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सूरा अर र’आद - Page: 4

Ar-Ra'd

(बिजली)

३१

وَلَوْ اَنَّ قُرْاٰنًا سُيِّرَتْ بِهِ الْجِبَالُ اَوْ قُطِّعَتْ بِهِ الْاَرْضُ اَوْ كُلِّمَ بِهِ الْمَوْتٰىۗ بَلْ لِّلّٰهِ الْاَمْرُ جَمِيْعًاۗ اَفَلَمْ يَا۟يْـَٔسِ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَنْ لَّوْ يَشَاۤءُ اللّٰهُ لَهَدَى النَّاسَ جَمِيْعًاۗ وَلَا يَزَالُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا تُصِيْبُهُمْ بِمَا صَنَعُوْا قَارِعَةٌ اَوْ تَحُلُّ قَرِيْبًا مِّنْ دَارِهِمْ حَتّٰى يَأْتِيَ وَعْدُ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يُخْلِفُ الْمِيْعَادَ ࣖ ٣١

walaw
وَلَوْ
और अगर
anna
أَنَّ
यक़ीनन
qur'ānan
قُرْءَانًا
क़ुरआन (होता)
suyyirat
سُيِّرَتْ
(कि) चलाए जाते
bihi
بِهِ
उसके ज़रिए
l-jibālu
ٱلْجِبَالُ
पहाड़
aw
أَوْ
या
quṭṭiʿat
قُطِّعَتْ
फाड़ दी जाती
bihi
بِهِ
उसके ज़रिए
l-arḍu
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
aw
أَوْ
या
kullima
كُلِّمَ
कलाम किया जाता
bihi
بِهِ
उसके ज़रिए
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰۗ
मुर्दों से
bal
بَل
बल्कि
lillahi
لِّلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
l-amru
ٱلْأَمْرُ
मामला
jamīʿan
جَمِيعًاۗ
सारा का सारा
afalam
أَفَلَمْ
क्या भला नहीं
yāy'asi
يَا۟يْـَٔسِ
मायूस हो गए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए
an
أَن
कि
law
لَّوْ
अगर
yashāu
يَشَآءُ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lahadā
لَهَدَى
अलबत्ता वो हिदायत दे देता
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
jamīʿan
جَمِيعًاۗ
सबके सबको
walā
وَلَا
और हमेशा रहेंगे
yazālu
يَزَالُ
और हमेशा रहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
tuṣībuhum
تُصِيبُهُم
पहुँचती रहेगी उन्हें
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ṣanaʿū
صَنَعُوا۟
उन्होंने किया
qāriʿatun
قَارِعَةٌ
कोई आफ़त
aw
أَوْ
या
taḥullu
تَحُلُّ
वो उतरती रहेगी
qarīban
قَرِيبًا
क़रीब ही
min
مِّن
उनके घर के
dārihim
دَارِهِمْ
उनके घर के
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatiya
يَأْتِىَ
आ जाए
waʿdu
وَعْدُ
वादा
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह का
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो ख़िलाफ़ करता
yukh'lifu
يُخْلِفُ
नहीं वो ख़िलाफ़ करता
l-mīʿāda
ٱلْمِيعَادَ
वादे के
और यदि कोई ऐसा क़ुरआन होता जिसके द्वारा पहाड़ चलने लगते या उससे धरती खंड-खंड हो जाती या उसके द्वारा मुर्दे बोलने लगते (तब भी वे लोग ईमान न लाते) । नहीं, बल्कि बात यह है कि सारे काम अल्लाह ही के अधिकार में है। फिर क्या जो लोग ईमान लाए है वे यह जानकर निराश नहीं हुए कि यदि अल्लाह चाहता तो सारे ही मनुष्यों को सीधे मार्ग पर लगा देता? और इनकार करनेवालों पर तो उनकी करतूतों के बदले में कोई न कोई आपदा निरंतर आती ही रहेगी, या उनके घर के निकट ही कहीं उतरती रहेगी, यहाँ तक कि अल्लाह का वादा आ पूरा होगा। निस्संदेह अल्लाह अपने वादे के विरुद्ध नहीं जाता।' ([१३] अर र’आद: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَاَمْلَيْتُ لِلَّذِيْنَ كَفَرُوْا ثُمَّ اَخَذْتُهُمْ فَكَيْفَ كَانَ عِقَابِ ٣٢

