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पवित्र कुरान सूरा हूद आयत १७

Qur'an Surah Hud Verse 17

हूद [११]: १७ ~ कुरान अनुवाद शब्द द्वारा शब्द - तफ़सीर

اَفَمَنْ كَانَ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ وَيَتْلُوْهُ شَاهِدٌ مِّنْهُ وَمِنْ قَبْلِهٖ كِتٰبُ مُوْسٰىٓ اِمَامًا وَّرَحْمَةًۗ اُولٰۤىِٕكَ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۗوَمَنْ يَّكْفُرْ بِهٖ مِنَ الْاَحْزَابِ فَالنَّارُ مَوْعِدُهٗ فَلَا تَكُ فِيْ مِرْيَةٍ مِّنْهُ اِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يُؤْمِنُوْنَ (هود : ١١)

afaman
أَفَمَن
Then is he who
क्या भला वो शख़्स जो
kāna
كَانَ
is
हो
ʿalā
عَلَىٰ
on
एक वाज़ेह दलील पर
bayyinatin
بَيِّنَةٍ
a clear proof
एक वाज़ेह दलील पर
min
مِّن
from
अपने रब की तरफ़ से
rabbihi
رَّبِّهِۦ
his Lord
अपने रब की तरफ़ से
wayatlūhu
وَيَتْلُوهُ
and recites it
और पीछे आता हो उसके
shāhidun
شَاهِدٌ
a witness
एक गवाह
min'hu
مِّنْهُ
from Him
उसकी तरफ़ से
wamin
وَمِن
and before it
और उससे पहले थी
qablihi
قَبْلِهِۦ
and before it
और उससे पहले थी
kitābu
كِتَٰبُ
(was) a Book
किताब
mūsā
مُوسَىٰٓ
(of) Musa
मूसा की
imāman
إِمَامًا
(as) a guide
इमाम/रहनुमा
waraḥmatan
وَرَحْمَةًۚ
and (as) mercy?
और रहमत
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
Those
यही लोग हैं
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
believe
जो ईमान रखते हैं
bihi
بِهِۦۚ
in it
उस पर
waman
وَمَن
But whoever
और जो कोई
yakfur
يَكْفُرْ
disbelieves
कुफ़्र करेगा
bihi
بِهِۦ
in it
उसका
mina
مِنَ
among
गिरोहों में से
l-aḥzābi
ٱلْأَحْزَابِ
the sects
गिरोहों में से
fal-nāru
فَٱلنَّارُ
then the Fire
तो आग
mawʿiduhu
مَوْعِدُهُۥۚ
(will be) his promised (meeting) place
उसकी वादागाह है
falā
فَلَا
So (do) not
पस ना
taku
تَكُ
be
हों आप
فِى
in
किसी शक में
mir'yatin
مِرْيَةٍ
doubt
किसी शक में
min'hu
مِّنْهُۚ
about it
उससे
innahu
إِنَّهُ
Indeed, it
बेशक वो
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
(is) the truth
हक़ है
min
مِن
from
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
your Lord
आपके रब की तरफ़ से
walākinna
وَلَٰكِنَّ
but
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
most
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
(of) the people
लोग
لَا
(do) not
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
believe
नहीं वो ईमान लाते

Transliteration:

Afaman kaana 'alas baiyinatim mir Rabbihee wa yatloohu shaahidum minhu wa min qablihee Kitaabu Moosaaa imaamanw wa rahmah; ulaaa 'ika yu'minoona bih; wa mai yakfur bihee minal Ahzaabi fan Naaru maw'iduh; falaa taku fee miryatim minh; innahul haqqu mir Rabbika wa laakinna aksaran naasi laa yu'minoon (QS. Hūd:17)

English Sahih International:

So is one who [stands] upon a clear evidence from his Lord [like the aforementioned]? And a witness from Him follows it, and before it was the Scripture of Moses to lead and as mercy. Those [believers in the former revelations] believe in it [i.e., the Quran]. But whoever disbelieves in it from the [various] factions – the Fire is his promised destination. So be not in doubt about it. Indeed, it is the truth from your Lord, but most of the people do not believe. (QS. Hud, Ayah १७)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर क्या वह व्यक्ति जो अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर है और स्वयं उसके रूप में भी एक गवाह उसके साथ-साथ रहता है - और इससे पहले मूसा की किताब भी एक मार्गदर्शक और दयालुता के रूप में उपस्थित रही है- (और वह जो प्रकाश एवं मार्गदर्शन से वंचित है, दोनों बराबर हो सकते है) ऐसे ही लोग उसपर ईमान लाते है, किन्तु इन गिरोहों में से जो उसका इनकार करेगा तो उसके लिए जिस जगह का वादा है, वह तो आग है। अतः तुम्हें इसके विषय में कोई सन्देह न हो। यह तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मानते नहीं (हूद, आयत १७)

Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो क्या जो शख़्श अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो और उसके पीछे ही पीछे उनका एक गवाह हो और उसके क़बल मूसा की किताब (तौरैत) जो (लोगों के लिए) पेशवा और रहमत थी (उसकी तसदीक़ करती हो वह बेहतर है या कोई दूसरा) यही लोग सच्चे ईमान लाने वाले और तमाम फिरक़ों में से जो शख़्श भी उसका इन्कार करे तो उसका ठिकाना बस आतिश (जहन्नुम) है तो फिर तुम कहीं उसकी तरफ से शक़ में न पड़े रहना, बेशक ये क़ुरान तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से बरहक़ है मगर बहुतेरे लोग ईमान नही लाते

Azizul-Haqq Al-Umary

तो क्या जो अपने पालनहार की ओर से स्पष्ट प्रमाण[1] रखता हो और उसके साथ ही एक गवाह (साक्षी)[1] भी उसकी ओर से आ गया हो और इससे पहले मूसा की पुस्तक मार्गदर्शक तथा दया बनकर आ चुकी हो, ऐसे लोग तो इस (क़ुर्आन) पर ईमान रखते हैं और सम्प्रदायों मेंसे, जो इसे अस्वीकार करेगा, तो नरक ही उसका वचन-स्थान है। अतः आप, इसके बारे में किसी संदेह में न पड़ें। वास्तव में, ये आपके पालनहार की ओर से सत्य है। परन्तु अधिक्तर लोग ईमान (विश्वास) नहीं रखते।