قَالُوْا تَاللّٰهِ لَقَدْ اٰثَرَكَ اللّٰهُ عَلَيْنَا وَاِنْ كُنَّا لَخٰطِـِٕيْنَ ٩١
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- tal-lahi
- تَٱللَّهِ
- क़सम अल्लाह की
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- ātharaka
- ءَاثَرَكَ
- तरजीह दी तुझे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- wa-in
- وَإِن
- और बेशक
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- lakhāṭiīna
- لَخَٰطِـِٔينَ
- यक़ीनन ख़ताकार
उन्होंने कहा, 'अल्लाह की क़सम! आपको अल्लाह ने हमारे मुक़ाबले में पसन्द किया और निश्चय ही चूक तो हमसे हुई।' ([१२] युसूफ: 91)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ لَا تَثْرِيْبَ عَلَيْكُمُ الْيَوْمَۗ يَغْفِرُ اللّٰهُ لَكُمْ ۖوَهُوَ اَرْحَمُ الرّٰحِمِيْنَ ٩٢
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- lā
- لَا
- नहीं कोई मलामत
- tathrība
- تَثْرِيبَ
- नहीं कोई मलामत
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَۖ
- आज के दिन
- yaghfiru
- يَغْفِرُ
- माफ़ कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- arḥamu
- أَرْحَمُ
- सब से ज़्यादा रहम करने वाला है
- l-rāḥimīna
- ٱلرَّٰحِمِينَ
- सब रहम करने वालों से
उसने कहा, 'आज तुमपर कोई आरोप नहीं। अल्लाह तुम्हें क्षमा करे। वह सबसे बढ़कर दयावान है। ([१२] युसूफ: 92)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْهَبُوْا بِقَمِيْصِيْ هٰذَا فَاَلْقُوْهُ عَلٰى وَجْهِ اَبِيْ يَأْتِ بَصِيْرًا ۚوَأْتُوْنِيْ بِاَهْلِكُمْ اَجْمَعِيْنَ ࣖ ٩٣
- idh'habū
- ٱذْهَبُوا۟
- ले जाओ
- biqamīṣī
- بِقَمِيصِى
- क़मीज़ मेरी
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- fa-alqūhu
- فَأَلْقُوهُ
- फिर डाल दो इसे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- चेहरे पर
- wajhi
- وَجْهِ
- चेहरे पर
- abī
- أَبِى
- मेरे वालिद के
- yati
- يَأْتِ
- वो हो जाएगा
- baṣīran
- بَصِيرًا
- देखने वाला
- watūnī
- وَأْتُونِى
- और ले आओ मेरे पास
- bi-ahlikum
- بِأَهْلِكُمْ
- अपने घर वालों को
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सबके सबको
मेरा यह कुर्ता ले जाओ और इसे मेरे बाप के मुख पर डाल दो। उनकी नेत्र-ज्योति लौट आएगी, फिर अपने सब घरवालों को मेरे यहाँ ले आओ।' ([१२] युसूफ: 93)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا فَصَلَتِ الْعِيْرُ قَالَ اَبُوْهُمْ اِنِّيْ لَاَجِدُ رِيْحَ يُوْسُفَ لَوْلَآ اَنْ تُفَنِّدُوْنِ ٩٤
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- faṣalati
- فَصَلَتِ
- जुदा हुआ
- l-ʿīru
- ٱلْعِيرُ
- क़फ़िला
- qāla
- قَالَ
- कहा
- abūhum
- أَبُوهُمْ
- उनके वालिद ने
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- la-ajidu
- لَأَجِدُ
- अलबत्ता मैं पाता हूँ
- rīḥa
- رِيحَ
- ख़ुशबू/हवा
- yūsufa
- يُوسُفَۖ
- यूसुफ़ की
- lawlā
- لَوْلَآ
- अगर ना
- an
- أَن
- ये कि
- tufannidūni
- تُفَنِّدُونِ
- तुम बहका हुआ कहो मुझे
इधर जब क़ाफ़िला चला तो उनके बाप ने कहा, 'यदि तुम मुझे बहकी बातें करनेवाला न समझो तो मुझे तो यूसुफ़ की महक आ रही है।' ([१२] युसूफ: 94)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا تَاللّٰهِ اِنَّكَ لَفِيْ ضَلٰلِكَ الْقَدِيْمِ ٩٥
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- tal-lahi
- تَٱللَّهِ
- क़सम अल्लाह की
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक आप
