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सूरा हूद - Page: 5

Hud

(हूद)

४१

۞ وَقَالَ ارْكَبُوْا فِيْهَا بِسْمِ اللّٰهِ مَجْرٰ۪ىهَا وَمُرْسٰىهَا ۗاِنَّ رَبِّيْ لَغَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٤١

waqāla
وَقَالَ
और उसने कहा
ir'kabū
ٱرْكَبُوا۟
सवार हो जाओ
fīhā
فِيهَا
इसमें
bis'mi
بِسْمِ
साथ नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
majrahā
مَجْر۪ىٰهَا
चलना है उसका
wamur'sāhā
وَمُرْسَىٰهَآۚ
और ठहरना है उसका
inna
إِنَّ
बेशक
rabbī
رَبِّى
मेरा रब
laghafūrun
لَغَفُورٌ
अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
उसने कहा, 'उसमें सवार हो जाओ। अल्लाह के नाम से इसका चलना भी है और इसका ठहरना भी। निस्संदेह मेरा रब अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।' ([११] हूद: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

وَهِيَ تَجْرِيْ بِهِمْ فِيْ مَوْجٍ كَالْجِبَالِۗ وَنَادٰى نُوْحُ ِۨابْنَهٗ وَكَانَ فِيْ مَعْزِلٍ يّٰبُنَيَّ ارْكَبْ مَّعَنَا وَلَا تَكُنْ مَّعَ الْكٰفِرِيْنَ ٤٢

wahiya
وَهِىَ
और वो
tajrī
تَجْرِى
चल रही थी
bihim
بِهِمْ
साथ उनके
فِى
मौज/लहर में
mawjin
مَوْجٍ
मौज/लहर में
kal-jibāli
كَٱلْجِبَالِ
पहाड़ों जैसी
wanādā
وَنَادَىٰ
और पुकारा
nūḥun
نُوحٌ
नूह ने
ib'nahu
ٱبْنَهُۥ
अपने बेटे को
wakāna
وَكَانَ
और था वो
فِى
अलग जगह में
maʿzilin
مَعْزِلٍ
अलग जगह में
yābunayya
يَٰبُنَىَّ
ऐ मेरे बेटे
ir'kab
ٱرْكَب
सवार हो जाओ
maʿanā
مَّعَنَا
साथ हमारे
walā
وَلَا
और ना
takun
تَكُن
तुम हो
maʿa
مَّعَ
साथ काफ़िरों के
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
साथ काफ़िरों के
और वह (नाव) उन्हें लिए हुए पहाड़ों जैसी ऊँची लहर के बीच चल रही थी। नूह ने अपने बेटे को, जो उससे अलग था, पुकारा, 'ऐ मेरे बेटे! हमारे साथ सवार हो जा। तू इनकार करनेवालों के साथ न रह।' ([११] हूद: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

قَالَ سَاٰوِيْٓ اِلٰى جَبَلٍ يَّعْصِمُنِيْ مِنَ الْمَاۤءِ ۗقَالَ لَا عَاصِمَ الْيَوْمَ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ اِلَّا مَنْ رَّحِمَ ۚوَحَالَ بَيْنَهُمَا الْمَوْجُ فَكَانَ مِنَ الْمُغْرَقِيْنَ ٤٣

qāla
قَالَ
वो बोला
saāwī
سَـَٔاوِىٓ
अनक़रीब मैं पनाह ले लूँगा
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ एक पहाड़ के
jabalin
جَبَلٍ
तरफ़ एक पहाड़ के
yaʿṣimunī
يَعْصِمُنِى
वो बचा लेगा मुझे
mina
مِنَ
पानी से
l-māi
ٱلْمَآءِۚ
पानी से
qāla
قَالَ
कहा
لَا
नहीं कोई बचाने वाला
ʿāṣima
عَاصِمَ
नहीं कोई बचाने वाला
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
min
مِنْ
हुक्म से
amri
أَمْرِ
हुक्म से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
जिस पर
raḥima
رَّحِمَۚ
वो रहम करे
waḥāla
وَحَالَ
और हाइल हो गई
baynahumā
بَيْنَهُمَا
दर्मियान उन दोनों के
l-mawju
ٱلْمَوْجُ
एक मौज
fakāna
فَكَانَ
तो हो गया वो
mina
مِنَ
ग़र्क़ होने वालों में से
l-mugh'raqīna
ٱلْمُغْرَقِينَ
ग़र्क़ होने वालों में से
उसने कहा, 'मैं किसी पहाड़ से जा लगूँगा, जो मुझे पानी से बचा लेगा।' कहा, 'आज अल्लाह के आदेश (फ़ैसले) से कोई बचानेवाला नहीं है सिवाय उसके जिसपर वह दया करे।' इतने में दोनों के बीच लहर आ पड़ी और डूबनेवालों के साथ वह भी डूब गया ([११] हूद: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

