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सूरा युसूफ - Page: 8

Yusuf

(यूसुफ़)

७१

قَالُوْا وَاَقْبَلُوْا عَلَيْهِمْ مَّاذَا تَفْقِدُوْنَ ٧١

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
wa-aqbalū
وَأَقْبَلُوا۟
जबकि वो मुतावज्जेह हुए
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उनकी तरफ़
mādhā
مَّاذَا
क्या चीज़
tafqidūna
تَفْقِدُونَ
तुम गुम पाते हो
वे उनकी ओर रुख़ करते हुए बोले, 'तुम्हारी क्या चीज़ खो गई है?' ([१२] युसूफ: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

قَالُوْا نَفْقِدُ صُوَاعَ الْمَلِكِ وَلِمَنْ جَاۤءَ بِهٖ حِمْلُ بَعِيْرٍ وَّاَنَا۠ بِهٖ زَعِيْمٌ ٧٢

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
nafqidu
نَفْقِدُ
हम गुम पाते हैं
ṣuwāʿa
صُوَاعَ
पैमाना
l-maliki
ٱلْمَلِكِ
बादशाह का
waliman
وَلِمَن
और उसके लिए जो
jāa
جَآءَ
लाए
bihi
بِهِۦ
उसे
ḥim'lu
حِمْلُ
बोझ है
baʿīrin
بَعِيرٍ
एक ऊँट का
wa-anā
وَأَنَا۠
और मैं
bihi
بِهِۦ
उसका
zaʿīmun
زَعِيمٌ
ज़ामिन हूँ
उन्होंने कहा, 'शाही पैमाना हमें नहीं मिल रहा है। जो व्यक्ति उसे ला दे उसको एक ऊँट का बोझभर ग़ल्ला इनाम मिलेगा। मैं इसकी ज़िम्मेदारी लेता हूँ।' ([१२] युसूफ: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

قَالُوْا تَاللّٰهِ لَقَدْ عَلِمْتُمْ مَّا جِئْنَا لِنُفْسِدَ فِى الْاَرْضِ وَمَا كُنَّا سَارِقِيْنَ ٧٣

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
tal-lahi
تَٱللَّهِ
क़सम अल्लाह की
laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
ʿalim'tum
عَلِمْتُم
जान लिया तुमने
مَّا
नहीं
ji'nā
جِئْنَا
आए थे हम
linuf'sida
لِنُفْسِدَ
कि हम फ़साद करें
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wamā
وَمَا
और नहीं
kunnā
كُنَّا
हैं हम
sāriqīna
سَٰرِقِينَ
चोरी करने वाले
वे कहने लगे, 'अल्लाह की क़सम! तुम लोग जानते ही हो कि हम इस भू-भाग में बिगाड़ पैदा करने नहीं आए है और न हम चोर है।' ([१२] युसूफ: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

قَالُوْا فَمَا جَزَاۤؤُهٗٓ اِنْ كُنْتُمْ كٰذِبِيْنَ ٧٤

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
famā
فَمَا
तो क्या
jazāuhu
جَزَٰٓؤُهُۥٓ
बदला है उसका
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
kādhibīna
كَٰذِبِينَ
झूठे
उन्होंने कहा, 'यदि तुम झूठे सिद्ध हुए तो फिर उसका दंड क्या है?' ([१२] युसूफ: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

قَالُوْا جَزَاۤؤُهٗ مَنْ وُّجِدَ فِيْ رَحْلِهٖ فَهُوَ جَزَاۤؤُهٗ ۗ كَذٰلِكَ نَجْزِى الظّٰلِمِيْنَ ٧٥

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
jazāuhu
جَزَٰٓؤُهُۥ
बदला उसका
man
مَن
वो है जो
wujida
وُجِدَ
वो पाया गया
فِى
उसके सामान में
raḥlihi
رَحْلِهِۦ
उसके सामान में
fahuwa
فَهُوَ
तो वो ही
jazāuhu
جَزَٰٓؤُهُۥۚ
बदला है उसका
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इस तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
वे बोले, 'उसका दंड यह है कि जिसके सामान में वह मिले वही उसका बदला ठहराया जाए। हम अत्याचारियों को ऐसा ही दंड देते है।' ([१२] युसूफ: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

فَبَدَاَ بِاَوْعِيَتِهِمْ قَبْلَ وِعَاۤءِ اَخِيْهِ ثُمَّ اسْتَخْرَجَهَا مِنْ وِّعَاۤءِ اَخِيْهِۗ كَذٰلِكَ كِدْنَا لِيُوْسُفَۗ مَا كَانَ لِيَأْخُذَ اَخَاهُ فِيْ دِيْنِ الْمَلِكِ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ ۗنَرْفَعُ دَرَجَاتٍ مَّنْ نَّشَاۤءُۗ وَفَوْقَ كُلِّ ذِيْ عِلْمٍ عَلِيْمٌ ٧٦

