يٰقَوْمِ لَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ اَجْرًا ۗاِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلَى الَّذِيْ فَطَرَنِيْ ۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ٥١
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- lā
- لَآ
- नहीं
- asalukum
- أَسْـَٔلُكُمْ
- मैं सवाल करता तुमसे
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इस पर
- ajran
- أَجْرًاۖ
- किसी अजर का
- in
- إِنْ
- नहीं
- ajriya
- أَجْرِىَ
- अजर मेरा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَى
- उस पर
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- faṭaranī
- فَطَرَنِىٓۚ
- पैदा किया मुझे
- afalā
- أَفَلَا
- क्या फिर नहीं
- taʿqilūna
- تَعْقِلُونَ
- तुम अक़्ल से काम लेते
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता। मेरा पारिश्रमिक तो बस उसके ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया। फिर क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते? ([११] हूद: 51)Tafseer (तफ़सीर )
وَيٰقَوْمِ اسْتَغْفِرُوْا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوْبُوْٓا اِلَيْهِ يُرْسِلِ السَّمَاۤءَ عَلَيْكُمْ مِّدْرَارًا وَّيَزِدْكُمْ قُوَّةً اِلٰى قُوَّتِكُمْ وَلَا تَتَوَلَّوْا مُجْرِمِيْنَ ٥٢
- wayāqawmi
- وَيَٰقَوْمِ
- और ऐ मेरी क़ौम
- is'taghfirū
- ٱسْتَغْفِرُوا۟
- बख़्शिश माँगो
- rabbakum
- رَبَّكُمْ
- अपने रब से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tūbū
- تُوبُوٓا۟
- तौबा करो
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- yur'sili
- يُرْسِلِ
- वो भेजेगा
- l-samāa
- ٱلسَّمَآءَ
- आसमान को
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- mid'rāran
- مِّدْرَارًا
- बहुत बरसने वाला
- wayazid'kum
- وَيَزِدْكُمْ
- और वो ज़्यादा देगा तुम्हें
- quwwatan
- قُوَّةً
- क़ुव्वत
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- quwwatikum
- قُوَّتِكُمْ
- तुम्हारी क़ुव्वत के
- walā
- وَلَا
- और ना
- tatawallaw
- تَتَوَلَّوْا۟
- तुम मुँह फेरो
- muj'rimīna
- مُجْرِمِينَ
- मुजरिम बनकर
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अपने रब से क्षमा याचना करो, फिर उसकी ओर पलट आओ। वह तुमपर आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ेगा और तुममें शक्ति पर शक्ति की अभिवृद्धि करेगा। तुम अपराधी बनकर मुँह न फेरो।' ([११] हूद: 52)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا يٰهُوْدُ مَاجِئْتَنَا بِبَيِّنَةٍ وَّمَا نَحْنُ بِتَارِكِيْٓ اٰلِهَتِنَا عَنْ قَوْلِكَ وَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِيْنَ ٥٣
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yāhūdu
- يَٰهُودُ
- ऐ हूद
- mā
- مَا
- नहीं
- ji'tanā
- جِئْتَنَا
- लाया तू हमारे पास
- bibayyinatin
- بِبَيِّنَةٍ
- कोई वाज़ेह दलील
- wamā
- وَمَا
- और नहीं हैं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- bitārikī
- بِتَارِكِىٓ
- छोड़ने वाले
- ālihatinā
- ءَالِهَتِنَا
- अपने इलाहों को
- ʿan
- عَن
- तेरी बात से
- qawlika
- قَوْلِكَ
- तेरी बात से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं हैं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- laka
- لَكَ
- तुझ पर
- bimu'minīna
- بِمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
उन्होंने कहा, 'ऐ हूद! तू हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण लेकर नहीं आया है। तेरे कहने से हम अपने इष्ट -पूज्यों को नहीं छोड़ सकते और न हम तुझपर ईमान लानेवाले है ([११] हूद: 53)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ نَّقُوْلُ اِلَّا اعْتَرٰىكَ بَعْضُ اٰلِهَتِنَا بِسُوْۤءٍ ۗقَالَ اِنِّيْٓ اُشْهِدُ اللّٰهَ وَاشْهَدُوْٓا اَنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ٥٤
