Skip to content

सूरा युसूफ - Page: 3

Yusuf

(यूसुफ़)

२१

وَقَالَ الَّذِى اشْتَرٰىهُ مِنْ مِّصْرَ لِامْرَاَتِهٖٓ اَكْرِمِيْ مَثْوٰىهُ عَسٰىٓ اَنْ يَّنْفَعَنَآ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا ۗوَكَذٰلِكَ مَكَّنَّا لِيُوْسُفَ فِى الْاَرْضِۖ وَلِنُعَلِّمَهٗ مِنْ تَأْوِيْلِ الْاَحَادِيْثِۗ وَاللّٰهُ غَالِبٌ عَلٰٓى اَمْرِهٖ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ٢١

waqāla
وَقَالَ
और कहा उस शख़्स ने
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
ish'tarāhu
ٱشْتَرَىٰهُ
ख़रीदा था उसे
min
مِن
मिस्र से
miṣ'ra
مِّصْرَ
मिस्र से
li-im'ra-atihi
لِٱمْرَأَتِهِۦٓ
अपनी बीवी को
akrimī
أَكْرِمِى
बाइज़्ज़त कर
mathwāhu
مَثْوَىٰهُ
ठिकाना इसका
ʿasā
عَسَىٰٓ
उम्मीद है
an
أَن
कि
yanfaʿanā
يَنفَعَنَآ
वो नफ़ा देगा हमें
aw
أَوْ
या
nattakhidhahu
نَتَّخِذَهُۥ
हम बना लेंगे उसे
waladan
وَلَدًاۚ
बेटा
wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
makkannā
مَكَّنَّا
जगह दी हमने
liyūsufa
لِيُوسُفَ
यूसुफ को
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
walinuʿallimahu
وَلِنُعَلِّمَهُۥ
और ताकि हम सिखाऐं उसे
min
مِن
हक़ीक़त में से
tawīli
تَأْوِيلِ
हक़ीक़त में से
l-aḥādīthi
ٱلْأَحَادِيثِۚ
बातों की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghālibun
غَالِبٌ
ग़ालिब है
ʿalā
عَلَىٰٓ
अपने काम पर
amrihi
أَمْرِهِۦ
अपने काम पर
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
मिस्र के जिस व्यक्ति ने उसे ख़रीदा, उसने अपनी स्त्री से कहा, 'इसको अच्छी तरह रखना। बहुत सम्भव है कि यह हमारे काम आए या हम इसे बेटा बना लें।' इस प्रकार हमने उस भूभाग में यूसुफ़ के क़दम जमाने की राह निकाली (ताकि उसे प्रतिष्ठा प्रदान करें) और ताकि मामलों और बातों के परिणाम से हम उसे अवगत कराएँ। अल्लाह तो अपना काम करके रहता है, किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं ([१२] युसूफ: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَلَمَّا بَلَغَ اَشُدَّهٗٓ اٰتَيْنٰهُ حُكْمًا وَّعِلْمًا ۗوَكَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ٢٢

walammā
وَلَمَّا
और जब
balagha
بَلَغَ
वो पहुँचा
ashuddahu
أَشُدَّهُۥٓ
अपनी जवानी को
ātaynāhu
ءَاتَيْنَٰهُ
दिया हमने उसे
ḥuk'man
حُكْمًا
क़ुव्वते फ़ैसला
waʿil'man
وَعِلْمًاۚ
और इल्म
wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों को
और जब वह अपनी जवानी को पहुँचा तो हमने उसे निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया। उत्तमकार लोगों को हम इसी प्रकार बदला देते है ([१२] युसूफ: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَرَاوَدَتْهُ الَّتِيْ هُوَ فِيْ بَيْتِهَا عَنْ نَّفْسِهٖ وَغَلَّقَتِ الْاَبْوَابَ وَقَالَتْ هَيْتَ لَكَ ۗقَالَ مَعَاذَ اللّٰهِ اِنَّهٗ رَبِّيْٓ اَحْسَنَ مَثْوَايَۗ اِنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ٢٣

