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सूरा अर र’आद - Page: 2

Ar-Ra'd

(बिजली)

११

لَهٗ مُعَقِّبٰتٌ مِّنْۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ يَحْفَظُوْنَهٗ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يُغَيِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتّٰى يُغَيِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْۗ وَاِذَآ اَرَادَ اللّٰهُ بِقَوْمٍ سُوْۤءًا فَلَا مَرَدَّ لَهٗ ۚوَمَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّالٍ ١١

lahu
لَهُۥ
उसके लिए
muʿaqqibātun
مُعَقِّبَٰتٌ
पहरेदार हैं
min
مِّنۢ
उसके सामने से
bayni
بَيْنِ
उसके सामने से
yadayhi
يَدَيْهِ
उसके सामने से
wamin
وَمِنْ
और उसके पीछे से
khalfihi
خَلْفِهِۦ
और उसके पीछे से
yaḥfaẓūnahu
يَحْفَظُونَهُۥ
जो हिफ़ाज़त करते हैं उसकी
min
مِنْ
हुक्म से
amri
أَمْرِ
हुक्म से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं तबदील करता
yughayyiru
يُغَيِّرُ
नहीं तबदील करता
مَا
जो
biqawmin
بِقَوْمٍ
किसी क़ौम में है
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yughayyirū
يُغَيِّرُوا۟
वो बदल दें
مَا
उसको जो
bi-anfusihim
بِأَنفُسِهِمْۗ
उनके दिलों में है
wa-idhā
وَإِذَآ
और जब
arāda
أَرَادَ
इरादा करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biqawmin
بِقَوْمٍ
साथ किसी क़ौम के
sūan
سُوٓءًا
किसी बुराई का
falā
فَلَا
तो नहीं
maradda
مَرَدَّ
कोई फेरने वाला
lahu
لَهُۥۚ
उसे
wamā
وَمَا
और नहीं
lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उसके सिवा
min
مِن
कोई मददगार
wālin
وَالٍ
कोई मददगार
उसके रक्षक (पहरेदार) उसके अपने आगे और पीछे लगे होते हैं जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते है। किसी क़ौम के लोगों को जो कुछ प्राप्त होता है अल्लाह उसे बदलता नहीं, जब तक कि वे स्वयं अपने आपको न बदल डालें। और जब अल्लाह किसी क़ौम का अनिष्ट चाहता है तो फिर वह उससे टल नहीं सकता, और उससे हटकर उनका कोई समर्थक और संरक्षक भी नहीं ([१३] अर र’आद: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

هُوَ الَّذِيْ يُرِيْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّيُنْشِئُ السَّحَابَ الثِّقَالَۚ ١٢

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yurīkumu
يُرِيكُمُ
दिखाता है तुम्हें
l-barqa
ٱلْبَرْقَ
बिजली की चमक
khawfan
خَوْفًا
ख़ौफ़
waṭamaʿan
وَطَمَعًا
और उम्मीद से
wayunshi-u
وَيُنشِئُ
और वो उठाता है
l-saḥāba
ٱلسَّحَابَ
बादल
l-thiqāla
ٱلثِّقَالَ
बोझल
वही है जो भय और आशा के निमित्त तुम्हें बिजली की चमक दिखाता है और बोझिल बादलों को उठाता है ([१३] अर र’आद: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَيُسَبِّحُ الرَّعْدُ بِحَمْدِهٖ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ مِنْ خِيْفَتِهٖۚ وَيُرْسِلُ الصَّوَاعِقَ فَيُصِيْبُ بِهَا مَنْ يَّشَاۤءُ وَهُمْ يُجَادِلُوْنَ فِى اللّٰهِ ۚوَهُوَ شَدِيْدُ الْمِحَالِۗ ١٣

wayusabbiḥu
وَيُسَبِّحُ
और तस्बीह करती है
l-raʿdu
ٱلرَّعْدُ
कड़क
biḥamdihi
بِحَمْدِهِۦ
साथ उसकी तारीफ़ के
wal-malāikatu
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
और फ़रिश्ते
min
مِنْ
उसके ख़ौफ़ से
khīfatihi
خِيفَتِهِۦ
उसके ख़ौफ़ से
wayur'silu
وَيُرْسِلُ
और वो भेजता है
l-ṣawāʿiqa
ٱلصَّوَٰعِقَ
कड़कती बिजलियों को
fayuṣību
فَيُصِيبُ
फिर वो पहुँचाता है
bihā
بِهَا
उन्हें
man
مَن
जिस पर
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wahum
وَهُمْ
हालाँकि वो
yujādilūna
يُجَٰدِلُونَ
वो झगड़ रहे होते हैं
فِى
अल्लाह के बारे में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
wahuwa
وَهُوَ
और वो
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-miḥāli
ٱلْمِحَالِ
क़ुव्वत वाला है
बादल की गरज उसका गुणगान करती है और उसके भय से काँपते हुए फ़रिश्ते भी। वही कड़कती बिजलियाँ भेजता है, फिर जिसपर चाहता है उन्हें गिरा देता है, जबकि वे अल्लाह के विषय में झगड़ रहे होते है। निश्चय ही उसकी चाल बड़ी सख़्त है ([१३] अर र’आद: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

