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सूरा युसूफ - Page: 11

Yusuf

(यूसुफ़)

१०१

۞ رَبِّ قَدْ اٰتَيْتَنِيْ مِنَ الْمُلْكِ وَعَلَّمْتَنِيْ مِنْ تَأْوِيْلِ الْاَحَادِيْثِۚ فَاطِرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اَنْتَ وَلِيّٖ فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِۚ تَوَفَّنِيْ مُسْلِمًا وَّاَلْحِقْنِيْ بِالصّٰلِحِيْنَ ١٠١

rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ātaytanī
ءَاتَيْتَنِى
दिया तूने मुझे
mina
مِنَ
बादशाहत में से
l-mul'ki
ٱلْمُلْكِ
बादशाहत में से
waʿallamtanī
وَعَلَّمْتَنِى
और सिखाया तूने मुझे
min
مِن
हक़ीक़त में से
tawīli
تَأْوِيلِ
हक़ीक़त में से
l-aḥādīthi
ٱلْأَحَادِيثِۚ
बातों की
fāṭira
فَاطِرَ
ऐ पैदा करने वाले
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
anta
أَنتَ
तू ही
waliyyī
وَلِىِّۦ
मेरा दोस्त है
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
wal-ākhirati
وَٱلْءَاخِرَةِۖ
और आख़िरत में
tawaffanī
تَوَفَّنِى
तू फ़ौत करना मुझे
mus'liman
مُسْلِمًا
मुसलमान
wa-alḥiq'nī
وَأَلْحِقْنِى
और मिला देना मुझे
bil-ṣāliḥīna
بِٱلصَّٰلِحِينَ
सालिहीन से
मेरे रब! तुने मुझे राज्य प्रदान किया और मुझे घटनाओं और बातों के निष्कर्ष तक पहुँचना सिखाया। आकाश और धरती के पैदा करनेवाले! दुनिया और आख़िरत में तू ही मेरा संरक्षक मित्र है। तू मुझे इस दशा से उठा कि मैं मुस्लिम (आज्ञाकारी) हूँ और मुझे अच्छे लोगों के साथ मिला।' ([१२] युसूफ: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

ذٰلِكَ مِنْ اَنْۢبَاۤءِ الْغَيْبِ نُوْحِيْهِ اِلَيْكَۚ وَمَا كُنْتَ لَدَيْهِمْ اِذْ اَجْمَعُوْٓا اَمْرَهُمْ وَهُمْ يَمْكُرُوْنَ ١٠٢

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
min
مِنْ
कुछ ख़बरें हैं
anbāi
أَنۢبَآءِ
कुछ ख़बरें हैं
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब की
nūḥīhi
نُوحِيهِ
हम वही करते हैं उसे
ilayka
إِلَيْكَۖ
तरफ़ आपके
wamā
وَمَا
और ना
kunta
كُنتَ
थे आप
ladayhim
لَدَيْهِمْ
पास उनके
idh
إِذْ
जब
ajmaʿū
أَجْمَعُوٓا۟
उन्होंने इत्तिफ़ाक़ किया
amrahum
أَمْرَهُمْ
अपने मामले पर
wahum
وَهُمْ
और वो
yamkurūna
يَمْكُرُونَ
वो चालें चल रहे थे
ये परोक्ष की ख़बरे हैं जिनकी हम तुम्हारी ओर प्रकाशना कर रहे है। तुम तो उनके पास नहीं थे, जब उन्होंने अपने मामले को पक्का करके षड्यंत्र किया था ([१२] युसूफ: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

وَمَآ اَكْثَرُ النَّاسِ وَلَوْ حَرَصْتَ بِمُؤْمِنِيْنَ ١٠٣

wamā
وَمَآ
और नहीं
aktharu
أَكْثَرُ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
ḥaraṣta
حَرَصْتَ
हिर्स करें आप
bimu'minīna
بِمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
किन्तु चाहे तुम कितना ही चाहो, अधिकतर लोग तो मानेंगे नहीं ([१२] युसूफ: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