walaqadi
وَلَقَدِ
और अलबत्ता तहक़ीक़
us'tuh'zi-a
ٱسْتُهْزِئَ
मज़ाक़ उड़ाया गया
birusulin
بِرُسُلٍ
कई रसूलों का
min
مِّن
आपसे क़ब्ल
qablika
قَبْلِكَ
आपसे क़ब्ल
fa-amlaytu
فَأَمْلَيْتُ
तो ढील दी मैंने
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
thumma
ثُمَّ
फिर
akhadhtuhum
أَخَذْتُهُمْۖ
पकड़ लिया मैंने उन्हें
fakayfa
فَكَيْفَ
तो कैसी
kāna
كَانَ
थी
ʿiqābi
عِقَابِ
सज़ा मेरी
तुमसे पहले भी कितने ही रसूलों का उपहास किया जा चुका है, किन्तु मैंने इनकार करनेवालों को मुहलत दी। फिर अंततः मैंने उन्हें पकड़ लिया, फिर कैसी रही मेरी सज़ा? ([१३] अर र’आद: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

اَفَمَنْ هُوَ قَاۤىِٕمٌ عَلٰى كُلِّ نَفْسٍۢ بِمَا كَسَبَتْۚ وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَاۤءَ ۗ قُلْ سَمُّوْهُمْۗ اَمْ تُنَبِّـُٔوْنَهٗ بِمَا لَا يَعْلَمُ فِى الْاَرْضِ اَمْ بِظَاهِرٍ مِّنَ الْقَوْلِ ۗبَلْ زُيِّنَ لِلَّذِيْنَ كَفَرُوْا مَكْرُهُمْ وَصُدُّوْا عَنِ السَّبِيْلِ ۗوَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ٣٣

afaman
أَفَمَنْ
क्या भला जो
huwa
هُوَ
वो
qāimun
قَآئِمٌ
क़ायम/निगरान है
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
nafsin
نَفْسٍۭ
नफ़्स के
bimā
بِمَا
साथ उसके जो
kasabat
كَسَبَتْۗ
उसने कमाई की
wajaʿalū
وَجَعَلُوا۟
और उन्होंने बना रखे हैं
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
shurakāa
شُرَكَآءَ
कुछ शरीक
qul
قُلْ
कह दीजिए
sammūhum
سَمُّوهُمْۚ
नाम लो उनके
am
أَمْ
क्या
tunabbiūnahu
تُنَبِّـُٔونَهُۥ
तुम ख़बर दे रहे हो उसे
bimā
بِمَا
उसकी जो
لَا
नहीं वो जानता
yaʿlamu
يَعْلَمُ
नहीं वो जानता
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
am
أَم
या
biẓāhirin
بِظَٰهِرٍ
बज़ाहिर
mina
مِّنَ
बात से
l-qawli
ٱلْقَوْلِۗ
बात से
bal
بَلْ
बल्कि
zuyyina
زُيِّنَ
मुज़य्यन कर दी गई
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
makruhum
مَكْرُهُمْ
चाल उनकी
waṣuddū
وَصُدُّوا۟
और वो रोक दिए गए
ʿani
عَنِ
रास्ते से
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِۗ
रास्ते से
waman
وَمَن
और जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
गुमराह कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
famā
فَمَا
तो नहीं
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِنْ
कोई हिदायत देने वाला
hādin
هَادٍ
कोई हिदायत देने वाला
भला वह (अल्लाह) जो प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर, उसकी कमाई पर निगाह रखते हुए खड़ा है (उसके समान कोई दूसरा हो सकता है)? फिर भी लोगों ने अल्लाह के सहभागी-ठहरा रखे है। कहो, 'तनिक उनके नाम तो लो! (क्या तुम्हारे पास उनके पक्ष में कोई प्रमाण है?) या ऐसा है कि तुम उसे ऐसी बात की ख़बर दे रहे हो, जिसके अस्तित्व की उसे धरती भर में ख़बर नहीं? या यूँ ही यह एक ऊपरी बात ही बात है?' नहीं, बल्कि इनकार करनेवालों को उनकी मक्कारी ही सुहावनी लगती है और वे मार्ग से रुक गए है। जिसे अल्लाह ही गुमराही में छोड़ दे, उसे कोई मार्ग पर लानेवाला नहीं ([१३] अर र’आद: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

