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सूरा हूद - Page: 6

Hud

(हूद)

५१

يٰقَوْمِ لَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ اَجْرًا ۗاِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلَى الَّذِيْ فَطَرَنِيْ ۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ٥١

yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
لَآ
नहीं
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं सवाल करता तुमसे
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
ajran
أَجْرًاۖ
किसी अजर का
in
إِنْ
नहीं
ajriya
أَجْرِىَ
अजर मेरा
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَى
उस पर
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
faṭaranī
فَطَرَنِىٓۚ
पैदा किया मुझे
afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लेते
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता। मेरा पारिश्रमिक तो बस उसके ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया। फिर क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते? ([११] हूद: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

وَيٰقَوْمِ اسْتَغْفِرُوْا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوْبُوْٓا اِلَيْهِ يُرْسِلِ السَّمَاۤءَ عَلَيْكُمْ مِّدْرَارًا وَّيَزِدْكُمْ قُوَّةً اِلٰى قُوَّتِكُمْ وَلَا تَتَوَلَّوْا مُجْرِمِيْنَ ٥٢

wayāqawmi
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
is'taghfirū
ٱسْتَغْفِرُوا۟
बख़्शिश माँगो
rabbakum
رَبَّكُمْ
अपने रब से
thumma
ثُمَّ
फिर
tūbū
تُوبُوٓا۟
तौबा करो
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
yur'sili
يُرْسِلِ
वो भेजेगा
l-samāa
ٱلسَّمَآءَ
आसमान को
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
mid'rāran
مِّدْرَارًا
बहुत बरसने वाला
wayazid'kum
وَيَزِدْكُمْ
और वो ज़्यादा देगा तुम्हें
quwwatan
قُوَّةً
क़ुव्वत
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
quwwatikum
قُوَّتِكُمْ
तुम्हारी क़ुव्वत के
walā
وَلَا
और ना
tatawallaw
تَتَوَلَّوْا۟
तुम मुँह फेरो
muj'rimīna
مُجْرِمِينَ
मुजरिम बनकर
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अपने रब से क्षमा याचना करो, फिर उसकी ओर पलट आओ। वह तुमपर आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ेगा और तुममें शक्ति पर शक्ति की अभिवृद्धि करेगा। तुम अपराधी बनकर मुँह न फेरो।' ([११] हूद: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

قَالُوْا يٰهُوْدُ مَاجِئْتَنَا بِبَيِّنَةٍ وَّمَا نَحْنُ بِتَارِكِيْٓ اٰلِهَتِنَا عَنْ قَوْلِكَ وَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِيْنَ ٥٣

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
yāhūdu
يَٰهُودُ
ऐ हूद
مَا
नहीं
ji'tanā
جِئْتَنَا
लाया तू हमारे पास
bibayyinatin
بِبَيِّنَةٍ
कोई वाज़ेह दलील
wamā
وَمَا
और नहीं हैं
naḥnu
نَحْنُ
हम
bitārikī
بِتَارِكِىٓ
छोड़ने वाले
ālihatinā
ءَالِهَتِنَا
अपने इलाहों को
ʿan
عَن
तेरी बात से
qawlika
قَوْلِكَ
तेरी बात से
wamā
وَمَا
और नहीं हैं
naḥnu
نَحْنُ
हम
laka
لَكَ
तुझ पर
bimu'minīna
بِمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
उन्होंने कहा, 'ऐ हूद! तू हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण लेकर नहीं आया है। तेरे कहने से हम अपने इष्ट -पूज्यों को नहीं छोड़ सकते और न हम तुझपर ईमान लानेवाले है ([११] हूद: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

