لَهٗ مُعَقِّبٰتٌ مِّنْۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ يَحْفَظُوْنَهٗ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يُغَيِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتّٰى يُغَيِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْۗ وَاِذَآ اَرَادَ اللّٰهُ بِقَوْمٍ سُوْۤءًا فَلَا مَرَدَّ لَهٗ ۚوَمَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّالٍ ١١
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- muʿaqqibātun
- مُعَقِّبَٰتٌ
- पहरेदार हैं
- min
- مِّنۢ
- उसके सामने से
- bayni
- بَيْنِ
- उसके सामने से
- yadayhi
- يَدَيْهِ
- उसके सामने से
- wamin
- وَمِنْ
- और उसके पीछे से
- khalfihi
- خَلْفِهِۦ
- और उसके पीछे से
- yaḥfaẓūnahu
- يَحْفَظُونَهُۥ
- जो हिफ़ाज़त करते हैं उसकी
- min
- مِنْ
- हुक्म से
- amri
- أَمْرِ
- हुक्म से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं तबदील करता
- yughayyiru
- يُغَيِّرُ
- नहीं तबदील करता
- mā
- مَا
- जो
- biqawmin
- بِقَوْمٍ
- किसी क़ौम में है
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yughayyirū
- يُغَيِّرُوا۟
- वो बदल दें
- mā
- مَا
- उसको जो
- bi-anfusihim
- بِأَنفُسِهِمْۗ
- उनके दिलों में है
- wa-idhā
- وَإِذَآ
- और जब
- arāda
- أَرَادَ
- इरादा करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- biqawmin
- بِقَوْمٍ
- साथ किसी क़ौम के
- sūan
- سُوٓءًا
- किसी बुराई का
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- maradda
- مَرَدَّ
- कोई फेरने वाला
- lahu
- لَهُۥۚ
- उसे
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦ
- उसके सिवा
- min
- مِن
- कोई मददगार
- wālin
- وَالٍ
- कोई मददगार
उसके रक्षक (पहरेदार) उसके अपने आगे और पीछे लगे होते हैं जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते है। किसी क़ौम के लोगों को जो कुछ प्राप्त होता है अल्लाह उसे बदलता नहीं, जब तक कि वे स्वयं अपने आपको न बदल डालें। और जब अल्लाह किसी क़ौम का अनिष्ट चाहता है तो फिर वह उससे टल नहीं सकता, और उससे हटकर उनका कोई समर्थक और संरक्षक भी नहीं ([१३] अर र’आद: 11)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ يُرِيْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّيُنْشِئُ السَّحَابَ الثِّقَالَۚ ١٢
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yurīkumu
- يُرِيكُمُ
- दिखाता है तुम्हें
- l-barqa
- ٱلْبَرْقَ
- बिजली की चमक
- khawfan
- خَوْفًا
- ख़ौफ़
- waṭamaʿan
- وَطَمَعًا
- और उम्मीद से
- wayunshi-u
- وَيُنشِئُ
- और वो उठाता है
- l-saḥāba
- ٱلسَّحَابَ
- बादल
- l-thiqāla
- ٱلثِّقَالَ
- बोझल
वही है जो भय और आशा के निमित्त तुम्हें बिजली की चमक दिखाता है और बोझिल बादलों को उठाता है ([१३] अर र’आद: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَيُسَبِّحُ الرَّعْدُ بِحَمْدِهٖ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ مِنْ خِيْفَتِهٖۚ وَيُرْسِلُ الصَّوَاعِقَ فَيُصِيْبُ بِهَا مَنْ يَّشَاۤءُ وَهُمْ يُجَادِلُوْنَ فِى اللّٰهِ ۚوَهُوَ شَدِيْدُ الْمِحَالِۗ ١٣
- wayusabbiḥu
- وَيُسَبِّحُ
- और तस्बीह करती है
- l-raʿdu
- ٱلرَّعْدُ
- कड़क
- biḥamdihi
- بِحَمْدِهِۦ
- साथ उसकी तारीफ़ के
- wal-malāikatu
- وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- और फ़रिश्ते
- min
- مِنْ
- उसके ख़ौफ़ से
- khīfatihi
- خِيفَتِهِۦ
- उसके ख़ौफ़ से
- wayur'silu
- وَيُرْسِلُ
- और वो भेजता है
- l-ṣawāʿiqa
- ٱلصَّوَٰعِقَ
- कड़कती बिजलियों को
- fayuṣību
- فَيُصِيبُ
- फिर वो पहुँचाता है
- bihā
- بِهَا
- उन्हें
- man
- مَن
- जिस पर
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- wahum
- وَهُمْ
- हालाँकि वो
- yujādilūna
- يُجَٰدِلُونَ
- वो झगड़ रहे होते हैं
- fī
- فِى
- अल्लाह के बारे में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के बारे में
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-miḥāli
- ٱلْمِحَالِ
- क़ुव्वत वाला है
