قَالُوْا وَاَقْبَلُوْا عَلَيْهِمْ مَّاذَا تَفْقِدُوْنَ ٧١
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- wa-aqbalū
- وَأَقْبَلُوا۟
- जबकि वो मुतावज्जेह हुए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उनकी तरफ़
- mādhā
- مَّاذَا
- क्या चीज़
- tafqidūna
- تَفْقِدُونَ
- तुम गुम पाते हो
वे उनकी ओर रुख़ करते हुए बोले, 'तुम्हारी क्या चीज़ खो गई है?' ([१२] युसूफ: 71)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا نَفْقِدُ صُوَاعَ الْمَلِكِ وَلِمَنْ جَاۤءَ بِهٖ حِمْلُ بَعِيْرٍ وَّاَنَا۠ بِهٖ زَعِيْمٌ ٧٢
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- nafqidu
- نَفْقِدُ
- हम गुम पाते हैं
- ṣuwāʿa
- صُوَاعَ
- पैमाना
- l-maliki
- ٱلْمَلِكِ
- बादशाह का
- waliman
- وَلِمَن
- और उसके लिए जो
- jāa
- جَآءَ
- लाए
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- ḥim'lu
- حِمْلُ
- बोझ है
- baʿīrin
- بَعِيرٍ
- एक ऊँट का
- wa-anā
- وَأَنَا۠
- और मैं
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- zaʿīmun
- زَعِيمٌ
- ज़ामिन हूँ
उन्होंने कहा, 'शाही पैमाना हमें नहीं मिल रहा है। जो व्यक्ति उसे ला दे उसको एक ऊँट का बोझभर ग़ल्ला इनाम मिलेगा। मैं इसकी ज़िम्मेदारी लेता हूँ।' ([१२] युसूफ: 72)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا تَاللّٰهِ لَقَدْ عَلِمْتُمْ مَّا جِئْنَا لِنُفْسِدَ فِى الْاَرْضِ وَمَا كُنَّا سَارِقِيْنَ ٧٣
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- tal-lahi
- تَٱللَّهِ
- क़सम अल्लाह की
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- ʿalim'tum
- عَلِمْتُم
- जान लिया तुमने
- mā
- مَّا
- नहीं
- ji'nā
- جِئْنَا
- आए थे हम
- linuf'sida
- لِنُفْسِدَ
- कि हम फ़साद करें
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kunnā
- كُنَّا
- हैं हम
- sāriqīna
- سَٰرِقِينَ
- चोरी करने वाले
वे कहने लगे, 'अल्लाह की क़सम! तुम लोग जानते ही हो कि हम इस भू-भाग में बिगाड़ पैदा करने नहीं आए है और न हम चोर है।' ([१२] युसूफ: 73)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا فَمَا جَزَاۤؤُهٗٓ اِنْ كُنْتُمْ كٰذِبِيْنَ ٧٤
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- famā
- فَمَا
- तो क्या
- jazāuhu
- جَزَٰٓؤُهُۥٓ
- बदला है उसका
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- kādhibīna
- كَٰذِبِينَ
- झूठे
उन्होंने कहा, 'यदि तुम झूठे सिद्ध हुए तो फिर उसका दंड क्या है?' ([१२] युसूफ: 74)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا جَزَاۤؤُهٗ مَنْ وُّجِدَ فِيْ رَحْلِهٖ فَهُوَ جَزَاۤؤُهٗ ۗ كَذٰلِكَ نَجْزِى الظّٰلِمِيْنَ ٧٥
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- jazāuhu
- جَزَٰٓؤُهُۥ
- बदला उसका
- man
- مَن
- वो है जो
- wujida
- وُجِدَ
- वो पाया गया
- fī
- فِى
- उसके सामान में
- raḥlihi
- رَحْلِهِۦ
- उसके सामान में
- fahuwa
- فَهُوَ
- तो वो ही
- jazāuhu
- جَزَٰٓؤُهُۥۚ
- बदला है उसका
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इस तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
वे बोले, 'उसका दंड यह है कि जिसके सामान में वह मिले वही उसका बदला ठहराया जाए। हम अत्याचारियों को ऐसा ही दंड देते है।' ([१२] युसूफ: 75)Tafseer (तफ़सीर )
فَبَدَاَ بِاَوْعِيَتِهِمْ قَبْلَ وِعَاۤءِ اَخِيْهِ ثُمَّ اسْتَخْرَجَهَا مِنْ وِّعَاۤءِ اَخِيْهِۗ كَذٰلِكَ كِدْنَا لِيُوْسُفَۗ مَا كَانَ لِيَأْخُذَ اَخَاهُ فِيْ دِيْنِ الْمَلِكِ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ ۗنَرْفَعُ دَرَجَاتٍ مَّنْ نَّشَاۤءُۗ وَفَوْقَ كُلِّ ذِيْ عِلْمٍ عَلِيْمٌ ٧٦
- fabada-a
- فَبَدَأَ
- पस उसने शुरू किया
- bi-awʿiyatihim
- بِأَوْعِيَتِهِمْ
- उनके थैलों/ख़ुरजियों से
- qabla
- قَبْلَ
- पहले
- wiʿāi
- وِعَآءِ
- थैले/ख़ुरजी से
- akhīhi
- أَخِيهِ
- अपने भाई के