لَهٗ دَعْوَةُ الْحَقِّۗ وَالَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا يَسْتَجِيْبُوْنَ لَهُمْ بِشَيْءٍ اِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّيْهِ اِلَى الْمَاۤءِ لِيَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهٖۗ وَمَا دُعَاۤءُ الْكٰفِرِيْنَ اِلَّا فِيْ ضَلٰلٍ ١٤

lahu
لَهُۥ
उसी के लिए है
daʿwatu
دَعْوَةُ
पुकारना
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّۖ
बरहक़
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और जिन्हें
yadʿūna
يَدْعُونَ
वो पुकारते हैं
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उसके सिवा
لَا
नहीं वो जवाब देते
yastajībūna
يَسْتَجِيبُونَ
नहीं वो जवाब देते
lahum
لَهُم
उनको
bishayin
بِشَىْءٍ
कुछ भी
illā
إِلَّا
मगर
kabāsiṭi
كَبَٰسِطِ
मानिन्द फैलाने वाले के
kaffayhi
كَفَّيْهِ
अपनी दोनों हथेलियाँ
ilā
إِلَى
तरफ़ पानी के
l-māi
ٱلْمَآءِ
तरफ़ पानी के
liyablugha
لِيَبْلُغَ
ताकि वो पहुँचे
fāhu
فَاهُ
उसके मुँह को
wamā
وَمَا
और नहीं
huwa
هُوَ
वो
bibālighihi
بِبَٰلِغِهِۦۚ
पहुँचने वाला उसे
wamā
وَمَا
और नहीं
duʿāu
دُعَآءُ
दुआ
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों की
illā
إِلَّا
मगर
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
उसी के लिए सच्ची पुकार है। उससे हटकर जिनको वे पुकारते है, वे उनकी पुकार का कुछ भी उत्तर नहीं देते। बस यह ऐसा ही होता है जैसे कोई अपने दोनों हाथ पानी की ओर इसलिए फैलाए कि वह उसके मुँह में पहुँच जाए, हालाँकि वह उसतक पहुँचनेवाला नहीं। कुफ़्र करनेवालों की पुकार तो बस भटकने ही के लिए होती है ([१३] अर र’आद: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَلِلّٰهِ يَسْجُدُ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۩ ١٥