وَمَا تَسْـَٔلُهُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍۗ اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعٰلَمِيْنَ ࣖ ١٠٤

wamā
وَمَا
और नहीं
tasaluhum
تَسْـَٔلُهُمْ
आप सवाल करते उनसे
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
min
مِنْ
किसी अजर का
ajrin
أَجْرٍۚ
किसी अजर का
in
إِنْ
नहीं है
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
dhik'run
ذِكْرٌ
एक ज़िक्र
lil'ʿālamīna
لِّلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों के लिए
तुम उनसे इसका कोई बदला भी नहीं माँगते। यह तो सारे संसार के लिए बस एक अनुस्मरण है ([१२] युसूफ: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

وَكَاَيِّنْ مِّنْ اٰيَةٍ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ يَمُرُّوْنَ عَلَيْهَا وَهُمْ عَنْهَا مُعْرِضُوْنَ ١٠٥

waka-ayyin
وَكَأَيِّن
और कितनी ही
min
مِّنْ
निशानियाँ हैं
āyatin
ءَايَةٍ
निशानियाँ हैं
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में
yamurrūna
يَمُرُّونَ
वो गुज़रते हैं
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उन पर
wahum
وَهُمْ
और वो
ʿanhā
عَنْهَا
उनसे
muʿ'riḍūna
مُعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले हैं
आकाशों और धरती में कितनी ही निशानियाँ हैं, जिनपर से वे इस तरह गुज़र जाते है कि उनकी ओर वे ध्यान ही नहीं देते ([१२] युसूफ: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

وَمَا يُؤْمِنُ اَكْثَرُهُمْ بِاللّٰهِ اِلَّا وَهُمْ مُّشْرِكُوْنَ ١٠٦

wamā
وَمَا
और नहीं
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान लाते
aktharuhum
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
illā
إِلَّا
मगर
wahum
وَهُم
इस हाल में कि वो
mush'rikūna
مُّشْرِكُونَ
मुशरिक हैं
इनमें अधिकतर लोग अल्लाह को मानते भी है तो इस तरह कि वे साझी भी ठहराते है ([१२] युसूफ: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

اَفَاَمِنُوْٓا اَنْ تَأْتِيَهُمْ غَاشِيَةٌ مِّنْ عَذَابِ اللّٰهِ اَوْ تَأْتِيَهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ١٠٧

afa-aminū
أَفَأَمِنُوٓا۟
क्या भला वो अमन में आ गए
an
أَن
कि
tatiyahum
تَأْتِيَهُمْ
आ जाए उनके पास
ghāshiyatun
غَٰشِيَةٌ
एक छा जाने वाली (आफ़त)
min
مِّنْ
अज़ाब से
ʿadhābi
عَذَابِ
अज़ाब से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
aw
أَوْ
या
tatiyahumu
تَأْتِيَهُمُ
आ जाए उनके पास
l-sāʿatu
ٱلسَّاعَةُ
क़यामत
baghtatan
بَغْتَةً
अचानक
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
ना वो शऊर रखते हों
yashʿurūna
يَشْعُرُونَ
ना वो शऊर रखते हों
क्या वे इस बात से निश्चिन्त है कि अल्लाह की कोई यातना उन्हें ढँक ले या सहसा वह घड़ी ही उनपर आ जाए, जबकि वे बिलकुल बेख़बर हों? ([१२] युसूफ: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

قُلْ هٰذِهٖ سَبِيْلِيْٓ اَدْعُوْٓا اِلَى اللّٰهِ ۗعَلٰى بَصِيْرَةٍ اَنَا۠ وَمَنِ اتَّبَعَنِيْ ۗوَسُبْحٰنَ اللّٰهِ وَمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ١٠٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये है
sabīlī
سَبِيلِىٓ
रास्ता मेरा
adʿū
أَدْعُوٓا۟
मैं बुलाता हूँ
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِۚ
तरफ़ अल्लाह के
ʿalā
عَلَىٰ
बसीरत पर
baṣīratin
بَصِيرَةٍ
बसीरत पर
anā
أَنَا۠
मैं
wamani
وَمَنِ
और जो कोई
ittabaʿanī
ٱتَّبَعَنِىۖ
पैरवी करे मेरी
wasub'ḥāna
وَسُبْحَٰنَ
और पाक है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह
wamā
وَمَآ
और नहीं
anā
أَنَا۠
मैं
mina
مِنَ
शिर्क करने वालों में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
शिर्क करने वालों में से
कह दो, 'यही मेरा मार्ग है। मैं अल्लाह की ओर बुलाता हूँ। मैं स्वयं भी पूर्ण प्रकाश में हूँ और मेरे अनुयायी भी - महिमावान है अल्लाह! ृृ- और मैं कदापि बहुदेववादी नहीं।' ([१२] युसूफ: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