اِنْ نَّقُوْلُ اِلَّا اعْتَرٰىكَ بَعْضُ اٰلِهَتِنَا بِسُوْۤءٍ ۗقَالَ اِنِّيْٓ اُشْهِدُ اللّٰهَ وَاشْهَدُوْٓا اَنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ٥٤

in
إِن
नहीं
naqūlu
نَّقُولُ
हम कहते
illā
إِلَّا
मगर
iʿ'tarāka
ٱعْتَرَىٰكَ
(ये कि) मुब्तिला कर दिया है तुम्हें
baʿḍu
بَعْضُ
बाज़
ālihatinā
ءَالِهَتِنَا
हमारे इलाहों ने
bisūin
بِسُوٓءٍۗ
साथ किसी तकलीफ़ के
qāla
قَالَ
उसने कहा
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
ush'hidu
أُشْهِدُ
मैं गवाह बनाता हूँ
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
wa-ish'hadū
وَٱشْهَدُوٓا۟
और तुम गवाह रहो
annī
أَنِّى
बेशक मैं
barīon
بَرِىٓءٌ
बरी उज़ ज़िम्मा हूँ
mimmā
مِّمَّا
उनसे जिन्हें
tush'rikūna
تُشْرِكُونَ
तुम शरीक करते हो
हम तो केवल यही कहते है कि हमारे इष्ट-पूज्यों में से किसी की तुझपर मार पड़ गई है।' उसने कहा, 'मैं तो अल्लाह को गवाह बनाता हूँ और तुम भी गवाह रहो कि उनसे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं, ([११] हूद: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

مِنْ دُوْنِهٖ فَكِيْدُوْنِيْ جَمِيْعًا ثُمَّ لَا تُنْظِرُوْنِ ٥٥

min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦۖ
उसके सिवा
fakīdūnī
فَكِيدُونِى
पस चाल चलो मेरे ख़िलाफ़
jamīʿan
جَمِيعًا
सबके सब
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना तुम मोहलत दो मुझे
tunẓirūni
تُنظِرُونِ
ना तुम मोहलत दो मुझे
जिनको तुम साझी ठहराकर उसके सिवा पूज्य मानते हो। अतः तुम सब मिलकर मेरे साथ दाँव-घात लगाकर देखो और मुझे मुहलत न दो ([११] हूद: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

اِنِّيْ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللّٰهِ رَبِّيْ وَرَبِّكُمْ ۗمَا مِنْ دَاۤبَّةٍ اِلَّا هُوَ اٰخِذٌۢ بِنَاصِيَتِهَا ۗاِنَّ رَبِّيْ عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ٥٦

innī
إِنِّى
बेशक मैं
tawakkaltu
تَوَكَّلْتُ
तवक्कल किया मैंने
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
rabbī
رَبِّى
जो रब है मेरा
warabbikum
وَرَبِّكُمۚ
और रब है तुम्हारा
مَّا
नहीं
min
مِن
कोई जानदार
dābbatin
دَآبَّةٍ
कोई जानदार
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो
ākhidhun
ءَاخِذٌۢ
पकड़ने वाला है
bināṣiyatihā
بِنَاصِيَتِهَآۚ
पेशानी उसकी
inna
إِنَّ
बेशक
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
ऊपर रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के है
मेरा भरोसा तो अल्लाह, अपने रब और तुम्हारे रब, पर है। चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है, उसकी चोटी तो उसी के हाथ में है। निस्संदेह मेरा रब सीधे मार्ग पर है ([११] हूद: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ مَّآ اُرْسِلْتُ بِهٖٓ اِلَيْكُمْ ۗوَيَسْتَخْلِفُ رَبِّيْ قَوْمًا غَيْرَكُمْۗ وَلَا تَضُرُّوْنَهٗ شَيْـًٔا ۗاِنَّ رَبِّيْ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ حَفِيْظٌ ٥٧

fa-in
فَإِن
फिर अगर
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
तुम मुँह फेरते हो
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
ablaghtukum
أَبْلَغْتُكُم
पहुँचा दिया मैंने तुम्हें
مَّآ
वो जो
ur'sil'tu
أُرْسِلْتُ
मैं भेजा गया हूँ
bihi
بِهِۦٓ
साथ उसके
ilaykum
إِلَيْكُمْۚ
तरफ़ तुम्हारे
wayastakhlifu
وَيَسْتَخْلِفُ
और जानशीन बनाएगा
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
qawman
قَوْمًا
एक क़ौम को
ghayrakum
غَيْرَكُمْ
तुम्हारे अलावा
walā
وَلَا
और नहीं
taḍurrūnahu
تَضُرُّونَهُۥ
तुम नुक़सान दे सकोगे उसे
shayan
شَيْـًٔاۚ
कुछ भी
inna
إِنَّ
बेशक
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
ḥafīẓun
حَفِيظٌ
ख़ूब निगरान है
किन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो जो कुछ देकर मुझे तुम्हारी ओर भेजा गया था, वह तो मैं तुम्हें पहुँचा ही चुका। मेरा रब तुम्हारे स्थान पर दूसरी किसी क़ौम को लाएगा और तुम उसका कुछ न बिगाड़ सकोगे। निस्संदेह मेरा रब हर चीज़ की देख-भाल कर रहा है।' ([११] हूद: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَلَمَّا جَاۤءَ اَمْرُنَا نَجَّيْنَا هُوْدًا وَّالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّاۚ وَنَجَّيْنٰهُمْ مِّنْ عَذَابٍ غَلِيْظٍ ٥٨