fabada-a
فَبَدَأَ
पस उसने शुरू किया
bi-awʿiyatihim
بِأَوْعِيَتِهِمْ
उनके थैलों/ख़ुरजियों से
qabla
قَبْلَ
पहले
wiʿāi
وِعَآءِ
थैले/ख़ुरजी से
akhīhi
أَخِيهِ
अपने भाई के
thumma
ثُمَّ
फिर
is'takhrajahā
ٱسْتَخْرَجَهَا
उसने निकाल लिया उसे
min
مِن
थैले/ख़ुरजी से
wiʿāi
وِعَآءِ
थैले/ख़ुरजी से
akhīhi
أَخِيهِۚ
अपने भाई के
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
kid'nā
كِدْنَا
तदबीर की हमने
liyūsufa
لِيُوسُفَۖ
यूसुफ़ के लिए
مَا
ना
kāna
كَانَ
था वो
liyakhudha
لِيَأْخُذَ
कि वो पकड़ सके
akhāhu
أَخَاهُ
अपने भाई को
فِى
दीन/क़ानून में
dīni
دِينِ
दीन/क़ानून में
l-maliki
ٱلْمَلِكِ
बादशाह के
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yashāa
يَشَآءَ
जो चाहे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
narfaʿu
نَرْفَعُ
हम बुलंद करते हैं
darajātin
دَرَجَٰتٍ
दरजात
man
مَّن
जिसके
nashāu
نَّشَآءُۗ
हम चाहते हैं
wafawqa
وَفَوْقَ
और ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
dhī
ذِى
इल्म वाले के
ʿil'min
عِلْمٍ
इल्म वाले के
ʿalīmun
عَلِيمٌ
एक ख़ूब इल्म वाला है
फिर उसके भाई की खुरजी से पहले उनकी ख़ुरजियाँ देखनी शुरू की; फिर उसके भाई की ख़ुरजी से उसे बरामद कर लिया। इस प्रकार हमने यूसुफ़ का उपाय किया। वह शाही क़ानून के अनुसार अपने भाई को प्राप्त नहीं कर सकता था। बल्कि अल्लाह ही की इच्छा लागू है। हम जिसको चाहे उसके दर्जे ऊँचे कर दें। और प्रत्येक ज्ञानवान से ऊपर एक ज्ञानवान मौजूद है ([१२] युसूफ: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

۞ قَالُوْٓا اِنْ يَّسْرِقْ فَقَدْ سَرَقَ اَخٌ لَّهٗ مِنْ قَبْلُۚ فَاَسَرَّهَا يُوْسُفُ فِيْ نَفْسِهٖ وَلَمْ يُبْدِهَا لَهُمْۚ قَالَ اَنْتُمْ شَرٌّ مَّكَانًا ۚوَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا تَصِفُوْنَ ٧٧

qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
in
إِن
अगर
yasriq
يَسْرِقْ
इसने चोरी की है
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
saraqa
سَرَقَ
चोरी की थी
akhun
أَخٌ
भाई ने
lahu
لَّهُۥ
इसके
min
مِن
इससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُۚ
इससे क़ब्ल
fa-asarrahā
فَأَسَرَّهَا
तो छुपा लिया इस बात को
yūsufu
يُوسُفُ
यूसुफ़ ने
فِى
अपने दिल में
nafsihi
نَفْسِهِۦ
अपने दिल में
walam
وَلَمْ
और नहीं
yub'dihā
يُبْدِهَا
उसने ज़ाहिर किया उसे
lahum
لَهُمْۚ
उनके लिए
qāla
قَالَ
कहा
antum
أَنتُمْ
तुम
sharrun
شَرٌّ
बुरे हो
makānan
مَّكَانًاۖ
मक़ाम में
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
bimā
بِمَا
उसे जो
taṣifūna
تَصِفُونَ
तुम बयान कर रहे हो
उन्होंने कहा, 'यदि यह चोरी करता है तो चोरी तो इससे पहले इसका एक भाई भी कर चुका है।' किन्तु यूसुफ़ ने इसे अपने जी ही में रखा और उनपर प्रकट नहीं किया। उसने कहा, 'मक़ाम की दृष्टि से तुम अत्यन्त बुरे हो। जो कुछ तुम बताते हो, अल्लाह को उसका पूरा ज्ञान है।' ([१२] युसूफ: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

قَالُوْا يٰٓاَيُّهَا الْعَزِيْزُ اِنَّ لَهٗٓ اَبًا شَيْخًا كَبِيْرًا فَخُذْ اَحَدَنَا مَكَانَهٗ ۚاِنَّا نَرٰىكَ مِنَ الْمُحْسِنِيْنَ ٧٨

