Skip to content

सूरा युसूफ - Page: 7

Yusuf

(यूसुफ़)

६१

قَالُوْا سَنُرَاوِدُ عَنْهُ اَبَاهُ وَاِنَّا لَفَاعِلُوْنَ ٦١

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
sanurāwidu
سَنُرَٰوِدُ
ज़रूर हम आमादा करेंगे
ʿanhu
عَنْهُ
उसके बारे में
abāhu
أَبَاهُ
उसके वालिद को
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lafāʿilūna
لَفَٰعِلُونَ
ज़रूर करने वाले हैं
वे बोले, 'हम उसके लिए उसके बाप को राज़ी करने की कोशिश करेंगे और हम यह काम अवश्य करेंगे।' ([१२] युसूफ: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

وَقَالَ لِفِتْيٰنِهِ اجْعَلُوْا بِضَاعَتَهُمْ فِيْ رِحَالِهِمْ لَعَلَّهُمْ يَعْرِفُوْنَهَآ اِذَا انْقَلَبُوْٓا اِلٰٓى اَهْلِهِمْ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَ ٦٢

waqāla
وَقَالَ
और उसने कहा
lifit'yānihi
لِفِتْيَٰنِهِ
अपने ग़ुलामों को
ij'ʿalū
ٱجْعَلُوا۟
रख दो
biḍāʿatahum
بِضَٰعَتَهُمْ
पूँजी/सरमाया इनका
فِى
उनके सामाने सफ़र में
riḥālihim
رِحَالِهِمْ
उनके सामाने सफ़र में
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
शायद कि वो
yaʿrifūnahā
يَعْرِفُونَهَآ
वो उसे पहचान जाऐं
idhā
إِذَا
जब
inqalabū
ٱنقَلَبُوٓا۟
वो पलटें
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने घर वालों के
ahlihim
أَهْلِهِمْ
तरफ़ अपने घर वालों के
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
शायद कि वो
yarjiʿūna
يَرْجِعُونَ
वो लौट आऐं
उसने अपने सेवकों से कहा, 'इनका दिया हुआ माल इनके सामान में रख दो कि जब ये अपने घरवालों की ओर लौटें तो इसे पहचान लें, ताकि ये फिर लौटकर आएँ।' ([१२] युसूफ: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

فَلَمَّا رَجَعُوْٓا اِلٰٓى اَبِيْهِمْ قَالُوْا يٰٓاَبَانَا مُنِعَ مِنَّا الْكَيْلُ فَاَرْسِلْ مَعَنَآ اَخَانَا نَكْتَلْ وَاِنَّا لَهٗ لَحٰفِظُوْنَ ٦٣

falammā
فَلَمَّا
तो जब
rajaʿū
رَجَعُوٓا۟
वो लौटे
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने वालिद के
abīhim
أَبِيهِمْ
तरफ़ अपने वालिद के
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
yāabānā
يَٰٓأَبَانَا
ऐ हमारे अब्बा जान
muniʿa
مُنِعَ
रोक दिया गया
minnā
مِنَّا
हमसे
l-kaylu
ٱلْكَيْلُ
पैमाना (ग़ल्ला)
fa-arsil
فَأَرْسِلْ
तो भेज दें
maʿanā
مَعَنَآ
साथ हमारे
akhānā
أَخَانَا
हमारे भाई को
naktal
نَكْتَلْ
हम नाप भर ग़ल्ला लाऐं
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lahu
لَهُۥ
उसकी
laḥāfiẓūna
لَحَٰفِظُونَ
अलबत्ता हिफ़ाज़त करने वाले हैं
फिर जब वे अपने बाप के पास लौटकर गए तो कहा, 'ऐ मेरे बाप! (अनाज की) माप हमसे रोक दी गई है। अतः हमारे भाई को हमारे साथ भेज दीजिए, ताकि हम माप भर लाएँ; और हम उसकी रक्षा के लिए तो मौजूद ही हैं।' ([१२] युसूफ: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