- in
- إِن
- नहीं
- naqūlu
- نَّقُولُ
- हम कहते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- iʿ'tarāka
- ٱعْتَرَىٰكَ
- (ये कि) मुब्तिला कर दिया है तुम्हें
- baʿḍu
- بَعْضُ
- बाज़
- ālihatinā
- ءَالِهَتِنَا
- हमारे इलाहों ने
- bisūin
- بِسُوٓءٍۗ
- साथ किसी तकलीफ़ के
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- ush'hidu
- أُشْهِدُ
- मैं गवाह बनाता हूँ
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- wa-ish'hadū
- وَٱشْهَدُوٓا۟
- और तुम गवाह रहो
- annī
- أَنِّى
- बेशक मैं
- barīon
- بَرِىٓءٌ
- बरी उज़ ज़िम्मा हूँ
- mimmā
- مِّمَّا
- उनसे जिन्हें
- tush'rikūna
- تُشْرِكُونَ
- तुम शरीक करते हो
हम तो केवल यही कहते है कि हमारे इष्ट-पूज्यों में से किसी की तुझपर मार पड़ गई है।' उसने कहा, 'मैं तो अल्लाह को गवाह बनाता हूँ और तुम भी गवाह रहो कि उनसे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं, ([११] हूद: 54)Tafseer (तफ़सीर )
مِنْ دُوْنِهٖ فَكِيْدُوْنِيْ جَمِيْعًا ثُمَّ لَا تُنْظِرُوْنِ ٥٥
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦۖ
- उसके सिवा
- fakīdūnī
- فَكِيدُونِى
- पस चाल चलो मेरे ख़िलाफ़
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सबके सब
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना तुम मोहलत दो मुझे
- tunẓirūni
- تُنظِرُونِ
- ना तुम मोहलत दो मुझे
जिनको तुम साझी ठहराकर उसके सिवा पूज्य मानते हो। अतः तुम सब मिलकर मेरे साथ दाँव-घात लगाकर देखो और मुझे मुहलत न दो ([११] हूद: 55)Tafseer (तफ़सीर )
اِنِّيْ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللّٰهِ رَبِّيْ وَرَبِّكُمْ ۗمَا مِنْ دَاۤبَّةٍ اِلَّا هُوَ اٰخِذٌۢ بِنَاصِيَتِهَا ۗاِنَّ رَبِّيْ عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ٥٦
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- tawakkaltu
- تَوَكَّلْتُ
- तवक्कल किया मैंने
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- rabbī
- رَبِّى
- जो रब है मेरा
- warabbikum
- وَرَبِّكُمۚ
- और रब है तुम्हारा
- mā
- مَّا
- नहीं
- min
- مِن
- कोई जानदार
- dābbatin
- دَآبَّةٍ
- कोई जानदार
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَ
- वो
- ākhidhun
- ءَاخِذٌۢ
- पकड़ने वाला है
- bināṣiyatihā
- بِنَاصِيَتِهَآۚ
- पेशानी उसकी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbī
- رَبِّى
- रब मेरा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर रास्ते
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- ऊपर रास्ते
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधे के है
मेरा भरोसा तो अल्लाह, अपने रब और तुम्हारे रब, पर है। चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है, उसकी चोटी तो उसी के हाथ में है। निस्संदेह मेरा रब सीधे मार्ग पर है ([११] हूद: 56)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ مَّآ اُرْسِلْتُ بِهٖٓ اِلَيْكُمْ ۗوَيَسْتَخْلِفُ رَبِّيْ قَوْمًا غَيْرَكُمْۗ وَلَا تَضُرُّوْنَهٗ شَيْـًٔا ۗاِنَّ رَبِّيْ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ حَفِيْظٌ ٥٧
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- तुम मुँह फेरते हो
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ablaghtukum
- أَبْلَغْتُكُم
- पहुँचा दिया मैंने तुम्हें
- mā
- مَّآ
- वो जो
- ur'sil'tu
- أُرْسِلْتُ
- मैं भेजा गया हूँ
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ उसके
- ilaykum
- إِلَيْكُمْۚ
- तरफ़ तुम्हारे
- wayastakhlifu
- وَيَسْتَخْلِفُ
- और जानशीन बनाएगा
- rabbī
- رَبِّى
- रब मेरा
- qawman
- قَوْمًا
