Skip to content

सूरा इब्राहीम - Page: 2

Ibrahim

(अब्राहम)

११

قَالَتْ لَهُمْ رُسُلُهُمْ اِنْ نَّحْنُ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَمُنُّ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖۗ وَمَا كَانَ لَنَآ اَنْ نَّأْتِيَكُمْ بِسُلْطٰنٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ١١

qālat
قَالَتْ
कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
rusuluhum
رُسُلُهُمْ
उनके रसूलों ने
in
إِن
नहीं हैं
naḥnu
نَّحْنُ
हम
illā
إِلَّا
मगर
basharun
بَشَرٌ
एक इन्सान
mith'lukum
مِّثْلُكُمْ
तुम जैसे
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yamunnu
يَمُنُّ
एहसान करता है
ʿalā
عَلَىٰ
जिस पर
man
مَن
जिस पर
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦۖ
अपने बन्दों में से
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है (मुमकिन)
lanā
لَنَآ
हमारे लिए
an
أَن
कि
natiyakum
نَّأْتِيَكُم
हम ले आऐं तुम्हारे पास
bisul'ṭānin
بِسُلْطَٰنٍ
कोई दलील
illā
إِلَّا
मगर
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के इज़्न से
waʿalā
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
falyatawakkali
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल करें
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले
उनके रसूलों ने उनसे कहा, 'हम तो वास्तव में बस तुम्हारे ही जैसे मनुष्य है, किन्तु अल्लाह अपने बन्दों में से जिनपर चाहता है एहसान करता है और यह हमारा काम नहीं कि तुम्हारे सामने कोई प्रमाण ले आएँ। यह तो बस अल्लाह के आदेश के पश्चात ही सम्भव है; और अल्लाह ही पर ईमानवालों को भरोसा करना चाहिए ([१४] इब्राहीम: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَمَا لَنَآ اَلَّا نَتَوَكَّلَ عَلَى اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنَا سُبُلَنَاۗ وَلَنَصْبِرَنَّ عَلٰى مَآ اٰذَيْتُمُوْنَاۗ وَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُوْنَ ࣖ ١٢

wamā
وَمَا
और क्या है
lanā
لَنَآ
हमें
allā
أَلَّا
कि ना
natawakkala
نَتَوَكَّلَ
हम तवक्कल करें
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
hadānā
هَدَىٰنَا
हिदायत दी उसने हमें
subulanā
سُبُلَنَاۚ
हमारे रास्तों की
walanaṣbiranna
وَلَنَصْبِرَنَّ
और अलबत्ता हम ज़रूर सब्र करेंगे
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर जो
مَآ
उस पर जो
ādhaytumūnā
ءَاذَيْتُمُونَاۚ
अज़ियत दे रहे हो तुम हमें
waʿalā
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
falyatawakkali
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल करें
l-mutawakilūna
ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
तवक्कल करने वाले
आख़िर हमें क्या हुआ है कि हम अल्लाह पर भरोसा न करें, जबकि उसने हमें हमारे मार्ग दिखाए है? तुम हमें जो तकलीफ़ पहुँचा रहे हो उसके मुक़ाबले में हम धैर्य से काम लेंगे। भरोसा करनेवालों को तो अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।' ([१४] इब्राहीम: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِرُسُلِهِمْ لَنُخْرِجَنَّكُمْ مِّنْ اَرْضِنَآ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِيْ مِلَّتِنَاۗ فَاَوْحٰٓى اِلَيْهِمْ رَبُّهُمْ لَنُهْلِكَنَّ الظّٰلِمِيْنَ ۗ ١٣

waqāla
وَقَالَ
और कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lirusulihim
لِرُسُلِهِمْ
अपने रसूलों को
lanukh'rijannakum
لَنُخْرِجَنَّكُم
अलबत्ता हम ज़रूर निकाल देंगे तुम्हें
min
مِّنْ
अपनी ज़मीन से
arḍinā
أَرْضِنَآ
अपनी ज़मीन से
aw
أَوْ
या
lataʿūdunna
لَتَعُودُنَّ
अलबत्ता तुम ज़रूर लौटोगे
فِى
हमारी मिल्लत में
millatinā
مِلَّتِنَاۖ
हमारी मिल्लत में
fa-awḥā
فَأَوْحَىٰٓ
तो वही की
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
rabbuhum
رَبُّهُمْ
उनके रब ने
lanuh'likanna
لَنُهْلِكَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर हलाक कर देंगे
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
अन्ततः इनकार करनेवालों ने अपने रसूलों से कहा, 'हम तुम्हें अपने भू-भाग से निकालकर रहेंगे, या तो तुम्हें हमारे पंथ में लौट आना होगा।' तब उनके रब ने उनकी ओर प्रकाशना की, 'हम अत्याचारियों को विनष्ट करके रहेंगे ([१४] इब्राहीम: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَلَنُسْكِنَنَّكُمُ الْاَرْضَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۗذٰلِكَ لِمَنْ خَافَ مَقَامِيْ وَخَافَ وَعِيْدِ ١٤

walanus'kinannakumu
وَلَنُسْكِنَنَّكُمُ
और अलबत्ता हम ज़रूर आबाद कर देंगे तुम्हें
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन में
min
مِنۢ
बाद इनके
baʿdihim
بَعْدِهِمْۚ
बाद इनके
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
liman
لِمَنْ
उसके लिए है जो
khāfa
خَافَ
डरे
maqāmī
مَقَامِى
मेरे सामने खड़ा होने से
wakhāfa
وَخَافَ
और वो डरे
waʿīdi
وَعِيدِ
मेरी वईद से
और उनके पश्चात तुम्हें इस धरती में बसाएँगे। यह उसके लिए है, जिसे मेरे समक्ष खड़े होने का भय हो और जो मेरी चेतावनी से डरे।' ([१४] इब्राहीम: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَاسْتَفْتَحُوْا وَخَابَ كُلُّ جَبَّارٍ عَنِيْدٍۙ ١٥

wa-is'taftaḥū
وَٱسْتَفْتَحُوا۟
और उन्होंने फ़ैसला चाहा
wakhāba
وَخَابَ
और नामुराद हुआ
kullu
كُلُّ
हर
jabbārin
جَبَّارٍ
सरकश
ʿanīdin
عَنِيدٍ
इनाद रखने वाला
उन्होंने फ़ैसला चाहा और प्रत्येक सरकश-दुराग्रही असफल होकर रहा ([१४] इब्राहीम: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