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए
yasjudu
يَسْجُدُ
सजदा करता है
man
مَن
जो कोई
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
ṭawʿan
طَوْعًا
ख़ुशी से
wakarhan
وَكَرْهًا
और नाख़ुशी से
waẓilāluhum
وَظِلَٰلُهُم
और साये उनके
bil-ghuduwi
بِٱلْغُدُوِّ
सुबह
wal-āṣāli
وَٱلْءَاصَالِ۩
और शाम
आकाशों और धरती में जो भी है स्वेच्छापूर्वक या विवशतापूर्वक अल्लाह ही को सजदा कर रहे है और उनकी परछाइयाँ भी प्रातः और संध्या समय ([१३] अर र’आद: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ قُلِ اللّٰهُ ۗقُلْ اَفَاتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَ لَا يَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّاۗ قُلْ هَلْ يَسْتَوِى الْاَعْمٰى وَالْبَصِيْرُ ەۙ اَمْ هَلْ تَسْتَوِى الظُّلُمٰتُ وَالنُّوْرُ ەۚ اَمْ جَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَاۤءَ خَلَقُوْا كَخَلْقِهٖ فَتَشَابَهَ الْخَلْقُ عَلَيْهِمْۗ قُلِ اللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَيْءٍ وَّهُوَ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ١٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
man
مَن
कौन है
rabbu
رَّبُّ
रब
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन का
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
qul
قُلْ
कह दीजिए
afa-ittakhadhtum
أَفَٱتَّخَذْتُم
क्या फिर (भी) बना लिए तुमने
min
مِّن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
हिमायती
لَا
नहीं वो मालिक हो सकते
yamlikūna
يَمْلِكُونَ
नहीं वो मालिक हो सकते
li-anfusihim
لِأَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों के लिए
nafʿan
نَفْعًا
किसी नफ़ा के
walā
وَلَا
और ना
ḍarran
ضَرًّاۚ
किसी नुक़सान के
qul
قُلْ
कह दीजिए
hal
هَلْ
क्या
yastawī
يَسْتَوِى
बराबर हो सकता है
l-aʿmā
ٱلْأَعْمَىٰ
अँधा
wal-baṣīru
وَٱلْبَصِيرُ
और देखने वाला
am
أَمْ
या
hal
هَلْ
क्या
tastawī
تَسْتَوِى
बराबर हो सकते हैं
l-ẓulumātu
ٱلظُّلُمَٰتُ
अँधेरे
wal-nūru
وَٱلنُّورُۗ
और रोशनी
am
أَمْ
या
jaʿalū
جَعَلُوا۟
उन्होंने बना लिए
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
shurakāa
شُرَكَآءَ
कुछ शरीक
khalaqū
خَلَقُوا۟
उन्होंने पैदा किया क्या
kakhalqihi
كَخَلْقِهِۦ
मानिन्द उसकी तख़लीक़ के
fatashābaha
فَتَشَٰبَهَ
तो मुश्तबाह हो गई
l-khalqu
ٱلْخَلْقُ
पैदाइश
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۚ
उन पर
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
khāliqu
خَٰلِقُ
ख़ालिक़ है
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ का
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही
l-wāḥidu
ٱلْوَٰحِدُ
अकेला है
l-qahāru
ٱلْقَهَّٰرُ
बहुत ज़बरदस्त है
कहो, 'आकाशों और धरती का रब कौन है?' कहो, 'अल्लाह' कह दो, 'फिर क्या तुमने उससे हटकर दूसरों को अपना संरक्षक बना रखा है, जिन्हें स्वयं अपने भी किसी लाभ का न अधिकार प्राप्त है और न किसी हानि का?' कहो, 'क्या अंधा और आँखोंवाला दोनों बराबर होते है? या बराबर होते हो अँधरे और प्रकाश? या जिनको अल्लाह का सहभागी ठहराया है, उन्होंने भी कुछ पैदा किया है, जैसा कि उसने पैदा किया है, जिसके कारण सृष्टि का मामला इनके लिए गडुमडु हो गया है?' कहो, 'हर चीज़ को पैदा करनेवाला अल्लाह है और वह अकेला है, सब पर प्रभावी!' ([१३] अर र’आद: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَسَالَتْ اَوْدِيَةٌ ۢ بِقَدَرِهَا فَاحْتَمَلَ السَّيْلُ زَبَدًا رَّابِيًا ۗوَمِمَّا يُوْقِدُوْنَ عَلَيْهِ فِى النَّارِ ابْتِغَاۤءَ حِلْيَةٍ اَوْ مَتَاعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهٗ ۗ كَذٰلِكَ يَضْرِبُ اللّٰهُ الْحَقَّ وَالْبَاطِلَ ەۗ فَاَمَّا الزَّبَدُ فَيَذْهَبُ جُفَاۤءً ۚوَاَمَّا مَا يَنْفَعُ النَّاسَ فَيَمْكُثُ فِى الْاَرْضِۗ كَذٰلِكَ يَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ ۗ ١٧

anzala
أَنزَلَ
उसने उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fasālat
فَسَالَتْ
तो बह निकलीं
awdiyatun
أَوْدِيَةٌۢ
वादियाँ
biqadarihā
بِقَدَرِهَا
अपने-अपने अन्दाज़े से
fa-iḥ'tamala
فَٱحْتَمَلَ
तो उठा लिया
l-saylu
ٱلسَّيْلُ
सैलाब ने
zabadan
زَبَدًا
झाग
rābiyan
رَّابِيًاۚ
चढ़ा हुआ
wamimmā
وَمِمَّا
और उसमें से जो
yūqidūna
يُوقِدُونَ
वो जलाते हैं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
فِى
आग में
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग में
ib'tighāa
ٱبْتِغَآءَ
हासिल करने को
ḥil'yatin
حِلْيَةٍ
ज़ेवर
aw
أَوْ
या
matāʿin
مَتَٰعٍ
बर्तन
zabadun
زَبَدٌ
झाग है
mith'luhu
مِّثْلُهُۥۚ
इस जैसा
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yaḍribu
يَضْرِبُ
बयान करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّ
हक़
wal-bāṭila
وَٱلْبَٰطِلَۚ
और बातिल को
fa-ammā
فَأَمَّا
तो रहा
l-zabadu
ٱلزَّبَدُ
झाग
fayadhhabu
فَيَذْهَبُ
तो वो चला जाता है
jufāan
جُفَآءًۖ
नाकारा होकर
wa-ammā
وَأَمَّا
और लेकिन
مَا
जो
yanfaʿu
يَنفَعُ
नफ़ा देता है
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
fayamkuthu
فَيَمْكُثُ
तो वो ठहर जाता है
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yaḍribu
يَضْرِبُ
बयान करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-amthāla
ٱلْأَمْثَالَ
मिसालें
उसने आकाश से पानी उतारा तो नदी-नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर पानी के बहाव ने उभरे हुए झाग को उठा लिया और उसमें से भी, जिसे वे ज़ेवर या दूसरे सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, ऐसा ही झाग उठता है। इस प्रकार अल्लाह सत्य और असत्य की मिसाल बयान करता है। फिर जो झाग है वह तो सूखकर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचानेवाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है। इसी प्रकार अल्लाह दृष्टांत प्रस्तुत करता है ([१३] अर र’आद: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

لِلَّذِيْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰىۗ وَالَّذِيْنَ لَمْ يَسْتَجِيْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ سُوْۤءُ الْحِسَابِ ەۙ وَمَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۗوَبِئْسَ الْمِهَادُ ࣖ ١٨

lilladhīna
لِلَّذِينَ
उन लोगों के लिए जिन्होंने
is'tajābū
ٱسْتَجَابُوا۟
क़ुबूल किया (हुक्म)
lirabbihimu
لِرَبِّهِمُ
अपने रब का
l-ḥus'nā
ٱلْحُسْنَىٰۚ
भलाई है
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और जिन लोगों ने
lam
لَمْ
नहीं
yastajībū
يَسْتَجِيبُوا۟
कुबूल किया
lahu
لَهُۥ
उसे
law
لَوْ
काश
anna
أَنَّ
कि (होता)
lahum
لَهُم
उनके लिए
مَّا
जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
jamīʿan
جَمِيعًا
सबका सब
wamith'lahu
وَمِثْلَهُۥ
और इसकी मानिन्द
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ इसके
la-if'tadaw
لَٱفْتَدَوْا۟
अलबत्ता वो फ़िदये में दे देते
bihi
بِهِۦٓۚ
उसको
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
lahum
لَهُمْ
उनके लिए है
sūu
سُوٓءُ
बुरा
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
हिसाब
wamawāhum
وَمَأْوَىٰهُمْ
और ठिकाना उनका
jahannamu
جَهَنَّمُۖ
जहन्नम है
wabi'sa
وَبِئْسَ
और वो बहुत ही बुरा
l-mihādu
ٱلْمِهَادُ
ठिकाना है
जिन लोगों ने अपने रब का आमंत्रण स्वीकार कर लिया, उनके लिए अच्छा पुरस्कार है। रहे वे लोग जिन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं, बल्कि उसके साथ उतना और भी हो तो अपनी मुक्ति के लिए वे सब दे डालें। वही हैं, जिनका बुरा हिसाब होगा। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अत्यन्त बुरा विश्राम-स्थल है ([१३] अर र’आद: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

۞ اَفَمَنْ يَّعْلَمُ اَنَّمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ كَمَنْ هُوَ اَعْمٰىۗ اِنَّمَا يَتَذَكَّرُ اُولُوا الْاَلْبَابِۙ ١٩

afaman
أَفَمَن
क्या फिर जो
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
annamā
أَنَّمَآ
कि बेशक जो
unzila
أُنزِلَ
उतारा गया
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
min
مِن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
kaman
كَمَنْ
उसकी मानिन्द है जो
huwa
هُوَ
वो
aʿmā
أَعْمَىٰٓۚ
अँधा है
innamā
إِنَّمَا
बेशक
yatadhakkaru
يَتَذَكَّرُ
नसीहत पकड़ते हैं
ulū
أُو۟لُوا۟
अक़्ल वाले
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वाले
भला वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ तुम पर उतरा है तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, कभी उस जैसा हो सकता है जो अंधा है? परन्तु समझते तो वही है जो बुद्धि और समझ रखते है, ([१३] अर र’आद: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

الَّذِيْنَ يُوْفُوْنَ بِعَهْدِ اللّٰهِ وَلَا يَنْقُضُوْنَ الْمِيْثَاقَۙ ٢٠

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yūfūna
يُوفُونَ
पूरा करते हैं
biʿahdi
بِعَهْدِ
अल्लाह के अहद को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के अहद को
walā
وَلَا
और नहीं
yanquḍūna
يَنقُضُونَ
वो तोड़ते
l-mīthāqa
ٱلْمِيثَٰقَ
पुख़्ता वादे को
जो अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करते है औऱ अभिवचन को तोड़ते नहीं, ([१३] अर र’आद: 20)
Tafseer (तफ़सीर )