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- is'takhrajahā
- ٱسْتَخْرَجَهَا
- उसने निकाल लिया उसे
- min
- مِن
- थैले/ख़ुरजी से
- wiʿāi
- وِعَآءِ
- थैले/ख़ुरजी से
- akhīhi
- أَخِيهِۚ
- अपने भाई के
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- kid'nā
- كِدْنَا
- तदबीर की हमने
- liyūsufa
- لِيُوسُفَۖ
- यूसुफ़ के लिए
- mā
- مَا
- ना
- kāna
- كَانَ
- था वो
- liyakhudha
- لِيَأْخُذَ
- कि वो पकड़ सके
- akhāhu
- أَخَاهُ
- अपने भाई को
- fī
- فِى
- दीन/क़ानून में
- dīni
- دِينِ
- दीन/क़ानून में
- l-maliki
- ٱلْمَلِكِ
- बादशाह के
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yashāa
- يَشَآءَ
- जो चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- narfaʿu
- نَرْفَعُ
- हम बुलंद करते हैं
- darajātin
- دَرَجَٰتٍ
- दरजात
- man
- مَّن
- जिसके
- nashāu
- نَّشَآءُۗ
- हम चाहते हैं
- wafawqa
- وَفَوْقَ
- और ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- dhī
- ذِى
- इल्म वाले के
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- इल्म वाले के
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- एक ख़ूब इल्म वाला है
फिर उसके भाई की खुरजी से पहले उनकी ख़ुरजियाँ देखनी शुरू की; फिर उसके भाई की ख़ुरजी से उसे बरामद कर लिया। इस प्रकार हमने यूसुफ़ का उपाय किया। वह शाही क़ानून के अनुसार अपने भाई को प्राप्त नहीं कर सकता था। बल्कि अल्लाह ही की इच्छा लागू है। हम जिसको चाहे उसके दर्जे ऊँचे कर दें। और प्रत्येक ज्ञानवान से ऊपर एक ज्ञानवान मौजूद है ([१२] युसूफ: 76)Tafseer (तफ़सीर )
۞ قَالُوْٓا اِنْ يَّسْرِقْ فَقَدْ سَرَقَ اَخٌ لَّهٗ مِنْ قَبْلُۚ فَاَسَرَّهَا يُوْسُفُ فِيْ نَفْسِهٖ وَلَمْ يُبْدِهَا لَهُمْۚ قَالَ اَنْتُمْ شَرٌّ مَّكَانًا ۚوَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا تَصِفُوْنَ ٧٧
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- in
- إِن
- अगर
- yasriq
- يَسْرِقْ
- इसने चोरी की है
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- saraqa
- سَرَقَ
- चोरी की थी
- akhun
- أَخٌ
- भाई ने
- lahu
- لَّهُۥ
- इसके
- min
- مِن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُۚ
- इससे क़ब्ल
- fa-asarrahā
- فَأَسَرَّهَا
- तो छुपा लिया इस बात को
- yūsufu
- يُوسُفُ
- यूसुफ़ ने
- fī
- فِى
- अपने दिल में
- nafsihi
- نَفْسِهِۦ
- अपने दिल में
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yub'dihā
- يُبْدِهَا
- उसने ज़ाहिर किया उसे
- lahum
- لَهُمْۚ
- उनके लिए
- qāla
- قَالَ
- कहा
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- sharrun
- شَرٌّ
- बुरे हो
- makānan
- مَّكَانًاۖ
- मक़ाम में
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ख़ूब जानता है
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taṣifūna
- تَصِفُونَ
- तुम बयान कर रहे हो
उन्होंने कहा, 'यदि यह चोरी करता है तो चोरी तो इससे पहले इसका एक भाई भी कर चुका है।' किन्तु यूसुफ़ ने इसे अपने जी ही में रखा और उनपर प्रकट नहीं किया। उसने कहा, 'मक़ाम की दृष्टि से तुम अत्यन्त बुरे हो। जो कुछ तुम बताते हो, अल्लाह को उसका पूरा ज्ञान है।' ([१२] युसूफ: 77)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا يٰٓاَيُّهَا الْعَزِيْزُ اِنَّ لَهٗٓ اَبًا شَيْخًا كَبِيْرًا فَخُذْ اَحَدَنَا مَكَانَهٗ ۚاِنَّا نَرٰىكَ مِنَ الْمُحْسِنِيْنَ ٧٨
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ अज़ीज़
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- ऐ अज़ीज़
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- lahu
- لَهُۥٓ
- इसका
- aban
- أَبًا
- बाप
- shaykhan
- شَيْخًا
- बूढ़ा
- kabīran
- كَبِيرًا
- बड़ी उम्र का है
- fakhudh
- فَخُذْ
- पस तू रख ले
- aḥadanā
- أَحَدَنَا
- हम में से किसी एक को
- makānahu
- مَكَانَهُۥٓۖ
- इसकी जगह
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- narāka