बादल की गरज उसका गुणगान करती है और उसके भय से काँपते हुए फ़रिश्ते भी। वही कड़कती बिजलियाँ भेजता है, फिर जिसपर चाहता है उन्हें गिरा देता है, जबकि वे अल्लाह के विषय में झगड़ रहे होते है। निश्चय ही उसकी चाल बड़ी सख़्त है ([१३] अर र’आद: 13)Tafseer (तफ़सीर )
لَهٗ دَعْوَةُ الْحَقِّۗ وَالَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا يَسْتَجِيْبُوْنَ لَهُمْ بِشَيْءٍ اِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّيْهِ اِلَى الْمَاۤءِ لِيَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهٖۗ وَمَا دُعَاۤءُ الْكٰفِرِيْنَ اِلَّا فِيْ ضَلٰلٍ ١٤
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए है
- daʿwatu
- دَعْوَةُ
- पुकारना
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّۖ
- बरहक़
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और जिन्हें
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो पुकारते हैं
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦ
- उसके सिवा
- lā
- لَا
- नहीं वो जवाब देते
- yastajībūna
- يَسْتَجِيبُونَ
- नहीं वो जवाब देते
- lahum
- لَهُم
- उनको
- bishayin
- بِشَىْءٍ
- कुछ भी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kabāsiṭi
- كَبَٰسِطِ
- मानिन्द फैलाने वाले के
- kaffayhi
- كَفَّيْهِ
- अपनी दोनों हथेलियाँ
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ पानी के
- l-māi
- ٱلْمَآءِ
- तरफ़ पानी के
- liyablugha
- لِيَبْلُغَ
- ताकि वो पहुँचे
- fāhu
- فَاهُ
- उसके मुँह को
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- huwa
- هُوَ
- वो
- bibālighihi
- بِبَٰلِغِهِۦۚ
- पहुँचने वाला उसे
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- duʿāu
- دُعَآءُ
- दुआ
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में
उसी के लिए सच्ची पुकार है। उससे हटकर जिनको वे पुकारते है, वे उनकी पुकार का कुछ भी उत्तर नहीं देते। बस यह ऐसा ही होता है जैसे कोई अपने दोनों हाथ पानी की ओर इसलिए फैलाए कि वह उसके मुँह में पहुँच जाए, हालाँकि वह उसतक पहुँचनेवाला नहीं। कुफ़्र करनेवालों की पुकार तो बस भटकने ही के लिए होती है ([१३] अर र’आद: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِلّٰهِ يَسْجُدُ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۩ ١٥
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए
- yasjudu
- يَسْجُدُ
- सजदा करता है
- man
- مَن
- जो कोई
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में है
- ṭawʿan
- طَوْعًا
- ख़ुशी से
- wakarhan
- وَكَرْهًا
- और नाख़ुशी से
- waẓilāluhum
- وَظِلَٰلُهُم
- और साये उनके
- bil-ghuduwi
- بِٱلْغُدُوِّ
- सुबह
- wal-āṣāli
- وَٱلْءَاصَالِ۩
- और शाम
आकाशों और धरती में जो भी है स्वेच्छापूर्वक या विवशतापूर्वक अल्लाह ही को सजदा कर रहे है और उनकी परछाइयाँ भी प्रातः और संध्या समय ([१३] अर र’आद: 15)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ قُلِ اللّٰهُ ۗقُلْ اَفَاتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَ لَا يَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّاۗ قُلْ هَلْ يَسْتَوِى الْاَعْمٰى وَالْبَصِيْرُ ەۙ اَمْ هَلْ تَسْتَوِى الظُّلُمٰتُ وَالنُّوْرُ ەۚ اَمْ جَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَاۤءَ خَلَقُوْا كَخَلْقِهٖ فَتَشَابَهَ الْخَلْقُ عَلَيْهِمْۗ قُلِ اللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَيْءٍ وَّهُوَ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ١٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- man
- مَن
- कौन है
- rabbu
- رَّبُّ
- रब
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- afa-ittakhadhtum
- أَفَٱتَّخَذْتُم
- क्या फिर (भी) बना लिए तुमने
- min
- مِّن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦٓ
- उसके सिवा
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- हिमायती
- lā
- لَا
- नहीं वो मालिक हो सकते
- yamlikūna
- يَمْلِكُونَ
- नहीं वो मालिक हो सकते
- li-anfusihim
- لِأَنفُسِهِمْ
- अपने नफ़्सों के लिए
- nafʿan
- نَفْعًا
- किसी नफ़ा के
- walā
- وَلَا
- और ना
- ḍarran
- ضَرًّاۚ
- किसी नुक़सान के
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- hal