- lafī
- لَفِى
- अलबत्ता ग़लती में हैं अपनी
- ḍalālika
- ضَلَٰلِكَ
- अलबत्ता ग़लती में हैं अपनी
- l-qadīmi
- ٱلْقَدِيمِ
- पुरानी
वे बोले, 'अल्लाह की क़सम! आप तो अभी तक अपनी उसी पुरानी भ्रांति में पड़े हुए है।' ([१२] युसूफ: 95)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّآ اَنْ جَاۤءَ الْبَشِيْرُ اَلْقٰىهُ عَلٰى وَجْهِهٖ فَارْتَدَّ بَصِيْرًاۗ قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكُمْۙ اِنِّيْٓ اَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ٩٦
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- an
- أَن
- ये कि
- jāa
- جَآءَ
- आ गया
- l-bashīru
- ٱلْبَشِيرُ
- ख़ुशख़बरी देने वाला
- alqāhu
- أَلْقَىٰهُ
- उसने डाला उसे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- wajhihi
- وَجْهِهِۦ
- उसके चेहरे के
- fa-ir'tadda
- فَٱرْتَدَّ
- तो हो गया वो
- baṣīran
- بَصِيرًاۖ
- देखने वाला
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- aqul
- أَقُل
- मैंने कहा था
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हें
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- मैं जानता हूँ
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- mā
- مَا
- जो
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- नहीं तुम जानते
फिर जब शुभ सूचना देनेवाला आया तो उसने उस (कुर्ते) को उसके मुँह पर डाल दिया और तत्क्षण उसकी नेत्र-ज्योति लौट आई। उसने कहा, 'क्या मैंने तुमसे कहा नहीं था कि अल्लाह की ओर से जो मैं जानता हूँ, तुम नहीं जानते।' ([१२] युसूफ: 96)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا يٰٓاَبَانَا اسْتَغْفِرْ لَنَا ذُنُوْبَنَآ اِنَّا كُنَّا خٰطِـِٕيْنَ ٩٧
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yāabānā
- يَٰٓأَبَانَا
- ऐ हमारे अब्बा जान
- is'taghfir
- ٱسْتَغْفِرْ
- बख़्शिश माँगिए
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- dhunūbanā
- ذُنُوبَنَآ
- हमारे गुनाहों की
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम ही
- khāṭiīna
- خَٰطِـِٔينَ
- ख़ताकार
वे बोले, 'ऐ मेरे बाप! आप हमारे गुनाहों की क्षमा के लिए प्रार्थना करें। वास्तव में चूक हमसे ही हुई।' ([१२] युसूफ: 97)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ سَوْفَ اَسْتَغْفِرُ لَكُمْ رَبِّيْ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ٩٨
- qāla
- قَالَ
- कहा
- sawfa
- سَوْفَ
- ज़रूर
- astaghfiru
- أَسْتَغْفِرُ
- मैं बख़्शिश मागूँगा
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rabbī
- رَبِّىٓۖ
- अपने रब से
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ghafūru
- ٱلْغَفُورُ
- बहुत बख़्शने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
उसने कहा, 'मैं अपने रब से तुम्हारे लिए प्रार्थना करूँगा। वह बहुत क्षमाशील, दयावान है।' ([१२] युसूफ: 98)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا دَخَلُوْا عَلٰى يُوْسُفَ اٰوٰٓى اِلَيْهِ اَبَوَيْهِ وَقَالَ ادْخُلُوْا مِصْرَ اِنْ شَاۤءَ اللّٰهُ اٰمِنِيْنَ ۗ ٩٩
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- dakhalū
- دَخَلُوا۟
- वो दाख़िल हुए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- yūsufa
- يُوسُفَ
- यूसुफ़ के
- āwā
- ءَاوَىٰٓ
- उसने ठिकाना दिया
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- अपनी तरफ़
- abawayhi
