الۤرٰ ۗ كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ اِلَيْكَ لِتُخْرِجَ النَّاسَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِ ەۙ بِاِذْنِ رَبِّهِمْ اِلٰى صِرَاطِ الْعَزِيْزِ الْحَمِيْدِۙ ١
- alif-lam-ra
- الٓرۚ
- अलिफ़ लाम रा
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- एक किताब है (ये)
- anzalnāhu
- أَنزَلْنَٰهُ
- नाज़िल किया हमने उसे
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- litukh'rija
- لِتُخْرِجَ
- ताकि आप निकालें
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- mina
- مِنَ
- अँधेरों से
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अँधेरों से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ रोशनी के
- l-nūri
- ٱلنُّورِ
- तरफ़ रोशनी के
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- साथ इज़्न के
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- उनके रब के
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ रास्ते
- ṣirāṭi
- صِرَٰطِ
- तरफ़ रास्ते
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-ḥamīdi
- ٱلْحَمِيدِ
- ख़ूब तारीफ़ वाले के
अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह एक किताब है जिसे हमने तुम्हारी ओर अवतरित की है, ताकि तुम मनुष्यों को अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले आओ, उनके रब की अनुमति से प्रभुत्वशाली, प्रशंस्य सत्ता, उस अल्लाह के मार्ग की ओर ([१४] इब्राहीम: 1)Tafseer (तफ़सीर )
اللّٰهِ الَّذِيْ لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَوَيْلٌ لِّلْكٰفِرِيْنَ مِنْ عَذَابٍ شَدِيْدٍۙ ٢
- al-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो ज़ात
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۗ
- ज़मीन में है
- wawaylun
- وَوَيْلٌ
- और हलाकत है
- lil'kāfirīna
- لِّلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- min
- مِنْ
- सख़्त अज़ाब से
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- सख़्त अज़ाब से
- shadīdin
- شَدِيدٍ
- सख़्त अज़ाब से
जिसका वह सब है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। इनकार करनेवालों के लिए तो एक कठोर यातना के कारण बड़ी तबाही है ([१४] इब्राहीम: 2)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْنَ يَسْتَحِبُّوْنَ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا عَلَى الْاٰخِرَةِ وَيَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَيَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ۗ اُولٰۤىِٕكَ فِيْ ضَلٰلٍۢ بَعِيْدٍ ٣
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yastaḥibbūna
- يَسْتَحِبُّونَ
- तरजीह देते है
- l-ḥayata
- ٱلْحَيَوٰةَ
- ज़िन्दगी को
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- ʿalā
- عَلَى
- आख़िरत पर
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत पर
- wayaṣuddūna
- وَيَصُدُّونَ
- और वो रोकते हैं
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते से
- wayabghūnahā
- وَيَبْغُونَهَا
- और वो तलाश करते हैं उसमें
- ʿiwajan
- عِوَجًاۚ
- टेढ़ापन
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍۭ
- गुमराही में
- baʿīdin
- بَعِيدٍ
- दूर की
जो आख़िरत की अपेक्षा सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते है और अल्लाह के मार्ग से रोकते है और उसमें टेढ़ पैदा करना चाहते है, वही परले दरजे की गुमराही में पड़े है ([१४] इब्राहीम: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَرْسَلْنَا مِنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا بِلِسَانِ قَوْمِهٖ لِيُبَيِّنَ لَهُمْ ۗفَيُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٤
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- min
- مِن