وَمَآ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ اِلَّا رِجَالًا نُّوْحِيْٓ اِلَيْهِمْ مِّنْ اَهْلِ الْقُرٰىۗ اَفَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۗ وَلَدَارُ الْاٰخِرَةِ خَيْرٌ لِّلَّذِيْنَ اتَّقَوْاۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ١٠٩

wamā
وَمَآ
और नहीं
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
min
مِن
आपसे पहले
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले
illā
إِلَّا
मगर
rijālan
رِجَالًا
मर्दों को
nūḥī
نُّوحِىٓ
हम वही करते थे
ilayhim
إِلَيْهِم
तरफ़ उनके
min
مِّنْ
बस्ती वालों में से
ahli
أَهْلِ
बस्ती वालों में से
l-qurā
ٱلْقُرَىٰٓۗ
बस्ती वालों में से
afalam
أَفَلَمْ
क्या फिर नहीं
yasīrū
يَسِيرُوا۟
वो चले-फिरे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fayanẓurū
فَيَنظُرُوا۟
तो वो देखते
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۗ
उनसे पहले थे
waladāru
وَلَدَارُ
और अलबत्ता घर
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जो
ittaqaw
ٱتَّقَوْا۟ۗ
तक़वा करें
afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लेते
तुमसे पहले भी हमने जिनको रसूल बनाकर भेजा, वे सब बस्तियों के रहनेवाले पुरुष ही थे। हम उनकी ओर प्रकाशना करते रहे - फिर क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उनका कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़रे है? निश्चय ही आख़िरत का घर ही डर रखनेवालों के लिए सर्वोत्तम है। तो क्या तुम समझते नहीं? - ([१२] युसूफ: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

حَتّٰٓى اِذَا اسْتَا۟يْـَٔسَ الرُّسُلُ وَظَنُّوْٓا اَنَّهُمْ قَدْ كُذِبُوْا جَاۤءَهُمْ نَصْرُنَاۙ فَنُجِّيَ مَنْ نَّشَاۤءُ ۗوَلَا يُرَدُّ بَأْسُنَا عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِيْنَ ١١٠

ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
is'tayasa
ٱسْتَيْـَٔسَ
ना उम्मीद हो गए
l-rusulu
ٱلرُّسُلُ
रसूल
waẓannū
وَظَنُّوٓا۟
और उन्होंने समझा
annahum
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
qad
قَدْ
यक़ीनन
kudhibū
كُذِبُوا۟
वो झूठ बोले गए
jāahum
جَآءَهُمْ
आ गई उनके पास
naṣrunā
نَصْرُنَا
मदद हमारी
fanujjiya
فَنُجِّىَ
तो बचा लिया गया
man
مَن
उसको जिसे
nashāu
نَّشَآءُۖ
हम चाहते थे
walā
وَلَا
और नहीं
yuraddu
يُرَدُّ
फेरा जाता
basunā
بَأْسُنَا
अज़ाब हमारा
ʿani
عَنِ
उन लोगों से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों से
l-muj'rimīna
ٱلْمُجْرِمِينَ
जो मुजरिम हैं
यहाँ तक कि जब वे रसूल निराश होने लगे और वे समझने लगे कि उनसे झूठ कहा गया था कि सहसा उन्हें हमारी सहायता पहुँच गई। फिर हमने जिसे चाहा बचा लिया। किन्तु अपराधी लोगों पर से तो हमारी यातना टलती ही नहीं ([१२] युसूफ: 110)
Tafseer (तफ़सीर )