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सूरा युसूफ - Page: 5

Yusuf

(यूसुफ़)

४१

يٰصَاحِبَيِ السِّجْنِ اَمَّآ اَحَدُكُمَا فَيَسْقِيْ رَبَّهٗ خَمْرًا ۗوَاَمَّا الْاٰخَرُ فَيُصْلَبُ فَتَأْكُلُ الطَّيْرُ مِنْ رَّأْسِهٖ ۗ قُضِيَ الْاَمْرُ الَّذِيْ فِيْهِ تَسْتَفْتِيٰنِۗ ٤١

yāṣāḥibayi
يَٰصَىٰحِبَىِ
ऐ मेरे दो साथियो
l-sij'ni
ٱلسِّجْنِ
क़ैद ख़ाने के
ammā
أَمَّآ
रहा
aḥadukumā
أَحَدُكُمَا
तुम दोनों में से एक
fayasqī
فَيَسْقِى
पस वो पिलाएगा
rabbahu
رَبَّهُۥ
अपने आक़ा को
khamran
خَمْرًاۖ
शराब
wa-ammā
وَأَمَّا
और रहा
l-ākharu
ٱلْءَاخَرُ
दूसरा
fayuṣ'labu
فَيُصْلَبُ
पस वो सूली चढ़ाया जाएगा
fatakulu
فَتَأْكُلُ
तो खाऐंगे
l-ṭayru
ٱلطَّيْرُ
परिन्दे
min
مِن
उसके सर से
rasihi
رَّأْسِهِۦۚ
उसके सर से
quḍiya
قُضِىَ
फ़ैसला कर दिया गया
l-amru
ٱلْأَمْرُ
मामले का
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
fīhi
فِيهِ
जिस (के बारे) में
tastaftiyāni
تَسْتَفْتِيَانِ
तुम दोनों पूछते हो
ऐ कारागार के मेरे दोनों साथियों! तुममें से एक तो अपने स्वामी को मद्यपान कराएगा; रहा दूसरा तो उसे सूली पर चढ़ाया जाएगा और पक्षी उसका सिर खाएँगे। फ़ैसला हो चुका उस बात का जिसके विषय में तुम मुझसे पूछ रहे हो।' ([१२] युसूफ: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

وَقَالَ لِلَّذِيْ ظَنَّ اَنَّهٗ نَاجٍ مِّنْهُمَا اذْكُرْنِيْ عِنْدَ رَبِّكَۖ فَاَنْسٰىهُ الشَّيْطٰنُ ذِكْرَ رَبِّهٖ فَلَبِثَ فِى السِّجْنِ بِضْعَ سِنِيْنَ ࣖ ٤٢

waqāla
وَقَالَ
और कहा
lilladhī
لِلَّذِى
उसे जिसका
ẓanna
ظَنَّ
उसे यक़ीन था
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
nājin
نَاجٍ
निजात पाने वाला है
min'humā
مِّنْهُمَا
उन दोनों में से
udh'kur'nī
ٱذْكُرْنِى
ज़िक्र करना मेरा
ʿinda
عِندَ
पास
rabbika
رَبِّكَ
अपने आक़ा के
fa-ansāhu
فَأَنسَىٰهُ
तो भुला दिया उसे
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान ने
dhik'ra
ذِكْرَ
ज़िक्र करना
rabbihi
رَبِّهِۦ
अपने आक़ा से
falabitha
فَلَبِثَ
तो वो ठहरा रहा
فِى
क़ैद ख़ाने में
l-sij'ni
ٱلسِّجْنِ
क़ैद ख़ाने में
biḍ'ʿa
بِضْعَ
चन्द
sinīna
سِنِينَ
साल
उन दोनों में से जिसके विषय में उसने समझा था कि वह रिहा हो जाएगा, उससे कहा, 'अपने स्वामी से मेरी चर्चा करना।' किन्तु शैतान ने अपने स्वामी से उसकी चर्चा करना भुलवा दिया। अतः वह (यूसुफ़) कई वर्ष तक कारागार ही में रहा ([१२] युसूफ: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