قَالَ هَلْ اٰمَنُكُمْ عَلَيْهِ اِلَّا كَمَآ اَمِنْتُكُمْ عَلٰٓى اَخِيْهِ مِنْ قَبْلُۗ فَاللّٰهُ خَيْرٌ حٰفِظًا وَّهُوَ اَرْحَمُ الرّٰحِمِيْنَ ٦٤

qāla
قَالَ
कहा
hal
هَلْ
नहीं
āmanukum
ءَامَنُكُمْ
मैं ऐतबार कर सकता तुम पर
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इसके मामले में
illā
إِلَّا
मगर
kamā
كَمَآ
जैसा कि
amintukum
أَمِنتُكُمْ
ऐतबार किया था मैंने तुम पर
ʿalā
عَلَىٰٓ
उसके भाई के मामले में
akhīhi
أَخِيهِ
उसके भाई के मामले में
min
مِن
इससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُۖ
इससे क़ब्ल
fal-lahu
فَٱللَّهُ
पस अल्लाह
khayrun
خَيْرٌ
बेहतरीन
ḥāfiẓan
حَٰفِظًاۖ
हिफ़ाज़त करने वाला है
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही
arḥamu
أَرْحَمُ
सबसे ज़्यादा रहम करने वाला है
l-rāḥimīna
ٱلرَّٰحِمِينَ
रहम करने वालों से
उसने कहा, 'क्या मैं उसके मामले में तुमपर वैसा ही भरोसा करूँ जैसा इससे पहले उसके भाई के मामले में तुमपर भरोसा कर चुका हूँ? हाँ, अल्लाह ही सबसे अच्छ रक्षक है और वह सबसे बढ़कर दयावान है।' ([१२] युसूफ: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

وَلَمَّا فَتَحُوْا مَتَاعَهُمْ وَجَدُوْا بِضَاعَتَهُمْ رُدَّتْ اِلَيْهِمْۗ قَالُوْا يٰٓاَبَانَا مَا نَبْغِيْۗ هٰذِهٖ بِضَاعَتُنَا رُدَّتْ اِلَيْنَا وَنَمِيْرُ اَهْلَنَا وَنَحْفَظُ اَخَانَا وَنَزْدَادُ كَيْلَ بَعِيْرٍۗ ذٰلِكَ كَيْلٌ يَّسِيْرٌ ٦٥

walammā
وَلَمَّا
और जब
fataḥū
فَتَحُوا۟
उन्होंने खोला
matāʿahum
مَتَٰعَهُمْ
सामान अपना
wajadū
وَجَدُوا۟
उन्होंने पाया
biḍāʿatahum
بِضَٰعَتَهُمْ
अपनी पूँजी को
ruddat
رُدَّتْ
जो लौटा दी गई है
ilayhim
إِلَيْهِمْۖ
तरफ़ उनके
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
yāabānā
يَٰٓأَبَانَا
ऐ हमारे अब्बा जान
مَا
क्या (और)
nabghī
نَبْغِىۖ
हम चाहते हैं
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये है
biḍāʿatunā
بِضَٰعَتُنَا
पूँजी हमारी
ruddat
رُدَّتْ
जो लौटा दी गई है
ilaynā
إِلَيْنَاۖ
तरफ़ हमारे
wanamīru
وَنَمِيرُ
और हम ग़ल्ला लाऐंगे
ahlanā
أَهْلَنَا
अपने घर वालों के लिए
wanaḥfaẓu
وَنَحْفَظُ
और हम हिफ़ाज़त करेंगे
akhānā
أَخَانَا
अपने भाई की
wanazdādu
وَنَزْدَادُ
और हम ज़्यादा लेंगे
kayla
كَيْلَ
पैमाना (ग़ल्ला)
baʿīrin
بَعِيرٍۖ
एक ऊँट का
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
kaylun
كَيْلٌ
पैमाना (ग़ल्ला) है
yasīrun
يَسِيرٌ
बहुत आसान
जब उन्होंने अपना सामान खोला, तो उन्होंने अपने माल अपनी ओर वापस किया हुआ पाया। वे बोले, 'ऐ मेरे बाप, हमें और क्या चाहिए! यह हमारा माल भी तो हमें लौटा दिया गया है। अब हम अपने घरवालों के लिए खाद्य-सामग्री लाएँगे और अपने भाई की रक्षा भी करेंगे। और एक ऊँट के बोझभर और अधिक लेंगे। इतना माप (ग़ल्ला) मिल जाना तो बिलकुल आसान है।' ([१२] युसूफ: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