لَهُمْ عَذَابٌ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَقُّۚ وَمَا لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ٣٤

lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
فِى
ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया की
walaʿadhābu
وَلَعَذَابُ
और अलबत्ता अज़ाब
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
ashaqqu
أَشَقُّۖ
ज़्यादा सख़्त है
wamā
وَمَا
और नहीं
lahum
لَهُم
उनके लिए
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
min
مِن
कोई बचाने वाला
wāqin
وَاقٍ
कोई बचाने वाला
उनके लिए सांसारिक जीवन में भी यातना, तो वह अत्यन्त कठोर है। औऱ कोई भी तो नहीं जो उन्हें अल्लाह से बचानेवाला हो ([१३] अर र’आद: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

۞ مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِيْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَۗ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۗ اُكُلُهَا دَاۤىِٕمٌ وَّظِلُّهَاۗ تِلْكَ عُقْبَى الَّذِيْنَ اتَّقَوْا ۖوَّعُقْبَى الْكٰفِرِيْنَ النَّارُ ٣٥

mathalu
مَّثَلُ
मिसाल
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
उस जन्नत की
allatī
ٱلَّتِى
जिस का
wuʿida
وُعِدَ
वादा किए गए
l-mutaqūna
ٱلْمُتَّقُونَۖ
मुत्तक़ी लोग
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उसके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उसके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُۖ
नहरें
ukuluhā
أُكُلُهَا
फल उसके
dāimun
دَآئِمٌ
दाइमी हैं
waẓilluhā
وَظِلُّهَاۚ
और उसका साया (भी)
til'ka
تِلْكَ
ये
ʿuq'bā
عُقْبَى
अंजाम है
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों का जिन्होंने
ittaqaw
ٱتَّقَوا۟ۖ
तक़वा किया
waʿuq'bā
وَّعُقْبَى
और अंजाम
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों का
l-nāru
ٱلنَّارُ
आग है
डर रखनेवालों के लिए जिस जन्नत का वादा है उसकी शान यह है कि उसके नीचे नहरें बह रही है, उसके फल शाश्वत है और इसी प्रकार उसकी छाया भी। यह परिणाम है उनका जो डर रखते है, जबकि इनकार करनेवालों का परिणाम आग है ([१३] अर र’आद: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَالَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَفْرَحُوْنَ بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ يُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ۗ قُلْ اِنَّمَآ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَآ اُشْرِكَ بِهٖ ۗاِلَيْهِ اَدْعُوْا وَاِلَيْهِ مَاٰبِ ٣٦

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
ātaynāhumu
ءَاتَيْنَٰهُمُ
दी हमने उन्हें
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
yafraḥūna
يَفْرَحُونَ
वो ख़ुश होते हैं
bimā
بِمَآ
उस पर जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilayka
إِلَيْكَۖ
तरफ़ आपके
wamina
وَمِنَ
और कुछ गिरोह हैं
l-aḥzābi
ٱلْأَحْزَابِ
और कुछ गिरोह हैं
man
مَن
जो
yunkiru
يُنكِرُ
इन्कार करते हैं
baʿḍahu
بَعْضَهُۥۚ
उसके बाज़ का
qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَآ
बेशक
umir'tu
أُمِرْتُ
हुक्म दिया गया मुझे
an
أَنْ
कि
aʿbuda
أَعْبُدَ
मैं इबादत करूँ
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
walā
وَلَآ
और ना
ush'rika
أُشْرِكَ
मैं शरीक ठहराऊँ
bihi
بِهِۦٓۚ
साथ उसके
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसी के
adʿū
أَدْعُوا۟
मैं बुलाता हूँ
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
maābi
مَـَٔابِ
लौटना है मेरा
जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की है वे उससे, जो तुम्हारी ओर उतारा है, हर्षित होते है और विभिन्न गिरोहों के कुछ लोग ऐसे भी है जो उसकी कुछ बातों का इनकार करते है। कह दो, 'मुझे पर बस यह आदेश हुआ है कि मैं अल्लाह की बन्दगी करूँ और उसका सहभागी न ठहराऊँ। मैं उसी की ओर बुलाता हूँ और उसी की ओर मुझे लौटकर जाना है।' ([१३] अर र’आद: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ حُكْمًا عَرَبِيًّاۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ بَعْدَمَا جَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِۙ مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا وَاقٍ ࣖ ٣٧