- कोई रसूल
- rasūlin
- رَّسُولٍ
- कोई रसूल
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bilisāni
- بِلِسَانِ
- ज़बान में
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- उसकी क़ौम की
- liyubayyina
- لِيُبَيِّنَ
- ताकि वो वाज़ेह करे
- lahum
- لَهُمْۖ
- उनके लिए
- fayuḍillu
- فَيُضِلُّ
- पस भटका देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- wayahdī
- وَيَهْدِى
- और वो हिदायत देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- बहुत हिकमत वाला है
हमने जो रसूल भी भेजा, उसकी अपनी क़ौम की भाषा के साथ ही भेजा, ताकि वह उनके लिए अच्छी तरह खोलकर बयान कर दे। फिर अल्लाह जिसे चाहता है पथभ्रष्ट रहने देता है और जिसे चाहता है सीधे मार्ग पर लगा देता है। वह है भी प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी ([१४] इब्राहीम: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰى بِاٰيٰتِنَآ اَنْ اَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِ ەۙ وَذَكِّرْهُمْ بِاَيّٰىمِ اللّٰهِ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ٥
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा को
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآ
- साथ अपनी निशानियों के
- an
- أَنْ
- कि
- akhrij
- أَخْرِجْ
- निकालो
- qawmaka
- قَوْمَكَ
- अपनी क़ौम को
- mina
- مِنَ
- अँधेरों से
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अँधेरों से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ रोशनी के
- l-nūri
- ٱلنُّورِ
- तरफ़ रोशनी के
- wadhakkir'hum
- وَذَكِّرْهُم
- और याद दिलाओ उन्हें
- bi-ayyāmi
- بِأَيَّىٰمِ
- अल्लाह के दिनों की
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के दिनों की
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- likulli
- لِّكُلِّ
- वास्ते हर
- ṣabbārin
- صَبَّارٍ
- बहुत सब्र करने वाले
- shakūrin
- شَكُورٍ
- बहुत शुक्र करने वाले के
हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ भेजा था कि 'अपनी क़ौम के लोगों को अँधेरों से प्रकाश की ओर निकाल ला और उन्हें अल्लाह के दिवस याद दिला।' निश्चय ही इसमें प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ व्यक्ति के लिए कितनी ही निशानियाँ है ([१४] इब्राहीम: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰى لِقَوْمِهِ اذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ اِذْ اَنْجٰىكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ يَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْۤءَ الْعَذَابِ وَيُذَبِّحُوْنَ اَبْنَاۤءَكُمْ وَيَسْتَحْيُوْنَ نِسَاۤءَكُمْ ۗوَفِيْ ذٰلِكُمْ بَلَاۤءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِيْمٌ ࣖ ٦
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِ
- अपनी क़ौम से
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- याद करो
- niʿ'mata
- نِعْمَةَ
- नेअमत
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर है (जो)
- idh
- إِذْ
- जब
- anjākum
- أَنجَىٰكُم
- उसने निजात दी तुम्हें
- min
- مِّنْ
- आले फ़िरऔन से
- āli
- ءَالِ
- आले फ़िरऔन से
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- आले फ़िरऔन से
- yasūmūnakum
- يَسُومُونَكُمْ
- वो चखाते थे तुम्हें
- sūa
- سُوٓءَ
- बुरा
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब
- wayudhabbiḥūna
- وَيُذَبِّحُونَ
- और वो ज़िबाह करते थे
- abnāakum
- أَبْنَآءَكُمْ
- तुम्हारे बेटों को
- wayastaḥyūna
- وَيَسْتَحْيُونَ
- और वो ज़िन्दा छोड़ देते थे
- nisāakum
- نِسَآءَكُمْۚ
- तुम्हारी औरतों को
- wafī
- وَفِى
- और इसमें
- dhālikum
- ذَٰلِكُم
- और इसमें
- balāon
- بَلَآءٌ
- आज़माइश थी
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ी