قَالَ لَنْ اُرْسِلَهٗ مَعَكُمْ حَتّٰى تُؤْتُوْنِ مَوْثِقًا مِّنَ اللّٰهِ لَتَأْتُنَّنِيْ بِهٖٓ اِلَّآ اَنْ يُّحَاطَ بِكُمْۚ فَلَمَّآ اٰتَوْهُ مَوْثِقَهُمْ قَالَ اللّٰهُ عَلٰى مَا نَقُوْلُ وَكِيْلٌ ٦٦

qāla
قَالَ
कहा
lan
لَنْ
हरगिज़ नहीं
ur'silahu
أُرْسِلَهُۥ
मैं भेजूँगा उसे
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ तुम्हारे
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tu'tūni
تُؤْتُونِ
तुम दो मुझे
mawthiqan
مَوْثِقًا
पुख़्ता वादा
mina
مِّنَ
अल्लाह (के नाम) से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह (के नाम) से
latatunnanī
لَتَأْتُنَّنِى
अलबत्ता तुम ज़रूर लाओगे मेरे पास
bihi
بِهِۦٓ
उसे
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yuḥāṭa
يُحَاطَ
घेर लिया जाए
bikum
بِكُمْۖ
तुम्हें
falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
ātawhu
ءَاتَوْهُ
उन्होंने दिया उसे
mawthiqahum
مَوْثِقَهُمْ
पुख़्ता वादा अपना
qāla
قَالَ
उसने कहा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
naqūlu
نَقُولُ
हम कहते है
wakīlun
وَكِيلٌ
निगहबान है
उसने कहा, 'मैं उसे तुम्हारे साथ कदापि नहीं भेज सकता। जब तक कि तुम अल्लाह को गवाह बनाकर मुझे पक्का वचन न दो कि तुम उसे मेरे पास अवश्य लाओगे, यह और बात है कि तुम घिर जाओ।' फिर जब उन्होंने उसे अपना वचन दे दिया तो उसने कहा, 'हम जो कुछ कर रहे है वह अल्लाह के हवाले है।' ([१२] युसूफ: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

وَقَالَ يٰبَنِيَّ لَا تَدْخُلُوْا مِنْۢ بَابٍ وَّاحِدٍ وَّادْخُلُوْا مِنْ اَبْوَابٍ مُّتَفَرِّقَةٍۗ وَمَآ اُغْنِيْ عَنْكُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ شَيْءٍۗ اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ۗعَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَعَلَيْهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُوْنَ ٦٧

waqāla
وَقَالَ
और उसने कहा
yābaniyya
يَٰبَنِىَّ
ऐ मेरे बेटो
لَا
ना तुम दाख़िल होना
tadkhulū
تَدْخُلُوا۟
ना तुम दाख़िल होना
min
مِنۢ
दरवाज़े से
bābin
بَابٍ
दरवाज़े से
wāḥidin
وَٰحِدٍ
एक ही
wa-ud'khulū
وَٱدْخُلُوا۟
और तुम दाख़िल होना
min
مِنْ
दरवाज़ों से
abwābin
أَبْوَٰبٍ
दरवाज़ों से
mutafarriqatin
مُّتَفَرِّقَةٍۖ
मुख़्तलिफ़
wamā
وَمَآ
और नहीं
ugh'nī
أُغْنِى
मैं बचा सकता
ʿankum
عَنكُم
तुम्हें
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
min
مِن
कुछ भी
shayin
شَىْءٍۖ
कुछ भी
ini
إِنِ
नहीं
l-ḥuk'mu
ٱلْحُكْمُ
फ़ैसला
illā
إِلَّا
मगर
lillahi
لِلَّهِۖ
अल्लाह ही के लिए
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उसी पर
tawakkaltu
تَوَكَّلْتُۖ
तवक्कल किया मैंने
waʿalayhi
وَعَلَيْهِ
और उसी पर
falyatawakkali
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल करें
l-mutawakilūna
ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
तवक्कल करने वाले
उसने यह भी कहा, 'ऐ मेरे बेटो! एक द्वार से प्रवेश न करना, बल्कि विभिन्न द्वारों से प्रवेश करना यद्यपि मैं अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे काम नहीं आ सकता आदेश तो बस अल्लाह ही का चलता है। उसी पर मैंने भरोसा किया और भरोसा करनेवालों को उसी पर भरोसा करना चाहिए।' ([१२] युसूफ: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

