الۤمّۤرٰۗ تِلْكَ اٰيٰتُ الْكِتٰبِۗ وَالَّذِيْٓ اُنْزِلَ اِلَيْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١
- alif-lam-meem-ra
- الٓمٓرۚ
- अलिफ़ लाम मीम रा
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- āyātu
- ءَايَٰتُ
- आयात हैं
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِۗ
- किताब की
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِىٓ
- और जो कुछ
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आपके रब की तरफ़ से
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- akthara
- أَكْثَرَ
- अक्सर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोग
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये किताब की आयतें है औऱ जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, वह सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मान नहीं रहे है ([१३] अर र’आद: 1)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ الَّذِيْ رَفَعَ السَّمٰوٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا ثُمَّ اسْتَوٰى عَلَى الْعَرْشِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَۗ كُلٌّ يَّجْرِيْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ يُدَبِّرُ الْاَمْرَ يُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّكُمْ بِلِقَاۤءِ رَبِّكُمْ تُوْقِنُوْنَ ٢
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो ही है जिसने
- rafaʿa
- رَفَعَ
- बुलन्द किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों को
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿamadin
- عَمَدٍ
- सुतूनों के
- tarawnahā
- تَرَوْنَهَاۖ
- तुम देखते हो जिन्हें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- is'tawā
- ٱسْتَوَىٰ
- वो बुलन्द हुआ
- ʿalā
- عَلَى
- अर्श पर
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِۖ
- अर्श पर
- wasakhara
- وَسَخَّرَ
- और उसने मुसख़्ख़र किया
- l-shamsa
- ٱلشَّمْسَ
- सूरज
- wal-qamara
- وَٱلْقَمَرَۖ
- और चाँद को
- kullun
- كُلٌّ
- सब
- yajrī
- يَجْرِى
- चल रहे हैं
- li-ajalin
- لِأَجَلٍ
- एक वक़्त तक
- musamman
- مُّسَمًّىۚ
- मुक़र्रर
- yudabbiru
- يُدَبِّرُ
- वो तदबीर करता है
- l-amra
- ٱلْأَمْرَ
- काम की
- yufaṣṣilu
- يُفَصِّلُ
- वो खोल कर बयान करता है
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात को
- laʿallakum
- لَعَلَّكُم
- ताकि तुम
- biliqāi
- بِلِقَآءِ
- मुलाक़ात का
- rabbikum
- رَبِّكُمْ
- अपने रब की
- tūqinūna
- تُوقِنُونَ
- तुम यक़ीन करो
अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो ([१३] अर र’आद: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ مَدَّ الْاَرْضَ وَجَعَلَ فِيْهَا رَوَاسِيَ وَاَنْهٰرًا ۗوَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ جَعَلَ فِيْهَا زَوْجَيْنِ اثْنَيْنِ يُغْشِى الَّيْلَ النَّهَارَۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ٣
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- madda
- مَدَّ
- फैला दिया
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और बनाए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- rawāsiya
- رَوَٰسِىَ
- पहाड़
- wa-anhāran
- وَأَنْهَٰرًاۖ
- और नहरें
- wamin
- وَمِن
- और हर क़िस्म से
- kulli
- كُلِّ
- और हर क़िस्म से
- l-thamarāti
- ٱلثَّمَرَٰتِ
- फलों की
- jaʿala
- جَعَلَ
- उसने बनाए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- zawjayni
- زَوْجَيْنِ
- जोड़े
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِۖ
- दो दो
- yugh'shī
- يُغْشِى
- वो ढाँपता है
- al-layla
- ٱلَّيْلَ
- रात को
- l-nahāra
- ٱلنَّهَارَۚ
- दिन पर
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- उसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yatafakkarūna
- يَتَفَكَّرُونَ
- जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
और वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें जमे हुए पर्वत और नदियाँ बनाई और हरेक पैदावार की दो-दो क़िस्में बनाई। वही रात से दिन को छिपा देता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है ([१३] अर र’आद: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَفِى الْاَرْضِ قِطَعٌ مُّتَجٰوِرٰتٌ وَّجَنّٰتٌ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّزَرْعٌ وَّنَخِيْلٌ صِنْوَانٌ وَّغَيْرُ صِنْوَانٍ يُّسْقٰى بِمَاۤءٍ وَّاحِدٍۙ وَّنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلٰى بَعْضٍ فِى الْاُكُلِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٤
- wafī
- وَفِى
- और ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में
- qiṭaʿun
- قِطَعٌ
- टुकड़े हैं
- mutajāwirātun
- مُّتَجَٰوِرَٰتٌ
- बाहम मिले हुए
- wajannātun
- وَجَنَّٰتٌ
- और बाग़ात हैं
- min
- مِّنْ
- अंगूरों के
- aʿnābin
- أَعْنَٰبٍ
- अंगूरों के
- wazarʿun
- وَزَرْعٌ
- और खेतियाँ
- wanakhīlun
- وَنَخِيلٌ
- और खजूर के दरख़्त
- ṣin'wānun
- صِنْوَانٌ
- जड़ से मिले हुए
- waghayru
- وَغَيْرُ
- और बग़ैर
- ṣin'wānin
- صِنْوَانٍ
- जड़ से मिले हुए
- yus'qā
- يُسْقَىٰ
- वो पिलाए जाते हैं
- bimāin
- بِمَآءٍ
- पानी
- wāḥidin
- وَٰحِدٍ
- एक ही
- wanufaḍḍilu
- وَنُفَضِّلُ
- और हम फ़ज़ीलत देते है
- baʿḍahā
- بَعْضَهَا
- उनके बाज़ को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बाज़ पर
- baʿḍin
- بَعْضٍ
- बाज़ पर
- fī
- فِى
- फलों में
- l-ukuli
- ٱلْأُكُلِۚ
- फलों में
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- उसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- जो अक़्ल से काम लेते हैं
और धरती में पास-पास भूभाग पाए जाते है जो परस्पर मिले हुए है, और अंगूरों के बाग़ है और खेतियाँ है औऱ खजूर के पेड़ है, इकहरे भी और दोहरे भी। सबको एक ही पानी से सिंचित करता है, फिर भी हम पैदावार और स्वाद में किसी को किसी के मुक़ाबले में बढ़ा देते है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते है ([१३] अर र’आद: 4)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاِنْ تَعْجَبْ فَعَجَبٌ قَوْلُهُمْ ءَاِذَا كُنَّا تُرَابًا ءَاِنَّا لَفِيْ خَلْقٍ جَدِيْدٍ ەۗ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْۚ وَاُولٰۤىِٕكَ الْاَغْلٰلُ فِيْٓ اَعْنَاقِهِمْۚ وَاُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٥
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taʿjab
- تَعْجَبْ
- तुम तआज्जुब करते हो
- faʿajabun
- فَعَجَبٌ
- तो क़ाबिले तआज्जुब है
- qawluhum
- قَوْلُهُمْ
- बात उनकी
- a-idhā
- أَءِذَا
- क्या जब
- kunnā
- كُنَّا
- हो जाऐंगे हम
- turāban
- تُرَٰبًا
- मिट्टी
- a-innā
- أَءِنَّا
- क्या बेशक हम
- lafī
- لَفِى
- अलबत्ता पैदाइश में होंगे
- khalqin
- خَلْقٍ
- अलबत्ता पैदाइश में होंगे
- jadīdin
- جَدِيدٍۗ
- नई
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही वो लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- birabbihim
- بِرَبِّهِمْۖ
- अपने रब के साथ
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- l-aghlālu
- ٱلْأَغْلَٰلُ
- तौक़ होंगे
- fī
- فِىٓ
- जिनकी गर्दनों में
- aʿnāqihim
- أَعْنَاقِهِمْۖ
- जिनकी गर्दनों में
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-nāri
- ٱلنَّارِۖ
- आग के
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
अब यदि तुम्हें आश्चर्य ही करना है तो आश्चर्य की बात तो उनका यह कहना है कि ,'क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे तो क्या हम नए सिरे से पैदा भी होंगे?' वही हैं जिन्होंने अपने रब के साथ इनकार की नीति अपनाई और वही है, जिनकी गर्दनों मे तौक़ पड़े हुए है और वही आग (में पड़ने) वाले है जिसमें उन्हें सदैव रहना है ([१३] अर र’आद: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْتَعْجِلُوْنَكَ بِالسَّيِّئَةِ قَبْلَ الْحَسَنَةِ وَقَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِمُ الْمَثُلٰتُۗ وَاِنَّ رَبَّكَ لَذُوْ مَغْفِرَةٍ لِّلنَّاسِ عَلٰى ظُلْمِهِمْۚ وَاِنَّ رَبَّكَ لَشَدِيْدُ الْعِقَابِ ٦
- wayastaʿjilūnaka
- وَيَسْتَعْجِلُونَكَ
- और वो जल्दी माँगते हैं आपसे
- bil-sayi-ati
- بِٱلسَّيِّئَةِ
- बुराई (अज़ाब) को
- qabla
- قَبْلَ
- पहले
- l-ḥasanati
- ٱلْحَسَنَةِ
- भलाई से
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- khalat
- خَلَتْ
- गुज़र चुकीं
- min
- مِن
- इनसे पहले
- qablihimu
- قَبْلِهِمُ
- इनसे पहले
- l-mathulātu