जब मूसा ने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'अल्लाह ही उस कृपादृष्टि को याद करो, जो तुमपर हुई। जब उसने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया जो तुम्हें बुरी यातना दे रहे थे, तुम्हारे बेटों का वध कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को जीवित रखते थे, किन्तु इसमें तुम्हारे रब की ओर से बड़ी कृपा हुई।' ([१४] इब्राहीम: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ تَاَذَّنَ رَبُّكُمْ لَىِٕنْ شَكَرْتُمْ لَاَزِيْدَنَّكُمْ وَلَىِٕنْ كَفَرْتُمْ اِنَّ عَذَابِيْ لَشَدِيْدٌ ٧
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- ta-adhana
- تَأَذَّنَ
- आगाह कर दिया
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- तुम्हारे रब ने
- la-in
- لَئِن
- अलबत्ता अगर
- shakartum
- شَكَرْتُمْ
- शुक्र किया तुमने
- la-azīdannakum
- لَأَزِيدَنَّكُمْۖ
- अलबत्ता मैं ज़रूर ज़्यादा दूँगा तुम्हें
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- kafartum
- كَفَرْتُمْ
- नाशुक्री की तुमने
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- ʿadhābī
- عَذَابِى
- अज़ाब मेरा
- lashadīdun
- لَشَدِيدٌ
- अलबत्ता सख़्त है
जब तुम्हारे रब ने सचेत कर दिया था कि 'यदि तुम कृतज्ञ हुए तो मैं तुम्हें और अधिक दूँगा, परन्तु यदि तुम अकृतज्ञ सिद्ध हुए तो निश्चय ही मेरी यातना भी अत्यन्त कठोर है।' ([१४] इब्राहीम: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ مُوْسٰٓى اِنْ تَكْفُرُوْٓا اَنْتُمْ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا ۙفَاِنَّ اللّٰهَ لَغَنِيٌّ حَمِيْدٌ ٨
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा ने
- in
- إِن
- अगर
- takfurū
- تَكْفُرُوٓا۟
- तुम नाशुक्री करो
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- waman
- وَمَن
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में हैं
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में हैं
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सबके सब
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laghaniyyun
- لَغَنِىٌّ
- अलबत्ता बहुत बेनियाज़ है
- ḥamīdun
- حَمِيدٌ
- बहुत तारीफ़ वाला है
और मूसा ने भी कहा था, 'यदि तुम और वे जो भी धरती में हैं सब के सब अकृतज्ञ हो जाओ तो अल्लाह तो बड़ा निरपेक्ष, प्रशंस्य है।' ([१४] इब्राहीम: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَؤُا الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ ەۗ وَالَّذِيْنَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۗ لَا يَعْلَمُهُمْ اِلَّا اللّٰهُ ۗجَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَرَدُّوْٓا اَيْدِيَهُمْ فِيْٓ اَفْوَاهِهِمْ وَقَالُوْٓا اِنَّا كَفَرْنَا بِمَآ اُرْسِلْتُمْ بِهٖ وَاِنَّا لَفِيْ شَكٍّ مِّمَّا تَدْعُوْنَنَآ اِلَيْهِ مُرِيْبٍ ٩
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yatikum
- يَأْتِكُمْ
- आई तुम्हारे पास
- naba-u
- نَبَؤُا۟
- ख़बर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों की जो
- min
- مِن
- तुमसे पहले थे
- qablikum
- قَبْلِكُمْ
- तुमसे पहले थे
- qawmi
- قَوْمِ
- क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह
- waʿādin
- وَعَادٍ
- और आद
- wathamūda
- وَثَمُودَۛ
- और समूद की
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनकी जो
- min
- مِنۢ
- उनके बाद थे
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْۛ
- उनके बाद थे
- lā
- لَا
- नहीं जानता उन्हें
- yaʿlamuhum
- يَعْلَمُهُمْ
- नहीं जानता उन्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- jāathum
- جَآءَتْهُمْ
- आए उनके पास
- rusuluhum
- رُسُلُهُم
- रसूल उनके
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह दलाइल के
- faraddū
- فَرَدُّوٓا۟