وَقِيْلَ يٰٓاَرْضُ ابْلَعِيْ مَاۤءَكِ وَيَا سَمَاۤءُ اَقْلِعِيْ وَغِيْضَ الْمَاۤءُ وَقُضِيَ الْاَمْرُ وَاسْتَوَتْ عَلَى الْجُوْدِيِّ وَقِيْلَ بُعْدًا لِّلْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ٤٤

waqīla
وَقِيلَ
और कह दिया गया
yāarḍu
يَٰٓأَرْضُ
ऐ ज़मीन
ib'laʿī
ٱبْلَعِى
निगल जा
māaki
مَآءَكِ
पानी अपना
wayāsamāu
وَيَٰسَمَآءُ
और ऐ आसमान
aqliʿī
أَقْلِعِى
थम जा
waghīḍa
وَغِيضَ
और ख़ुश्क कर दिया गया
l-māu
ٱلْمَآءُ
पानी
waquḍiya
وَقُضِىَ
और फ़ैसला कर दिया गया
l-amru
ٱلْأَمْرُ
मामले का
wa-is'tawat
وَٱسْتَوَتْ
और जा ठहरी (कश्ती)
ʿalā
عَلَى
जूदी पर
l-jūdiyi
ٱلْجُودِىِّۖ
जूदी पर
waqīla
وَقِيلَ
और कह दिया गया
buʿ'dan
بُعْدًا
दूरी है
lil'qawmi
لِّلْقَوْمِ
उन लोगों के लिए
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
और कहा गया, 'ऐ धरती! अपना पानी निगल जा और ऐ आकाश! तू थम जा।' अतएव पानी तह में बैठ गया और फ़ैसला चुका दिया गया और वह (नाव) जूदी पर्वत पर टिक गई औऱ कह दिया गया, 'फिटकार हो अत्याचारी लोगों पर!' ([११] हूद: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَنَادٰى نُوْحٌ رَّبَّهٗ فَقَالَ رَبِّ اِنَّ ابْنِيْ مِنْ اَهْلِيْۚ وَاِنَّ وَعْدَكَ الْحَقُّ وَاَنْتَ اَحْكَمُ الْحٰكِمِيْنَ ٤٥

wanādā
وَنَادَىٰ
और पुकारा
nūḥun
نُوحٌ
नूह ने
rabbahu
رَّبَّهُۥ
अपने रब को
faqāla
فَقَالَ
तो कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
inna
إِنَّ
बेशक
ib'nī
ٱبْنِى
मेरा बेटा
min
مِنْ
मेरे घर वालों मे से है
ahlī
أَهْلِى
मेरे घर वालों मे से है
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
waʿdaka
وَعْدَكَ
वादा तेरा
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
सच्चा है
wa-anta
وَأَنتَ
और तू
aḥkamu
أَحْكَمُ
बेहतर हाकिम है
l-ḥākimīna
ٱلْحَٰكِمِينَ
सब हाकिमों से
नूह ने अपने रब को पुकारा और कहा, 'मेरे रब! मेरा बेटा मेरे घरवालों में से है और निस्संदेह तेरा वादा सच्चा है और तू सबसे बड़ा हाकिम भी है।' ([११] हूद: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