- هَلْ
- क्या
- yastawī
- يَسْتَوِى
- बराबर हो सकता है
- l-aʿmā
- ٱلْأَعْمَىٰ
- अँधा
- wal-baṣīru
- وَٱلْبَصِيرُ
- और देखने वाला
- am
- أَمْ
- या
- hal
- هَلْ
- क्या
- tastawī
- تَسْتَوِى
- बराबर हो सकते हैं
- l-ẓulumātu
- ٱلظُّلُمَٰتُ
- अँधेरे
- wal-nūru
- وَٱلنُّورُۗ
- और रोशनी
- am
- أَمْ
- या
- jaʿalū
- جَعَلُوا۟
- उन्होंने बना लिए
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- shurakāa
- شُرَكَآءَ
- कुछ शरीक
- khalaqū
- خَلَقُوا۟
- उन्होंने पैदा किया क्या
- kakhalqihi
- كَخَلْقِهِۦ
- मानिन्द उसकी तख़लीक़ के
- fatashābaha
- فَتَشَٰبَهَ
- तो मुश्तबाह हो गई
- l-khalqu
- ٱلْخَلْقُ
- पैदाइश
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۚ
- उन पर
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- khāliqu
- خَٰلِقُ
- ख़ालिक़ है
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ का
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही
- l-wāḥidu
- ٱلْوَٰحِدُ
- अकेला है
- l-qahāru
- ٱلْقَهَّٰرُ
- बहुत ज़बरदस्त है
कहो, 'आकाशों और धरती का रब कौन है?' कहो, 'अल्लाह' कह दो, 'फिर क्या तुमने उससे हटकर दूसरों को अपना संरक्षक बना रखा है, जिन्हें स्वयं अपने भी किसी लाभ का न अधिकार प्राप्त है और न किसी हानि का?' कहो, 'क्या अंधा और आँखोंवाला दोनों बराबर होते है? या बराबर होते हो अँधरे और प्रकाश? या जिनको अल्लाह का सहभागी ठहराया है, उन्होंने भी कुछ पैदा किया है, जैसा कि उसने पैदा किया है, जिसके कारण सृष्टि का मामला इनके लिए गडुमडु हो गया है?' कहो, 'हर चीज़ को पैदा करनेवाला अल्लाह है और वह अकेला है, सब पर प्रभावी!' ([१३] अर र’आद: 16)Tafseer (तफ़सीर )
اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَسَالَتْ اَوْدِيَةٌ ۢ بِقَدَرِهَا فَاحْتَمَلَ السَّيْلُ زَبَدًا رَّابِيًا ۗوَمِمَّا يُوْقِدُوْنَ عَلَيْهِ فِى النَّارِ ابْتِغَاۤءَ حِلْيَةٍ اَوْ مَتَاعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهٗ ۗ كَذٰلِكَ يَضْرِبُ اللّٰهُ الْحَقَّ وَالْبَاطِلَ ەۗ فَاَمَّا الزَّبَدُ فَيَذْهَبُ جُفَاۤءً ۚوَاَمَّا مَا يَنْفَعُ النَّاسَ فَيَمْكُثُ فِى الْاَرْضِۗ كَذٰلِكَ يَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ ۗ ١٧
- anzala
- أَنزَلَ
- उसने उतारा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fasālat
- فَسَالَتْ
- तो बह निकलीं
- awdiyatun
- أَوْدِيَةٌۢ
- वादियाँ
- biqadarihā
- بِقَدَرِهَا
- अपने-अपने अन्दाज़े से
- fa-iḥ'tamala
- فَٱحْتَمَلَ
- तो उठा लिया
- l-saylu
- ٱلسَّيْلُ
- सैलाब ने
- zabadan
- زَبَدًا
- झाग
- rābiyan
- رَّابِيًاۚ
- चढ़ा हुआ
- wamimmā
- وَمِمَّا
- और उसमें से जो
- yūqidūna
- يُوقِدُونَ
- वो जलाते हैं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- fī
- فِى
- आग में
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग में
- ib'tighāa
- ٱبْتِغَآءَ
- हासिल करने को
- ḥil'yatin
- حِلْيَةٍ
- ज़ेवर
- aw
- أَوْ
- या
- matāʿin
- مَتَٰعٍ
- बर्तन
- zabadun
- زَبَدٌ
- झाग है
- mith'luhu
- مِّثْلُهُۥۚ
- इस जैसा
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yaḍribu
- يَضْرِبُ
- बयान करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- हक़
- wal-bāṭila
- وَٱلْبَٰطِلَۚ
- और बातिल को
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहा
- l-zabadu
- ٱلزَّبَدُ
- झाग
- fayadhhabu
- فَيَذْهَبُ
- तो वो चला जाता है
- jufāan
- جُفَآءًۖ
- नाकारा होकर
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और लेकिन
- mā
- مَا
- जो
- yanfaʿu
- يَنفَعُ
- नफ़ा देता है
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- fayamkuthu
- فَيَمْكُثُ
- तो वो ठहर जाता है
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- ज़मीन में
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yaḍribu
- يَضْرِبُ
- बयान करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-amthāla
- ٱلْأَمْثَالَ
- मिसालें