- نَرَىٰكَ
- हम देखते हैं तुझे
- mina
- مِنَ
- मोहसिनीन में से
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- मोहसिनीन में से
उन्होंने कहा, 'ऐ अज़ीज़! इसका बाप बहुत ही बूढ़ा है। इसलिए इसके स्थान पर हममें से किसी को रख लीजिए। हमारी स्पष्ट में तो आप बड़े ही सुकर्मी है।' ([१२] युसूफ: 78)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ مَعَاذَ اللّٰهِ اَنْ نَّأْخُذَ اِلَّا مَنْ وَّجَدْنَا مَتَاعَنَا عِنْدَهٗٓ ۙاِنَّآ اِذًا لَّظٰلِمُوْنَ ࣖ ٧٩
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- maʿādha
- مَعَاذَ
- पनाह
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- an
- أَن
- कि
- nakhudha
- نَّأْخُذَ
- हम पकड़ें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- उसको
- wajadnā
- وَجَدْنَا
- पाया हमने
- matāʿanā
- مَتَٰعَنَا
- सामान अपना
- ʿindahu
- عِندَهُۥٓ
- पास जिसके
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- idhan
- إِذًا
- तब
- laẓālimūna
- لَّظَٰلِمُونَ
- अलबत्ता ज़ालिम होंगे
उसने कहा, 'इस बात से अल्लाह पनाह में रखे कि जिसके पास हमने अपना माल पाया है, उसे छोड़कर हम किसी दूसरे को रखें। फिर तो हम अत्याचारी ठहगेंगे।' ([१२] युसूफ: 79)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا اسْتَا۟يْـَٔسُوْا مِنْهُ خَلَصُوْا نَجِيًّاۗ قَالَ كَبِيْرُهُمْ اَلَمْ تَعْلَمُوْٓا اَنَّ اَبَاكُمْ قَدْ اَخَذَ عَلَيْكُمْ مَّوْثِقًا مِّنَ اللّٰهِ وَمِنْ قَبْلُ مَا فَرَّطْتُّمْ فِيْ يُوْسُفَ فَلَنْ اَبْرَحَ الْاَرْضَ حَتّٰى يَأْذَنَ لِيْٓ اَبِيْٓ اَوْ يَحْكُمَ اللّٰهُ لِيْۚ وَهُوَ خَيْرُ الْحٰكِمِيْنَ ٨٠
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- is'tayasū
- ٱسْتَيْـَٔسُوا۟
- वो मायूस हो गए
- min'hu
- مِنْهُ
- उस से
- khalaṣū
- خَلَصُوا۟
- वो अलग हुए
- najiyyan
- نَجِيًّاۖ
- सरगोशी के लिए
- qāla
- قَالَ
- कहा
- kabīruhum
- كَبِيرُهُمْ
- उनके बड़े ने
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- taʿlamū
- تَعْلَمُوٓا۟
- तुम जानते
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- abākum
- أَبَاكُمْ
- तुम्हारे वालिद ने
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- akhadha
- أَخَذَ
- लिया था
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम से
- mawthiqan
- مَّوْثِقًا
- पुख़्ता वादा
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह (के नाम) से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह (के नाम) से
- wamin
- وَمِن
- और इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- और इससे पहले
- mā
- مَا
- जो
- farraṭtum
- فَرَّطتُمْ
- कोताही कर चुके तुम
- fī
- فِى
- यूसुफ़ के मामले में
- yūsufa
- يُوسُفَۖ
- यूसुफ़ के मामले में
- falan
- فَلَنْ
- तो हरगिज़ ना
- abraḥa
- أَبْرَحَ
- मैं टलूँगा
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- (इस) ज़मीन से
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yadhana
- يَأْذَنَ
- इजाज़त दे
- lī
- لِىٓ
- मुझे
- abī
- أَبِىٓ
- मेरा वालिद
- aw
- أَوْ
- या
- yaḥkuma
- يَحْكُمَ
- फ़ैसला कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lī
- لِىۖ
- मेरे लिए
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतर है
- l-ḥākimīna
- ٱلْحَٰكِمِينَ
- सब फ़ैसला करने वालों से
तो जब से वे उससे निराश हो गए तो परामर्श करने के लिए अलग जा बैठे। उनमें जो बड़ा था, वह कहने लगा, 'क्या तुम जानते नहीं कि तुम्हारा बाप अल्लाह के नाम पर तुमसे वचन ले चुका है और उसको जो इससे पहले यूसुफ़ के मामले में तुमसे क़सूर हो चुका है? मैं तो इस भू-भाग से कदापि टलने का नहीं जब तक कि मेरे बाप मुझे अनुमति न दें या अल्लाह ही मेरे हक़ में कोई फ़ैसला कर दे। और वही सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है ([१२] युसूफ: 80)Tafseer (तफ़सीर )