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पवित्र कुरान सूरा हूद आयत ८८

Qur'an Surah Hud Verse 88

हूद [११]: ८८ ~ कुरान अनुवाद शब्द द्वारा शब्द - तफ़सीर

قَالَ يٰقَوْمِ اَرَءَيْتُمْ اِنْ كُنْتُ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّيْ وَرَزَقَنِيْ مِنْهُ رِزْقًا حَسَنًا وَّمَآ اُرِيْدُ اَنْ اُخَالِفَكُمْ اِلٰى مَآ اَنْهٰىكُمْ عَنْهُ ۗاِنْ اُرِيْدُ اِلَّا الْاِصْلَاحَ مَا اسْتَطَعْتُۗ وَمَا تَوْفِيْقِيْٓ اِلَّا بِاللّٰهِ ۗعَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَاِلَيْهِ اُنِيْبُ (هود : ١١)

qāla
قَالَ
He said
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
"O my people!
ऐ मेरी क़ौम
ara-aytum
أَرَءَيْتُمْ
Do you see
क्या देखा तुमने
in
إِن
if
अगर
kuntu
كُنتُ
I am
हूँ मैं
ʿalā
عَلَىٰ
on
एक वाज़ेह दलील पर
bayyinatin
بَيِّنَةٍ
a clear evidence
एक वाज़ेह दलील पर
min
مِّن
from
अपने रब की तरफ़ से
rabbī
رَّبِّى
my Lord
अपने रब की तरफ़ से
warazaqanī
وَرَزَقَنِى
and He has provided me
और उसने दिया हो मुझे
min'hu
مِنْهُ
from Himself
अपने पास से
riz'qan
رِزْقًا
a good provision?
रिज़्क़
ḥasanan
حَسَنًاۚ
a good provision?
अच्छा
wamā
وَمَآ
And not
और नहीं
urīdu
أُرِيدُ
I intend
मैं चाहता
an
أَنْ
that
कि
ukhālifakum
أُخَالِفَكُمْ
I differ from you
मैं मुख़ालफ़त करुँ तुम्हारी
ilā
إِلَىٰ
in
तरफ़
مَآ
what
उसके जो
anhākum
أَنْهَىٰكُمْ
I forbid you
मैं रोकता हूँ तुम्हें
ʿanhu
عَنْهُۚ
from it
जिस से
in
إِنْ
Not
नहीं
urīdu
أُرِيدُ
I intend
मैं चाहता
illā
إِلَّا
except
मगर
l-iṣ'lāḥa
ٱلْإِصْلَٰحَ
the reform
इस्लाह
مَا
as much as I am able
जितनी
is'taṭaʿtu
ٱسْتَطَعْتُۚ
as much as I am able
मैं इस्तिताअत रखता हूँ
wamā
وَمَا
And not
और नहीं
tawfīqī
تَوْفِيقِىٓ
(is) my success
तौफ़ीक़ मेरी
illā
إِلَّا
except
मगर
bil-lahi
بِٱللَّهِۚ
with Allah
साथ अल्लाह के
ʿalayhi
عَلَيْهِ
Upon Him
उसी पर
tawakkaltu
تَوَكَّلْتُ
I trust
तवक्कल किया मैंने
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
and to Him
और उसी की तरफ़
unību
أُنِيبُ
I turn
मैं रुजूअ करता हूँ

Transliteration:

Qaala yaa qawmi ara'aitum in kuntu 'alaa baiyinatim mir Rabbee wa razaqanee minhu rizqan hasanaa; wa maaa ureedu an ukhaalifakum ilaa maaa anhaakum 'anh; in ureedu illal islaaha mastata't; wa maa tawfeeqeee illaa billaah; 'alaihi tawakkaltu wa ilaihi uneeb (QS. Hūd:88)

English Sahih International:

He said, "O my people, have you considered: if I am upon clear evidence from my Lord and He has provided me with a good provision from Him...? And I do not intend to differ from you in that which I have forbidden you; I only intend reform as much as I am able. And my success is not but through Allah. Upon Him I have relied, and to Him I return. (QS. Hud, Ayah ८८)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम्हारा क्या विचार है? यदि मैं अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अपनी ओर से अच्छी आजीविका भी प्रदान की (तो झुठलाना मेरे लिए कितना हानिकारक होगा!) और मैं नहीं चाहता कि जिन बातों से मैं तुम्हें रोकता हूँ स्वयं स्वयं तुम्हारे विपरीत उनको करने लगूँ। मैं तो अपने बस भर केवल सुधार चाहता हूँ। मेरा काम बनना तो अल्लाह ही की सहायता से सम्भव है। उसी पर मेरा भरोसा है और उसी की ओर मैं रुजू करता हूँ (हूद, आयत ८८)

Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

शुएब ने कहा ऐ मेरी क़ौम अगर मै अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हूँ और उसने मुझे (हलाल) रोज़ी खाने को दी है (तो मै भी तुम्हारी तरह हराम खाने लगूँ) और मै तो ये नहीं चाहता कि जिस काम से तुम को रोकूँ तुम्हारे बर ख़िलाफ (बदले) आप उसको करने लगूं मैं तो जहाँ तक मुझे बन पड़े इसलाह (भलाई) के सिवा (कुछ और) चाहता ही नहीं और मेरी ताईद तो ख़ुदा के सिवा और किसी से हो ही नहीं सकती इस पर मैने भरोसा कर लिया है और उसी की तरफ रुज़ू करता हूँ

Azizul-Haqq Al-Umary

शोऐब ने कहाः हे मेरी जाति के लोगो! तुम बताओ, यदि मैं अपने पालनहार की ओर से प्रत्यक्ष प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अच्छी जीविका प्रदान की हो, (तो कैसे तुम्हारा साथ दूँ?) मैं नहीं चाहता कि उसके विरुध्द करूँ, जिससे तुम्हें रोक रहा हूँ। मैं जहाँ तक हो सके, सुधार ही चाहता हूँ और ये जो कुछ करना चाहता हूँ, अल्लाह के योगदान पर निर्भर करता है। मैंने उसीपर भरोसा किया है और उसी की ओर ध्यानमग्न रहता हूँ।