قَالَ يٰنُوْحُ اِنَّهٗ لَيْسَ مِنْ اَهْلِكَ ۚاِنَّهٗ عَمَلٌ غَيْرُ صَالِحٍ فَلَا تَسْـَٔلْنِ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ ۗاِنِّيْٓ اَعِظُكَ اَنْ تَكُوْنَ مِنَ الْجٰهِلِيْنَ ٤٦

qāla
قَالَ
फ़रमाया
yānūḥu
يَٰنُوحُ
ऐ नूह
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
laysa
لَيْسَ
नहीं है
min
مِنْ
तेरे घर वालों में से
ahlika
أَهْلِكَۖ
तेरे घर वालों में से
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ʿamalun
عَمَلٌ
एक अमल है
ghayru
غَيْرُ
ग़ैर
ṣāliḥin
صَٰلِحٍۖ
सालेह
falā
فَلَا
तो ना
tasalni
تَسْـَٔلْنِ
तू सवाल कर मुझसे
مَا
उसका जो
laysa
لَيْسَ
नहीं
laka
لَكَ
तुझे
bihi
بِهِۦ
जिसका
ʿil'mun
عِلْمٌۖ
कोई इल्म
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
aʿiẓuka
أَعِظُكَ
मैं नसीहत करता हूँ तुझे
an
أَن
कि
takūna
تَكُونَ
(ना) तू हो जा
mina
مِنَ
जाहिलों में से
l-jāhilīna
ٱلْجَٰهِلِينَ
जाहिलों में से
कहा, 'ऐ नूह! वह तेरे घरवालों में से नहीं, वह तो सर्वथा एक बिगड़ा काम है। अतः जिसका तुझे ज्ञान नहीं, उसके विषय में मुझसे न पूछ, तेरे नादान हो जाने की आशंका से मैं तुझे नसीहत करता हूँ।' ([११] हूद: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

قَالَ رَبِّ اِنِّيْٓ اَعُوْذُ بِكَ اَنْ اَسْـَٔلَكَ مَا لَيْسَ لِيْ بِهٖ عِلْمٌ ۗوَاِلَّا تَغْفِرْ لِيْ وَتَرْحَمْنِيْٓ اَكُنْ مِّنَ الْخٰسِرِيْنَ ٤٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
aʿūdhu
أَعُوذُ
मैं पनाह लेता हूँ तेरी
bika
بِكَ
मैं पनाह लेता हूँ तेरी
an
أَنْ
कि
asalaka
أَسْـَٔلَكَ
मैं सवाल करूँ तुझसे
مَا
उसका जो
laysa
لَيْسَ
नहीं
لِى
मुझे
bihi
بِهِۦ
उसका
ʿil'mun
عِلْمٌۖ
कोई इल्म
wa-illā
وَإِلَّا
और अगर ना
taghfir
تَغْفِرْ
तूने बख़्शा मुझे
لِى
तूने बख़्शा मुझे
watarḥamnī
وَتَرْحَمْنِىٓ
और (ना) तूने रहम किया मुझ पर
akun
أَكُن
मैं हो जाऊँगा
mina
مِّنَ
ख़सारा पाने वालों में से
l-khāsirīna
ٱلْخَٰسِرِينَ
ख़सारा पाने वालों में से
उसने कहा, 'मेरे रब! मैं इससे तेरी पनाह माँगता हूँ कि तुझसे उस चीज़ का सवाल करूँ जिसका मुझे कोई ज्ञान न हो। अब यदि तूने मुझे क्षमा न किया और मुझपर दया न की, तो मैं घाटे में पड़कर रहूँगा।' ([११] हूद: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