warāwadathu
وَرَٰوَدَتْهُ
और फुसलाना चाहा उसे
allatī
ٱلَّتِى
उस औरत ने जो
huwa
هُوَ
वो (था)
فِى
घर में जिसके
baytihā
بَيْتِهَا
घर में जिसके
ʿan
عَن
उसके नफ़्स से
nafsihi
نَّفْسِهِۦ
उसके नफ़्स से
waghallaqati
وَغَلَّقَتِ
और उसने अच्छी तरह बन्द कर लिए
l-abwāba
ٱلْأَبْوَٰبَ
दरवाज़े
waqālat
وَقَالَتْ
और वो कहने लगी
hayta
هَيْتَ
आ जाओ तुम
laka
لَكَۚ
आ जाओ तुम
qāla
قَالَ
उसने कहा
maʿādha
مَعَاذَ
पनाह
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह की
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
rabbī
رَبِّىٓ
मेरा रब है
aḥsana
أَحْسَنَ
उसने अच्छा बनाया
mathwāya
مَثْوَاىَۖ
ठिकाना मेरा
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
لَا
नहीं वो फ़लाह पाते
yuf'liḥu
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाते
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं
जिस स्त्री के घर में वह रहता था, वह उस पर डोरे डालने लगी। उसने दरवाज़े बन्द कर दिए और कहने लगी, 'लो, आ जाओ!' उसने कहा, 'अल्लाह की पनाह! मेरे रब ने मुझे अच्छा स्थान दिया है। अत्याचारी कभी सफल नहीं होते।' ([१२] युसूफ: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَلَقَدْ هَمَّتْ بِهٖۙ وَهَمَّ بِهَا ۚ لَوْلَآ اَنْ رَّاٰى بُرْهَانَ رَبِّهٖۗ كَذٰلِكَ لِنَصْرِفَ عَنْهُ السُّوْۤءَ وَالْفَحْشَاۤءَۗ اِنَّهٗ مِنْ عِبَادِنَا الْمُخْلَصِيْنَ ٢٤

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
hammat
هَمَّتْ
उस औरत ने इरादा किया
bihi
بِهِۦۖ
उसका
wahamma
وَهَمَّ
और वो इरादा कर लेता
bihā
بِهَا
उसका
lawlā
لَوْلَآ
अगर ना होता
an
أَن
कि
raā
رَّءَا
वो देखता
bur'hāna
بُرْهَٰنَ
बुरहान/रोशन दलील
rabbihi
رَبِّهِۦۚ
अपने रब की
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह (हुआ)
linaṣrifa
لِنَصْرِفَ
ताकि हम फेर दें
ʿanhu
عَنْهُ
उससे
l-sūa
ٱلسُّوٓءَ
बुराई को
wal-faḥshāa
وَٱلْفَحْشَآءَۚ
और बेहयाई को
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
min
مِنْ
हमारे बन्दों में से था
ʿibādinā
عِبَادِنَا
हमारे बन्दों में से था
l-mukh'laṣīna
ٱلْمُخْلَصِينَ
जो ख़ालिस किए हुए हैं
उसने उसका इरादा कर लिया था। यदि वह अपने रब का स्पष्ट॥ प्रमाण न देख लेता तो वह भी उसका इरादा कर लेता। ऐसा इसलिए हुआ ताकि हम बुराई और अश्लीलता को उससे दूर रखें। निस्संदेह वह हमारे चुने हुए बन्दों में से था ([१२] युसूफ: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَاسْتَبَقَا الْبَابَ وَقَدَّتْ قَمِيْصَهٗ مِنْ دُبُرٍ وَّاَلْفَيَا سَيِّدَهَا لَدَا الْبَابِۗ قَالَتْ مَا جَزَاۤءُ مَنْ اَرَادَ بِاَهْلِكَ سُوْۤءًا اِلَّآ اَنْ يُّسْجَنَ اَوْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٢٥