وَقَالَ الْمَلِكُ اِنِّيْٓ اَرٰى سَبْعَ بَقَرٰتٍ سِمَانٍ يَّأْكُلُهُنَّ سَبْعٌ عِجَافٌ وَّسَبْعَ سُنْۢبُلٰتٍ خُضْرٍ وَّاُخَرَ يٰبِسٰتٍۗ يٰٓاَيُّهَا الْمَلَاُ اَفْتُوْنِيْ فِيْ رُؤْيَايَ اِنْ كُنْتُمْ لِلرُّءْيَا تَعْبُرُوْنَ ٤٣

waqāla
وَقَالَ
और कहा
l-maliku
ٱلْمَلِكُ
बादशाह ने
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
arā
أَرَىٰ
मैं देखता हूँ
sabʿa
سَبْعَ
सात
baqarātin
بَقَرَٰتٍ
गायें
simānin
سِمَانٍ
मोटी
yakuluhunna
يَأْكُلُهُنَّ
खा रही हैं उन्हें
sabʿun
سَبْعٌ
सात
ʿijāfun
عِجَافٌ
दुबली
wasabʿa
وَسَبْعَ
और सात
sunbulātin
سُنۢبُلَٰتٍ
बालियाँ
khuḍ'rin
خُضْرٍ
सरसब्ज़
wa-ukhara
وَأُخَرَ
और दूसरी
yābisātin
يَابِسَٰتٍۖ
ख़ुश्क
yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ सरदारो
l-mala-u
ٱلْمَلَأُ
ऐ सरदारो
aftūnī
أَفْتُونِى
जवाब दो मुझे
فِى
मेरे ख़्वाब के बारे में
ru'yāya
رُءْيَٰىَ
मेरे ख़्वाब के बारे में
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
lilrru'yā
لِلرُّءْيَا
ख़्वाब की
taʿburūna
تَعْبُرُونَ
तुम ताबीर करते
फिर ऐसा हुआ कि सम्राट ने कहा, 'मैं एक स्वप्न देखा कि सात मोटी गायों को सात दुबली गायें खा रही है और सात बालें हरी है और दूसरी (सात सूखी) । ऐ सरदारों! यदि तुम स्वप्न का अर्थ बताते हो, तो मुझे मेरे इस स्वप्न के सम्बन्ध में बताओ।' ([१२] युसूफ: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

قَالُوْٓا اَضْغَاثُ اَحْلَامٍ ۚوَمَا نَحْنُ بِتَأْوِيْلِ الْاَحْلَامِ بِعٰلِمِيْنَ ٤٤

qālū
قَالُوٓا۟
उन्हों कहा
aḍghāthu
أَضْغَٰثُ
परेशान
aḥlāmin
أَحْلَٰمٍۖ
ख़्वाब हैं
wamā
وَمَا
और नहीं
naḥnu
نَحْنُ
हम
bitawīli
بِتَأْوِيلِ
ताबीर को
l-aḥlāmi
ٱلْأَحْلَٰمِ
ख़्वाबों की
biʿālimīna
بِعَٰلِمِينَ
जानने वाले
उन्होंने कहा, 'ये तो सम्भ्रमित स्वप्न है। हम ऐसे स्वप्न का अर्थ नहीं जानते।' ([१२] युसूफ: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَقَالَ الَّذِيْ نَجَا مِنْهُمَا وَادَّكَرَ بَعْدَ اُمَّةٍ اَنَا۠ اُنَبِّئُكُمْ بِتَأْوِيْلِهٖ فَاَرْسِلُوْنِ ٤٥

waqāla
وَقَالَ
और कहा
alladhī
ٱلَّذِى
उस शख़्स ने जो
najā
نَجَا
निजात पा गया था
min'humā
مِنْهُمَا
उन दोनों में से
wa-iddakara
وَٱدَّكَرَ
और उसे याद आ गया
baʿda
بَعْدَ
बाद
ummatin
أُمَّةٍ
एक मुद्दत के
anā
أَنَا۠
मैं
unabbi-ukum
أُنَبِّئُكُم
मैं बताता हूँ तुम्हें
bitawīlihi
بِتَأْوِيلِهِۦ
ताबीर इसकी
fa-arsilūni
فَأَرْسِلُونِ
पस भेजो मुझे
इतने में दोनों में सो जो रिहा हो गया था और एक अर्से के बाद उसे याद आया तो वह बोला, 'मैं इसका अर्थ तुम्हें बताता हूँ। ज़रा मुझे (यूसुफ़ के पास) भेज दीजिए।' ([१२] युसूफ: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