- तो उन्होंने फेर दिया
- aydiyahum
- أَيْدِيَهُمْ
- अपने हाथों को
- fī
- فِىٓ
- अपने मुँहों में
- afwāhihim
- أَفْوَٰهِهِمْ
- अपने मुँहों में
- waqālū
- وَقَالُوٓا۟
- और कहा
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kafarnā
- كَفَرْنَا
- इन्कार करते हैं हम
- bimā
- بِمَآ
- उसका जो
- ur'sil'tum
- أُرْسِلْتُم
- भेजे गए तुम
- bihi
- بِهِۦ
- साथ जिसके
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lafī
- لَفِى
- अलबत्ता शक में हैं
- shakkin
- شَكٍّ
- अलबत्ता शक में हैं
- mimmā
- مِّمَّا
- इस चीज़ से जो
- tadʿūnanā
- تَدْعُونَنَآ
- तुम बुलाते हो हमें
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- murībin
- مُرِيبٍ
- जो बेचैन करने वाला है
क्या तुम्हें उन लोगों की खबर नहीं पहुँची जो तुमसे पहले गुज़रे हैं, नूह की क़ौम और आद और समूद और वे लोग जो उनके पश्चात हुए जिनको अल्लाह के अतिरिक्त कोई नहीं जानता? उनके पास उनके रसूल स्पष्टि प्रमाण लेकर आए थे, किन्तु उन्होंने उनके मुँह पर अपने हाथ रख दिए और कहने लगे, 'जो कुछ देकर तुम्हें भेजा गया है, हम उसका इनकार करते है और जिसकी ओर तुम हमें बुला रहे हो, उसके विषय में तो हम अत्यन्त दुविधाजनक संदेह में ग्रस्त है।' ([१४] इब्राहीम: 9)Tafseer (तफ़सीर )
۞ قَالَتْ رُسُلُهُمْ اَفِى اللّٰهِ شَكٌّ فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ يَدْعُوْكُمْ لِيَغْفِرَ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَيُؤَخِّرَكُمْ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۗ قَالُوْٓا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ۗ تُرِيْدُوْنَ اَنْ تَصُدُّوْنَا عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَا فَأْتُوْنَا بِسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍ ١٠
- qālat
- قَالَتْ
- कहा
- rusuluhum
- رُسُلُهُمْ
- उनके रसूलों ने
- afī
- أَفِى
- क्या अल्लाह के बारे में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- क्या अल्लाह के बारे में
- shakkun
- شَكٌّ
- शक है
- fāṭiri
- فَاطِرِ
- जो पैदा करने वाला है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन का
- yadʿūkum
- يَدْعُوكُمْ
- वो बुलाता है तुम्हें
- liyaghfira
- لِيَغْفِرَ
- ताकि वो बख़्श दे
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- तुम्हारे गुनाहों को
- dhunūbikum
- ذُنُوبِكُمْ
- तुम्हारे गुनाहों को
- wayu-akhirakum
- وَيُؤَخِّرَكُمْ
- और वो मोहलत दे तुम्हें
- ilā
- إِلَىٰٓ
- एक मुक़र्रर मुद्दत तक
- ajalin
- أَجَلٍ
- एक मुक़र्रर मुद्दत तक
- musamman
- مُّسَمًّىۚ
- एक मुक़र्रर मुद्दत तक
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- in
- إِنْ
- नहीं हो
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- basharun
- بَشَرٌ
- एक इन्सान
- mith'lunā
- مِّثْلُنَا
- हम जैसे
- turīdūna
- تُرِيدُونَ
- तुम चाहते हो
- an
- أَن
- कि
- taṣuddūnā
- تَصُدُّونَا
- तुम रोको हमें
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- kāna
- كَانَ
- थे
- yaʿbudu
- يَعْبُدُ
- इबादत करते
- ābāunā
- ءَابَآؤُنَا
- आबा ओ अजदाद हमारे
- fatūnā
- فَأْتُونَا
- पस ले आओ हमारे पास
- bisul'ṭānin
- بِسُلْطَٰنٍ
- कोई दलील
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह
उनके रसूलों ने कहो, 'क्या अल्लाह के विषय में संदेह है, जो आकाशों और धरती का रचयिता है? वह तो तुम्हें इसलिए बुला रहा है, ताकि तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर दे और तुम्हें एक नियत समय तक मुहल्ल दे।' उन्होंने कहा, 'तुम तो बस हमारे ही जैसे एक मनुष्य हो, चाहते हो कि हमें उनसे रोक दो जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते आए है। अच्छा, तो अब हमारे सामने कोई स्पष्ट प्रमाण ले आओ।' ([१४] इब्राहीम: 10)Tafseer (तफ़सीर )