wa-is'tabaqā
وَٱسْتَبَقَا
और वो दोनों दौड़े
l-bāba
ٱلْبَابَ
दरवाज़े की तरफ़
waqaddat
وَقَدَّتْ
और उस औरत ने फाड़ दी
qamīṣahu
قَمِيصَهُۥ
क़मीज़ उसकी
min
مِن
पीछे से
duburin
دُبُرٍ
पीछे से
wa-alfayā
وَأَلْفَيَا
और उन दोनों ने पाया
sayyidahā
سَيِّدَهَا
उसके आक़ा को
ladā
لَدَا
पास
l-bābi
ٱلْبَابِۚ
दरवाज़े के
qālat
قَالَتْ
वो कहने लगी
مَا
क्या
jazāu
جَزَآءُ
बदला हो
man
مَنْ
उसका जो
arāda
أَرَادَ
इरादा करे
bi-ahlika
بِأَهْلِكَ
तेरी घर वाली के साथ
sūan
سُوٓءًا
बुराई का
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
कि
yus'jana
يُسْجَنَ
वो क़ैद किया जाए
aw
أَوْ
या
ʿadhābun
عَذَابٌ
सज़ा (दिया जाए)
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
वे दोनों दरवाज़े की ओर झपटे और उस स्त्री ने उसका कुर्ता पीछे से फाड़ डाला। दरवाज़े पर दोनों ने उस स्त्री के पति को उपस्थित पाया। वह बोली, 'जो कोई तुम्हारी घरवाली के साथ बुरा इरादा करे, उसका बदला इसके सिवा और क्या होगा कि उसे बन्दी बनाया जाए या फिर कोई दुखद यातना दी जाए?' ([१२] युसूफ: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

قَالَ هِيَ رَاوَدَتْنِيْ عَنْ نَّفْسِيْ وَشَهِدَ شَاهِدٌ مِّنْ اَهْلِهَاۚ اِنْ كَانَ قَمِيْصُهٗ قُدَّ مِنْ قُبُلٍ فَصَدَقَتْ وَهُوَ مِنَ الْكٰذِبِيْنَ ٢٦

qāla
قَالَ
कहा
hiya
هِىَ
इसी ने
rāwadatnī
رَٰوَدَتْنِى
फुसलाना चाहा मुझे
ʿan
عَن
मेरे नफ़्स से
nafsī
نَّفْسِىۚ
मेरे नफ़्स से
washahida
وَشَهِدَ
और गवाही दी
shāhidun
شَاهِدٌ
एक गवाह ने
min
مِّنْ
उस (औरत) के घर वालों में से
ahlihā
أَهْلِهَآ
उस (औरत) के घर वालों में से
in
إِن
अगर
kāna
كَانَ
है
qamīṣuhu
قَمِيصُهُۥ
क़मीज़ उसकी
qudda
قُدَّ
फाड़ी गई
min
مِن
सामने से
qubulin
قُبُلٍ
सामने से
faṣadaqat
فَصَدَقَتْ
तो वो सच्ची है
wahuwa
وَهُوَ
और वो
mina
مِنَ
झूठों में से है
l-kādhibīna
ٱلْكَٰذِبِينَ
झूठों में से है
उसने कहा, 'यही मुझपर डोरे डाल रही थी।' उस स्त्री के लोगों में से एक गवाह ने गवाही दी, 'यदि इसका कुर्ता आगे से फटा है तो यह सच्ची है और यह झूठा है, ([१२] युसूफ: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَاِنْ كَانَ قَمِيْصُهٗ قُدَّ مِنْ دُبُرٍ فَكَذَبَتْ وَهُوَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ٢٧

wa-in
وَإِن
और अगर
kāna
كَانَ
है
qamīṣuhu
قَمِيصُهُۥ
क़मीज़ उसकी
qudda
قُدَّ
फाड़ी गई
min
مِن
पीछे से
duburin
دُبُرٍ
पीछे से
fakadhabat
فَكَذَبَتْ
तो वो झूठी है
wahuwa
وَهُوَ
और वो
mina
مِنَ
सच्चों में से है
l-ṣādiqīna
ٱلصَّٰدِقِينَ
सच्चों में से है
और यदि उसका कुर्ता पीछे से फटा है तो यह झूठी है और यह सच्चा है।' ([१२] युसूफ: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