يُوْسُفُ اَيُّهَا الصِّدِّيْقُ اَفْتِنَا فِيْ سَبْعِ بَقَرٰتٍ سِمَانٍ يَّأْكُلُهُنَّ سَبْعٌ عِجَافٌ وَّسَبْعِ سُنْۢبُلٰتٍ خُضْرٍ وَّاُخَرَ يٰبِسٰتٍۙ لَّعَلِّيْٓ اَرْجِعُ اِلَى النَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَعْلَمُوْنَ ٤٦

yūsufu
يُوسُفُ
यूसुफ़
ayyuhā
أَيُّهَا
ऐ बहुत सच्चे
l-ṣidīqu
ٱلصِّدِّيقُ
ऐ बहुत सच्चे
aftinā
أَفْتِنَا
बताओ हमें
فِى
सात गायों के बारे में
sabʿi
سَبْعِ
सात गायों के बारे में
baqarātin
بَقَرَٰتٍ
सात गायों के बारे में
simānin
سِمَانٍ
मोटी
yakuluhunna
يَأْكُلُهُنَّ
खा रही हैं उन्हें
sabʿun
سَبْعٌ
सात
ʿijāfun
عِجَافٌ
दुबली
wasabʿi
وَسَبْعِ
और सात
sunbulātin
سُنۢبُلَٰتٍ
बालियाँ
khuḍ'rin
خُضْرٍ
सरसब्ज़
wa-ukhara
وَأُخَرَ
और दूसरी
yābisātin
يَابِسَٰتٍ
ख़ुश्क
laʿallī
لَّعَلِّىٓ
ताकि मैं
arjiʿu
أَرْجِعُ
मैं लौटूँ
ilā
إِلَى
तरफ़ लोगों के
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
तरफ़ लोगों के
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
शायद कि वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जान लें
'यूसुफ़, ऐ सत्यवान! हमें इसका अर्थ बता कि सात मोटी गायें है, जिन्हें सात दुबली गायें खा रही है और सात हरी बालें है और दूसरी (सात) सूखी, ताकि मैं लोगों के पास लौटकर जाऊँ कि वे जान लें।' ([१२] युसूफ: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

قَالَ تَزْرَعُوْنَ سَبْعَ سِنِيْنَ دَاَبًاۚ فَمَا حَصَدْتُّمْ فَذَرُوْهُ فِيْ سُنْۢبُلِهٖٓ اِلَّا قَلِيْلًا مِّمَّا تَأْكُلُوْنَ ٤٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
tazraʿūna
تَزْرَعُونَ
तुम खेती-बाड़ी करोगे
sabʿa
سَبْعَ
सात
sinīna
سِنِينَ
साल
da-aban
دَأَبًا
मुतावातिर
famā
فَمَا
पस जो
ḥaṣadttum
حَصَدتُّمْ
काट लो तुम
fadharūhu
فَذَرُوهُ
तो छोड़ देना उसे
فِى
उसकी बाली में
sunbulihi
سُنۢبُلِهِۦٓ
उसकी बाली में
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
थोड़ा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाओ
उसने कहा, 'सात वर्ष तक तुम व्यवहारतः खेती करते रहोगे। फिर तुम जो फ़सल काटो तो थोड़े हिस्से के सिवा जो तुम्हारे खाने के काम आए शेष को उसकी बाली में रहने देना ([१२] युसूफ: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