وَلَمَّا دَخَلُوْا مِنْ حَيْثُ اَمَرَهُمْ اَبُوْهُمْۗ مَا كَانَ يُغْنِيْ عَنْهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ شَيْءٍ اِلَّا حَاجَةً فِيْ نَفْسِ يَعْقُوْبَ قَضٰىهَاۗ وَاِنَّهٗ لَذُوْ عِلْمٍ لِّمَا عَلَّمْنٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ٦٨

walammā
وَلَمَّا
और जब
dakhalū
دَخَلُوا۟
वो दाख़िल हुए
min
مِنْ
जहाँ से
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ से
amarahum
أَمَرَهُمْ
हुक्म दिया था उन्हें
abūhum
أَبُوهُم
उनके वालिद ने
مَّا
ना
kāna
كَانَ
था कि
yugh'nī
يُغْنِى
काम आता
ʿanhum
عَنْهُم
उन्हें
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
min
مِن
कुछ भी
shayin
شَىْءٍ
कुछ भी
illā
إِلَّا
मगर
ḥājatan
حَاجَةً
एक हाजत थी
فِى
दिल में
nafsi
نَفْسِ
दिल में
yaʿqūba
يَعْقُوبَ
याक़ूब के
qaḍāhā
قَضَىٰهَاۚ
उसने पूरा किया जिसे
wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
ladhū
لَذُو
अल्बत्ता इल्म वाला था
ʿil'min
عِلْمٍ
अल्बत्ता इल्म वाला था
limā
لِّمَا
बवजह उसके जो
ʿallamnāhu
عَلَّمْنَٰهُ
सिखाया था हमने उसे
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
और जब उन्होंने प्रवेश किया जिस तरह से उनके बाप ने उन्हें आदेश दिया था - अल्लाह की ओर से होनेवाली किसी चीज़ को वह उनसे हटा नहीं सकता था। बस याक़ूब के जी की एक इच्छा थी, जो उसने पूरी कर ली। और निस्संदेह वह ज्ञानवान था, क्योंकि हमने उसे ज्ञान प्रदान किया था; किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं - ([१२] युसूफ: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

وَلَمَّا دَخَلُوْا عَلٰى يُوْسُفَ اٰوٰٓى اِلَيْهِ اَخَاهُ قَالَ اِنِّيْٓ اَنَا۠ اَخُوْكَ فَلَا تَبْتَىِٕسْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٦٩

walammā
وَلَمَّا
और जब
dakhalū
دَخَلُوا۟
वो दाख़िल हुए
ʿalā
عَلَىٰ
यूसुफ़ पर
yūsufa
يُوسُفَ
यूसुफ़ पर
āwā
ءَاوَىٰٓ
उसने जगह दी
ilayhi
إِلَيْهِ
अपने पास
akhāhu
أَخَاهُۖ
अपने भाई को
qāla
قَالَ
उसने कहा
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
anā
أَنَا۠
मैं ही
akhūka
أَخُوكَ
तेरा भाई हूँ
falā
فَلَا
पस ना
tabta-is
تَبْتَئِسْ
तू रंज कर
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
और जब उन्होंने यूसुफ़ के यहाँ प्रवेश किया तो उसने अपने भाई को अपने पास जगह दी और कहा, 'मैं तेरा भाई हूँ। जो कुछ ये करते रहे हैं, अब तू उसपर दुखी न हो।' ([१२] युसूफ: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

فَلَمَّا جَهَّزَهُمْ بِجَهَازِهِمْ جَعَلَ السِّقَايَةَ فِيْ رَحْلِ اَخِيْهِ ثُمَّ اَذَّنَ مُؤَذِّنٌ اَيَّتُهَا الْعِيْرُ اِنَّكُمْ لَسَارِقُوْنَ ٧٠

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
jahhazahum
جَهَّزَهُم
उसने तैयार करके दिया उन्हें
bijahāzihim
بِجَهَازِهِمْ
सामान उनका
jaʿala
جَعَلَ
उसने रख दिया
l-siqāyata
ٱلسِّقَايَةَ
प्याला
فِى
सामान में
raḥli
رَحْلِ
सामान में
akhīhi
أَخِيهِ
अपने भाई के
thumma
ثُمَّ
फिर
adhana
أَذَّنَ
पुकारा
mu-adhinun
مُؤَذِّنٌ
एक पुकारने वाले ने
ayyatuhā
أَيَّتُهَا
ऐ क़ाफ़िले वालो
l-ʿīru
ٱلْعِيرُ
ऐ क़ाफ़िले वालो
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
lasāriqūna
لَسَٰرِقُونَ
अलबत्ता चोर हो
फिर जब उनका सामान तैयार कर दिया तो अपने भाई के सामान में पानी पीने का प्याला रख दिया। फिर एक पुकारनेवाले ने पुकारकर कहा, 'ऐ क़ाफ़िलेवालो! निश्चय ही तुम चोर हो।' ([१२] युसूफ: 70)
Tafseer (तफ़सीर )