فَلَمَّا رَاٰى قَمِيْصَهٗ قُدَّ مِنْ دُبُرٍ قَالَ اِنَّهٗ مِنْ كَيْدِكُنَّ ۗاِنَّ كَيْدَكُنَّ عَظِيْمٌ ٢٨

falammā
فَلَمَّا
तो जब
raā
رَءَا
उसने देखा
qamīṣahu
قَمِيصَهُۥ
उसकी क़मीज़ को
qudda
قُدَّ
फाड़ी गई है
min
مِن
पीछे से
duburin
دُبُرٍ
पीछे से
qāla
قَالَ
उसने कहा
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक ये
min
مِن
तुम्हारी चाल में से है
kaydikunna
كَيْدِكُنَّۖ
तुम्हारी चाल में से है
inna
إِنَّ
बेशक
kaydakunna
كَيْدَكُنَّ
चाल तुम औरतों की
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ी है
फिर जब देखा कि उसका कुर्ता पीछे से फटा है तो उसने कहा, 'यह तुम स्त्रियों की चाल है। निश्चय ही तुम्हारी चाल बड़े ग़ज़ब की होती है ([१२] युसूफ: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

يُوْسُفُ اَعْرِضْ عَنْ هٰذَا وَاسْتَغْفِرِيْ لِذَنْۢبِكِۖ اِنَّكِ كُنْتِ مِنَ الْخٰطِـِٕيْنَ ࣖ ٢٩

yūsufu
يُوسُفُ
ऐ यूसुफ़
aʿriḍ
أَعْرِضْ
दरगुज़र करो
ʿan
عَنْ
इससे
hādhā
هَٰذَاۚ
इससे
wa-is'taghfirī
وَٱسْتَغْفِرِى
और तू बख़्शिश माँग
lidhanbiki
لِذَنۢبِكِۖ
अपने गुनाह की
innaki
إِنَّكِ
बेशक तू
kunti
كُنتِ
है तू
mina
مِنَ
ख़ताकारों में से
l-khāṭiīna
ٱلْخَاطِـِٔينَ
ख़ताकारों में से
यूसुफ़! इस मामले को जाने दे और स्त्री तू अपने गुनाह की माफ़ी माँग। निस्संदेह ख़ता तेरी ही है।' ([१२] युसूफ: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

۞ وَقَالَ نِسْوَةٌ فِى الْمَدِيْنَةِ امْرَاَتُ الْعَزِيْزِ تُرَاوِدُ فَتٰىهَا عَنْ نَّفْسِهٖۚ قَدْ شَغَفَهَا حُبًّاۗ اِنَّا لَنَرٰىهَا فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٣٠

waqāla
وَقَالَ
और कहा
nis'watun
نِسْوَةٌ
औरतों ने
فِى
शहर में
l-madīnati
ٱلْمَدِينَةِ
शहर में
im'ra-atu
ٱمْرَأَتُ
औरत
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
अज़ीज़ की
turāwidu
تُرَٰوِدُ
वो फुसलाती है
fatāhā
فَتَىٰهَا
अपने ग़ुलाम को
ʿan
عَن
उसके नफ़्स से
nafsihi
نَّفْسِهِۦۖ
उसके नफ़्स से
qad
قَدْ
तहक़ीक़
shaghafahā
شَغَفَهَا
वो उसके दिल में दाख़िल हो गया है
ḥubban
حُبًّاۖ
मोहब्बत की रू से
innā
إِنَّا
बेशक हम
lanarāhā
لَنَرَىٰهَا
अलबत्ता हम देखती हैं उसे
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली-खुली
नगर की स्त्रियाँ कहने लगी, 'अज़ीज़ की पत्नी अपने नवयुवक ग़ुलाम पर डोरे डालना चाहती है। वह प्रेम-प्रेरणा से उसके मन में घर कर गया है। हम तो उसे देख रहे हैं कि वह खुली ग़लती में पड़ गई है।' ([१२] युसूफ: 30)
Tafseer (तफ़सीर )