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ अज़ीज़
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
ऐ अज़ीज़
inna
إِنَّ
बेशक
lahu
لَهُۥٓ
इसका
aban
أَبًا
बाप
shaykhan
شَيْخًا
बूढ़ा
kabīran
كَبِيرًا
बड़ी उम्र का है
fakhudh
فَخُذْ
पस तू रख ले
aḥadanā
أَحَدَنَا
हम में से किसी एक को
makānahu
مَكَانَهُۥٓۖ
इसकी जगह
innā
إِنَّا
बेशक हम
narāka
نَرَىٰكَ
हम देखते हैं तुझे
mina
مِنَ
मोहसिनीन में से
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
मोहसिनीन में से
उन्होंने कहा, 'ऐ अज़ीज़! इसका बाप बहुत ही बूढ़ा है। इसलिए इसके स्थान पर हममें से किसी को रख लीजिए। हमारी स्पष्ट में तो आप बड़े ही सुकर्मी है।' ([१२] युसूफ: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

قَالَ مَعَاذَ اللّٰهِ اَنْ نَّأْخُذَ اِلَّا مَنْ وَّجَدْنَا مَتَاعَنَا عِنْدَهٗٓ ۙاِنَّآ اِذًا لَّظٰلِمُوْنَ ࣖ ٧٩

qāla
قَالَ
उसने कहा
maʿādha
مَعَاذَ
पनाह
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
an
أَن
कि
nakhudha
نَّأْخُذَ
हम पकड़ें
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
उसको
wajadnā
وَجَدْنَا
पाया हमने
matāʿanā
مَتَٰعَنَا
सामान अपना
ʿindahu
عِندَهُۥٓ
पास जिसके
innā
إِنَّآ
बेशक हम
idhan
إِذًا
तब
laẓālimūna
لَّظَٰلِمُونَ
अलबत्ता ज़ालिम होंगे
उसने कहा, 'इस बात से अल्लाह पनाह में रखे कि जिसके पास हमने अपना माल पाया है, उसे छोड़कर हम किसी दूसरे को रखें। फिर तो हम अत्याचारी ठहगेंगे।' ([१२] युसूफ: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

فَلَمَّا اسْتَا۟يْـَٔسُوْا مِنْهُ خَلَصُوْا نَجِيًّاۗ قَالَ كَبِيْرُهُمْ اَلَمْ تَعْلَمُوْٓا اَنَّ اَبَاكُمْ قَدْ اَخَذَ عَلَيْكُمْ مَّوْثِقًا مِّنَ اللّٰهِ وَمِنْ قَبْلُ مَا فَرَّطْتُّمْ فِيْ يُوْسُفَ فَلَنْ اَبْرَحَ الْاَرْضَ حَتّٰى يَأْذَنَ لِيْٓ اَبِيْٓ اَوْ يَحْكُمَ اللّٰهُ لِيْۚ وَهُوَ خَيْرُ الْحٰكِمِيْنَ ٨٠

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
is'tayasū
ٱسْتَيْـَٔسُوا۟
वो मायूस हो गए
min'hu
مِنْهُ
उस से
khalaṣū
خَلَصُوا۟
वो अलग हुए
najiyyan
نَجِيًّاۖ
सरगोशी के लिए
qāla
قَالَ
कहा
kabīruhum
كَبِيرُهُمْ
उनके बड़े ने
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
taʿlamū
تَعْلَمُوٓا۟
तुम जानते
anna
أَنَّ
कि बेशक
abākum
أَبَاكُمْ
तुम्हारे वालिद ने
qad
قَدْ
तहक़ीक़
akhadha
أَخَذَ
लिया था
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम से
mawthiqan
مَّوْثِقًا
पुख़्ता वादा
mina
مِّنَ
अल्लाह (के नाम) से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह (के नाम) से
wamin
وَمِن
और इससे पहले
qablu
قَبْلُ
और इससे पहले
مَا
जो
farraṭtum
فَرَّطتُمْ
कोताही कर चुके तुम
فِى
यूसुफ़ के मामले में
yūsufa
يُوسُفَۖ
यूसुफ़ के मामले में
falan
فَلَنْ
तो हरगिज़ ना
abraḥa
أَبْرَحَ
मैं टलूँगा
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
(इस) ज़मीन से
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yadhana
يَأْذَنَ
इजाज़त दे
لِىٓ
मुझे
abī
أَبِىٓ
मेरा वालिद
aw
أَوْ
या
yaḥkuma
يَحْكُمَ
फ़ैसला कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
لِىۖ
मेरे लिए
wahuwa
وَهُوَ
और वो
khayru
خَيْرُ
बेहतर है
l-ḥākimīna
ٱلْحَٰكِمِينَ
सब फ़ैसला करने वालों से
तो जब से वे उससे निराश हो गए तो परामर्श करने के लिए अलग जा बैठे। उनमें जो बड़ा था, वह कहने लगा, 'क्या तुम जानते नहीं कि तुम्हारा बाप अल्लाह के नाम पर तुमसे वचन ले चुका है और उसको जो इससे पहले यूसुफ़ के मामले में तुमसे क़सूर हो चुका है? मैं तो इस भू-भाग से कदापि टलने का नहीं जब तक कि मेरे बाप मुझे अनुमति न दें या अल्लाह ही मेरे हक़ में कोई फ़ैसला कर दे। और वही सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है ([१२] युसूफ: 80)
Tafseer (तफ़सीर )