مِّنْ وَّرَاۤىِٕهٖ جَهَنَّمُ وَيُسْقٰى مِنْ مَّاۤءٍ صَدِيْدٍۙ ١٦

min
مِّن
उसके आगे
warāihi
وَرَآئِهِۦ
उसके आगे
jahannamu
جَهَنَّمُ
जहन्नम है
wayus'qā
وَيُسْقَىٰ
और वो पिलाया जाएगा
min
مِن
पानी में से
māin
مَّآءٍ
पानी में से
ṣadīdin
صَدِيدٍ
पीप वाले
वह जहन्नम से घिरा है और पीने को उसे कचलोहू का पानी दिया जाएगा, ([१४] इब्राहीम: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

يَّتَجَرَّعُهٗ وَلَا يَكَادُ يُسِيْغُهٗ وَيَأْتِيْهِ الْمَوْتُ مِنْ كُلِّ مَكَانٍ وَّمَا هُوَ بِمَيِّتٍۗ وَمِنْ وَّرَاۤىِٕهٖ عَذَابٌ غَلِيْظٌ ١٧

yatajarraʿuhu
يَتَجَرَّعُهُۥ
वो घूँट-घूँट पियेगा उसे
walā
وَلَا
और नहीं
yakādu
يَكَادُ
वो क़रीब होगा
yusīghuhu
يُسِيغُهُۥ
कि वो निगल सके उसे
wayatīhi
وَيَأْتِيهِ
और आएगी उसके पास
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
min
مِن
हर जगह से
kulli
كُلِّ
हर जगह से
makānin
مَكَانٍ
हर जगह से
wamā
وَمَا
और नहीं (होगा)
huwa
هُوَ
वो
bimayyitin
بِمَيِّتٍۖ
मरने वाला
wamin
وَمِن
और उसके आगे
warāihi
وَرَآئِهِۦ
और उसके आगे
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ghalīẓun
غَلِيظٌ
सख़्त
जिसे वह कठिनाई से घूँट-घूँट करके पिएगा और ऐसा नहीं लगेगा कि वह आसानी से उसे उतार सकता है, और मृत्यु उसपर हर ओर से चली आती होगी, फिर भी वह मरेगा नहीं। और उसके सामने कठोर यातना होगी ([१४] इब्राहीम: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

مَثَلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ اَعْمَالُهُمْ كَرَمَادِ ِۨاشْتَدَّتْ بِهِ الرِّيْحُ فِيْ يَوْمٍ عَاصِفٍۗ لَا يَقْدِرُوْنَ مِمَّا كَسَبُوْا عَلٰى شَيْءٍ ۗذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِيْدُ ١٨

mathalu
مَّثَلُ
मिसाल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों की जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
birabbihim
بِرَبِّهِمْۖ
अपने रब से
aʿmāluhum
أَعْمَٰلُهُمْ
आमाल उनके
karamādin
كَرَمَادٍ
उस राख की तरह हैं
ish'taddat
ٱشْتَدَّتْ
कि सख़्त चली हो
bihi
بِهِ
उस पर
l-rīḥu
ٱلرِّيحُ
हवा
فِى
एक दिन में
yawmin
يَوْمٍ
एक दिन में
ʿāṣifin
عَاصِفٍۖ
तेज़ हवा के
لَّا
ना वो क़ुदरत रखेंगे
yaqdirūna
يَقْدِرُونَ
ना वो क़ुदरत रखेंगे
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
kasabū
كَسَبُوا۟
उन्होंने कमाई की
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍۚ
किसी चीज़ पर
dhālika
ذَٰلِكَ
यही है
huwa
هُوَ
वो
l-ḍalālu
ٱلضَّلَٰلُ
गुमराही
l-baʿīdu
ٱلْبَعِيدُ
दूर की
जिन लोगों ने अपने रब का इनकार किया उनकी मिसाल यह है कि उनके कर्म जैसे राख हों जिसपर आँधी के दिन प्रचंड हवा का झोंका चले। कुछ भी उन्हें अपनी कमाई में से हाथ न आ सकेगा। यही परले दर्जे की तबाही और गुमराही है ([१४] इब्राहीम: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّۗ اِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍ جَدِيْدٍۙ ١٩

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۚ
साथ हक़ के
in
إِن
अगर
yasha
يَشَأْ
वो चाहे
yudh'hib'kum
يُذْهِبْكُمْ
वो ले जाए तुम सबको
wayati
وَيَأْتِ
और वो ले आए
bikhalqin
بِخَلْقٍ
कोई मख़लूक़
jadīdin
جَدِيدٍ
नई
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने आकाशों और धरती को सोद्देश्य पैदा किया? यदि वह चाहे तो तुम सबको ले जाए और एक नवीन सृष्टा जनसमूह ले आए ([१४] इब्राहीम: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَّمَا ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ بِعَزِيْزٍ ٢٠

wamā
وَمَا
और नहीं
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
biʿazīzin
بِعَزِيزٍ
कुछ मुश्किल
और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं है ([१४] इब्राहीम: 20)
Tafseer (तफ़सीर )