- أَبَوَيْهِ
- अपने वालिदैन को
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- ud'khulū
- ٱدْخُلُوا۟
- दाख़िल हो जाओ
- miṣ'ra
- مِصْرَ
- मिस्र में
- in
- إِن
- अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- āminīna
- ءَامِنِينَ
- अमन वाले होकर
फिर जब वे यूसुफ़ के पास पहुँचे तो उसने अपने माँ-बाप को ख़ास अपने पास जगह दी औऱ कहा, 'तुम सब नगर में प्रवेश करो। अल्लाह ने चाहा तो यह प्रवेश निश्चिन्तता के साथ होगा।' ([१२] युसूफ: 99)Tafseer (तफ़सीर )
وَرَفَعَ اَبَوَيْهِ عَلَى الْعَرْشِ وَخَرُّوْا لَهٗ سُجَّدًاۚ وَقَالَ يٰٓاَبَتِ هٰذَا تَأْوِيْلُ رُءْيَايَ مِنْ قَبْلُ ۖقَدْ جَعَلَهَا رَبِّيْ حَقًّاۗ وَقَدْ اَحْسَنَ بِيْٓ اِذْ اَخْرَجَنِيْ مِنَ السِّجْنِ وَجَاۤءَ بِكُمْ مِّنَ الْبَدْوِ مِنْۢ بَعْدِ اَنْ نَّزَغَ الشَّيْطٰنُ بَيْنِيْ وَبَيْنَ اِخْوَتِيْۗ اِنَّ رَبِّيْ لَطِيْفٌ لِّمَا يَشَاۤءُ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْعَلِيْمُ الْحَكِيْمُ ١٠٠
- warafaʿa
- وَرَفَعَ
- और ऊपर बिठाया
- abawayhi
- أَبَوَيْهِ
- अपने वालिदैन को
- ʿalā
- عَلَى
- तख़्त पर
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِ
- तख़्त पर
- wakharrū
- وَخَرُّوا۟
- और वो सब गिर पड़े
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- sujjadan
- سُجَّدًاۖ
- सजदा करते हुए
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- yāabati
- يَٰٓأَبَتِ
- ऐ मेरे अब्बा जान
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- tawīlu
- تَأْوِيلُ
- ताबीर
- ru'yāya
- رُءْيَٰىَ
- मेरे ख़्वाब की
- min
- مِن
- पहले के
- qablu
- قَبْلُ
- पहले के
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jaʿalahā
- جَعَلَهَا
- कर दिया उसे
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब ने
- ḥaqqan
- حَقًّاۖ
- सच्चा
- waqad
- وَقَدْ
- और तहक़ीक़
- aḥsana
- أَحْسَنَ
- उसने एहसान किया
- bī
- بِىٓ
- साथ मेरे
- idh
- إِذْ
- जब
- akhrajanī
- أَخْرَجَنِى
- उसने निकाला मुझे
- mina
- مِنَ
- क़ैद ख़ाने से
- l-sij'ni
- ٱلسِّجْنِ
- क़ैद ख़ाने से
- wajāa
- وَجَآءَ
- और वो ले आया
- bikum
- بِكُم
- तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- सेहरा से
- l-badwi
- ٱلْبَدْوِ
- सेहरा से
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद इसके
- an
- أَن
- कि
- nazagha
- نَّزَغَ
- फ़साद डाला
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान ने
- baynī
- بَيْنِى
- दर्मियान मेरे
- wabayna
- وَبَيْنَ
- और दर्मियान
- ikh'watī
- إِخْوَتِىٓۚ
- मेरे भाईयों के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbī
- رَبِّى
- रब मेरा
- laṭīfun
- لَطِيفٌ
- बेहतरीन तदबीर करने वाला है
- limā
- لِّمَا
- उसकी जो
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- बहुत इल्म वाला
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला
उसने अपने माँ-बाप को ऊँची जगह सिंहासन पर बिठाया और सब उसके आगे सजदे मे गिर पड़े। इस अवसर पर उसने कहा, 'ऐ मेरे बाप! यह मेरे विगत स्वप्न का साकार रूप है। इसे मेरे रब ने सच बना दिया। और उसने मुझपर उपकार किया जब मुझे क़ैदख़ाने से निकाला और आप भाइयों के बीच फ़साद डलवा दिया था। निस्संदेह मेरा रब जो चाहता है उसके लिए सूक्ष्म उपाय करता है। वास्तव में वही सर्वज्ञ, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([१२] युसूफ: 100)Tafseer (तफ़सीर )