उसने आकाश से पानी उतारा तो नदी-नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर पानी के बहाव ने उभरे हुए झाग को उठा लिया और उसमें से भी, जिसे वे ज़ेवर या दूसरे सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, ऐसा ही झाग उठता है। इस प्रकार अल्लाह सत्य और असत्य की मिसाल बयान करता है। फिर जो झाग है वह तो सूखकर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचानेवाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है। इसी प्रकार अल्लाह दृष्टांत प्रस्तुत करता है ([१३] अर र’आद: 17)Tafseer (तफ़सीर )
لِلَّذِيْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰىۗ وَالَّذِيْنَ لَمْ يَسْتَجِيْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ سُوْۤءُ الْحِسَابِ ەۙ وَمَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۗوَبِئْسَ الْمِهَادُ ࣖ ١٨
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उन लोगों के लिए जिन्होंने
- is'tajābū
- ٱسْتَجَابُوا۟
- क़ुबूल किया (हुक्म)
- lirabbihimu
- لِرَبِّهِمُ
- अपने रब का
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰۚ
- भलाई है
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और जिन लोगों ने
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yastajībū
- يَسْتَجِيبُوا۟
- कुबूल किया
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- law
- لَوْ
- काश
- anna
- أَنَّ
- कि (होता)
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mā
- مَّا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सबका सब
- wamith'lahu
- وَمِثْلَهُۥ
- और इसकी मानिन्द
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ इसके
- la-if'tadaw
- لَٱفْتَدَوْا۟
- अलबत्ता वो फ़िदये में दे देते
- bihi
- بِهِۦٓۚ
- उसको
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए है
- sūu
- سُوٓءُ
- बुरा
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- हिसाब
- wamawāhum
- وَمَأْوَىٰهُمْ
- और ठिकाना उनका
- jahannamu
- جَهَنَّمُۖ
- जहन्नम है
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और वो बहुत ही बुरा
- l-mihādu
- ٱلْمِهَادُ
- ठिकाना है
जिन लोगों ने अपने रब का आमंत्रण स्वीकार कर लिया, उनके लिए अच्छा पुरस्कार है। रहे वे लोग जिन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं, बल्कि उसके साथ उतना और भी हो तो अपनी मुक्ति के लिए वे सब दे डालें। वही हैं, जिनका बुरा हिसाब होगा। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अत्यन्त बुरा विश्राम-स्थल है ([१३] अर र’आद: 18)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اَفَمَنْ يَّعْلَمُ اَنَّمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ كَمَنْ هُوَ اَعْمٰىۗ اِنَّمَا يَتَذَكَّرُ اُولُوا الْاَلْبَابِۙ ١٩
- afaman
- أَفَمَن
- क्या फिर जो
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- annamā
- أَنَّمَآ
- कि बेशक जो
- unzila
- أُنزِلَ
- उतारा गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आपके रब की तरफ़ से
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- kaman
- كَمَنْ
- उसकी मानिन्द है जो
- huwa
- هُوَ
- वो
- aʿmā
- أَعْمَىٰٓۚ
- अँधा है
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yatadhakkaru
- يَتَذَكَّرُ
- नसीहत पकड़ते हैं
- ulū
- أُو۟لُوا۟
- अक़्ल वाले
- l-albābi
- ٱلْأَلْبَٰبِ
- अक़्ल वाले
भला वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ तुम पर उतरा है तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, कभी उस जैसा हो सकता है जो अंधा है? परन्तु समझते तो वही है जो बुद्धि और समझ रखते है, ([१३] अर र’आद: 19)Tafseer (तफ़सीर )
الَّذِيْنَ يُوْفُوْنَ بِعَهْدِ اللّٰهِ وَلَا يَنْقُضُوْنَ الْمِيْثَاقَۙ ٢٠
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yūfūna
- يُوفُونَ
- पूरा करते हैं
- biʿahdi
- بِعَهْدِ
- अल्लाह के अहद को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के अहद को
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yanquḍūna
- يَنقُضُونَ
- वो तोड़ते
- l-mīthāqa
- ٱلْمِيثَٰقَ
- पुख़्ता वादे को
जो अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करते है औऱ अभिवचन को तोड़ते नहीं, ([१३] अर र’आद: 20)Tafseer (तफ़सीर )