- एक क़ौम को
- ghayrakum
- غَيْرَكُمْ
- तुम्हारे अलावा
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- taḍurrūnahu
- تَضُرُّونَهُۥ
- तुम नुक़सान दे सकोगे उसे
- shayan
- شَيْـًٔاۚ
- कुछ भी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbī
- رَبِّى
- रब मेरा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- ḥafīẓun
- حَفِيظٌ
- ख़ूब निगरान है
किन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो जो कुछ देकर मुझे तुम्हारी ओर भेजा गया था, वह तो मैं तुम्हें पहुँचा ही चुका। मेरा रब तुम्हारे स्थान पर दूसरी किसी क़ौम को लाएगा और तुम उसका कुछ न बिगाड़ सकोगे। निस्संदेह मेरा रब हर चीज़ की देख-भाल कर रहा है।' ([११] हूद: 57)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا جَاۤءَ اَمْرُنَا نَجَّيْنَا هُوْدًا وَّالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّاۚ وَنَجَّيْنٰهُمْ مِّنْ عَذَابٍ غَلِيْظٍ ٥٨
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- jāa
- جَآءَ
- आ गया
- amrunā
- أَمْرُنَا
- फ़ैसला हमारा
- najjaynā
- نَجَّيْنَا
- निजात दी हमने
- hūdan
- هُودًا
- हूद को
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ उसके
- biraḥmatin
- بِرَحْمَةٍ
- साथ रहमत के
- minnā
- مِّنَّا
- हमारी तरफ़ से
- wanajjaynāhum
- وَنَجَّيْنَٰهُم
- और निजात दी हमने उन्हें
- min
- مِّنْ
- अज़ाब से
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- अज़ाब से
- ghalīẓin
- غَلِيظٍ
- सख़्त
और जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने हूद और उसके साथ के ईमान लानेवालों को अपनी दयालुता से बचा लिया। और एक कठोर यातना से हमने उन्हें छुटकारा दिया ([११] हूद: 58)Tafseer (तफ़सीर )
وَتِلْكَ عَادٌ ۖجَحَدُوْا بِاٰيٰتِ رَبِّهِمْ وَعَصَوْا رُسُلَهٗ وَاتَّبَعُوْٓا اَمْرَ كُلِّ جَبَّارٍ عَنِيْدٍ ٥٩
- watil'ka
- وَتِلْكَ
- और ये थे
- ʿādun
- عَادٌۖ
- आद
- jaḥadū
- جَحَدُوا۟
- उन्होंने इन्कार किया
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- आयात का
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- अपने रब की
- waʿaṣaw
- وَعَصَوْا۟
- और उन्होंने नाफ़रमानी की
- rusulahu
- رُسُلَهُۥ
- उसके रसूलों की
- wa-ittabaʿū
- وَٱتَّبَعُوٓا۟
- और उन्होंने पैरवी की
- amra
- أَمْرَ
- हुक्म की
- kulli
- كُلِّ
- हर
- jabbārin
- جَبَّارٍ
- सरकश
- ʿanīdin
- عَنِيدٍ
- ज़िद्दी की
ये आद है, जिन्होंने अपने रब की आयतों का इनकार किया; उसके रसूलों की अवज्ञा की और हर सरकश विरोधी के पीछे चलते रहे ([११] हूद: 59)Tafseer (तफ़सीर )
وَاُتْبِعُوْا فِيْ هٰذِهِ الدُّنْيَا لَعْنَةً وَّيَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ اَلَآ اِنَّ عَادًا كَفَرُوْا رَبَّهُمْ ۗ اَلَا بُعْدًا لِّعَادٍ قَوْمِ هُوْدٍ ࣖ ٦٠
- wa-ut'biʿū
- وَأُتْبِعُوا۟
- और उनके पीछे लगा दी गई
- fī
- فِى
- इस दुनिया में
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- इस दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- इस दुनिया में
- laʿnatan
- لَعْنَةً
- लानत
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۗ
- क़यामत के (भी)
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- ʿādan
- عَادًا
- आद ने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- rabbahum
- رَبَّهُمْۗ
- अपने रब का
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- buʿ'dan
- بُعْدًا
- दूरी है
- liʿādin
- لِّعَادٍ
- आद के लिए
- qawmi
- قَوْمِ
- जो क़ौम थी
- hūdin
- هُودٍ
- हूद की
इस संसार में भी लानत ने उनका पीछा किया और क़ियामत के दिन भी, 'सुन लो! निस्संदेह आद ने अपने रब के साथ कुफ़्र किया। सुनो! विनष्ट हो आद, हूद की क़ौम।' ([११] हूद: 60)Tafseer (तफ़सीर )