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
anzalnāhu
أَنزَلْنَٰهُ
नाज़िल किया हमने उसे
ḥuk'man
حُكْمًا
हुक्म/फ़रमान
ʿarabiyyan
عَرَبِيًّاۚ
अरबी ज़बान में
wala-ini
وَلَئِنِ
और अलबत्ता अगर
ittabaʿta
ٱتَّبَعْتَ
पैरवी की आपने
ahwāahum
أَهْوَآءَهُم
उनकी ख़्वाहिशात की
baʿdamā
بَعْدَمَا
बाद इसके जो
jāaka
جَآءَكَ
आ गया आपके पास
mina
مِنَ
इल्म में से
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِ
इल्म में से
مَا
नहीं
laka
لَكَ
आपके लिए
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
min
مِن
कोई दोस्त
waliyyin
وَلِىٍّ
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
wāqin
وَاقٍ
कोई बचाने वाला
और इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को एक अरबी फ़रमान के रूप में उतारा है। अब यदि तुम उस ज्ञान के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं के पीछे चले तो अल्लाह के मुक़ाबले में न तो तुम्हारा कोई सहायक मित्र होगा और न कोई बचानेवाला ([१३] अर र’आद: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا رُسُلًا مِّنْ قَبْلِكَ وَجَعَلْنَا لَهُمْ اَزْوَاجًا وَّذُرِّيَّةً ۗوَمَا كَانَ لِرَسُوْلٍ اَنْ يَّأْتِيَ بِاٰيَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗلِكُلِّ اَجَلٍ كِتَابٌ ٣٨

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
rusulan
رُسُلًا
कई रसूलों को
min
مِّن
आपसे पहले
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाईं हमने
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
azwājan
أَزْوَٰجًا
बीवियाँ
wadhurriyyatan
وَذُرِّيَّةًۚ
और औलाद
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
था (मुमकिन)
lirasūlin
لِرَسُولٍ
किसी रसूल के लिए
an
أَن
कि
yatiya
يَأْتِىَ
वो ले आए
biāyatin
بِـَٔايَةٍ
कोई निशानी
illā
إِلَّا
मगर
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के इज़्न से
likulli
لِكُلِّ
हर मुद्दत के लिए
ajalin
أَجَلٍ
हर मुद्दत के लिए
kitābun
كِتَابٌ
एक किताब है
तुमसे पहले भी हम, कितने ही रसूल भेज चुके है और हमने उन्हें पत्नियों और बच्चे भी दिए थे, और किसी रसूल को यह अधिकार नहीं था कि वह अल्लाह की अनुमति के बिना कोई निशानी स्वयं ला लेता। हर चीज़ के एक समय जो अटल लिखित है ([१३] अर र’आद: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

يَمْحُوا اللّٰهُ مَا يَشَاۤءُ وَيُثْبِتُ ۚوَعِنْدَهٗٓ اُمُّ الْكِتٰبِ ٣٩

yamḥū
يَمْحُوا۟
मिटाता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayuth'bitu
وَيُثْبِتُۖ
और वो साबित रखता है
waʿindahu
وَعِندَهُۥٓ
और उसी के पास है
ummu
أُمُّ
असल किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
असल किताब
अल्लाह जो कुछ चाहता है मिटा देता है। इसी तरह वह क़ायम भी रखता है। मूल किताब तो स्वयं उसी के पास है ([१३] अर र’आद: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

وَاِنْ مَّا نُرِيَنَّكَ بَعْضَ الَّذِيْ نَعِدُهُمْ اَوْ نَتَوَفَّيَنَّكَ فَاِنَّمَا عَلَيْكَ الْبَلٰغُ وَعَلَيْنَا الْحِسَابُ ٤٠

wa-in
وَإِن
और अगर
مَّا
और अगर
nuriyannaka
نُرِيَنَّكَ
हम दिखाऐं आपको
baʿḍa
بَعْضَ
बाज़
alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसका
naʿiduhum
نَعِدُهُمْ
हम वादा करते हैं उनसे
aw
أَوْ
या
natawaffayannaka
نَتَوَفَّيَنَّكَ
हम फ़ौत कर लें आपको
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
ʿalayka
عَلَيْكَ
आपके ज़िम्मे है
l-balāghu
ٱلْبَلَٰغُ
पहुँचाना
waʿalaynā
وَعَلَيْنَا
और हमारे ज़िम्मे है
l-ḥisābu
ٱلْحِسَابُ
हिसाब लेना
हम जो वादा उनसे कर रहे है चाहे उसमें से कुछ हम तुम्हें दिखा दें, या तुम्हें उठा लें। तुम्हारा दायित्व तो बस सन्देश का पहुँचा देना ही है, हिसाब लेना तो हमारे ज़िम्मे है ([१३] अर र’आद: 40)
Tafseer (तफ़सीर )