walammā
وَلَمَّا
और जब
jāa
جَآءَ
आ गया
amrunā
أَمْرُنَا
फ़ैसला हमारा
najjaynā
نَجَّيْنَا
निजात दी हमने
hūdan
هُودًا
हूद को
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनको जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
biraḥmatin
بِرَحْمَةٍ
साथ रहमत के
minnā
مِّنَّا
हमारी तरफ़ से
wanajjaynāhum
وَنَجَّيْنَٰهُم
और निजात दी हमने उन्हें
min
مِّنْ
अज़ाब से
ʿadhābin
عَذَابٍ
अज़ाब से
ghalīẓin
غَلِيظٍ
सख़्त
और जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने हूद और उसके साथ के ईमान लानेवालों को अपनी दयालुता से बचा लिया। और एक कठोर यातना से हमने उन्हें छुटकारा दिया ([११] हूद: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

وَتِلْكَ عَادٌ ۖجَحَدُوْا بِاٰيٰتِ رَبِّهِمْ وَعَصَوْا رُسُلَهٗ وَاتَّبَعُوْٓا اَمْرَ كُلِّ جَبَّارٍ عَنِيْدٍ ٥٩

watil'ka
وَتِلْكَ
और ये थे
ʿādun
عَادٌۖ
आद
jaḥadū
جَحَدُوا۟
उन्होंने इन्कार किया
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
आयात का
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब की
waʿaṣaw
وَعَصَوْا۟
और उन्होंने नाफ़रमानी की
rusulahu
رُسُلَهُۥ
उसके रसूलों की
wa-ittabaʿū
وَٱتَّبَعُوٓا۟
और उन्होंने पैरवी की
amra
أَمْرَ
हुक्म की
kulli
كُلِّ
हर
jabbārin
جَبَّارٍ
सरकश
ʿanīdin
عَنِيدٍ
ज़िद्दी की
ये आद है, जिन्होंने अपने रब की आयतों का इनकार किया; उसके रसूलों की अवज्ञा की और हर सरकश विरोधी के पीछे चलते रहे ([११] हूद: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

وَاُتْبِعُوْا فِيْ هٰذِهِ الدُّنْيَا لَعْنَةً وَّيَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ اَلَآ اِنَّ عَادًا كَفَرُوْا رَبَّهُمْ ۗ اَلَا بُعْدًا لِّعَادٍ قَوْمِ هُوْدٍ ࣖ ٦٠

wa-ut'biʿū
وَأُتْبِعُوا۟
और उनके पीछे लगा दी गई
فِى
इस दुनिया में
hādhihi
هَٰذِهِ
इस दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
इस दुनिया में
laʿnatan
لَعْنَةً
लानत
wayawma
وَيَوْمَ
और दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۗ
क़यामत के (भी)
alā
أَلَآ
ख़बरदार
inna
إِنَّ
बेशक
ʿādan
عَادًا
आद ने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
rabbahum
رَبَّهُمْۗ
अपने रब का
alā
أَلَا
ख़बरदार
buʿ'dan
بُعْدًا
दूरी है
liʿādin
لِّعَادٍ
आद के लिए
qawmi
قَوْمِ
जो क़ौम थी
hūdin
هُودٍ
हूद की
इस संसार में भी लानत ने उनका पीछा किया और क़ियामत के दिन भी, 'सुन लो! निस्संदेह आद ने अपने रब के साथ कुफ़्र किया। सुनो! विनष्ट हो आद, हूद की क़ौम।' ([११] हूद: 60)
Tafseer (तफ़सीर )