे
- warāihi
- وَرَآئِهِۦ
- और उसके आगे
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- ghalīẓun
- غَلِيظٌ
- सख़्त
जिसे वह कठिनाई से घूँट-घूँट करके पिएगा और ऐसा नहीं लगेगा कि वह आसानी से उसे उतार सकता है, और मृत्यु उसपर हर ओर से चली आती होगी, फिर भी वह मरेगा नहीं। और उसके सामने कठोर यातना होगी ([१४] इब्राहीम: 17)Tafseer (तफ़सीर )
مَثَلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ اَعْمَالُهُمْ كَرَمَادِ ِۨاشْتَدَّتْ بِهِ الرِّيْحُ فِيْ يَوْمٍ عَاصِفٍۗ لَا يَقْدِرُوْنَ مِمَّا كَسَبُوْا عَلٰى شَيْءٍ ۗذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِيْدُ ١٨
- mathalu
- مَّثَلُ
- मिसाल
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों की जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- birabbihim
- بِرَبِّهِمْۖ
- अपने रब से
- aʿmāluhum
- أَعْمَٰلُهُمْ
- आमाल उनके
- karamādin
- كَرَمَادٍ
- उस राख की तरह हैं
- ish'taddat
- ٱشْتَدَّتْ
- कि सख़्त चली हो
- bihi
- بِهِ
- उस पर
- l-rīḥu
- ٱلرِّيحُ
- हवा
- fī
- فِى
- एक दिन में
- yawmin
- يَوْمٍ
- एक दिन में
- ʿāṣifin
- عَاصِفٍۖ
- तेज़ हवा के
- lā
- لَّا
- ना वो क़ुदरत रखेंगे
- yaqdirūna
- يَقْدِرُونَ
- ना वो क़ुदरत रखेंगे
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- kasabū
- كَسَبُوا۟
- उन्होंने कमाई की
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी चीज़ पर
- shayin
- شَىْءٍۚ
- किसी चीज़ पर
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-ḍalālu
- ٱلضَّلَٰلُ
- गुमराही
- l-baʿīdu
- ٱلْبَعِيدُ
- दूर की
जिन लोगों ने अपने रब का इनकार किया उनकी मिसाल यह है कि उनके कर्म जैसे राख हों जिसपर आँधी के दिन प्रचंड हवा का झोंका चले। कुछ भी उन्हें अपनी कमाई में से हाथ न आ सकेगा। यही परले दर्जे की तबाही और गुमराही है ([१४] इब्राहीम: 18)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّۗ اِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍ جَدِيْدٍۙ ١٩
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۚ
- साथ हक़ के
- in
- إِن
- अगर
- yasha
- يَشَأْ
- वो चाहे
- yudh'hib'kum
- يُذْهِبْكُمْ
- वो ले जाए तुम सबको
- wayati
- وَيَأْتِ
- और वो ले आए
- bikhalqin
- بِخَلْقٍ
- कोई मख़लूक़
- jadīdin
- جَدِيدٍ
- नई
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने आकाशों और धरती को सोद्देश्य पैदा किया? यदि वह चाहे तो तुम सबको ले जाए और एक नवीन सृष्टा जनसमूह ले आए ([१४] इब्राहीम: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَّمَا ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ بِعَزِيْزٍ ٢٠
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- biʿazīzin
- بِعَزِيزٍ
- कुछ मुश्किल
और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं है ([१४] इब्राहीम: 20)Tafseer (तफ़सीर )