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सूरा अर र’आद - Page: 5

Ar-Ra'd

(बिजली)

४१

اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّا نَأْتِى الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَاۗ وَاللّٰهُ يَحْكُمُ لَا مُعَقِّبَ لِحُكْمِهٖۗ وَهُوَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ٤١

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
annā
أَنَّا
बेशक हम
natī
نَأْتِى
हम आ रहे हैं
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
nanquṣuhā
نَنقُصُهَا
हम घटा रहे है उसे
min
مِنْ
उसके किनारों से
aṭrāfihā
أَطْرَافِهَاۚ
उसके किनारों से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaḥkumu
يَحْكُمُ
फ़ैसला करता है
لَا
नहीं कोई पीछा करने वाला
muʿaqqiba
مُعَقِّبَ
नहीं कोई पीछा करने वाला
liḥuk'mihi
لِحُكْمِهِۦۚ
उसके फ़ैसले का
wahuwa
وَهُوَ
और वो
sarīʿu
سَرِيعُ
जल्द लेने वाला है
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
हिसाब
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हम धरती पर चले आ रहे है, उसे उसके किनारों से घटाते हुए? अल्लाह ही फ़ैसला करता है। कोई नहीं जो उसके फ़ैसले को पीछे डाल सके। वह हिसाब भी जल्द लेता है ([१३] अर र’आद: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

وَقَدْ مَكَرَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَلِلّٰهِ الْمَكْرُ جَمِيْعًا ۗيَعْلَمُ مَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍۗ وَسَيَعْلَمُ الْكُفّٰرُ لِمَنْ عُقْبَى الدَّارِ ٤٢

waqad
وَقَدْ
और तहक़ीक़
makara
مَكَرَ
चाल चली
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
falillahi
فَلِلَّهِ
तो अल्लाह ही के लिए है
l-makru
ٱلْمَكْرُ
तदबीर
jamīʿan
جَمِيعًاۖ
सारी की सारी
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो
taksibu
تَكْسِبُ
कमाई करता है
kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍۗ
नफ़्स
wasayaʿlamu
وَسَيَعْلَمُ
और अनक़रीब जान लेंगे
l-kufāru
ٱلْكُفَّٰرُ
कुफ़्फ़ार
liman
لِمَنْ
किस के लिए
ʿuq'bā
عُقْبَى
अंजाम है
l-dāri
ٱلدَّارِ
घर का (आख़िरत के)
उनसे पहले जो लोग गुज़रे है, वे भी चालें चल चुके है, किन्तु वास्तविक चाल तो पूरी की पूरी अल्लाह ही के हाथ में है। प्रत्येक व्यक्ति जो कमाई कर रहा है उसे वह जानता है। इनकार करनेवालों को शीघ्र ही ज्ञात हो जाएगा कि परलोक-गृह के शुभ परिणाम के अधिकारी कौन है ([१३] अर र’आद: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

وَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَسْتَ مُرْسَلًا ۗ قُلْ كَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًاۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْۙ وَمَنْ عِنْدَهٗ عِلْمُ الْكِتٰبِ ࣖ ٤٣

wayaqūlu
وَيَقُولُ
और कहते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lasta
لَسْتَ
नहीं हैं आप
mur'salan
مُرْسَلًاۚ
रसूल
qul
قُلْ
कह दीजिए
kafā
كَفَىٰ
काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
shahīdan
شَهِيدًۢا
गवाह
baynī
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
wabaynakum
وَبَيْنَكُمْ
और दर्मियान तुम्हारे
waman
وَمَنْ
और वो (भी) जो
ʿindahu
عِندَهُۥ
अपने पास (रखता है)
ʿil'mu
عِلْمُ
इल्म
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब का
जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, वे कहते है, 'तुम कोई रसूल नहीं हो।' कह दो, 'मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह की और जिस किसी के पास किताब का ज्ञान है उसकी, गवाही काफ़ी है।' ([१३] अर र’आद: 43)
Tafseer (तफ़सीर )