ثُمَّ يَأْتِيْ مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ سَبْعٌ شِدَادٌ يَّأْكُلْنَ مَا قَدَّمْتُمْ لَهُنَّ اِلَّا قَلِيْلًا مِّمَّا تُحْصِنُوْنَ ٤٨

thumma
ثُمَّ
फिर
yatī
يَأْتِى
आऐंगे
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद इसके
dhālika
ذَٰلِكَ
बाद इसके
sabʿun
سَبْعٌ
सात (साल)
shidādun
شِدَادٌ
सख़्त
yakul'na
يَأْكُلْنَ
खा जाऐंगे
مَا
जो
qaddamtum
قَدَّمْتُمْ
पहले रखा तुमने
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
थोड़ा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
tuḥ'ṣinūna
تُحْصِنُونَ
तुम महफ़ूज़ रखोगे
फिर उसके पश्चात सात कठिन वर्ष आएँगे जो वे सब खा जाएँगे जो तुमने उनके लिए पहले से इकट्ठा कर रखा होगा, सिवाय उस थोड़े-से हिस्से के जो तुम सुरक्षित कर लोगे ([१२] युसूफ: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

ثُمَّ يَأْتِيْ مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ عَامٌ فِيْهِ يُغَاثُ النَّاسُ وَفِيْهِ يَعْصِرُوْنَ ࣖ ٤٩

thumma
ثُمَّ
फिर
yatī
يَأْتِى
आएगा
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद इसके
dhālika
ذَٰلِكَ
बाद इसके
ʿāmun
عَامٌ
एक साल
fīhi
فِيهِ
जिसमें
yughāthu
يُغَاثُ
बारिश दिए जाऐंगे
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोग
wafīhi
وَفِيهِ
और इसमें
yaʿṣirūna
يَعْصِرُونَ
वो रस निचोड़ेंगे
फिर उसके पश्चात एक वर्ष ऐसा आएगा, जिसमें वर्षा द्वारा लोगों की फ़रियाद सुन ली जाएगी और उसमें वे रस निचोड़ेगे।' ([१२] युसूफ: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

وَقَالَ الْمَلِكُ ائْتُوْنِيْ بِهٖ ۚفَلَمَّا جَاۤءَهُ الرَّسُوْلُ قَالَ ارْجِعْ اِلٰى رَبِّكَ فَسْـَٔلْهُ مَا بَالُ النِّسْوَةِ الّٰتِيْ قَطَّعْنَ اَيْدِيَهُنَّ ۗاِنَّ رَبِّيْ بِكَيْدِهِنَّ عَلِيْمٌ ٥٠

waqāla
وَقَالَ
और कहा
l-maliku
ٱلْمَلِكُ
बादशाह ने
i'tūnī
ٱئْتُونِى
लाओ मेरे पास
bihi
بِهِۦۖ
उसे
falammā
فَلَمَّا
तो जब
jāahu
جَآءَهُ
आया उसके पास
l-rasūlu
ٱلرَّسُولُ
पैग़ाम लाने वाला
qāla
قَالَ
कहा (यूसुफ़ ने)
ir'jiʿ
ٱرْجِعْ
वापस जाओ
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने आक़ा के
rabbika
رَبِّكَ
तरफ़ अपने आक़ा के
fasalhu
فَسْـَٔلْهُ
फिर उससे पूछो
مَا
क्या
bālu
بَالُ
हाल है
l-nis'wati
ٱلنِّسْوَةِ
उन औरतों का
allātī
ٱلَّٰتِى
जिन्होंने
qaṭṭaʿna
قَطَّعْنَ
काट लिए थे
aydiyahunna
أَيْدِيَهُنَّۚ
हाथ अपने
inna
إِنَّ
बेशक
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
bikaydihinna
بِكَيْدِهِنَّ
उनकी चाल से
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब वाक़िफ़ है
सम्राट ने कहा, 'उसे मेरे पास ले आओ।' किन्तु जब दूत उसके पास पहुँचा तो उसने कहा, 'अपने स्वामी के पास वापस जाओ और उससे पूछो कि उन स्त्रियों का क्या मामला है, जिन्होंने अपने हाथ घायल कर लिए थे। निस्संदेह मेरा रब उनकी मक्कारी को भली-भाँति जानता है।' ([१२] युसूफ: 50)
Tafseer (तफ़सीर )