قِيْلَ يٰنُوْحُ اهْبِطْ بِسَلٰمٍ مِّنَّا وَبَرَكٰتٍ عَلَيْكَ وَعَلٰٓى اُمَمٍ مِّمَّنْ مَّعَكَ ۗوَاُمَمٌ سَنُمَتِّعُهُمْ ثُمَّ يَمَسُّهُمْ مِّنَّا عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٤٨

qīla
قِيلَ
कहा गया
yānūḥu
يَٰنُوحُ
ऐ नूह
ih'biṭ
ٱهْبِطْ
उतर जा
bisalāmin
بِسَلَٰمٍ
साथ सलामती के
minnā
مِّنَّا
हमारी तरफ़ से
wabarakātin
وَبَرَكَٰتٍ
और बरकतों के
ʿalayka
عَلَيْكَ
तुझ पर
waʿalā
وَعَلَىٰٓ
और जमाअतों पर
umamin
أُمَمٍ
और जमाअतों पर
mimman
مِّمَّن
उनमें से जो
maʿaka
مَّعَكَۚ
साथ हैं तेरे
wa-umamun
وَأُمَمٌ
और कई जमाअतें
sanumattiʿuhum
سَنُمَتِّعُهُمْ
अनक़रीब हम फ़ायदा देंगे उन्हें
thumma
ثُمَّ
फिर
yamassuhum
يَمَسُّهُم
पहुँचेगा उन्हें
minnā
مِّنَّا
हमारी तरफ़ से
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
कहा गया, 'ऐ नूह! हमारी ओर से सलामती और उन बरकतों के साथ उतर, जो तुझपर और उन गिरोहों पर होगी, जो तेरे साथवालों में से होंगे। कुछ गिरोह ऐसे भी होंगे जिन्हें हम थोड़े दिनों का सुखोपभोग कराएँगे। फिर उन्हें हमारी ओर से दुखद यातना आ पहुँचेगी।' ([११] हूद: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

تِلْكَ مِنْ اَنْۢبَاۤءِ الْغَيْبِ نُوْحِيْهَآ اِلَيْكَ ۚمَا كُنْتَ تَعْلَمُهَآ اَنْتَ وَلَا قَوْمُكَ مِنْ قَبْلِ هٰذَاۚ فَاصْبِرْۚ اِنَّ الْعَاقِبَةَ لِلْمُتَّقِيْنَ ࣖ ٤٩

til'ka
تِلْكَ
ये
min
مِنْ
ख़बरों में से है
anbāi
أَنۢبَآءِ
ख़बरों में से है
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब की
nūḥīhā
نُوحِيهَآ
हम वही कर रहे हैं उन्हें
ilayka
إِلَيْكَۖ
तरफ़ आपके
مَا
ना
kunta
كُنتَ
थे आप
taʿlamuhā
تَعْلَمُهَآ
आप जानते उन्हें
anta
أَنتَ
आप
walā
وَلَا
और ना ही
qawmuka
قَوْمُكَ
क़ौम आपकी
min
مِن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
hādhā
هَٰذَاۖ
इससे पहले
fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْۖ
पस सब्र कीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
l-ʿāqibata
ٱلْعَٰقِبَةَ
अन्जाम
lil'muttaqīna
لِلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों के लिए है
ये परोक्ष की ख़बरें हैं जिनकी हम तुम्हारी ओर प्रकाशना कर रहे है। इससे पहले तो न तुम्हें इनकी ख़बर थी और न तुम्हारी क़ौम को। अतः धैर्य से काम लो। निस्संदेह अन्तिम परिणाम डर रखनेवालो के पक्ष में है ([११] हूद: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

وَاِلٰى عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًا ۗقَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗ ۗاِنْ اَنْتُمْ اِلَّا مُفْتَرُوْنَ ٥٠

wa-ilā
وَإِلَىٰ
और तरफ़
ʿādin
عَادٍ
आद के
akhāhum
أَخَاهُمْ
उनके भाई
hūdan
هُودًاۚ
हूद को (भेजा)
qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
uʿ'budū
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
مَا
नहीं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
कोई इलाह (बरहक़)
ilāhin
إِلَٰهٍ
कोई इलाह (बरहक़)
ghayruhu
غَيْرُهُۥٓۖ
उसके सिवा
in
إِنْ
नहीं
antum
أَنتُمْ
तुम
illā
إِلَّا
मगर
muf'tarūna
مُفْتَرُونَ
झूठ गढ़ने वाले
और 'आद' की ओर उनके भाई 'हूद' को भेजा। उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य प्रभु नहीं। तुमने तो बस झूठ घड़ रखा हैं ([११] हूद: 50)
Tafseer (तफ़सीर )