- ٱلْمَثُلَٰتُۗ
- इबरतनाक मिसालें
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- ladhū
- لَذُو
- अलबत्ता बख़्शिश वाला है
- maghfiratin
- مَغْفِرَةٍ
- अलबत्ता बख़्शिश वाला है
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बावजूद उनके ज़ुल्म के
- ẓul'mihim
- ظُلْمِهِمْۖ
- बावजूद उनके ज़ुल्म के
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- lashadīdu
- لَشَدِيدُ
- अलबत्ता सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
वे भलाई से पहले बुराई के लिए तुमसे जल्दी मचा रहे हैं, हालाँकि उनसे पहले कितनी ही शिक्षाप्रद मिसालें गुज़र चुकी है। किन्तु तुम्हारा रब लोगों को उनके अत्याचार के बावजूद क्षमा कर देता है और वास्तव में तुम्हारा रब दंड देने में भी बहुत कठोर है ([१३] अर र’आद: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوْلَآ اُنْزِلَ عَلَيْهِ اٰيَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖۗ اِنَّمَآ اَنْتَ مُنْذِرٌ وَّلِكُلِّ قَوْمٍ هَادٍ ࣖ ٧
- wayaqūlu
- وَيَقُولُ
- और कहते हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lawlā
- لَوْلَآ
- क्यों नहीं
- unzila
- أُنزِلَ
- उतारी गई
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- āyatun
- ءَايَةٌ
- कोई निशानी
- min
- مِّن
- उसके रब की तरफ़ से
- rabbihi
- رَّبِّهِۦٓۗ
- उसके रब की तरफ़ से
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- anta
- أَنتَ
- आप तो
- mundhirun
- مُنذِرٌۖ
- डराने वाले हैं
- walikulli
- وَلِكُلِّ
- और वास्ते हर
- qawmin
- قَوْمٍ
- क़ौम के
- hādin
- هَادٍ
- एक हादी है
जिन्होंने इनकार किया, वे कहते हैं, 'उसपर उसके रब की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं अवतरित हुई?' तुम तो बस एक चेतावनी देनेवाले हो और हर क़ौम के लिए एक मार्गदर्शक हुआ है ([१३] अर र’आद: 7)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تَحْمِلُ كُلُّ اُنْثٰى وَمَا تَغِيْضُ الْاَرْحَامُ وَمَا تَزْدَادُ ۗوَكُلُّ شَيْءٍ عِنْدَهٗ بِمِقْدَارٍ ٨
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- taḥmilu
- تَحْمِلُ
- उठाती है
- kullu
- كُلُّ
- हर
- unthā
- أُنثَىٰ
- मादा
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- taghīḍu
- تَغِيضُ
- कमी करते हैं
- l-arḥāmu
- ٱلْأَرْحَامُ
- रहम
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- tazdādu
- تَزْدَادُۖ
- वो ज़्यादा करते हैं
- wakullu
- وَكُلُّ
- और हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़
- ʿindahu
- عِندَهُۥ
- उसके पास
- bimiq'dārin
- بِمِقْدَارٍ
- साथ एक अन्दाज़े के है
किसी भी स्त्री-जाति को जो भी गर्भ रहता है अल्लाह उसे जान रहा होता है और उसे भी जो गर्भाशय में कमी-बेशी होती है। और उसके यहाँ हरेक चीज़ का एक निश्चित अन्दाज़ा है ([१३] अर र’आद: 8)Tafseer (तफ़सीर )
عٰلِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ الْكَبِيْرُ الْمُتَعَالِ ٩
- ʿālimu
- عَٰلِمُ
- जानने वाला है
- l-ghaybi
- ٱلْغَيْبِ
- ग़ैब
- wal-shahādati
- وَٱلشَّهَٰدَةِ
- और हाज़िर का
- l-kabīru
- ٱلْكَبِيرُ
- सबसे बड़ा है
- l-mutaʿāli
- ٱلْمُتَعَالِ
- बहुत बुलन्द है
वह परोक्ष और प्रत्यक्ष का ज्ञाता है, महान है, अत्यन्त उच्च है ([१३] अर र’आद: 9)Tafseer (तफ़सीर )
سَوَاۤءٌ مِّنْكُمْ مَّنْ اَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَنْ جَهَرَ بِهٖ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍۢ بِالَّيْلِ وَسَارِبٌۢ بِالنَّهَارِ ١٠
- sawāon
- سَوَآءٌ
- यक्साँ/बराबर है
- minkum
- مِّنكُم
- तुम में से
- man
- مَّنْ
- जो
- asarra
- أَسَرَّ
- छुपा कर करे
- l-qawla
- ٱلْقَوْلَ
- बात को
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- jahara
- جَهَرَ
- ज़ाहिर करे
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- waman
- وَمَنْ
- और जो कोई
- huwa
- هُوَ
- वो
- mus'takhfin
- مُسْتَخْفٍۭ
- छुपने वाला है
- bi-al-layli
- بِٱلَّيْلِ
- रात को
- wasāribun
- وَسَارِبٌۢ
- और चलने वाला है
- bil-nahāri
- بِٱلنَّهَارِ
- दिन को
तुममें से कोई चुपके से बात करे और जो कोई ज़ोर से और जो कोई रात में छिपता हो और जो दिन में चलता-फिरता दीख पड़ता हो उसके लिए सब बराबर है ([१३] अर र’आद: 10)Tafseer (तफ़सीर )